आती क्या अम्बाला - 2 S Sinha द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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आती क्या अम्बाला - 2

 

                                                                        कहानी  -  आती क्या अम्बाला  2 

 

भाग 2 - पिछले भाग में आपने पढ़ा कि चेतन और शीला दो बचपन के दोस्त युगांडा से विस्थापित होने के काफी बाद गोवा में मिले थे  . शीला अपनी आपबीती  सुना रही थी  अब आगे ….

  

मैंने उसे आगे बोलने से रोकते हुए कहा " लंच आर्डर कर लेते हैं ,क्या खाओगी ? वैसे भी शाकाहारी गुजरातियों के लिए यहाँ ज्यादा विकल्प नहीं है . और अगर तुम चाहो तो लंच के बाद कहीं और चलें ? "

 
शीला के " कुछ भी वेज आइटम मंगा लो " कहने पर मैंने दो वेज लंच आर्डर कर दिया .थोड़ी देर में लंच भी आ गया  . खाते समय कुछ इधर उधर की बातें हुईं . मैंने जब उस से पूछा कि शाम को डोना पौला बीच चलते हैं , वहाँ हम क्रूज का आनंद लेंगें .उसने सर हिला कर हामी भरी थी . लंच के बाद हम दोनों ने थोड़ी देर बीच पर चहल कदमी की फिर शीला के होटल में  आये. उसी के कमरे में थोड़ी देर हम दोनों ने आराम किया .

 
   शाम को  डोना पौला बीच जाते समय टैक्सी में शीला ने बताया कि उसकी  माँ की लेडीज टेलर की  दुकान अच्छी खासी चल पड़ी थी .बाद में मेरे लिए एक लेडीज ब्यूटी पार्लर भी खोला माँ ने , पर  पार्लर चल न पाया . मेरी  मॉडल बनने की इच्छा  थी और कामयाब होती  तो आगे चल कर फिल्मों में भी किस्मत आजमाती  . “

 
मैं चुपचाप सुन रहा था तब  फिर  शीला ने ही पूछा " मेरी राम कहानी तो तुमने सुन ली अब  चेतन तुम बताओ तुमने यूगांडा से पलायन के बाद क्या किया ? " 

 
फिर मैंने अपनी कहानी शुरू करते हुए शीला से  " पिताजी के हिस्से की कुछ पुश्तैनी जमीन जायदाद गाँव में बची थी  .  अपने माता पिता के साथ हम अपने पुश्तैनी गाँव आये  .वहाँ पिताजी ने अपने हिस्से का जो खेत और घर बचा था उसे बेच कर कुछ पैसे जमा किये .दिल्ली में ही एक कपड़े की  छोटी सी  दुकान खोली .माँ ने भी घर से कुछ पापड़ , अँचार , मसाले वगैरह बना कर ढाबों और रेस्टोरेंट्स में सप्लाई करना शुरू किया .इस तरह कुछ पैसे इकठ्ठा कर एक हमने अपना एक रेडीमेड कपड़ों की  दुकान खोली .फिर पिताजी के एक करीबी  मित्र का अम्बाला में थोक कपड़ों की दुकान थी  . वे उसे  बेच कर अपने लड़के के पास इंग्लैंड जा रहे थे , उन्होंने पिताजी को सस्ते में अपनी दूकान बेच दी .इसके बाद हम दिल्ली से अम्बाला आ गए . शार्ट में अपनी तो यही कहानी है  समझो तो .गोवा में हमारा यह बिजनेस ट्रिप है   . हमलोग  कुछ होटल और खुदरा कपड़ा व्यापारियों को थोक माल सप्लाई करते हैं  , सिलसिले में मैं गोवा आया हूँ ."

 
  टैक्सी से उतर कर मैं दो क्रूज का टिकट ले आया और हम दोनों क्रूज में जा बैठे . लगभग दो  घंटे  के क्रूज के बाद फिर हम वापस टैक्सी से अपने होटल जा रहे थे . इस बारमैं  शीला को अपने होटल ले गया . वहां मैंने दो डिनर आर्डर किया  .


डिनर ख़त्म कर जब मैंने उस से गोवा आने का कारण पूछा तो वह बोली " मैंने बताया था न कि मुझे मॉडलिंग का शौक है .  मैं अपना  पोर्टफोलियो बनाने के लिए एक फोटोग्राफर से मिली   .  मैंने उस से कहा  कि मेरा एक अच्छा सा पोर्टफोलियो स्टिल फोटोज और विडिओ क्लिप का  बना दे ताकि मैं मॉडलिंग फिल्म मेकर के यहाँ उसे दिखा कर इम्प्रेस कर सकूं   . फोटो शूट में  फोटोग्राफर ने मेरा अलग अलग पोज में फोटो लिया  . इस दौरान वह  मेरे अंगों को सपर्श करने का आनंद उठा रहा था और मैं सब समझ रही थी  . खैर उसी पोर्टफोलियो के बल पर   मैं  एक दो बी ग्रेड प्रोडक्ट्स  के लिए मॉडल भी बनी पर कुछ ख़ास हासिल  नहीं कर सकी हूँ अभी तक .करीब एक वर्ष पहले मैं एक अधेड़ ऐड फिल्म निर्माता के पास गयी  .  .उसने इसके लिए बहुत बड़ी रकम माँगी  जिसे देने में मैं असमर्थ थी .उसने पूछा कि क्या मैं शादीशुदा हूँ .मेरे ना कहने पर उसने कहा कि वह मेरा काम मुफ्त में भी कर सकता है . मुझे सुन कर आश्चर्य हुआ  , मुझे उसके इरादे  पर कुछ शक भी हुआ  . वह बोला परन्तु मुझे एक अनुबंध ( कॉन्ट्रैक्ट ) साइन करना होगा जिसमें दो लिखित शर्तें ख़ास तौर पर होंगी और एक मौखिक  यानी तीन  शर्तें ".

 
  मैंने उसे बीच में रोक कर पूछा कि डिनर के पहले कुछ ड्रिंक चलेगा तो  उसने कहा " हाँ , पर सिर्फ कोल्ड ड्रिंक ". मैंने केटरिंग को फोन कर दो डायेट कोक आर्डर किया .

 
  जब मैंने शीला से कॉन्ट्रैक्ट के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उसने एग्रीमेंट साइन कर दी  .मैंने जब कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों के बारे में पूछा तो  शीला बोली  " कॉन्ट्रैक्ट की  दो लिखित शर्त्तें इस प्रकार थीं - पहली शर्त दो साल तक मैं शादी नहीं कर सकती , दूसरी मुझे मॉडलिंग से जो भी आमदनी होगी उसका 25  प्रतिशत उसका होगा .पर वह बहुत ही  धूर्त निर्माता था , सबसे  कठिन शर्त जो थी वह उसकी मौखिक शर्त थीं  ". 


“ मेरे वह कौन सी शर्त थी ? “ मैंने पूछा 

 
मेरे  पूछने पर  उसने कहा  " उस निर्माता ने मुझसे कहा कि  तुमने कास्टिंग काउच का नाम सुना होगा .जब वह चाहे मुझे  इसके  लिए तैयार होना होगा .यानि  मुझे कंप्रोमाइज करने के लिए तैयार रहना  होगा "

 
" और तुमने तीनों शर्तें मान ली होंगी ?" मैंने पूछा

 


  शीला बोली  "  जाहिर है , और तभी यहाँ गोवा में हूँ . एक ए ग्रेड  प्रोडक्ट की मॉडल बनने  का सपना लेकर  यहाँ आई हूँ ,  यह कोई मजाक या आसान काम नहीं है  "

 
मैंने कहा “ तुम इतनी बड़ी बेवक़ूफ़ होगी मैंने नहीं सोचा था . “

 
“ माय डिअर , सिर्फ सोचने से पेट नहीं भरता है   . उसके लिए बहुत स्ट्रगल करना पड़ता है और बर्दाश्त करना पड़ता है . “

 
“ स्ट्रगल के अन्य तरीके भी हैं इसके लिए हमबिस्तर होना जरूरी तो नहीं . “

 
“ हाँ , मैंने भी दूसरा तरीका की अपनाया था . मैं बक़्क़ूफ़ हूँ पर बेहया नहीं हूँ  . “

 
“ पर तुमने तो कहा कि एग्रीमेंट साइन कर दिया है . “

 
“ हाँ , मैंने सिर्फ रिटेन शर्तों पर साईन किया है , उसकी तीसरी शर्त के बदले मैंने अपनी भी एक शर्त रखी थी  . प्रोड्यूसर के इस  शर्त पर मान लेने पर मैं तैयार हो गयी . हाँ , इसे तुम बेवकूफी कह सकते हो . “

 
“ वह कौन सी नयी शर्त थी ? “

 
“ नयी नहीं , बल्कि पुरानी शर्त में कुछ बदलाव करना पड़ा . उस खूसट को 25 के बदले 50 परसेंट कमीशन दे सकती  हूँ पर मौखिक कोई शर्त नहीं रहेगी मेरे कॉन्ट्रैक्ट में . “  शीला ने हँसते हुए कहा 

 
मैंने उसकी पीठ पर शाबशी का मुक्का जमाया था जिस पर वह बोल पड़ी “  अरे यार , इतनी जोर से क्यों मारा तुमने ? “


  इतना कह  कर वह सर झुका कर बैठ गयी .तभी डिनर आ गया . डिनर के समय मैंने कहा “तुम चाहती तो बुढ्ढे पर केस कर सकती थी . “

 
“  मैं जानती हूँ पर इंडिया मेरे लिए परदेस था  .हम माँ बेटी यहाँ इंडिया में पुलिस कचहरी के चक्कर में नहीं पड़ना चाहती थीं  . पैसे जरूर कम मिल रहे हैं पर चैन से सो सकती हूँ वरना उसकी तीसरी शर्त मानी होती तो रात को बिना पिल्स के सो नहीं पाती और मम्मी से नजरें भी नहीं मिला पाती . अब तुम बोलो , मैंने क्या गलत किया है ?“

 
मैंने कहा “वो तो ठीक है पर मुझे लगता है हम दोनों ने एक ही गलती की है . “
“ वह क्या ? “
“ हमलोग उस समय ब्रिटिश सिटिज़न न थे . पर  हमलोगों के ब्रिटिश पासपोर्ट के एप्लीकेशन मंजूर हो चुके थे और जल्द ही    ब्रिटिश पासपोर्ट मिल सकता  था  . फिर हम  इंडिया न आ कर ब्रिटेन जा सकते थे  . “ 
“ पता नहीं युगांडा से निकल कर फिर एक नए देश में जहाँ की भाषा और संस्कृति  बिल्कुल अलग है , जाना कितना अच्छा होता . वहां भी कुछ वर्षों तक रिफ्यूजी ही रहते . यहाँ कम से कम कुछ अपनापन तो मिला ही है  . “  शीला ने कहा 

 

क्रमशः  अगले अंतिम अंक में 

 
नोट - कहानी पूर्णतः काल्पनिक है