अनसुलझा प्रश्न (भाग 22) Kishanlal Sharma द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • My Passionate Hubby - 4

    ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा॥अब आगे –Kayna...

  • ऑफ्टर लव - 28

    सुबह सुबह त्रिशा महादेव के मंदिर में पूजा कर रही होती है। तभ...

  • हिरन और चूहा

    1. आज्ञा पालन एक समय की बात है। रेगिस्तान के किनारे स्थित एक...

  • अपराध ही अपराध - भाग 5

    अध्याय 5 पिछला सारांश- एक करोड़ रूपया तिरुपति के दान पेटी मे...

  • आखेट महल - 5 - 2

    उसने युवक को यह भी बता दिया कि कोठी से भागने के पहले रात को...

श्रेणी
शेयर करे

अनसुलझा प्रश्न (भाग 22)

70--गिद्ध
रतनगढ़ में माता का बहुत प्राचीन मंदिर है।नवरात्रों में दूर दूर से श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते है।आज नवमी थी।हजारों श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आये थे।
माता के मंदिर तक आने जाने के लिए नदी पर बना पुल पार करना पड़ता था।पुल पर काफी भीड़ थी।भीड़ में से कोई मनचला चिल्लाया,"पुल टूट गया।"
पुल टूटने की अफवाह फैलते ही भगदड़ मच गई।लोग अपनी जान बचाने के लिए भागे।देखते ही देखते पुल खाली हो गया।एक सिपाही की नजर पुल के बीच मे पड़ी औरत पर पड़ी।सिपाही उसके पास पहुंचा।सिपाही ने उस औरत को हिलाया।वह औरत भगदड़ में लोगो के पैरों तले दबकर मर चुकी थीं।
उस औरत के कानों में झुमके,गले मे सोने की चेन और हाथ मे चूड़ियां थी।सिपाही ने गर्दन घुमाकर इधर उधर देखा।कोई उसे नही देख रहा था।उसने फुर्ती से मृत औरत के शरीर से गहने उतारकर जेब के हवाले किये।फिर उस मरी हुई औरत को उठाकर पुल से नीचे बह रही नदी में फ्रंक दिया।
71--हवा

"कहां जा रहे हो,"कल्लू को शहर से बाहर जाने वाली सड़क पर जाते हुए देखकर झब्बू ने पूछा था।
"गांव जा रहा हूं"।कल्लू बोला।
"गांव"कल्लू की बात सुनकर झब्बू चोंकते हर बोला,"तुम इसी शहर में पैदा हुए।तुम्हारे मुँह से कभी नही सुना कि गांव में तुम्हारा कोई नाते रिश्तेदार भी रहता है।फिर तुम गांव क्यो जा रहे हो?"
"तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो।गांव में मेरा कोई नही है लेकिन में गांव ही जा रहा हूँ,"कल्लू बोला,"अब जिंदगी के शेष दिन में गांव में रहकर ही काटूंगा।"
"लेकिन क्यो/"झब्बू ने कल्लू से पूछा था।
"हमारे शहर में वाहन कितने बढ़ गए है।वाहनों से निकलने वाले धुंए से वातावरण प्रदूषित हो गया है।हवा जहरीली हो गयी है।धुंए से दम घुटता है।सांस लेने में दिक्कत होती है।"
"तुम कह तो सही रहे हो लेकिन गांव में शहर जैसे मजे कहां?यहां रोज हमे किसी मकान कोठी के बाहर अचछे अच्छे पकवान खाने के लिए मिल जाते है।गांव में तो हो सकता है तुम्हे सुखी रोटी भी नसीब न हो।"
"तुम ठीक कह रहे हो।हो सकता है गांव में मुझे किसी दिन भूखा ही सोना पड़े।,",झब्बू की बात सुनकर कल्लू बोला,"लेकिन गांव में सांस लेने को शुद्ध ताजी हवा तो मिलेगी।"
72---दर्शन
महाप्रबंधक निरीक्षण के लिए मथुरा आ रहे है।निरीक्षण तो बहाना था।वह पत्नी के साथ बांके बिहारी के दर्शन के लिए आ रहे थे।
महाप्रबंधक के आने की सूचना मिलते ही मंडल रेल प्रबंधक,सभी विभाग के अधिकारियों के साथ मथुरा आ पहुंचे।रेलवे का पूरा अमला स्टेशन की साफ सफाई और व्यवस्था चाक चौबंद करने में लग गया।
बांके बिहारी के दर्शन के लिए देश के विभिन्न स्थानों से ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु आते है।बिहारीजी की एक झलक पाने के लिए मंदिर में बहुत धक्का मुक्की होती है।महाप्रबंधक एक क्षेत्रीय रेलवे का मालिक होता है।क्या मालिक आम लोगो के साथ लाइन में खड़ा होकर धक्का मुक्की में दर्शन करेगा?मंदिर प्रशासक से बात करके महाप्रबंधक और उनकी पत्नी के लिए वी आई पी दर्शन की व्यस्था की गई।
महाप्रबंधक आये।उन्हें सपत्नीक दर्शन के लिए ले जाया गया।मंदिर के पट बन्द थे।श्रद्धालुओं की बाहर भीड़ पट खुलने के इन्तजार मे खड़ी थी।उन्हें दूसरे दरवाजे से मंदिर के अंदर ले जाया गया।
बिहारीजी आज धन्य हो गए थे।निरीक्षण के बहाने ही सही महाप्रबंधक ने उन्हें दर्शन तो दिए थे