कहानी - कंगन 3
Last Part - 3 : पिछले अंक में आपने पढ़ा कि कंगना किस तरह काजल बन कर जिस्मफरोशी के धंधे में जबरन फंस गयी , अब आगे पढ़ें किस तरह वह इस दलदल से निकलने में सफल हुई ….
इतना बोलने के बाद कंगना फफक फफक कर रोने लगी . अमित ने एक बार फिर उसे शांत करते हुए कहा “ रोने से क्या फायदा , लो , थोड़ा पानी पी लो . “
दो घूँट पानी पीने के बाद कंगना बोली “ आपने ठीक कहा रोने से क्या फायदा . शबाना आंटी ने भी यही कहा था कि जब स्थिति तुम्हारे वश में नहीं हो तो समझौता करना होता है . उसी ने एक गाने की याद दिलायी - रोते रोते हंसना सीखो .. … और तब मन अंदर से रोता फिर भी मेरा तन हंसता था ताकि मेरा ग्राहक खुश रहे . वैसे तो आप मेरे जीजा हुए पर बताएं आज मेरे पास कैसे आये हैं ? क्या आप भी दूसरों की तरह अपना मन बहलाने आये हैं या मेरे हाल पर हंसने ? . अगर मन बहलाने आये हैं तो क्या दीदी को आपकी इस आदत का पता है . “
“ तुम्हारा दिमाग ख़राब हो गया है क्या ? इतनी देर से हम बातें कर रहें हैं और तुम्हें मैं औरों की तरह कस्टमर लगता हूँ . छिः , तुम्हारी सोच पर मुझे दया आती है . “
“ कुंदन दी को पता है कि इस वक़्त आप मेरे साथ हैं ? “
हाँ , तुम्हारी दीदी की इजाजत से ही यहाँ आया हूँ . सचमुच तुम तो इतनी अच्छी हो कि जी करता है उम्र भर तुम्हारे पास ही रहूं . “
“ अब आप भी बहकने लगे हैं . अपने फोन से मुझे दीदी से बात कराइये . “
“ या सम्भव नहीं है . “
“ आप दीदी से बात नहीं करने देते . मैं लाचार हूँ वरना दौड़ कर उससे मिलने चली जाती . “
“ तुम उससे मिल भी नहीं सकती . “
“ हाँ , मैं समझ सकती हूँ , मेरा पेशा ही ऐसा है कि जानने के बाद वह नहीं मिल सकती है . “
“ उसकी एक झलक देखना चाहोगी ? “
“ हाँ . “
अमित ने अपना पर्स निकाल कर कंगना की बहन कुंदन की फोटो दिखाई . उस फोटो में एक बच्ची भी थी . “
“ यह क्यूट बेबी कौन है , कितनी सुंदर है . आप दोनों की बेटी है न ? “
“ हाँ , यह हमारी बेटी है , मुन्नी . यह तुम्हारी भी बेटी हुई . “
“ मेरा नसीब ऐसा कहाँ ? “
“ अब मेरी बातें ध्यान से सुनो . तुम्हारी शबाना आंटी को लकवा मार दिया था वह बोल नहीं सकती थी . तब उसे हैदराबाद के घर से निकाल दिया गया . वह अपने हाथ पैर से लाचार नहीं थी . . वह अपनी बेटी के साथ मुंबई आकर किसी रिश्ते वाले के यहाँ कुछ दिन रुकी . उसकी बेटी दो साल से मेरे यहाँ काम कर रही है . मुन्नी की देखभाल वही करती है . “
“ मुझे दीदी से एक मिनट बात करा दीजिये . क्या दीदी मुझे अभी भी याद करती है ? “
“ शायद ही कोई ऐसा दिन हो जब उसने तुम्हें याद न किया हो . “
“ माना उससे मिल नहीं सकती , पर आप मुझसे बात तो करा ही सकते हैं .
“ मैंने कहा न , तुम उससे न मिल सकती हो न ही बात कर सकती हो . “
“ फिर आपके यहाँ आने का मतलब मैं क्या समझूँ ? सिर्फ मनोरंजन ? “
“ उससे भी बढ़ कर . “
“ मतलब , मैं कुछ समझी नहीं जीजू ? “ कंगना ने कहा फिर तुरंत आगे बोली “ मैं आपको जीजू तो कह ही सकती हूँ . “
“ नहीं जीजू पहले कह सकती थी पर अब नहीं . “
“ शायद मैं इस लायक नहीं रह गयी हूँ न अमितजी . “
“ तुम्हें एक जोरदार थप्पड़ मारूंगा जो ऐसा फिर कहा . मेरी और कुंदन की नजर में तुम निर्दोष हो ,दोष है तो सिर्फ हम सभी के नसीब का . अब मैं तुम्हारा जीजू नहीं रहा . हमें एक नए रिश्ते को अंजाम देना होगा . “
“ वो कौन सा रिश्ता होगा ? “
“ मतलब हमारी मुन्नी की दूसरी मम्मी बनकर ? “
यह सुन कर कंगना ने आश्चर्य से अमित की ओर देख कर कहा “ दीदी की सौतन बना कर ? ऐसा आपने कैसे सोच लिया ? माना मैं गिरी हूँ पर इतनी भी बुरी नहीं कि दीदी का घर उजाड़ कर खुद चैन से रहूँ . आप मुझे मेरे हाल पर छोड़ दें . “
“ वैसा कुछ भी नहीं है , सिर्फ तुम्हें इस दलदल से निकालना चाहता हूँ ? इसके आगे जो भी होगा तुम्हारी मंजूरी से ही होगा . “
“ पर यहाँ से निकलना बहुत मुश्किल है , जान का खतरा है . गैंग के लोग लगातार मुझ पर नजर रखते हैं “ कंगना ने कहा
“उसकी चिंता तुम न करो , मैंने पूरा इंतजाम कर रखा है . “ अमित बोला
इसके बाद अमित ने फोन पर कहा “ एस पी साहब , अब आप प्लान के अनुसार यहाँ पुलिस फ़ोर्स भेज सकते हैं . “
थोड़ी देर में दो जीप में पुलिस होटल पहुँच गयी . कॉल गर्ल चलाने वाले गैंग का गुर्गा पुलिस देखते ही वहां से भाग गया . अमित कंगना को लेकर अपने घर गया . वहां शबाना की बेटी मुन्नी के साथ थी . बहन को न देख कर कंगना बोली “ दीदी कहाँ है ? “
अमित कंगना को लेकर बेड रूम में गया . वहां कुंदन की तस्वीर पर माला चढ़ी थी . अमित बोला “ लो मिलो अपनी दीदी से , अब वह इस दुनिया में नहीं है . “
कंगना बहन की तस्वीर को देखे जा रही थी और उसकी आँखों से अविरल आंसू गिर रहे थे . अमित ने तस्वीर के नीचे टेबल की दराज़ से एक लिफाफा निकाल कर कंगना को दिया और कहा “ कुंदन अक्सर मुझसे कहती थी कि माता पिता तो अब नहीं रहे . मेरी बहन को जैसे भी हो आप ढूंढ निकालिये . उसने मरने के पहले तुम्हारे नाम यह चिठ्ठी लिखी है . “
कंगना चिठ्ठी पढ़ने लगी , लिखा था “ प्यारी बहन , मेरी आँखें तुम्हें देखने के लिए तरसती रहीं . लम्बे इंजतार के बाद मुन्नी हमारी जिंदगी में आयी पर डॉक्टर ने कहा कि मैं कुछ ही दिनों की मेहमान हूँ . तुम्हारे जीजू बहुत दिनों से तुम्हें ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं . शबाना से मुझे पता चला कि तुम अभी अविवाहित हो . आखिरी समय में उन्होंने मुझसे तुम्हें ढूंढ निकालने का वादा किया है . मेरी अंतिम इच्छा है कि तुम मुन्नी को माँ का प्यार दोगी . मैंने अपने कंगन तुम्हारे लिए रख छोड़े हैं . “
कंगना सवालिया निगाहों से अमित को देख रही थी . अमित ने दूसरी दराज़ से एक जोड़ा कंगन निकाल कर कहा “ ये कंगन मेरी माँ ने अपनी बहू के लिए ख़रीदे थे . अब कुंदन की अंतिम इच्छा के अनुसार इसकी हक़दार तुम हो . पर तुम पर कोई दबाव नहीं है . सोच लो , तुम्हें एक दलित की बच्ची की माँ बनना स्वीकार है ? “
कंगना की आँखें अभी तक नम थीं . वह बोली “ आप मुझे शर्मिंदा कर रहे हैं . आपने जिस दलदल से मुझे निकाला है वहां तो धर्म या जाति कोई मायने नहीं रखता है . सोचना तो आपको चाहिए मेरे अतीत को देखते हुए आप मुझे अपनाने जा रहे हैं . दूसरी जरूरी बात जो आपको मालूम नहीं है कि बार बार एबॉर्शन के चलते अब मैं माँ बनने के लायक नहीं हूँ . “
“ उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है , हमारी मुन्नी पहले से ही हमारे पास है . “
अमित ने कंगन कंगना को पहना दिया . कंगना ने मुन्नी को अपनी गोद में ले लिया और वह उसे चूमने लगी .
अमित बोला “ अब मुन्नी की जिम्मेदारी तुम पर है . जब थोड़ी बड़ी हो इसे समझा देना कि किसी लालच में आकर किसी अंजान आदमी से कोई चीज न ले , न स्कूटर या कार में कभी लिफ्ट ले .
“ हाँ , इस बात का पूरा ध्यान रखूंगी , आखिर दूध का जला छाछ भी फूंक कर पीता है . “
समाप्त