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लालची व्यापारी सुधर गया l

एक गांव की बात है जहां एक किसान बहुत ही मेहनत से परिश्रम करके फसल का उत्पादन करता है दिन रात मेहनत करके खेत को उपजाऊ बनाता है खाद डालता है दवाई डालता है पानी देता है फिर फसल तैयार होता है उसके बाद जब वह उत्पादन करके अपना फसल बेचने जाता है तो अपनी फसल का मूल्य व्यापारी से पूछता है तो वह व्यापारी उसका फसल का मूल्य ₹2000 क्विंटल बोलता है फिर वह किसान फसल को व्यापारी को देने राजी हो जाता है फिर व्यापारी फसल लेने जब तोलने तराजू लेकर आता है जब तोलने का कार्य पूर्ण हो जाता हैl तब एक बोरी 50 किलो की किसान भूल जाता है गिनते हुए और वह बात व्यापारी को पता रहती है फिर भी वह व्यापारी मेरा तो फायदा हो गया करके किसान को बताता नहीं है फिर किसान अपना पैसा लेकर फसल का वापस चले जाता है. जब व्यापारी जब वह फसल बेचने बाहर भेज देता है .तो उसको फसल का दाम अट्ठारह सौ रुपए में मिलता है जिससे व्यापारी को नुकसान हो जाता है व्यापारी लगातार नुकसान से परेशान हो जाता है और उसको लगातार नुकसान ही होता रहता है जिससे वहां परेशान होकर यह सोचता है कि यह क्या हो रहा है फिर व्यापारी को फिर रास्ते में किसान मिलता है जिसको वह बताया नहीं था की 50 किलो की बोरी एक ज्यादा है उसके बाद उस व्यापारी को एहसास होता है कि मैंने जो किया इस किसान के साथ वह अन्याय था फिर व्यापारी अपनी गलती मान कर किसान को एक बोरी का पैसा देता है और वह आ जाता है फिर वह अपने घर आ जाता है और बैठकर सोचता है अगर मैं किसान का वह 50 किलो की बोरी अगर उसे वह बात बता देता और उसके भी पैसे दे देता तो शायद मेरी भी अनाज मैं मुझे भी फायदा होता फिर उस व्यापारी को एहसास हुआ कि जीवन में कभी लालच नहीं करना चाहिए और किसी से इस प्रकार बेईमानी नहीं करनी चाहिए इससे उस व्यापारी को सीख मिली और वह अपनी गलती मान गया और किसान को रास्ते पर वह उस एक बोरी का मूल्य किसान को दे देता है और वह आगे कभी किसी भी किसान के साथ खरीदारी करने पर अब पहले के जैसे नहीं करता है उस व्यापारी का इतना नुकसान हुआ था की वह बहुत ही परेशान हो गया था उसकी आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर हो गई थी इसी प्रकार उस व्यापारी को सही समय पर उसकी गलती का एहसास हुआ और वह अपनी गलती मान कर पश्चाताप किया और वह अब जब भी खरीदारी करने जाता था बीज को सही भाव कर किसानों से लेता था और किसी भी प्रकार का लालच का भाव अपने मन में नहीं रखता था इस प्रकार धीरेे-धरे उस व्यापारी का आर्थिक स्थिति में सुधार आ गया और वहां फिर से मजबूत स्थिति में आ गया इस प्रकार जीवन में कभी लालच नहीं करना चाहिए लालच का फल बुरा ही होता है जिस प्रकार इस व्यापारी के साथ हुआ और व्यापारी को अपनी गलती का एहसास होने पर पश्चाताप करने पर उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार आ गया इसलिए हमें जीवन में कभी लालच नहीं करना चाहिए और गलती हो जाने पर उसका पश्चाताप भी कर लेना चाहिए l

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