गृहस्थ संन्यासी - भाग 1 PARIKH MAULIK द्वारा जीवनी में हिंदी पीडीएफ

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गृहस्थ संन्यासी - भाग 1


एक बुक है जिसका में जिक्र कर रहा हूं। गृहस्थ संन्यासी जो बहुत पोपुलर है, जिसका आज सेमिनार आयोजित किया गया है और उसमें उसके लेखक खुद प्रस्तुत होने वाले हैं, जो स्टेज पर जा कर बुक के विषय मे बताने वाला हैं, उसकी राह देखते हुए पत्रकार और उसके चाहक बहुत तल्लीनता से उसके आने का इंतजार कर रहे हैं। तभी माइक में घोषणा होती है कि अभी अभी खबर मिली है की वो आ रहे हैं बहुत जल्द आपके समक्ष प्रस्तुत होंगे और अपने शब्दो में अपनी किताब के बारेमे बताएंगे। तभी दरवाजे खुलने की आवाज सुनाई दी, लोग इधर उधर देखने लगे और तभी एक 70 साल का बुजुर्ग इंसान अपने तीन पेरो के सहारे धीरे धीरे आ रहा है। आतेही उसका सम्मान किया जाता है। वो अपने जुके हुए हाथो को थोड़ा जोर दे कर माइक को अपने मुंह से लगा कर कहता है। आप सब कैसे हैं? सब भी अपनी ओर से जवाब देते हैं, बहुत अच्छे। अपनी किताब के बारे में बताते हुए कहता है कि!
यह बुक मैने किसी और पर नहीं बलकि खुद ही पर लिखी है मेरी जो सोच है कि कोई भी स्त्री किसिभी पुरुष को प्रभावित करती है तो वे सिर्फ और सिर्फ़ अपने बाह्य सुंदरता और उसको ढके वस्त्रों से ही करती है।
उसकी अंदर की सुंदरता कोई नहीं देखता है वो दिल से कैसी है, उसका व्यवहार कैसा है और रही बात उसके गुप्त भाग की जो सभी स्त्री ओ में एक समान होता है। नाही रंग से और नाही आकर से मगर फिर भी लोग इसके लिए भी बाह्य सुंदरता देखते हैं, आप ही सोचिए कोई स्त्री जो आपकी माता है, आपकी बहन है, आपकी पत्नी है और आपकी बेटी है, सब में वही अंग है फिर क्यों किसी भी स्त्री को उसकी बाह्य रचना से देखना की ये अच्छी है और ये बुरी। उसकी अंदर की सुंदरता से देखो की वे कितनी सुंदर है, उसका दिल कितना साफ है, वे औरों से केसे पेश आती है, वे औरों को कितना सम्मान देती हैं और वो कितने अच्छे गुणों से परिपूर्ण है। लोग मेरे विचारों को समाज पाए इसी कारण से ये किताब लिखी गई हैं
कहानी की शुरुआत
सुमित जिसकी शादी की उम्र हो चुकी हैं, उसे एक से एक लड़किया दिखाई जा रही है, वो बस देखता है और एक लडकी को पसंद करता है। जिसका नाम जैमिनी था। वे पढ़ी लिखी थीं सुमित भी पढ़ा लिखा था उनकी बात फिक्स करदी जाति है, दोनो एक दुसरे को समझ ने के लिए एकदूसरे से बाते करते हैं और इतना ही नहीं वे लड़की जैमिनी सुमित को अपने भूतकाल में बनाएं गए संबंधों के विषय में भी बताती है और ये यकीन भी दिलाती है की तुम्हारे साथ जुड़ने के बाद मे अब किसीसे कोई वासता नहीं रखूंगी। अब सुमित ठहरा सदा बंदा उसकी जिंदगी में तो नाही पहले कोई था और नाही बाद में कोई होगा। एक दूसरे को अपने बारेमे सब बताते बताते कब दोनो को एकदुसरे से लगाव हो जाता है पताही नही चला। अब स्वाभाविक ही है की हम जिसको अपने भविष्य का साथी मान चुके है, तो लगाव और विश्वास होना जायज़ है। तभी एक दिन डाकिया जैमिनी के घर पर एक डाक लेकर आता है, वे बहुत खुश हो रही थी, जिसकी वजह से लगता था, कोई अच्छी ख़बर है, घर पर आकर वे जैमिनी को बुलाता है और उसे वे लेटर थमा कर उसके हस्ताक्षर लेकर जाने लगाता है, वे जैमिनी उसके जाने के बाद बड़ी उत्सुकता से उस लेटर को पढ़ती है। वे पड़ती हैं की सरकार की परीक्षा में सफलता प्राप्त किए जाने पर आपको सरकारी दफ़्तर में नौकरी प्राप्त हुई है, दिसंबर महीने में आकर आपको अपनी पोस्ट के अनुसार शिक्षा प्राप्त करने के बाद जनवरी से आप अपनी नौकरी को प्राप्त कर सकते है। ली। जिला कलेक्टर। ये पढ़ कर वे बहुत खुश हो जाती हैं और खुशी के मारे उछलने लगती है, वे इतनी खुश थी मानो उसे सब मिल गया है, वे तुरंत सुमित से बात करती है की मुझे सरकारी दफ़्तर में नौकरी प्राप्त हुई है, ये सुन कर सुमित भी बहुत खुश होता है
ऐसे ही दिसंबर महीने में उसकी प्रशिक्षण की तैयारी शुरू कर दी जाती हैं और वे जनवरी से अपनी नौकरी की शुरुआत करती है। अब जब वे नौकरी जाने लगती है, तो उसका सुमित से बात करना कम हो जाता है। पुरादिन वे नौकरी पर और रात को थकी हुई होने से सो जाती हैं, अब इस तरफ बात कम होती है और उसी के दफ्तर में आते हुए एक कर्मचारी से मुलाकात होती हैं रोज़ नोकरी की वजह से दोनो का मिलना बढ़ रहा था और यहां बात कम और जगड़े बढ़ रहे थे कुछ ही दिनों में उसने सुमित को शादी करने से मना कर दिया और उसी अपने दफ़्तर के कर्मचारी से शादी करली।

आगे पढ़ने के लिए कुछ समय इंतजार करें। जल्द ही आपकी खिदमत में आगे की कहानी प्रस्तुत करूंगा। मिलते है अपना ख्याल रखना।