एकजा द स्टोरी ऑफ डेथ - 8 ss ss द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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एकजा द स्टोरी ऑफ डेथ - 8


रीया ने मुड़ कर सावी की तरफ देखा और बोला अरे सावी जल्दी चल थोड़ा ,इस्पे सावी मुस्कुराते हुए बोली अभी तो चलना शुरू ही किया है। रीया ने फिर पूछा -क्या कह रही है यार। इसपे सावी ने कहा कुछ नहीं , और उनके पीछे चलने लगी। सावी के पीछे एक साप भी था , जो सावी के पिछले शरीर पे ऐसे चिपका था जैसे वो सावी के शरीर का ही एक हिस्सा हो। सावी की चाल भी बदल गयी थी मनो जैसे वो कही की रानी हो जो सैर पर जा रही हो , सावी एक बार फिर पीछे मुड़ कर महल की तरफ तेज नज़रो से देखा।
कुछ देर बाद, सब जब घर पहुंचे तो देखा समीर के माँ पापा गेट पर ही है और उनके चेहरे पर परेशानी की लकीरे है। तभी मुखिया जी की नज़र उनपे परी , उन्हें सही सलामत देख कर सबकी सांस में सांस आयी।
तभी समीर की माँ बोली बेटा कहा रह गए थे , पता है ना शाम को इतनी देर बाहर तक नहीं रहते , ये ठीक नहीं है। इसपे मुखिया जी ने कहा - पहले इन्हे अंदर तो आने दो। फिर सब अंदर चले गए। मुखिया जी ने कहा - जाओ सारे मुँह हाँथ धो लो , फिर खाने पर बात करते है।
कुछ देर बाद सभी फ्रेश हो कर नीचे , लेकिन सावी अभी तक नहीं आयी थी , तभी शिवाय ने रीया से पूछा सावी कहा है, रीया जवाब देने ही वाली थी तभी उसने देखा सावी सीढ़ियों से नीचे आ रही है , इसपे रीया ने कहा - ये लो सावी आ गयी , शिवाय !! और आँखों से शिवाय को इशारा किया। जिससे शिवाय ने अपनी नज़रे सावी पर से हटा ली।
तभी रीया ने अचानक कहा - यार सावी आज तू ऐसे क्यू चल रही है ? इसपे समीर ने कहा कैसे ?? इसपे रीया , समीर को देखते हुए बोली - बुद्धू तुझे दिख नहीं रहा सावी ऐसे चल रही है जैसे ये कैट वाक कर रही हो। ये बोलके रीया हसने लगी। तभी मुखिया जी और उनकी पत्नी वहा आये और सब खाने के लिए बैठ गए।
मुखिया जी ने पूछा - बेटा कहा रह गए थे तुम सब , तुम्हे बताया था ना 7 बजे से पहले घर आ जाना। इसपे समीर कुछ कहता , उससे पहले ही समीर कुछ कहता , करन बोल परा वो हम मार्किट में लेट हो गए , अंकल आपको तो पता है लड़कियों की शॉपिंग कभी खत्म नहीं होती। इसपे रीया और सावी करन को घूर कर देख रही थी। तभी करन ने इशारा किया , इसपे सावी और रीया ने कहा हां अंकल वो हमे बहुत सी चीजे अच्छी लग रही थी तो हम दोनों उसे देखने में इतना खो गए की टाइम का पता ही नहीं चला।
इसपे मुखिया जी ने कहा - ठीक है बेटा लेकिन अगली बार ऐसा मत करना। इसपे सबने अपना सर झुका के ओके कहा। फिर मुखिया जी बोले तुम सब आराम से खाओ मेरा हो गया और अपनी पत्नी के साथ वहा से चले गए। सारे डाइनिंग टेबल पर बाते करते - करते खाना खा रहे थे , तभी करन ने पूछा - सावी तुम कहा गायब हो गयी थी उस महल के दरबार से ? इसपे सावी ने अपनी नज़रे करन की तरफ की और बोली - मैं वही थी लेकिन मुझे उसके साइड में एक बहुत बड़ी पेंटिंग थी मैं उसे देखने के लिए थोड़ा आगे बढ़ गयी थी। इसपे करन ने कहा - लेकिन जब हमने आस - पास देखा तो तुम हमे कही नज़र नहीं आयी। इसपे सावी ने कहा बताया तो मैं आगे चली गयी थी , तुम सब तो एक ही जगह पर रुके हुए थे। इतने बड़े महल को अगर हम ऐसे देखेंगे तो कभी -भी पूरा महल देख ही नहीं पाएंगे। समीर ने कहा - सावी क्या कर रही हो ? धीरे बोलो अगर किसी ने सुन लिया ना,महल का नाम तो हम सबका हो गया काम। इसपे रीया ने कहा - अच्छा बताओ कल भी हम वहा जा रहे है क्या ? इसपे समीर ने धीरे से कहा हां - अभी तो सिर्फ हमने आगे - आगे का हिस्सा ही देखा है। इसपे सब मुस्कुराने लगे। शिवाय जो इतनी देर से शांत था वो सावी को ही देख रहा था , जब सावी ने देखा शिवाय उसे ही देख रहा है तो वो भी उसकी आँखों में देखने लगी। ये देख के वहा बैठे तीनो दोस्त एक दूसरे को इशारा करते हुए वहा से चुप - चाप अपने कमरे में चले गए। अब वहा सिर्फ सावी और शिवाय थे।
शिवाय वहा बैठा ही था की उसने देखा सावी अपनी सीट से उठ कर उसके पास आ रही है , उसने शिवाय के पास आ कर रहा , शिवाय !!!
सावी ने शिवाय का नाम ऐसे लिया था जिससे मनो शिवाय मोहित हो गया था , तभी सावी ने शिवाय के नजदीक जा कर , शिवाय के कान में कहा - मुझे तुमसे बात करनी है , मेरे साथ चलो। शिवाय चुप- चाप सावी के पीछे चलने लगा । सावी उसे ले कर छत पर चली गयी , तभी शिवाय ने कहा - क्या हुआ सावी तुम अचानक ऐसे क्यू बात कर रही हो और तुम्हे मुझसे क्या बात करनी है। तभी सावी छत के किनारे पर गयी जहा से वो महल दिखाई दे रहा था , तभी सावी की आँखे चमकने लगी , तभी शिवाय की की आवाज सुन कर सावी की आँखों का रंग फिर से नार्मल हो गया , शिवाय उसके पास आया। शिवाय कुछ कहता - उससे पहले ही सावी मुड़ी और शिवाय को बोलने से रोक लिया। सावी ने अचानक शिवाय को किश करने लगी , शिवाय को कुछ समझ नहीं आया , लेकिन वो भी उस किश में खो गया। कुछ देर तक किश करने के बाद सावी वहा से भाग कर नीचे चली गयी। शिवाय को कुछ समझ नहीं आया , अभी क्या हुआ। वो ये सोच ही रहा था तभी उसे उस महल की तरफ से एक आवाज आयी।
मैं ;एकजा - अपना बदला ले कर रहूगी सारे मरेंगे। मेरा इंतज़ार खत्म हो गया। ये सुनके शिवाय को कुछ समझ नहीं आया लेकिन वो उस महल की तरफ गौर से देखने लगा , तभी नीचे से आवाज आयी शिवाय सोना नहीं है क्या , ये करन था। इसपे शिवाय ने जवाब देते हुए कहा अभी आया। आगे क्या हुआ ?
क्यू किया सावी ने ऐसा ?
क्या शिवाय जान पायेगा , सावी के बर्ताव के पीछे का राज ?जानेगे नेक्स्ट पार्ट मे।