प्रायश्चित- 21 - अंतिम भाग Devika Singh द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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प्रायश्चित- 21 - अंतिम भाग

2 साल पूरे हो चुके थे लेकिन अंकित अभी भी मेघा को ढूंढ नहीं पाया था वह अपने काम में कामयाब नहीं हो पाया था उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह मेघा को कहा और कैसे ढूंढे।

राज की डेथ हो चुकी थी रात को खोने के बाद अंकित का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच चुका था उससे मेघा से अपने दोस्त का बदला लेना था।

उसे जब समझ नहीं आया तो उसने सोचा क्यों ना मैं अपनी शुरुआत शुरुआत से ही करूं वह पहले मेघा के पड़ोसियों से जाकर उसने पूछा तो उसे ज्यादा कुछ तो पता नहीं चला था। लेकिन उसके घर की छानबीन लेने के बाद उसे साल्वे का वही कार्ड मिला था जो उससे माथुर के पर्स से मिला था उसे लगा कि माथुर से ही अपनी खोजबीन शुरू करनी चाहिए। उसने सोचा कि उसे यहां पर कोई भी सबूत नहीं मिलेगा उसने इंडिया आने का फैसला कर लिया था।

या आ चुका था और कुछ दिनों बाद अंकित इंडिया आ चुका था उसने यहां पर मेघा की खोजबीन की तो उसे ज्यादा समय नहीं लगा।

उसे पता चला कि अंडरवर्ल्ड के गैंगस्टर में एक नया नाम शामिल हो चुका था वह कोई आदमी नहीं बल्कि औरत थी। और जब उससे उसका नाम पता चला तो वो पक्का समझ गया कि वह मेघा ही हो सकती है। डैनी के बाद अगर उसकी कुर्सी पर बैठता तो वो मेघा ही हो सकती थी। उसने कुछ ज्यादा सोचा नहीं और डैनी के घर की तरफ चल पड़ा।

वहां पहुंचकर उसे पता चला कि अब इस पूरे कायनात की मालकिन मेघा हो चुकी थी। सारा काम उसके इशारों पर ही चलता था। माथुर और डैनी को उसने जान से मार दिया था। और सारा काम अपने अंडर में ले लिया था। वह इतनी आगे निकल जाएगी अंकित ने कभी उसके बारे में इतना सोचा नहीं था। अब उसे पायल से मिलना था। लेकिन उसे यह मौका वहां पर नहीं मिल पा रहा था। उसने सोचा अगर मैं अंदर नहीं जा पाया तो क्या हुआ वह तो कभी ना कभी बाहर आएगी करीब एक हफ्ते का इंतजार करने के बाद वह बाहर आई अपनी बड़ी सी गाड़ी में गाड़ी के अंदर एक ड्राइवर था वह बड़ी सी लिमोजिन थी। कुछ दूर जाने के बाद गाड़ी ने एक कच्चा रास्ता ले लिया था। कच्चे रास्ते पर जाने के बाद मेघा जरा होशियार हो गई थी उसे समझ आ गया था कि उसके साथ कुछ गड़बड़ है उसने ड्राइवर को कहा

मेघा: इस रास्ते पर क्यों लेकर जा रहे हो

तो ड्राइवर ने कहा

ड्राइवर: मैडम उस रास्ते पर आज बहुत ज्यादा भीड़ थी। आज कोई फेस्टिवल है ना इसके लिए उस रास्ते पर बहुत ज्यादा ट्रैफिक लगा हुआ था। इसलिए मैं आपको शार्टकट रास्ते से लेकर जा रहा हूं आप चिंता ना करिए हम वहां पर टाइम पर पहुंच जाएंगे।

इतना कहने के बाद वह सोच में पड़ गई उसे ड्राइवर के ऊपर भरोसा नहीं हो रहा था लेकिन उसके अलावा उसके पास और कोई रास्ता भी नहीं था उसने आज अपने साथ अपना गन वह नहीं लाई थी।

कुछ दूर गाड़ी आगे जाने के बाद एक सुनसान वीराने में गाड़ी रुक गई और ड्राइवर ने कहा मैडम शायद मुझे लगता है पीछे वाला टायर पंचर हो चुका है मैं जरा उतर कर उसे देखता हूं आप गाड़ी में बैठे रहिएगा यहां पर बहुत खतरनाक लुटेरे रहते हैं उनका कोई भरोसा नहीं है।

मैंने तुमसे कहा था ना कि इस रस्ते पर क्यों लेकर जा रहे हो अब देखा हम लोग फंस चुके हैं ना यहां पर यह रास्ता इतना खराब है कि मेरे गाड़ी का टायर भी पंचर हो चुका है। और उसे लगाने में पता नहीं कितना वक्त तुम्हें लगेगा इतनी देर तक मैं क्या करूंगी इस गाड़ी में।

मैडम मुझे माफ कर दो मुझे नहीं पता था कि यह गाड़ी पंचर हो जाएगी।

इतना बोलने के बाद ड्राइवर गाड़ी से उतरता है और टायर बदलने लगता है कुछ देर बाद ड्राइवर अपनी सीट पर दोबारा बैठता है। और गाड़ी स्टार्ट कर देता है गाड़ी करीब आधा घंटा चलने के बाद एक खाई के पास जाकर रुकती है।

मैडम आप जरा उतरेंगी।

मेघा ने उसकी आवाज पर गौर किया। ड्राइवर की आवाज थोड़ी सी बदल चुकी थी और उसकी आवाज जरा भारी भी लग रही थी उसे इतना यकीन हो गया था। कि यह मेरा ड्राइवर नहीं है वह गाड़ी से बाहर वह निकल गई। एक तरफ तरफ आकर खड़ी हो गई उसे थोड़ा डर लग रहा था। लेकिन उसने अपने चेहरे पर थोड़ा भी शिकन नहीं लाया था। वह ड्राइवर को यह बताना नहीं चाहती थी कि उसे डर लग रहा है। वह चुपचाप गाड़ी से उतरी और गाड़ी के कोने पर जाकर खड़ी हो गई। और ड्राइवर के बाहर निकलने का इंतजार करने लगी कुछ देर बाद जब जब ड्राइवर निकलता है तो वह असल में ड्राइवर मेघा का नहीं होता वह अंकित होता है तब अंकित उसे गन प्वाइंट पर लेकर सीधा शूट कर देता है गोली उसके दाएं पैर के घुटने में लगती है और वह वही घुटनों पर बैठ जाती है उसे असहाय दर्द हो रहा होता है लेकिन वह अंकित को कुछ नहीं कहती तब अंकित उस के पास जाकर खड़ा होता है।

और उसे कहता है।

अंकित: मैं तुम्हें तुम्हारे बुरे कर्मों के लिए करने के लिए तुम्हे मार रहा हुं। तुमने इतने बुरे काम किए हैं कि तुम अपने कर्मो के लिए प्रायश्चित तक नहीं कर सकती इसीलिए मैं तुम्हें मार रहा हूं अब तुम्हें या एहसास होगा किसी के साथ बुरा करने से क्या होता है।

हां मुझे मार दो मैं इसी लायक हूं मैंने अपनी जिंदगी से जो मुझे जो चाहिए था मुझे वह मिल गया और इसकी घिसीपिटी जिंदगी में और जीना नहीं चाहती बेशक मुझे सब कुछ मिल गया है लेकिन आज मैं एकदम से अकेली हूं एक टाइम मेरे पास कुछ भी नहीं था तो मुझे सब चाहिए था लेकिन उस समय मुझे लोगों का साथ था मुझ पर लोग भरोसा करते थे पर आज मुझ पर कोई भरोसा नहीं करता मुझसे सब डरते हैं और यह डर मुझे अंदर ही अंदर मार रहा है मैं किसी से प्यार नहीं कर सकती मैं किसी पर भरोसा नहीं कर सकती यह भी कोई जिंदगी है।

जिंदगी तो असली राज जी है वह कम से कम मुझसे मिल नहीं पाया लेकिन एक सुकून की मौत तो उसे मिली उसने जिंदगी में कुछ भी हासिल नहीं किया लेकिन वह अपने प्यार के लिए ही मरा मुझे उसका दुख है ना उससे प्यार नहीं कर पाइ। और इसी कारण मैं मरना चाहती हूं मुझे अपनी जिंदगी से कोई प्यार नहीं है। मुझे खत्म कर दो अगर मैं जिंदा रही तो और कईयों को मार दूंगी मुझे अब यह खून खराबा पसंद नहीं आ रहा है। और मुझे प्रायश्चित करने की भी कोई जरूरत नहीं भगवान मेरे नसीब में जो लिखा होगा अब वही मुझे मिलेगा मैंने जो किया है मुझे उसका दुख नहीं है पर मैं अब जो कर रही हूं इस बात की मुझे जाते-जाते खुशी होगी कि मेरे मरने के बाद किसी का दिया हुआ वादा पूरा होगा।

इतना सुनने के बाद ही अंकित ने उसके माथे पर गोली मारकर उसे खत्म कर दिया और कहा

अंकित: बहुत बकबक करती है। मुझे ज्यादा बकबक सुनने की आदत नहीं है।

और यहां पर हमारी कहानी खत्म होती है।

अगर आपको यह पढ़कर अच्छा लगा हो तो मुझे फॉलो करें मैं ऐसे ही अच्छी अच्छी कहानियां आपके लिए रोज लाता रहूंगा।




# THE END #