कशिश - पार्ट 3 Ashish Bagerwal द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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कशिश - पार्ट 3

अब रविवार का दिन आ जाता है।
सभी लोग गांव के मंदिर के पास खड़े होकर मुखिया जी के आने का इंतजार करते हैं।
मुखिया जी के आने के कुछ देर पश्चात वहां एक कार आती है उसके पीछे - पीछे एक लग्जरी बस आती है जो कि खाली रहती है , कार के अंदर बैठा एक व्यक्ति बाहर आता है तथा सभी को बस के अंदर बैठ जाने का आग्रह करता है।
मुखिया जी - क्या आपको युवराज ने भेजा है।
व्यक्ति - जी हां युवराजजी ने ही मुझे भेजा है मैं उनका मुनीम हूं। मेरा नाम विनयानंद है।
मुखिया जी - अच्छा अच्छा (सिर हिलाते हुऐ कहते हैं)
सभी लोग एक-एक कर बस पर बैठ जाते हैं, मुखिया जी भी बस में बैठ जाते हैं , जबकि विनयानंद जी ने उनको कार की तरह इशारा करते हुए उसमें बैठने को कहा था।
कुछ समय बाद सब लोग संभलगढ़ पहुंच जाते हैं ।
यहां उनका बड़ा आदर सत्कार किया जाता है, भोजन में विभिन्न प्रकार के व्यंजन देखकर सभी को खुशी का एहसास होता है क्योंकि आज तक उनका किसी ने भी इस तरीके से आदर् सत्कार नहीं किया था।
भोजन करने के बाद सभी लोग विश्राम के लिए एक बड़े से हॉल में जाते हैं , क्योंकि युवराज जी ने उन्हें शाम तक रुकने को कहा था तथा शाम को होने वाले आयोजन में हिस्सा लेने का आग्रह किया था।
जल्द ही शाम हो जाती है तथा सभी लोग आयोजन में शामिल होकर उसका लुफ्त उठाने लगते हैं।
तभी ढोल नगाड़ों की आवाज में घोषणा होती है कि युवराज सभा में पधार रहे हैं। युवराज सभी से हाथ जोड़कर उनका अभिवादन स्वीकार करते हैं तथा उन्हें यहां आने के लिए धन्यवाद देते हैं।
युवराज - मैं जानता हूं कि आप सभी को आश्चर्य है की मैं उस दिन गांव में क्यों आया था तथा मैंने आप सभी को यहां आने का निमंत्रण क्यों दिया।
गांव वाले एक स्वर में हां मैं उत्तर देते हैं।
युवराज - जैसा कि आप जानते हैं कि मैं संभलगढ़ का होने वाला महाराज हूं तथा मेरी पूरी रियासत की भाग दौड़ कि जिम्मेदारी के साथ - साथ, प्रजा की समस्याओ, किसानों की तकलीफे तथा अन्य कारणो से भी रूबरू होना होता है।
युवराज मंत्री की ओर इशारा करते हैं, मंत्री उन्हें एक दस्तावेज सौंप देते हैं।
युवराज - इस दस्तावेज के अनुसार आपके गांव के सारे कर माफ किए जाते हैं तथा आपके गांव के विकास के लिए एक लाख स्वर्ण मुद्राएं दी जाती है। और आगे भी आपको गांव के विकास के लिए इसी प्रकार सहायता दी जाएगी।
गांव वाले खुशी से झूम उठते हैं।
मुखिया जी - युवराज जी जैसा कि हम जानते हैं कि आप केवल एक ही गांव के राजा नहीं है आपके राज्य के अंतर्गत कहीं गांव आते हैं, तो फिर यह कृपा केवल हमारे गांव के ऊपर ही क्यों की जा रही है।
भोला नाई व अन्य गांव वाले मुखिया जी की तरफ कुदृष्टि से देखते है, मानो यह कहना चाह रहे हो कि तुम्हें क्या मतलब इन बातों से अपने को तो धन मिल रहा है ना क्या वो काफी नहीं ।
युवराज इशारा करते हुए कहते हैं इनकी वजह से।
सभी गांव वाले युवराज जिस तरह इशारा कर रहे हैं उस तरफ देखते हैं......