वो निगाहे.....!! - 3 Madhu द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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वो निगाहे.....!! - 3

धडका गया दिल मेरा.....
उनका निगाहे उठाना.....!!


जैसे ही सुना उन लोगों को एक साथ अकेले मे मिलना है वैसे हि श्री को घबराहट होने लगी... उसकी घबराहट को देखते हुये पास बैठी धानी.... देख श्री इतना घबरा क्यों रही है इंसान हि है तुझे खा नहीं जायगा समझी अब चुपचाप मिल जाकर कैसा रहा बताना मैनु हि हि..... श्री दांत दिखाना बन्द कर नहीं तो तोड दुगी समझी सारी बातिसी बाहर आ जायेगी....धानी अपनी होठो पर उंगली धर ली चुपचाप बैठ गई......!

तेज और श्री एक कमरे में भेज दिया जाता है....कमरा श्री का हि होता अंदर आते हि तेज कि नजर कमरे का मुयाअना करने लगता सलिके सब सामान रखा हुआ था ......जब तेज कमरा देखने मे व्यस्त था वही श्री अपनी घबराहट को छुपाती हुई तेज को हि देखे जा रही थी उसके चेहरे कि मासूम सी मुस्कराहट को कितना निश्छल था ना.... तेज को जब अपने ऊपर किसी कि निगाह महसूस हुई वो श्री कि ओर मुखातिब हुआ...... फिर दोनों के दरमिया खमोशी ने ले ली..... जब काफ़ी वक़्त नहीं बात नहीं कि दोनों ने तेज मे पहल कि बात कि......
वैसे मै आपको पसंद तो हूँ ना नहीं हूँ तो आप मना कर सकती है.... जैसे श्री ने सुना जल्दी अपना सिर हिला.....मतलब नहीं पसंद हूँ ये कहते हुये उठ खड़ा होता है श्री जल्दि से अरे नहीं आप आप हमे पसंद है अगर आप पसंद नहीं होते हमारे कमरे में नजर नहीं आते..... वही तेज सुनकर क्या सच सच कह रही है आप बताईयेना श्री प्लीज़ बताईये श्री अपनी मुन्डी जल्दि हिलाती है l तेज जल्दि से उसके गले लग जाता है श्री अचम्भे मे पड जाती है उसका दिल बहुत जोरो से धडकने लगता है और तेज का भी वो जल्दि से उससे दूर होता है सॉरी सॉरी वो भावुकता में मै आपके गले लग गया श्री उसकी बात सुनकर कोई बात नहीं आप तो आप तो अपने हि है .......तेज..... हूँ वो याद करने लगता कब उससे पहली मुलाकात किस तरह हुई.......!!

उस दिन तेज अपने घर से जल्दि अपने ढाबे पर पहुचता है फ़टाफ़ट वर्कर से खाने बनाने को कहता और खुद भी बनवाने में शामिल हो जाता है क्योंकि आज रति का बर्थ डे होता है रति उसके वृद्घा आश्रम कि एक छोटी 10 साल की लडकी होती उसको हि सरप्राईज देना चाहता है इसलिए वो फ़टाफ़ट सारी डिशेज तैयार करने लगता है.....और जो कस्टमर आते हैं उन्हे भी सर्विस दी जाने लगती है.....कुछ घन्टो बाद सारी डिशॆज तैयार हो जाती है....... वो जैसी हि रसोईघर से निकलता देखता कि उसके ढाबे पर काम करने वाला एक आदमी किसी पर बहुत बुरी तरह से चिल्ला रहा था उसकी आवाज सुनकर तेज तेजी से उसके पास आता है देखता है वो किसी औरत पर चिल्ला रहा होता उनको देखने से लग रहा था कि कई दिनों से भूखी हो वो वो sir ये औरत अन्दर घुसी चली आ रही थी मै पूछ रहा हूँ वो मुझे अच्छे से दिख रहा कैसे बात कर रहे हो तुम इन्हे बकायदा अन्दर ले चलो और खाने का इन्तजाम करो चलिये आप हमारे साथ तेज उन्हे अपने साथ ले जाता है उन्हे अपने हाथों से हाथ मुह धुलता है और फिर खाना परोसने लगता है वो औरत भी बस टुकुर टुकुर देखती हि रहती है तेज उन्हे बैठकर खुद ही अपने हाथों से खिलाने लगता है


जारी है....!!
स्वस्थ रहिये खुश रहिये 🙏🙏