Firozpur, September 2008
[ बल्लू का एक जन्मदिन 2 दिन पहले बीत चुका था, लेकिन उसपर कोई प्रतिक्रिया न हुई थी। राजेश ने एक बार मारने की कौशिश के बाद उम्मीद छोड़ थी क्योंकि सुनीता बेहद सजग हो गए थी। इधर Firozpur मे एक अलग ही खेल चल रहा था, राजेश के जरिए बबीता pregnant हो गई थी। ये खबर सुन राजेश खुश भी था व बेहद दुखी भी। खुश इसलिए कि बबीता के पेट मे उसका व अपना वारिस था, दुखी इसलिए कि बल्लू व सुनीता दोनो अभी जिंदा थी। ]
Bhiwani, 20 September 2008
[ Rajesh's House]
[ सुनीता- माजी, आपने यह ठीक नहीं किया, आप मेरी बल्लू को मारना चाहती है ना, मैं ये कतई ना होने दूंगी। मैं अपनी बल्लू व दिव्या को लेकर बहुत दूर निकल जाऊंगी।
बहुत दूर।]
[राजेश की मां - हे डायन, बल्लू को चाहे नाले में डाल दे, लेकिन दिव्या के बारे में सोचा भी ना, तो जबान खींच लूंगी समझी।]
[सुनीता(मन में)- दिव्या को तो राजेश और उसकी मां दोनों चाहते ही हैं। बल्लू और मैं ही इनकी दुश्मन हूं, आज रात ही इनको आजाद कर दूंगी। हां, ट्रेन से कहीं भी आज चली जाऊंगी। ]
20 September 2008, Bhiwani junction
[TIME: 8:00PM]
[ सुनीता व बल्लु दोनो ट्रेन मे बैठ निकल गए। कहाँ जाना है, ये सुनीता को अंदाजा न था, केवल उम्मीद थी कि उसकी बेटी यहां से ज्यादा सुरक्षित धरती के हर कोने पर रहेगी ]
21 September, 2008, Hisar juncion
[ Morning 9:00 AM ]
[ सुनीता ने बिना कुछ पढ़े- देखे - पुछे, एक लंबी सी हरे रंग की ट्रेन में बैठी। खाने को कुछ बिस्कुट लिए जो बल्लू को बिल्कुल अस्वादिष्ट प्रतीत हो रहे थे। चलते-चलते कब 22 घंटे ट्रेन में गुजर गए, पता ही नहीं चला। अब आंख खुली तो...........]
22 september 2008, Mumbai central
[12:00 PM ]
[सुनीता ( मन में)- हाय राम, ये मै कहाँ आ गई, ये अनजान बड़ा शहर। कहाँ जाऊ, कहाँ नहीं । कोई जान पहचान का प्रतीत न हो पा रहा । मेरी बल्लु की रक्षा करना भगवान।]
[ बल्लू लगातार मुख से बिलबिला रही थी, पर सुनीता के पास कुछ नहीं था, ना खाना और ना ही भोजन। ]
21 september 2008, Bhiwani police station
[ 10:00 AM]
[ राजेश report लिखवाने पुलिस स्टेशन पहुँचा। उसकी कोई रुचि न थी, लेकिन दिव्या जब बल्लू की याद में पागल होने लगी तो राजेश को आखिर आना पड़ा। दिव्या ने बल्लु के जाने के बाद खाना तक न खाया था, तो हस्पताल मे उसे admit करा दिया था। इधर पुलिस ने अपनी Preliminary enquiry शुरु कर दी थी, लेकीन इससे कहा कुछ होने वाला था।]
22 September 2008, Mumbai chawl area
[ सुनीता- भैया कुछ खाने को मिलेगा, मेरी बेटी बहुत भखी है।]
[ आदमी- बिना पैसे कुछ नही मिलेगा। समझी, तेरे पास पैसे न सही, पर ये शरीर तो है। इसके बदले कितने पैसे कमा सकती है तु । तुने सोचा भी है कभी। चल तुझे रास्ता दिखाता है।]
15 November 2008, Mumbai chawl Area
V [ Call Rings]
[ सुनीता- हां राजेश,क्यूँ Call किया गया, यहाँ तुमसे इतनी दूर आकर भी तुम्हे शांति नहीं मिल रही, कम से कम अब तो हमे जी लेने दो।]
[ राजेश- देखो सुनीता, मुझे माफ कर वो प्लीज। बल्लु मेरी मेरी ही बेटी है। सुनीता तुम बल्लू को लेके जल्द से जल्द लौट आओ। दिव्या की हालत बहुत खराब है। उसने एक अंन्न तक नहीं खाया बल्लू के जाने के बाद वो बिना बल्लू के मर जाएगी। सुनीता, प्लीज वापस आजाओ।]
[ सुनीता- ठीक है राजेश, हम जल्द से जल्द वहां पहुंचते हैं, लेकिन तुम दिव्या का ख्याल रखना, उसे कुछ नहीं होना चाहिए राजेश।
17 November 2008, Bhiwani Junction
[4:00 PM ]
[ राजेश- सुनीता, सुनीता, सुनीता welcome, welcome लाओ मुझे बल्लू को दो और तुम्हारा जहाँ मन करे, वहाँ निकल लो, तुम्हारे जाते ही मैं बबीता से शादी कर लूँगा और दिव्या की खातिर इस नाजायज बल्लू को भी रख ही लेंगे, पड़ी रहेगी कही कोने में।]
[ सुनीता- क्या मतलब राजेश, तुमने धोखा दिया मुझे? धोकेबाज ?]
[ राजेश- जो बोलना है बोल, जहाँ जाना है जा, लेकिन मुझे जिंदगी में कभी यह अपनी घटिया शक्ल मत दिखाना, समझी। ]
[ सुनीता ( रोते हुए मन में) - कहां जाऊं, अब मैं, अब जब राजेश ने ही अपनी औकात दिखा दी है, तो मुझे भी अपनी हैसियत उस राजेश को दिखाने से पीछे नहीं हटना चाहिए। हां, अब मैं मनीष के पास ही चली जाऊंगी, वैसे भी मनीष मुझसे बहुत प्यार करता है, वो मुझे जरूर समझेगा, हां कितने हसीन पल हम दोनों ने एक साथ निभाए हैं।]