अग्निजा - 151 Praful Shah द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

अग्निजा - 151

लेखक: प्रफुल शाह

प्रकरण-151

भावना केतकी को समझाने का भरपूर प्रयास कर रही थी। ‘केतकी बहन मेरा मन कहता है कि तुम फाइनल राउंड में अवश्य जाओगी।’

‘पागल...ये तुम्हारा प्रेम बोल रहा है। तुम्हारी शुभकामनाएं बोल रही हैं, लेकिन तर्कसम्मत बात करोगी तो पता चलेगा कि अब यह संभव नहीं। इट्स ऑल ओवर नाऊ...’

तभी केतकी का फोन बज उठा। उसी अननोन नंबर से। केतकी ने गुस्से में फोन काट दिया। भावना ने पूछा, ‘फोन क्यों नहीं उठाया, कौन था वह।’

‘है कोई गुंडा। फालतू बातें करता रहता है।’

‘नाम क्या है उसका?’

‘नाम, नंबर कुछ नहीं बताता। अननोन नंबर से ही आता है। कुछ दिनों से मुझे परेशान कर रहा है।’

तभी फोन फिर से बजा। भावना ने मोबाइल देखा, ‘देखो, यह परेशान करता है या और कुछ...’ प्रसन्न का फोन था। केतकी ने रिसीव किया, ‘पंद्रह मिनट में पहुंच रहा हूं।’ इतना कहकर उसने फोन रख दिया। केतकी चिढ़ गयी। मेहता मैडम ने उसकी खुशियों पर पानी फेर दिया था। उधर वह अननोन नंबर परेशान कर रहा और अब ये प्रसन्न आधी बात करके फोन रख देता है...प्रसन्न आऩे वाला है यह जानकर भावना जरूर खुश हो गयी। ‘देखना, वह कोई न कोई रास्ता जरूर निकालेगा।’

‘हां वह तो जादूगर है न?..के. लाल का शिष्य। कमाल कर देगा नहीं??’

‘दुनिया की सबसे बड़ी कमाल मेरे सामने बैठी हुई है और उसमें उसका जरा भी कॉन्ट्रीब्यूटन नहीं है, नहीं??’ ‘ठीक है ठीक है...बड़ी आई प्रसन्न की वकालत करने वाली..’

‘हां, बिलकुल...मुझे तो वह दुनिया का बेस्ट मेन लगता है। उसके जैसा दूसरा कोई हो तो मुझे दिखाओ?’ दोनों की बहस चल ही रही थी कि प्रसन्न आ पहुंचा।

‘तुम दोनों ऐसी आराम से बैठी रहोगी तो कैसे चलेगा? मुंबई जाने की तैयारी में लगो अब...’

‘प्रसन्न, प्लीज...मैं मजाक करने के मूड में नहीं हूं। एक तो मिसेज मेहता ने परमिशन नहीं दी और तुम...’

‘अरे, परमिशन की चिंता छोड़ो...वो तो किसी भी क्षण मिल जाएगी...तुम तक पहुंचने के लिए रवाना भी हो चुकी है। ’

केतकी ने गुस्से से अपना सिर कस कर पकड़ लिया, ‘विल यू प्लीज स्टॉप दिस नॉनसेंस...मैं बहुत डिस्टर्ब हूं...बहुत।’

‘चलो, तो फिर इस डिस्टर्बेंस का कोई उपाय निकालते हैं तुरंत...सभी अपने मन में सौ तक गिनती गिनें। आपको जो भगवान या व्यक्ति अधिक पसंद हो उसका नाम मन ही मन में बोलें।’ केतकी को ये पागलपन अच्छा लगा। भावना आंखें बंद करके कहने लगी, ‘प्रसन्न भाई...’ केतकी मन ही मन, ‘नाना, पिता जी, आई, पुकु निकी...’ उन दोनों को वैसा करते देख कर प्रसन्न ने भी मन ही मन में जप करना चालू कर दिया, ‘केतकी, केतकी, केतकी...’ इतना करने में जैसे-तैसे पांच मिनट बीते होंगे कि दरवाजे पर घंटी बजी, ‘थैंक्यू कहकर उसने दरवाजा बंद कर लिया।’

‘प्लीज, तुम दोनों आंखें खोलो और देखो कि क्या आया है...’

प्रसन्न ने वो लिफाफा भावना के हाथ में दे दिया। भावना ने उसे खोला और कागज़ को पढ़ा और फिर प्रसन्न की ओर देखा और केतकी की ओर देखते हुए उठी और प्रसन्न के गले से लग गयी। ‘वाह मेरे पी. लाल...ग्रेटेस्ट मैजिशीयन ऑन द अर्थ...’

प्रसन्न कुछ समझ नहीं पाया। उसके बाद उसने वह कागज केतकी के हाथों में देते हुए बोली, ‘देखो, मेरा कहना तुम्हें गलत लग रहा था न...’

केतकी ने वह कागज हाथ में लिया, पढ़ते पढ़ते उसकी आंखों से आंसू बहने लगे. ‘आई कांट बिलीव दिस...’

केतकी के फोन की रिंग बजी। मिसेस मेहता का फोन था। भावना ने फोन केतकी के हाथ में दिया। केतकी आंखें पोंछते हुए बोली, ‘हैलो...थैंक्स ए लॉट...नहीं, नहीं, मुझे आपकी बातों का बुरा नहीं लगा...आई कैन अंडरस्टैंड...थैंक्यू वन्स अगेन...’

केतकी ने फोन बंद करते हुए पूछा, ‘मिसेज मेहता एकदम नरम कैसे पड़ गयीं। बाघिन से खरगोश बन गयीं। ये कैसे संभव हुआ प्रसन्न?’

‘मुझे क्या मालूम? मैं जान पाने के लिए कोई जादूगर थोड़े हूं?’

‘सीधे बताते हो या कसम दूं अपनी?’

‘अरे, कल मुंबई से एक पत्रकारका फोन आया था मेरे पास। उसे मुंबई समाचार में तुम पर आर्टिकल लिखना था। उसे तुम्हारा नंबर चाहिए था। लेकिन फाइनल राउंड में जाने की यदि इजाजत नहीं मिलती तो उस आर्टिकल का कोई मतलब नहीं होता। इसलिए मैंने रात को कीर्ति सर को व्हाट्सअप कॉल करके सारी बातें विस्तार से बता दीं। उन्होंने मिसेज मेहता को फोन लगाकर आदेश दे दिया। इसीलिए मिसेज मेहता, आज रविवार होने के बावजूद स्कूल में जाकर परमिशन लेटर पर साइन करके चौकीदार के हाथों तुम्हारे पास भिजवाना पड़ा।’

भावना ने खुशी से उछलते हुए प्रसन्न का हाथ पकड़ते हुए उनको चूम लिया। ‘यार, प्रसन्न भाई, लेट मी रिपीट वन थिंग। आपकी जैसी क्वालिटी वाला छोटा मॉडल आई मीन कम उम्र का कोई मॉडल होगा तो मुझसे पूछे बिना हामी भरकर उसे बता दो..मेरी नैया पार लग जाएगी।’

प्रसन्न ने उसके माथे पर हाथ रखते हुए कहा, ‘तुम्हारे लिए ऐसा पति खोजेंगे जिसकी मुझसे कोई तुलना ही नहीं हो सकेगी...वो राजा भोज तो होगा लेकिन मैं गंगू तेली भी नहीं रहूंगा उसके सामने...’

‘नहीं, मुझे प्रसन्न शर्मा का ही छोटा पैक चाहिए, बस। ’

अगले दिन अहमदाबाद के समाचार पत्रों के लोकल पेज पर भी खबर दिखाई दी। ‘हमारे शहर की एक एलोपेशियन युवती की सफलता-सौंदर्य प्रतियोगिता में भाग लेने वाली पहली बिना बालों वाली भारतीय। ’

खबर में केतकी की अब तक की सफलता की जानकारी दी गयी थी। उसी के साथ कीर्ति चंदाराणा सर के उद्गार भी प्रकाशित किए गये थे, ‘मैं और मेरा स्कूल, महिला दिवस को केवल औपचारिकता समझ कर नहीं मनाते। मुंबई में होने वाली सौंदर्य प्रतियोगिता के फाइनल राउंड में हमारे स्कूल की शिक्षिका केतकी जानी का चनय होना हम एक स्त्री की आशा-आकांक्षाओं का सम्मान समझते हैं। हमारा स्कूल केतकी पर गर्व करता है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि प्रत्येक परिवार में केतकी की ही तरह बेटी पैदा होनी चाहिए। डरबन में रहते हुए मैं आने वाले रविवार की प्रतीक्षा कर रहा हूं।’

केतकी, प्रसन्न और भावना खुश थे, अंत्याक्षरी खेल रहे थे। पुकु और निकी बारी-बारी से सभी की गोद में जाकर बैठ रहे थे। मस्ती कर रहे थे। उसी समय केतकी के साइलेंट पर रखे हुए फोन पर उस अननोन private नंबर से चार मिस्ड कॉल आ चुके थे।

 

अनुवादक: यामिनी रामपल्लीवार

© प्रफुल शाह

---