इश्क़ ए बिस्मिल - 66 Tasneem Kauser द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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इश्क़ ए बिस्मिल - 66

इस साल बोहत ज़्यादा गर्मी पड़ी थी... न्यूज़ चैनल्स में हर साल की गर्मियों की रिकॉर्ड टूटने की खबर आ रही थी। कुछ लोग परेशान थे तो कुछ लोग अल्लाह की मर्ज़ी पर सब्र कर रहे थे।
ऐसे मे आज दोपहर मे अचानक से होने वाली बारिश ने सबको शादमान कर दिया था।
और यही हाल सनम का भी था।
“कितना अच्छा मौसम हो रहा है उमैर... चलो ना लाँग ड्राइव पर चलते है।“ उमैर अपने लैपटॉप पे अपनी आँखें गाड़े बैठा था। जब सनम ने खिड़की की तरफ़ देखते हुए कहा था।
“मुझे बोहत काम है सनम... “ उमैर ने अपनी नज़रें लैपटॉप पर टिकाए हुए कहा था।
“उफ़... ये तुम्हारे काम!... तुम्हे लंदन से आए हुए एक हफ़्ता हो गया है.... लेकिन हम अभी तक कहीं बाहर नहीं गए घूमने के लिए... तुम इतना ज़्यादा busy रहने लगे हो... घर पे होते हो तो काम... बाहर निकलते भी हो तो सिर्फ़ अपनी साइट के लिए।“ सनम ने मूंह बना कर शिकवा किया था।
इस दफ़ा उमैर ने अपने काम से नज़रें हटा कर उसकी तरफ़ देखा था।
“सिर्फ़ busy?....मैं कई रातों से सोया भी नहीं हूँ.... लेकिन ये कोई अनहोनी बात नहीं है... नई business की setup के लिए ये सब आम सी बातें है... और मैं तुमसे उम्मीद करता हूँ की तुम मेरा पूरा साथ दोगी... मैं जो कुछ भी कर रहा हूँ वो सब तुम्हारे लिए कर रहा हूँ।“ उसने बड़े प्यार से उसे समझाते हुए कहा था। उसकी बात पर सनम एक छोटे बच्चे की तरह मायूस हो गयी थी और उमैर के पास से उठ कर खिड़की के पास जा कर खड़ी हो गई थी। खिड़की के बाहर अपना हाथ निकाल कर बारिश की बूंदों को अपनी ओक में इकट्ठी कर रही थी।
उमैर उसे ही देख रहा था और उसकी मायूसी उसे बेचैन कर गई थी। वह ना चाहते हुए भी अपना लैपटॉप बंद कर दिया था और सोफे से उठते हुए कहा था।
“चलो... “ उसने अपनी नई गाड़ी की चाभी उठाई थी।
उसकी बात पर सनम मुड़ कर देखी थी और उमैर को तय्यार खड़ा देख कर खुशी से उछल पड़ी थी।
जाने क्या हुआ था की उसकी सोई हुई किस्मत ने अचानक से करवट बदली थी और ठेहरी हुई ज़िंदगी फिर से चल पड़ी थी।
उसे अपने फैसले पर ख़ुशी हो रही थी... हाँ उमैर से शादी ना करने का फैसला... इन दो सालों में उमैर ने उसे लंदन में जॉब मिलते ही सनम से शादी के लिए कहा था... मगर सनम ने ना इंकार किया था और ना ही हामी भरी थी... बस उमैर की बात को टाल दिया था।
उसके बाद अपने दोस्त के साथ partnership business की शुरुआत करते हुए फिर से उमैर ने शादी की बात की थी और इस दफ़ा भी उसने हाँ नहीं की थी। उसके बाद उमैर खुद ही चुप हो गया था और अपना सारा ध्यान business में लगा दिया था।
उमैर के बार बार सनम को प्रोपोज करना उसे मग़रूर बना रहा था... गलती उसकी भी नहीं थी... उमैर जैसा बंदा अगर एक लड़की के पीछे दिलो जान से पड़ जाए तो कोई लड़की भी मग़रूर हो सकती थी।
ऐसा भी क्या था सनम में?
वह कहीं से भी अरीज से ना ज़्यादा खूबसूरत थी और ना ही अरीज जैसा सीरत था उसमे।
फिर भी उमैर उसके पीछे पीछे था।
बरसात की पहली बारिश ने शहर पे जमे धूल गर्दों को धो कर फिर से नया कर दिया था। सारी सड़के धूल कर निखर गई थी। मिट्टी की सौंधी सौंधी ख़ुशबू अभी दुनिया के सभी perfumes को पीछे छोड़ रही थी। हर कुछ तरो ताज़ा लग रहा था
उपर से किशोर कुमार की दिलकश आवाज़ ने अलग ही समा बांध दिया था। कार में मधम आवाज़ में music system में रेडियो पर गाना बज रहा था।
रिमझिम घिरे सावन,
सुलग सुलग जाए मन,
भीगे आज इस मौसम में,
लगी कैसी ये अगन...
रिमझिम घिरे सावन...
कार drive करते करते अचानक से उमैर ने ब्रेक लगाया था और कार को रिवर्स किया था। उसकी इस हरकत पर सनम चौंक गई थी और ना समझी से उमैर को देखने लगी थी। मग़र उमैर उसकी तरफ़ नही देख रहा था।
उसने कार रोक कर सनम की तरफ़ की खिड़की खोली थी। सनम ने ना समझी में खिड़की के बाहर देखा था।
पहले तो उसे कुछ समझ नही आया मगर ध्यान से देखने के बाद वह हैरान हो गई थी।
एक लड़की ऑफ वाइट कलर की अनारकली सूट में मल्बोस् बारिश के पानी से सराबोर भीगी हुई थी। फूटपाथ पे लगे एक पेड़ के नीचे बारिश से खुद को बचाने की नाकाम कोशिश कर रही थी। चूंकि बारिश का पानी तेज़ हवा के साथ बरस रहा था इसलिए कोई फिल्हाल कोई पेड़ कोई शेल्टर काम नहीं आ रहा था।
वह शायद किसी गाड़ी के इंतज़ार में खड़ी थी इसलिए उसकी नज़रें आगे टिकी हुई थी लेकिन तेज़ बारिश के कारन सड़को लगभग सुंसान सी थी।
उसके सामने कार रुकने पर भी उसने ध्यान नहीं दिया मगर जैसे कार की खिड़की खुली उसने देखा और सनम को एक नज़र में पहचान गई। दिल अचानक से ज़ोरों शोरों से धड़कने लगा था क्योंकि उसे समझ आ गई थी की सनम के साथ और कौन हो सकता है। उसने खुद को संभालते हुए खिड़की के अंदर झाँका था। बारिश उसे तेज़ी से भीगा रहा था इसलिए उसके चेहरे के भाव समझ नहीं आ रहे थे।
“घर पे गाड़ी नहीं थी क्या?” उमैर उस पर अपनी नज़रें टिका नहीं पा रहा था। अगर इतनी तेज़ बारिश नहीं हो रही होती तो शायद वह अरीज के लिए कभी अपनी गाड़ी नहीं रोकता।
सनम चुप चाप हैरानी से सिर्फ़ तमाशा देख रही थी।
“वो नदीम अंकल छुट्टी पर अपने गाव गए हुए है...” वह इतना ही कह पाई थी... आगे उस से कुछ कहा नहीं गया।
“जल्दी अंदर बैठो।“ उमैर ने तुरंत हुक्म दिया था।
“नहीं... आपकी कार की सीट खराब हो जायेगी... मैं ठीक हूँ।“ अरीज की खुद हिम्मत नहीं हो रही थी उमैर का ज़्यादा सामना करने की।
“तुम जिस तरह भीगे कपड़ों में सब का नज़ारा बनी हुई हो ये उस से तो बेहतर होगा।“ उमैर ने गुस्से में उसे ताना दिया था।
उसकी बात पर अरीज शर्मसार हो गई थी उसने आगे बिना एक लफ़्ज़ कहे कार का पिछला दरवाज़ा खोल कर बैठ गई थी।
“तुम इसे जानते हो?” सनम ने पहली बार कुछ कहा था। वह कह उमैर से रही थी मगर उसकी नज़रें बैक व्यू मिर्रर से अरीज को देख रही थी। अरीज ख़ामोशी से बंद खिड़की के बाहर देख रही थी। सनम का सवाल उसने साफ़ सुन लिया था और उसके सवाल पर उमैर की चुप्पी भी।
उसका दिल इस वक़्त अलग ही लय में धड़क रहा था। उसने कभी नहीं सोचा था की इतने सालों के बाद जब भी वो उसे देखेगी तो उसके साथ सनम होगी।
कोई जलन का एहसास तो नहीं था लेकिन हाँ एक awkwardness ज़रूर थी... जैसे कबाब में हड्डी!....
दूसरी तरफ़ उमैर बिल्कुल खामोश drive कर रहा था...उसकी पेशानी की सिलवटें उभर आई थी जैसे सर पर अचानक से बोझ पड़ गया हो।
और सनम उसने तो अरीज को कुछ लम्हों के बाद ही पहचान लिया था की ये वही मॉल की लिफ़्ट में मिलने वाली लड़की है। बोहत सारे सवाल उसके ज़ेहन में उभर रहे थे।
क्या होगा आगे?
क्या सनम को उमैर सब कुछ सच बता देगा?
क्या सनम उमैर की सारी परेशानियों की वजह समझ पाएगी?
क्या करेगी अरीज अब आगे?