दृश्यम 2 फिल्म रिव्यू Mahendra Sharma द्वारा फिल्म समीक्षा में हिंदी पीडीएफ

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दृश्यम 2 फिल्म रिव्यू

दृश्यम 2 फिल्म रिव्यू
दृश्यम 2 जबसे मलयालम भाषा में आई तब से हिंदी में आने का बहुत ही ज्यादा इंतजार हो रहा था क्योंकि दृश्यम 1 ने एक ऐसा माहौल बना दिया था इस प्रकार से दर्शकों को जकड़ के रखा था कि लोग उसी उत्सुकता से दृश्यम 2 के लिए पलकें बिछा कर इंतजार कर रहे थे। पर क्या दृश्यम दो लोगों को उतना संतोष दे पाई जितना पहले भाग में लोगों को अपने अदाकारी और कहानी से अभिभूत कर दिया?

अजय देवगन और तब्बू की जोड़ी ने क्या फिर वही कमाल कर दिया या फिर जैसे बॉलीवुड में होता है जब तक पार्ट 2 आता है तब तक कहानी में दिलचस्पी कम हो जाती है। किरदार केवल एंटरटेन करते हैं पर अदाकारी फीकी रह जाती है?

दृश्यम के पहले भाग में बहुत ही उम्दा दर्जे की अदाकारी और कहानी को प्रस्तुत किया गया। इस प्रकार की कहानी शायद ही कभी किसी ने हिंदी फिल्मों में लिखी हो। गुनहगार की साइकोलॉजी को इतनी गहराई से प्रस्तुत करना बहुत ही कठिन काम था जिसको फिल्म के डायरेक्टर और स्क्रिप्ट राइटर ने बहुत ही उम्दा तरीके से प्रेक्षकों के सामने रखा।

दृश्यम का मतलब ही है जो है नहीं वह आप देख रहे हो और इसी साइकोलॉजी पर दृश्यम फिल्म का निर्माण हुआ था।

दृश्यम टू की कहानी दृश्यम एक से अलग है पर वहीं से शुरू होती है जहां पर पहली फिल्म खत्म हुई थी। दृश्यम टू में अजय देवगन और साथी कलाकारों की एक्टिंग इतनी अच्छी नहीं है जितनी पहले भाग में थी। कहानी को आगे बढ़ाने के लिए प्लॉट की रचना की गई है और उस प्लॉट तक फिल्म को ले जाया गया है जहां उत्सुकता बढ़ रही है। पर उस प्लॉट को जब अंत तक ले जाया गया तब तक राज
खुलने का जो मजा आना चाहिए वह कहीं ना कहीं फीका रह गया। इतनी इंतजारी के बाद अगर एक प्लॉट बड़ी ही बेवकूफी के साथ खोला जाता है तो बहुत निराशा होती है।

दृश्यम टू में हीरो को बहुत ही चालाक दिखाया गया है। पुलिस को लग रहा था कि वह हीरो पर नजर रख रहे हैं पर असल में हीरो मतलब अजय देवगन की नजर पुलिस के हर उस कदम पर थी जो हीरो की तरफ और उसके गुनाह की तरफ बढ़ रहा था। और यह हीरो उन कदमों की आहट को सुनकर खुद को उन चुनौतियों के लिए तैयार कर रहा था।

फिल्म में कई बार लगा कि बस अब गुनाह पकड़ा जाएगा और अजय देवगन का परिवार सलाखों के पीछे होगा पर फिर कुछ ऐसा होता जिससे गुनाह को पकड़ पाना मुश्किल बन जाता था।

फिल्म के मूल में वही बात है जो प्रथम फिल्म में थी, अपने परिवार को किसी भी तरह पुलिस से बचाना यही हीरो का कर्तव्य था। और उस कर्तव्य को निभाने के लिए हीरो खुद मुश्किलें सहकर भी अपने परिवार को बचाने की तन तोड़ मेहनत करता है। तो क्या उसका परिवार इस बार फिर बच जाएगा या फिर उनके किए गए गुनाह को पुलिस पकड़ पाएगी?

अजय देवगन की तरह तब्बू की अदाकारी भी काबिले तारीफ है। अक्षय खन्ना अपने सीरियस अदाकारी की वजह से हमेशा चर्चा में रहे हैं। इस फिल्म में भी उनको आप बहुत ही संजीदा और समझदार इंस्पेक्टर के रोल में देखेंगे। अक्षय खन्ना बहुत ही अंडररेटेड एक्टर है मुझे उनकी अदाकारी बहुत पसंद है। सौरभ शुक्ला मंझे हुए एक्टर हैं जिनकी फेस वैल्यू को इस फिल्म में इस्तेमाल किया गया है पर अफसोस उनकी कक्षा का उनके कद का रोल उन्हें नहीं दिया गया।

दृश्यम एक अगर आपने देखी है तो दृश्यम 2 तो आप जरूर देखेंगे। डायरेक्टर प्रोड्यूसर इसी वजह से हमेशा दूसरा या तीसरा भाग लाते हैं ताकि पहले भाग का पूरा कमर्शियल फायदा दूसरे भाग को मिले। पर क्या दृश्यम दो अपने पहले भाग की तरह अपना मैजिक दिखा पाएगी? व्यक्तिगत तौर पर मैं कंपेयर करूं तो पार्ट १ अगर १००% है और पार्ट २ ६०% तक सीमित है। मेरे कुछ दोस्तों को दृश्यम दो बहुत पसंद आई तो शायद आपको भी पसंद आए ।अपने सुझाव और अपना फीडबैक जरूर दें।

_ महेंद्र शर्मा 09.02.2023