बेवकूफ (भाग-1) Ashwajit Patil द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बेवकूफ (भाग-1)

            ‘औरत’ दिमाग से पूरी तरह पैदल होती हैं, उन्हें आसानी से बेवकूफ बनाया जा सकता है, ऐसी ही सोच हमारे समाज की और खास कर पुरुषों की हैं. उनकी यह धारना इसलिए है कि हम औरतें हमेशा दिल से सोचती है, ज्यादा ही संवेदनशील होती है और भावनाओं में बहकर फैसले लेती हैं. खुद को तकलीफ देकर अपने माता-पिता, भाई-बहन, पति और बच्चों को सुख पहुंचाती हैं. और सबसे बड़ी वजह तो यह है कि, ‘प्यार की मारी लड़कियां’ अपने प्रेमी को भगवान ही मान लेती है, जो कभी कुछ गलत कर ही नहीं सकता. हमारी यह कहानी भी इससे कुछ अलग नहीं मगर फिर भी अलग है, हमारी यानी मेरी और कमल की….

            कमल…. चार साल की कमल दहाडे मार मार कर रोने लगी तो एक-एक कर सारे नौकर और बाद में कमल के पिता शरदचंद्र उर्फ दादासाहेब भागे भागे उस कमरे में दाखिल हुए जहां कमल डर के मारे चीख चिल्ला रही थी और दहाडे मार कर रो रही थी. सभी के चौखटे पर एक ही सवाल था कि आखिर कमल को हो क्या गया है. क्यों इतना रोये जा रही है. दादासाहेब ने उसे अपनी गोद में भींच लिया और प्यार से पुचकारते हुए पूछा, “अरे.. रे… क्या हुआ मेरी प्यारी को.. किसने मारा, क्यों रो रही है… बता .. बता तो सही कौन है जो हमारी परी को रुला रहा है हम उसे ऐसी सजा देंगे की दोबारा वह हिम्मत नहीं करेंगा” पिता के लाड़ दुलार ने कमल को चुप करा दिया और उसने पलंग के एक कोने की ओर अपनी अंगुली उठाकर इशारा करके दिखाया वहां पर एक किड़ा था. कमल उसे ही देखकर डर गई थी.

“अरे वह तो मामूली-सा कीड़ा है” दादासाहेब के मुंह से इतना ही निकला था कि एक नौकर आगे बड़ा और उस कीड़े को अपने पैरों से कुचल दिया. यह देखकर दादासाहेब बोले, “देखा गणेश ने से उसे मार दिया, अब तो डर नहीं लग रहा है ना”

कमल ने ‘ना’ में गर्दन हिलाई पर फिर अपने पिता से लिपटते हुए बोली, “लेकिन मैं अब भी अकेली नहीं सोऊंगी, मुझे मम्मी के साथ ही सोना है”

दादासाहेब उसे समझाने लगे, “देखों बेटा अब तुम बड़ी हो रही हो तुम्हें अपने बिस्तर पर अकेले ही सोना चाहिए”

“नही.. नहीं मैं आपके साथ ही सोऊंगी, मुझे अकेले डर लगता है. तीन दिन से मुझे अकेले सोने को बोल रहे हो पर मम्मी तो आपके साथ ही एक पंलग पर सोती है ना, वो तो मुझसे कित्तीऽऽऽ... बड़ी हैं उसे आप ने कभी नहीं बोला अलग कमरे में अलग पलंग पर सोने को… मैं भी आपके साथ आपके बीच में ही सोऊंगी, नहीं तो मम्मी को मेरे कमरे में भेजो” कमल ने अपने दिल की भड़ास निकाल ली. नौकरों के सामने ऐसी बात बोलते देख दादासाहेब थोड़ा सकपका गये थे. वे शर्म महसूस करने लगे. उन्होंने “ठीक है… ठीक है, हमारे साथ ही सोना” बोलकर उसे चुप कराया.

दरअसल, कमल दादासाहेब की लाडली बेटी थी, शादी के तीन साल बाद उसका जन्म हुआ था. एक खास बात और हुई जिस दिन कमल का जन्म हुआ उसी दिन मेरा भी जन्म हुआ था. मैं कौन हूं ?  अरे हां ..! मैंने तो आपको बताया ही नहीं की मैं कौन हूं. मेरा नाम संयुक्ता है और मैं दादासाहेब के ड्राइवर की बेटी हूं.

दादासाहेब की पत्नी और मेरी मां एक साथ ही एक ही अस्पताल में दाखिल हुए और हम दोनों लड़कियों का एक ही दिन जन्म हुआ. मैं तो अपने मां-बाप की दूसरी पर कमल उस जाने माने खानदान की पहली संतान थी. अत: दादासाहेब और उनकी पत्नी कमल से बहुत प्यार करते थे. नाजुक फुल की तरह उसकी देखभाल हो रही थी. नाम भी कमल रखा था जो की एक खूबसूरत फुल ही है. अब तक तो मेरा और कमल का कोई आमना-सामना नहीं हुआ था. मैं दादासाहेब के सर्वेंट क्वार्टर में पल रही थी तो कमल आलीशान बंगले के बड़े बड़े कमरों में- मखमली गद्दों पर, तो मैं फर्श पर बिछी हुई चटाई पर.

कमल की मां उसे हमेशा अपने साथ ही चिपकाये रखती जिसकी वजह से कमल दिन में अच्छी खासी नींद ले लेती थी और रात भर जागते हुए अपने माता-पिता को भी ठीक से सोने नहीं देती. अत: उसे दोनों पति-पत्नी अपने बिच में रखकर सोते थे. दादासाहेब को अब अपने परिवार के लिए लड़के के रुप में एक वारीस भी चाहिए था. उनकी पत्नी का भी यही कहना था कि लड़का होगा तो वह बुढापे का सहारा बनेगा, वंश को चलाने वाला मिलेगा. लड़की बड़ी होते ही अपने ससुराल चली जाएगी फिर हम किसका मुंह देखकर जीयेंगे. किन्तु कमल रात में ठीक से सोती नहीं थी, कभी भी उठ जाती थी और रोना शुरू कर देती जिससे दोनों पति-पत्नी अपनी इच्छा पूरी नहीं कर पा रहे थे. देखते देखते चार साल बित गये. दोनों का संयम टुटने लगा था. तय हुआ अब से कमल को दूसरे कमरे में सोने की आदत डाल देते है. जिससे उन्हें भी प्रायवसी मिलेगी. लेकिन तीन दिन से कमल कुछ ना कुछ तमाशा कर दादासाहेब और उनकी पत्नी की योजना पर पानी फेरती रही. 

दादासाहेब बहुत सोच रहे थे कि कमल को कैसे समझाये, कैसे उसे अलग कमरे में सोने की आदत डाले. तभी उनका ध्यान मेरी ओर गया. मैं अकेली ही उनके बंगले के सामने बने लॉन में प्लास्टिक के खिलौने से खेल रही थी. दादासाहेब ने मुझे बुलाया और पहली बार मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए मेरा नाम पूछा.

मेरे नाम बताने पर बोले, “बहुत अच्छा नाम है तुम्हारा. तुम मेरी बेटी के साथ खेलोगी”

मैंने ‘हां’ में गर्दन हिलायी. वह पहली बार था जब मैं पूरे बंगले को अंदर से देख रही थी. जबकि उस दिन तक मेरे बाबु (पिता) मुझे बंगल के अंदर लेकर नहीं आये थे. उस दिन मैं दिन भर कमल के साथ ही खेलती रही. उसे भी अच्छा लग रहा था. दिन भर खेलने की वजह से उस दिन वह सोई नहीं. जिससे शाम को हम दोनों बहुत ज्यादा थक गई थी. अत: मैं उसी के बिस्तर पर सो गई. कमल भी मुझसे चिपटकर सोई हुई थी. यह देखकर नौकरों ने हंगामा किया. लेकिन हम दोनों को गहरी नींद में देखकर दादासाहेब ने नौकरों को चुप करा दिया और उस कमरे का दरवाजा बंद कर अपने कमरे में चले गये.

हमारी नींद सुबह ही खुली. मुझे बाबु बहुत डांट रहे थे. मुझ पर चिल्ला रहे थे कि, मैं कैसे उसके मखमली बिस्तर पर सो गई. उसी की थाली में खाना खाया. उसकी और मेरी कोई बराबरी नहीं है. पर यह उस नादान उम्र में सिर के ऊपर से जाने वाली बातें थी. जिसे किसी ने दिल पर नहीं ली. मेरा रुटीन ही हो गया था कि मैं दिन भर कमल के साथ खेलती, उसी की थाली में खाना खाती, उसी के बिस्तर पर सोती. जब स्कूल में दाखिले की बात चली तो मेरे पिता ने पास के स्कूल में मेरा दाखिला करवाना चाहा पर दादासाहेब ने मेरा दाखिला अपनी बेटी कमल के साथ एक बहुत बड़े पब्लिक स्कूल में करा दिया.

इन सब का फायदा यह हुआ की सच में उस घर को एक वारिस मिल गया. कमल को भाई मिल गया. दादासाहेब खुश थे कि अब कमल उनसे या अपनी मां से चिपटी नहीं रहती है. बल्कि उसने अपनी ही हमउम्र लड़की को अपनी परछाई बना ली है. उस बंगले के अंदर आना-जाना, खेलना-कूदना किसी भी बात के लिए मुझे मना नहीं थी. मानों दादासाहेब की एक नहीं बल्कि दो बेटियां थी. घर का कोई नौकर मुझे रोकता टोकता नहीं था. मैं जो मांगू मुझे मिलने लगा.

मेरे बाबु मुझे समझाते, “बेटा अपने दायरे में रहा कर. मैं एक गरीब आदमी हूं. तुझे इन महंगी जिचों का शौक लग गया तो मैं कैसे पूरा करुंगा और फिर ये पैसे वाले लोग कब बदल जाये पता नहीं.” लेकिन मैं अपने बाबु की बात एक कान से सुनती और दूसरे से निकाल देती.

दिन, महिने, साल बिते बचपन छूटा जवानी ने आ घेरा. ये उम्र ऐसी है कि इस उम्र में लड़कियां ज्यादा बेवकूफियां करती है जिसका फायदा मनचले लड़के उठाते है. हम दोनों लड़कियों की जवानी भी हिलोरे ले रही थी. खूबसूरत नयन नक्श के साथ जिस्म के उतार चढ़ाव भी तराशे हुए लगते थे हमारे. कमल का कद मुझसे थोड़ा ज्यादा उंचा था. उसके परिवार में सारे ही लोग उंचे कद के थे. दूसरे वह काफी पुष्ट भी थी. जबकि मैं सुकुमारी-सी नाजुक कली थी. हवा का एक झोंका भी आये तो उड़ा ले जाये ऐसी.

दूसरे मुझे सजने संवरने का, बनठन के रहने का भी शौक जड़ गया था. कमल रफटफ थी. उसे ज्यादातर लड़को वाले कपडे पसंद थे. हमेशा जिन्स, टॉप और जैकेट पहने रहती. इस बात के लिए हमेशा उसकी मां उसे टोका करती, “ऐसे कपड़े क्यों पहनती हो. जरा संयुक्ता को देखों तुम्हारे लिए लाया हुआ सारा मेकअप का सामान खुद इस्तेमाल करती हैं और कैसे अप्सरा-सी बनी यहां-वहां मटकती फिरती है, थोड़ा सिखों इससे.” कमल अपनी मां की बात मान ले ये हो नहीं सकता. वह बिंदास लड़की थी जो उसकी मर्जी में आये वहीं करती.

जूनियर कॉलेज से सीनियर कॉलेज में पहुंचे. बड़ा और नामचिन कॉलेज, जहां बड़े बड़े रईसजादे पढ़ने आते थे. कॉलेज में पहुंचते ही मेरी नजर इधर-उधर कुछ तलाशने लगी तो कमल बोली, “किसे ढूंढ रही हो, कोई पहचान का मिलने वाला था क्या”

“नहीं यार… किसी चिकने को ढूंढ रही हूं”

“अं….! क्या बोली”

“अबे किसी चिकने को ढूंढ रहीं हूं, आज सुबह सुना नहीं, तेरी मां को तेरी शादी की बड़ी जल्दी है, वो तेरे लिए लड़का ढूंढ रहीं है. मेरा बाप ठहरा ड्राइवर, अभी अभी दीदी की शादी में खर्चा हुआ है तो मेरे लिए इतनी जल्दी लड़का तो ढूंढने से रहे और ढूंढेगे तो भी अपनी कैटेगरी का. तेरे साथ रहते हुए मुझमें रईसो के चोचले आ गये है. इसी कॉलेज में किसी रईसजादे को पटाऊंगी और उससे शादी करके सेटल हो जाऊंगी.”

“तू ख्वाब ही देख, जैसे ही तुने किसी को पटाया समझ ले मैंने उसी से शादी करनी है.”

“याने तू मेरे माल पर डाका डालेगी”

“जो समझना है समझ. मुझे लड़को की समझ थोड़ी ना है, तू जिसे पसंद करेगी वो अच्छा ही होगा ना. बता ना दिखा क्या कोई”

“अबे तू तो ढूंढेगी नहीं, मुझे तो शांति से ढूंढने दे, इतना बड़ा कैम्पस है”

“तो क्या तू पहले ही दिन ढूंढकर उससे इश्क लडायेगी और माय डियर बेवकूफ लड़के कैम्पस में ऐसे ही नहीं दिखेंगे. कैंटीन में चलते है शायद तुझे वहां कोई नजर आ जाये”

कमल ने बात पते कि की. हम दोनों कैंटीन में पहुंचे और एक कॉर्नर वाली जगह पर बैठ गये. वहां से पूरे कैंटीन का मैं जायजा लेने लगी. तभी मेरी नजर एक हैंडसम लड़के पर स्थिर हो गई. वह भी मुझे ही देखे जा रहा था. उसके साथ और दो लड़के बैठे थे. कमल अपने फोन में बिजी थी. मैंने उसे हौले हौले आवज दी,  “कमल … अबे कमल.. देख तो सही.. क्या जबरदस्त छावा है ! साला, रईस भी होना चाहिए. समझ ले यही फायनल हो जायेगा.” कमल ने पलट कर उसे देखा और सीधे उठकर उनके टेबल तक चली गई.

“हैलो राजवीर ! तुम भी इस कॉलेज में पढ़ते हो.” वह उसके पहचान का था. मैं भी उनके टेबल के पास पहुंची हम सभी उसी टेबल के इर्दगिर्द कुर्सियां लगाकर बैठ गये. तब कमल ने बताया की दादासाहेब के राजनीतिक प्रतिद्वंदी और शहर के जानेमाने रियल एस्टेट व्यवसायी रणवीर घाडगे का इकलौता बेटा है. ये सुनकर मेरी आंखों की चमक और बढ़ गई. हम सबने एक-दूसरे को अपना परिचय दिया. खूब बातें हुई. बातें करते करते मेरी और राजवीर की एक-दूसरे से नजर मिल जाती और आंखों ही आंखों में हम दोनों में कुछ और ही बातें चलती रही. पहले ही दिन हमारी अच्छी दोस्ती हो गई. मैने कमल को बता दिया की अब तो मैं इसे ही पटाकर रहूंगी और शादी करुंगी तब कमल बोली,

“अबे, मेरे और इसके बाप की जरा भी नहीं बनती. एक बड़ी सी पार्टी में हमारी मुलाकात हुई थी, बस एक बार. तब मंत्री जी ने हम दोनों बाप-बेटी और इन दोनो बाप-बेटे को एक साथ एक ही मेज पर खाने के लिए बिठाया था. लेकिन हमने एकदूसरे से एक बात भी नहीं की. बाद में मैने दादासाहेब से इसका कारण पूछा तब उन्होंने उनके खानदान के बारे में और उनकी आपसी रंजिश क्यों है बताया.”

“लेकिन माय डियर… प्यार करने में तभी तो मजा आता है जब प्रेमी-प्रेमिका के बापों के बीच में खानदानी दुश्मनी हो, फिल्में नहीं देखती क्या और फिर लास्ट में तो प्यार ही जीतता है ना”

“ओय… फिल्मी…! ये फिल्म नहीं है रियलिटी है और यहां मैं प्रेमिका नहीं हूं, तू खुद को समझ रही हैं.”

“फिर तो रास्ता क्लियर हैं, तुने बोला था मैं जिसे पटाऊंगी तू उसी से शादी करेगी. अब करके बता”

“अबे पहले उसे पटा तो सही. अभी बीज भी नहीं बोया और फल खाने के ख्वाब देख रही हैं”

मुझे राजवीर को पटाने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी. दोस्ती तो हमारी हो चुकी थी. जो मेरे दिल में था वही उसके दिल में भी लेकिन पहल कौन करे इसमें हमारे दिन बित रहे थे. आखिर एक दिन राजवीर ने मुझे प्रपोज कर ही दिया. उसे तड़पाने के लिए मैने कहां कि मैं सोच कर बताऊंगी. लगातार वह एक सप्ताह मेरे आगे पीछे घूमता रहा कि कोई फैसला कर पाई हूं या नहीं और हर बार मैं उसे टालती रहीं. जब उसका चेहरा मुरझा गया तब मैंने उसे कहा कि मैं भी तुमसे प्यार करती हूं.

मैं उसकी बाईक पर बैठकर लंबे सफर पर जाती. सिनेमा, बगीचा, कॉफी शॉप हर जगह वह मुझे लेकर गया. वहां की तस्वीरे ली जो मैं रोज रात को कमल को दिखाती. हमारा प्यार परवान चढ़ रहा था. लेकिन इससे कमल को परेशानी हो रही थी. मैं उसके साथ कम समय बिता रही थी. कॉलेज पहुंचते ही मैं उसे छोड़ देती और राजवीर के साथ चली जाती थी. कमल कॉलेज करती अन्य दोस्तों के साथ समय बिताती. पर उन दोस्तों में मेरी अनुपस्थिती यही उसके परेशानी का कारण था.

रोज की तरह हम दोनों कॉलेज पहुंची. मेरी आंखे राजवीर को तलाश कर रही थी. आज वह उस जगह पर नहीं था जहां हमेशा होता है. मैं सोचने लगी तो क्या आज राजवीर कॉलेज नहीं आया. कहीं वह बिमार तो नहीं पड़ गया. फोन भी नहीं किया और उसे फोन लगा रहीं हूं तो नॉट रिचेबल आ रहा है. क्या हुआ होगा राजवीर को. मेरे मन में अजीब अजीब ख्याल आने लगे. तभी मुझे मनिष नजर आया. मैंने उससे पूछा,

“आज राजवीर कॉलेज नहीं आया क्या ?”

“वह कॉलेज ही आ रहा था कि उसका एक्सीडेंट हो गया. हॉस्पिटल में एडमिट है. मैं अभी उसी से मिलने जा रहा हूं.”

“हम भी साथ चलते हैं” कहते हुए मैंने कमल को बाईक हॉस्पिटल की ओर मोडने को कहा. हम हॉस्पिटल पहुंचे तो राजवीर स्पेशल वार्ड में अपने हाथ पांव पर प्लास्टर चढ़ाए हुए पड़ा था. जाते ही मैंने पूछा, “ये कैसे हुआ राज”

“अरे यार..! बाईक स्लिप हो गई थी”

“पर तुम्हारे तो कोई खरोचों के निशान नहीं हैं, तुम तो सिर्फ हाथ और पैर पर प्लास्टर चढ़ाए हुए हो. सिर्फ तुम्हारा होठ फटा है पर गालों पर या कही ओर कोई घसीटने के निशान नहीं. तुम सच तो बोल रहे हो ना?” राजवीर की हालत देखकर मुझे संदेह हुआ तो मैंने उस पर सवाल उठाये.

“अरे… नहीं है तो नहीं है खरोंचे. मेरा ऐसे ही एक्सीडेंट हुआ है जहां जितना लगना था लगा है और तुम्हारे सामने हूं. क्या इसके लिए भी झूठ बोलूंगा” लेकिन मेरा मन नहीं मान रहा था.

तभी कमल अचानक से बोली, “मुझे माफ कर दो राजवीर यह सब मेरी वजह से हुआ है”

मेरी और मनिष की नजरे कमल पर आकर अटक गई और हम दोनों के चेहरे पर एक बड़ा सा प्रश्नचिन्ह. और दोनों के मुंह से एक साथ निकला “तुम्हारी वजह से..?”

“तुम दोनों बाहर जाओ मुझे राजवीर से अकेले में बात करनी हैं”

“क्यों हमारे सामने नहीं कर सकती. हमे भी सच जानना हैं. ये तुम्हारी वजह से कैसे ..?”

“अब जाते हो या नहीं” कहते हुए वह हमें धक्के देकर बाहर निकालने लगी. मैं और मनिष बाहर आ गये. कमल ने दरवाजा बंद कर उससे क्या बात की मैं उस समय जान नहीं पाई. पर बार-बार ये सवाल की आखिर राजवीर के ऐसे हालात की जिम्मेदार कमल कैसे हो सकती है ? इसका मतलब कमल ने राजवीर को पिटवाया है और अब दरवाजा बंद करके उससे अकेले में माफी मांग रही है.

“मनिष मेरी तो समझ में नहीं आता ये लड़की क्या कर रही हैं. अरे इसके साथ करीब करीब चौबीसों घंटे रहती हूं फिर भी मेरी समझ से परे हैं.”

“चौबीसों घंटे रहती थी, उसमें से पाच-छे घंटे मायनस कर लो. जो तुम राजवीर के साथ रहती हो. तुम नहीं जानती क्या हो रहा हैं.”

“क्या हो रहा है ?... सभी जानते है मैं और राजवीर रिलेशनशिप में है और कमल से तो मैं कुछ छुपाती भी नहीं”

“तुम्हारा कमल को छोड़कर राजवीर के साथ घुमने जाना, उसे समय न देना कमल को परेशान कर रहा है. वह तुम्हें पीठ पिछे बहुत भला बुरा बोलती रहती है. बोलती है कि राजवीर से वो ही शादी करेगी”

“ये तो वो हमेशा ही बोलती है, मुझे जलाने के लिए मेरा मजाक बनाने के लिए”

“ऐसा नहीं है इस मामले में कमल काफी सीरियस है. एक बात और है जो तुम दोनों को नहीं पता”

“कौन-सी बात?”

“राजवीर ने मुझे बताया था…”

“क्या बताया था”

“दरअसल, राजवीर लड़क‍ियों के मामले में पहले से ही बहुत चालू है. उसके लाइफ में काफी लड़कियां आई और गई. सात-आठ महीने से ज्यादा वह किसी लड़की से रिलेशनशिप में नहीं रहता. उसका मतलब निकल जाने के बाद वह उस लड़की को कोई भाव नहीं देता”

“तुम मुझे वह बात बताओं जो मेरी पीठ पीछे हो रही है. राजवीर का कैरेक्टर कैसा है यह नहीं सुनना. राजवीर ने तुम्हें क्या बताया वो बताओं मेरे और कमल के बारे में”

“वहीं बता रहा हूं, राजवीर और मेरी शर्त लगी थी”

“कैसी शर्त”

“यही कि राजवीर तुम दोनों को एक साथ पटा कर रहेगा और दोनों को बेवकूफ बनाकर फायदा उठायेगा”

“कैसा फायदा ?”

“लडकियों को प्यार में फंसा कर कैसा फायदा उठाया जाता है…”

“ओह…! तो क्या तुम दोनों को हम इतनी बेवकूफ लगती है ?”

“मुझे नहीं… मुझे नहीं.. राजवीर को… उसने तुम्हें तो पटा ही लिया है. अब पता नहीं कैसे खुद को हर्ट करके हॉस्पिटल में पड़े रहकर कमल को फंसा रहा है” 

“कमल उसके झांसे में नहीं आने वाली.. उसे तो वैसे भी प्यार-मोहब्बत में कोई इंटरेस्ट नहीं”

“ऐसा नहीं है…. मैंने कई बार देखा जब तुम उसकी बाईक पर पीछे बैठकर उसे कसकर पकड़ती हो तो कमल ये देखकर अपनी मुठ्ठीयां भींच लेती है और नफरत भरी निगाहों से तुम्हें देखती है”

मैंने कंधे उचका दिये. मैं समझ रहीं थी, मन ही मन मनिष भी मुझे चाहने लगा है और मेरे दिल में राजवीर और कमल के खिलाफ भडका कर मुझे उनसे दूर और खुद को करीब लाने की कोशिश कर रहा है.

थोड़ी देर में अपने आंसू पोछते हुए कमल वार्ड से बाहर आई. चलो चलते है कहते हुऐ वह हमारी किसी भी प्रतिक्रिया को जाने आगे बढ़ गई.  हम करीब करीब भागते हुए उसके पीछे हो लिये. हमारे बीच अजीब-सा मौन छाया हुआ था. मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी उससे कुछ पूछने की. पर आखिर हिम्मत करके मैंने पूछ ही लिया,

“क्या बात की तुमने राजवीर से और रोते हुए बाहर क्यों आई तुम ?” मेरे सवाल पर कमल खामोश ही रही. मैंने कई बार अपना सवाल दोहराया पर कमल खामोश ही रही.

दूसरे दिन भी कमल ने मुझसे कोई बात नहीं की. रोज की तरह मैं उसके बाईक पर बैठकर कॉलेज गई. पता था, राजवीर शायद ही दो-तीन हप्ते कॉलेज नहीं आ पायेगा जब तक उसके हाथ और पाव का प्लास्टर नहीं निकल जाता. ऐसे में कमल मुझसे उखड़ी उखड़ी रहने लगी थी जो मुझे अच्छा नहीं लग रहा था. लेकिन सात-आठ दिन बाद हम दोनों सामान्य सा व्यवहार करने लगी. अगले हप्ते हमारी पिकनीक हिल स्टेशन पर जाने वाली थी.

हिल स्टेशन के एक होटल में हमारे ठरहने की व्यवस्था थी जहां एक कमरे में दो विद्यार्थियों के रहने की सुविधा उपलब्ध कराई गई. मैं और कमल एक कमरे में ठहरे. सुबह उठते ही मैं नहाने चली गई. नहाने के बाद टॉवेल लपेटे हुए बाथरूम से बाहर आकर आदमकद आईने के सामने खड़ी हो गई. पूरे सिर से पांव तक की अपनी छबी को निहारने लगी. मेरा अपना रूप मुझे मोहित कर रहा था. मेरा अंग प्रत्यंग खूबसूरत और मादक नजर आ रहा था. अत: टॉवल खोलकर अपने वस्त्रहीन शरीर को आईने में निहारने लगी. तभी मुझे एहसास हुआ की बिस्तर पर पड़े पड़े ही कमल अपने मोबाईल में मेरी वीडियो बना रहीं है. मैंने फिर टॉवेल अपने शरीर से लपेटा और उसकी ओर बढ़ते हुए बोली,

“कमल… ये क्या कर रही हो .. ? मेरी न्यूड फिल्म क्यों बना रही हो ?”

“कुछ नहीं.. ऐसे ही. आज सच मे तुम काफी सुंदर लग रही हो. इसके पहले भी कई बार मैंने तुम्हे ऐसे देखा है बिना कपडों के पर आज बिजली लग रही हो बिजली. इसीलिए मोबाईल में कैद कर लिया. इसमें बुरा क्या है”

“बुरा ये है कि कोई ये देख ना ले. हम भले ही एक दूसरे के सामने कपडे बदलते है क्योंकि हम दोनों लड़कियां हैं और बचपन से साथ में रह रही हैं. सब कुछ जानती हैं. पर बाहर का कोई ये क्लिप देख ले तो मेरी कितनी बदनामी होगी”

“ये तो तब होगा ना जब मैं किसी को अपना फोन दिखाऊगी.”

आगे और बहस करना बेकार था. कमल जिद्दी थी वह क्लिप डिलीट करने वाली नहीं थी. वह मेरे साथ ऐसा बर्ताव क्यों कर रही है मेरी समझ से परे था. थोड़ी ही देर बाद सभी स्टूडेंट साथ में पैदल ही घूमने के लिए होटल से निकले. अभी कुछ ही फासला तय हुआ था कि कमल बोली, “अरे… मैं अपना मोबाईल होटल में ही भूल गई” और उसने मनिष को आवाज दी. मनिष के करीब आते ही बोली, “मनिष मैं अपना मोबाईल होटल  के रूम में ही भूल गई. प्लिज, क्या तुम लाकर दोंगे ?” मनिष के हामी भरते ही कमल आगे बोली, “मनिष..! मेरा फोन लॉक नहीं रहता है. उसमें हम लड़कियों की तस्वीरें और वीडियो है भूलकर भी देखना मत.. समझे”

मनिष फोन लाने चला गया और हम सभी आगे बढ़ने लगे. चलते-चलते मैंने कमल से कहां, “तूने उसे ऐसा क्यों कहा की फोन लॉक नहीं रहता और उसमें हमारी तस्वीरें है देखना मत, तूने उसकी जिज्ञासा को बढ़ा दिया है अब वह जरूर देखेंगा और तुमने सुबह जो शूट किया उसने देख लिया तो”

“अरे कुछ नहीं होगा तू यूं ही डरती है, वह ऐसा कुछ नहीं करेगा”

“तुझे इतना विश्वास है” लेकिन मेरा दिल नहीं मान रहा था. मैं पूरी तरह पिकनिक का मजा भी नहीं ले पा रही थी. जबकि कमल काफी खुश थी. हम अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचते ही मनिष भी थोड़ी देर में वहां पहुंच गया. उसके हाथ से सबसे पहले मैंने मोबाईल छिन लिया और एक तरफ जाकर मैंने खुद उस वीडियो को डिलीट कर दिया.

कमल मेरे पास आते हुए बोली, “कर दिया ना डिलीट… अब खुश”

मैं मनिष को टटोलने के लिए उसके पास पहुंची और उससे सवाल किया, “तुमने कमल के फोन में कोई वीडियों तो नहीं देखा ना”

“नहीं.., क्यों कुछ खास वीडियो था क्या”

“नहीं कुछ खास नहीं ऐसे ही हमारी मस्ती मजाक का था”

“लेकिन जब मैं होटल पहुंचा तो मुझे कमल का फोन रिसेप्शन से मिल गया.”

“क्यों”

“हमारे बाहर निकलते ही, सफाई कर्मचारी रूम में चले गये थे साफ सफाई करने, तो एक सफाई कर्मचारी को वह फोन मिला. उसी ने लाकर रिसेप्शन पर जमा करवाया था.”

अब तो मेरे दिल की धड़कने और बढ़ गई थी. यानी यह फोन मनिष के अलावा और दो चार लोगों के हाथ में गया उनमें से किसी ने भी यह वीडियो देख लिया और कॉपी कर लिया तो … सोच कर ही मुझे पसीना आने लगा.

“अरे चिल कर यार….! तू ना बहुत सोचती है… डिलीट कर दिया ना. ऐन्जाय कर” कमल का यह बोलना उसके लिए काफी आसान था.

पिकनिक से वापस आते ही दूसरे दिन हम सुबह देर तक सोती रही. लेकिन सोकर उठते ही सबसे पहले मैंने अपना फोन चेक किया मेरे सोशल अकाउंट पर एक अननोन नंबर से मैसेज आया हुआ था. जब उसे खोलकर देखा तो वह एक वीडियो था. जिसे चलाने पर मेरे होश ही उड़ गये. यह वही वीडियो था. कमल अब भी बिस्तर पर पड़ी खर्राटे मार रही थी. मैंने उसे झकझोरते हुए उठाया. उसे वह वीडियो दिखाते हुए बोली, “देख … देख तू मुझे चिल रहने के लिए बोल रही थी. बता कैसे चिल रहूं.” मेरी हथेली पसीने से भिग चुकी थी. फोन हाथ से फिसल रहा था. कमल के चेहरे पर भी परेशानी और घबराहट के भाव नजर आने लगे. फिर भी वह मुझे तसल्ली देते हुए बोली, “वीडियो के साथ कुछ और भी मैसेज है क्या ?”

वीडियो के साथ कुछ भी मैसेज नहीं था. सिर्फ वीडियो. कमल ने मेरे हाथ से फोन लेते हुए फोन स्पीकर पर रखते हुए उस नंबर को डायल किया, “यह नंबर अभी बंद है कृपया कुछ देर बाद डायल करे” यहीं सूचना बार-बार बजती रही. “नंबर तो स्वीच्ड ऑफ है, किसका है यह नंबर, कॉलेज जाकर ही कुछ पता चल पायेगा”

“नहीं… आज मैं कॉलेज नहीं आने वाली.. तुम अकेली ही चली जाओ. मैं… मैं किसी का सामना नहीं कर पाऊंगी. प..पता नहीं कॉलेज में कितने लोगों ने यह वीडियो देखा होगा.”

“तुम बेकार ही डर रही हो ऐसा कुछ नहीं हुआ होगा”  कमल मेरा डर दूर कर मुझे समझाने की कोशिश करती रही पर मैं तैयार नहीं हुई. इस घटना ने मुझे इतना हिला दिया की मुझे बुखार चढ़ आया और मैं दस से बारह दिन कॉलेज नहीं जा पाई. कमल से पूछने पर की कॉलेज में तुम्हे ऐसा कुछ लगा क्या कि ये वीडियो वायरल हुआ है तो वह कुछ भी बता नहीं रही थी. वह कहती सब कुछ नार्मल ही है.

मैं भी समय बित जाने से थोड़ी आश्वस्त हुई और कॉलेज पहुंची. कमल ने मुझे कॉलेज में ड्राप किया और बोली, “मुझे थोड़ा काम है मैं अभी आती हूं” कह कर वह चली गई. मेरी आंखे राजवीर को तलाश रही थी. पर राजवीर कहीं नजर नहीं आ रहा था तभी मुझे पीछे से किसी ने चौंका दिया, वह मनिष था.

“क्या यार…! ऐसे डराता है क्या कोई. मैं पहले से ही परेशानी में हूं”

“किस बात की परेशानी है कॉलेज की हूर परी को ?” उसकी बात का जवाब देने की बजाय मैंने सवाल किया,

“कॉलेज के सब लोग मुझे ऐसे क्यों देख रहे है ?” मेरा डर मुझे विचलित किये हुये था.

“क्या तुम भी…! इतने दिनों बाद कॉलेज आई हो, ऐसा रिएक्शन नॉर्मल है. सब को पता है तुम्हें बुखार था..”

“मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि सब मुझे किसी और कारण से ऐसे देख रहे है”

“हां… तुमने सच कहा”

“क्या … क्या कारण है… वो तुमने भी देखा”

“हां..!” मनिष के हां बोलते ही मेरे फिर पसीने छूट गये. लगा अब तो मैं सबके मजाक का कारण बन जाऊंगी, सब मेरे बारे में क्या सोचते होंगे. सबकी आंखें मेरे कपड़ों के अंदर मेरे शरीर को टटोलेगी. मैं न जाने क्या क्या सोच रही थी कि फिर मनिष की आवाज कानों से टकराई…

“अरे.. तुम कॉलेज नहीं आ रही थी तो, कमल खुल्लम खुल्ला राजवीर के साथ घुमने जा रही थी. ये तो सभी ने देखा और मैंने भी”

“क्या ?........” मै अचंभित हुई. मेरे लिए यह चौकाने वाली बात थी. “यानी कोई वीडियो…”

“अच्छा तो तुम्हें यकीन नहीं… उनका साथ में घूमते हुए, पप्पी झप्पी वाला वीडियो देखना है. वो तो शायद ही किसी ने बनाया होगा. पर मुझे पता था तुम अपनी सहेली पर मुझ से ज्यादा विश्वास करती हो. मेरा यकीन नहीं करोगी इसीलिए मैंने सच में उनकी फोटो लेकर रखी है”

मनिष अपने मोबाईल में कमल और राजवीर की गार्डन में, कॉफी शॉप में तथा बाईक पर एक-दूसरे को कसकर पकड़ कर बैठी हुई तस्वीरें दिखाने लगा. उन तस्वीरों को देखकर कोई भी बता सकता था की ये सिर्फ दोस्त नहीं तो उससे आगे बढ़ चुके हैं. इनका रिश्ता दोस्ती का नहीं बल्कि प्रेमियों वाला हैं. मनिष अब थोड़ा गंभीर होते हुए बोला,

“संयुक्ता.. ये बातें मैं तुम्हें इतनी जल्दी बताने वाला नहीं था. तुम अभी अभी बीमारी से उभर कर आ रही हो और उस पर यह झटका. पर ये सच है मैंने तुम्हे हॉस्पिटल में ही बताया था कि राजवीर लड़कियों के मामले में फंदेबाज है. वो उनका कपड़ों की तरह इस्तेमाल करता है. वह तुम दोनों को एकसाथ बेवकूफ बना रहा है. क्या उसने तुम्हारे साथ फिजिकल रिलेशन बनाये ?”

उसके इस सवाल पर मैं उसे एकटक देखती रही और धीरे से बोली, “नहीं”

“तो देखना… वह तुमसे फिर मिलेगा, बात करेंगा और तुम्हें यकीन दिलायेगा कि वह कितना शरीफ है और सिर्फ तुमसे ही प्यार करता है, कमल से उसका कोई रिश्ता नहीं है. कोई ना कोई बहाना बनाकर तुम्हें फिर अपने चक्कर में फंसायेंगा और तुम्हारा फायदा उठायेगा. वह एक दिन भी लड़की के बिना नहीं रह सकता. इसीलिए तुम्हारे अब्सेंस में वह कमल के साथ था.”

मनिष की बातों ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया. क्या सच में राजवीर ऐसा है, मैं गलत हूं, बेवकूफ हूं जो उससे प्यार कर बैठी. लेकिन कमल.. कमल पर तो मैं इतना विश्वास करती हूं, वह भी मुझे धोखा दे रही है. मेरी पीठ पीछे वह राजवीर से चक्कर चला रही है. क्या वाकई प्यार इतना अंधा होता है कि नाते-रिश्ते और दोस्ती सब दांव पर लगा देता है. लेकिन अब भी मैं मनिष के किसी भी बात पर विश्वास नहीं करना चाहती थी. क्योंकि मनिष भी मुझसे मन ही मन प्यार करता था और मेरे, कमल और राजवीर के बीच दरार पैदा करके मेरा फायदा उठाना चाहता था. राजवीर ने मुझे मनिष के बारे में यह बात पहले ही बता रखी थी कि मनिष मुझे उसके खिलाफ भड़का सकता है. वह हमारे प्यार को तोड़ने की कोशिश कर सकता है, गलतफहमी पैदा कर सकता है. लेकिन मनिष ने जो तस्वीरें दिखाई थी उसे कैसे झूठ मान लूं. मेरा सिर फटा जा रहा था.

मैंने मनिष से कहा, “मैं तुम पर क्यों विश्वास करूं, ये तस्वीरें झूठी भी हो सकती हैं आजकल फोटो शॉप से क्या नहीं होता.”

“ठीक हैं.. चलो मेरे साथ तुम अपनी आँखों से देख लो” और वह मुझे अपनी बाईक पर बिठा कर कॉलेज से कुछ दूर एक कॉफी शॉप लेकर गया. उसके पार्किंग में राजवीर की बाईक रखी हुई थी. हम दोनों वहीं थोड़ी दूरी पर एक जगह बैठ कर इंतजार करने लगे. मैं काफी बोर हो रही थी पर सच्चाई जानने के लिए मुझे बैठना ही था. तकरीबन एक घंटे बाद सच में कमल और राजवीर आते हुए नजर आये. कमल अपनी बाईक चला रही थी तो राजवीर उसके पीछे बैठा हुआ था और दोनों के शरीर एक दूसरे से चिपके हुए थे.

मनिष तपाक से बोला “देखा तुमने कैसे बैठे है”

सबकुछ अपनी आँखो से देखने के बाद अब और क्या कहती. मेरे मन में कमल के प्रति गुस्से और नफरत के अंकुर फूटने लगे. कमल का कोई भी किसी भी तरह का नुकसान हो, मन में चाह जाग उठी. मैं सोचने लगी क्या कर सकती हूं. मुझे ख्याल आया राजवीर और कमल के पिता एक-दूसरे के दूश्मन है यदि इनके मोहब्बत की बात घर वालों को पता चल जाये तो….. ख्याल आते ही बोली,  “मनिष.. जो तस्वीरें तुमने मुझे दिखाने के निकाली है एक काम करो उन तस्वीरों को कमल के घर पोस्ट कर दो”

“क्या…???”

“मैंने कहा वो तस्वीरे शरदचंद्र भोसले के नाम पोस्ट करके उसके घर भेज दो”

“इसका नतीजा जानती हो…”

“मुझे परवाह नहीं.. यदी कोई मेरी पसंद मुझसे छीनना चाहे तो मैं उसे भी वह हासिल नहीं होने दूंगी”

दूसरे दिन पूरे बंगले में बवंडर उठ गया था. घर का एक-एक सदस्य, नौकर सभी डरे सहमे हुए खड़े थे और दादासाहेब की आवाज गुंज रही थी. गुस्से में उनका शरीर थरथरा रहा था. आंखे आग उगल रही थी और हम दोनों कमल और मैं दादासाहेब के सामने बुत बनी खड़ी थी. गले का थूक गले में अटक गया था. ना निगलते बन रहा था ना उगलते.

“ये .. ये सब करने जाती हो कॉलेज. पढ़ाई छोड़कर आवारा लड़को के साथ आवारागर्दी करने. तुम्हारी मां हमेशा समझाती रही की लड़की लड़को की तरह कपड़े पहनती है उसे समझाते क्यों नहीं. मैं ही बेवकूफ था की तुम्हें खुली छूट दे दी. हमारे पूर्वजों की सोच सही थी की लड़क‍ियों को घर में बांधकर रखना चाहिये. उन्हें छूट देना मतलब घर की इज्जत बाजार में निलाम करने जैसा है. और तुम…”

दादासाहेब मेरी ओर देखते हुए बोले, “तुम तो समझदार हो, इसके साथ ही कॉलेज जाती हो-आती हो, तुम्हें तो पहले दिन से पता होगा ये सब. फिर तुमने मुझे बताया क्यों नहीं ? तुमने इसकी करतूतों पर पर्दा डाले रखा तुम भी उतनी ही दोषी हो. कहीं ऐसा तो नहीं कि ये एक लड़के के साथ और तुम दुसरे लड़के के साथ बदफैली कर रही हो”

क्या बताती दादासाहेब को, दो अलग लड़को के साथ नहीं एक ही लड़के के साथ…... पर हम दोनों ही चुप खड़ी थी.

“कल से तुम दोनों का कॉलेज जाना बंद, पढ़ाई बंद. बहुत हो गई पढ़ाई कल से ही लड़का ढूंढना चालू कर दूंगा ताकि इसी महीने तुम्हारी शादी हो जाये.”

दादासाहेब ने मेरे पिता से भी कह दिया कि तुम भी अपनी लड़की के लिए अच्छा सा रिश्ता ढूंढ लो दोनों की एक साथ शादी करके यहां से विदा कर देंगे.

कमल और मैं अपने कमरे में पहुंचे तो कमल ने मेरी गर्दन पकड़ ली और दबाते हुऐ बोली, “साली कमीनी वो फोटो दादासाहेब तक कैसे पहुंचे तुने ही पोस्ट किये ना. तुझे पता चल गया कि मैं राजवीर के साथ घुम रही हूं. सच बोला ना मैंने”

“मे….मे…मेरा गला छोड़.. मैंने … मैंने नहीं भेजी वो तस्वीरें मुझे तो पता भी नहीं की तुम्हारा राजवीर के साथ ये सब चल रहा है. जबकि राजवीर तो मुझसे प्यार करता है. उलटा तुमने ही मुझसे मेरा प्यार छीना है. शर्म तुम्हें आनी चाहिए अपनी ही सहेली का प्यार छीनते हुए.”

“देख.. संयु.. यहां इस घर में हर वो चीज मेरी है जो तू इस्तेमाल कर रही है और मैंने पहले ही कहा था कि तू जिससे प्यार करेगी मैं उसी से शादी करूंगी. तो तेरी एक चीज तो मैं ले ही सकती हूं.”

“वो तो तू मजाक में….”

“ये तेरी समझ है … मैं तो सीरियस थी. इतना कुछ मैंने तुझे दिया उसकी ये किंमत समझ”

“पर तुने तो उसे दादासाहेब के बॉडीगार्ड पिटर से पिटवाया था ना…”

“हां… तू मुझे छोड़कर उसके साथ चली जाती थी मुझसे ये देखा नहीं गया तो मैंने पिटर से कहा कि एक लड़का मुझे कॉलेज में तंग करता है उसे सबक सिखाओ. उसने रास्ते में उसे पकड़ कर खूब पीटा, इतना कि उसका हाथ और पाव फॅक्चर कर दिया. उस दिन हॉस्पिटल में तुम्हें बाहर जाने को कहकर मैंने उससे माफी मांगी और उससे कहा कि मैं तुमसे प्यार करती हूं. तुम मुझे छोड़कर संयुक्ता के साथ जाते थे, इसलिए मुझे जलन होने लगी और मैंने ही तुम्हें पिटर के हाथों पिटवाया. तब उसने कहा कि उसे सब पता है इसीलिए उसने पुलिस को या किसी ओर को नहीं बताया और कोई शिकायत दर्ज नहीं करवाई.”

यानी कमल ने अपने मन की बात राजवीर को हॉस्पिटल में ही बता दी थी और वह कमीना राजवीर मेरे साथ किये हुए सारे वादे भूलकर कमल से इश्क लड़ाने लगा. मनिष की एक-एक बात अब सच लगने लगी थी. मैंने कमल का वह कमरा छोड़ने और उससे सारे रिश्ते तोड़ने का फैसला कर लिया था और अपना जरूरी सामान समटने लगी.

मैं वह शहर छोड़कर अपने ताई (बहन) के ससुराल आ गई. अचानक मुझे आया हुआ देखकर मेरी ताई को आश्चर्य हुआ. उसने मुझसे कई सवाल किये. लेकिन मैं इतना ही बता पाई कि मेरा और कमल का झगड़ा हो गया है और मेरा अब वहां मन नहीं लग रहा है इसीलिए कुछ दिनों तक यहां रहने आई हूं.

मैं ताई को कैसे बताती कि, दादासाहेब ने घर से बाहर निकलने और कॉलेज जाने पर पाबंदी लगा दी है. मैं घर में कैद होकर नहीं रह सकती और वहां रहकर राजवीर से संपर्क भी नहीं कर सकती थी. उससे पूछ भी नहीं सकती थी कि उसने हमारे साथ ऐसा क्यूं किया. ताई के यहां दूसरे शहर में आने से यहां से मैं कम से कम फोन पर तो राजवीर से बात कर ही सकती थी. कमल से दूर रहकर दादासाहेब को यह विश्वास दिलाने में भी कामयाब हो सकती हूं कि कमल और राजवीर को मिलाने और उनको मदद करने में मेरा कोई हाथ नहीं है.

पूरा एक दिन गुजर जाने के बाद जब मेरा मन पूरी तरह शांत हुआ तो मैंने राजवीर को फोन किया. मेरा पहला सवाल यही था कि, वह मुझसे प्यार करता है या कमल से. इस पर राजवीर ने जो रहस्योद्घाटन किया उससे मैं और भी सकते में आ गई. मेरा फिर राजवीर पर विश्वास बैठ गया और लगने लगा कमल कितनी कमीनी लड़की है, कितनी स्वार्थी है.

राजवीर ने बताया, “एक्सीडेंट के बाद कॉलेज आने के एक दिन पहले उसे एक वीडियो का स्क्रीन शॉट सोशल ॲप पर आया था. उसके नीचे मैसेज लिखा था

‘इस वीडियो स्क्रीन शॉट में जो लड़की टॉवेल लपेटे नजर आ रही है वह वीडियों में बिना टॉवेल के नजर आती है. यदि तुमने संयुक्ता से मिलना-जुलना बंद नहीं किया तो उसका यह वीडियो पूरे कॉलेज में और शहर में वायरल हो जायेगा. संयुक्ता से दूर रहने का सबसे आसान तरीका बताता हूं तुम उसकी सहेली कमल से प्यार करने का नाटक करो, उसके साथ घुमने-फिरने जाओं. बाग में, मॉल में, कॅफे में और वह सब करो जो प्रेमी-प्रेमिका करते है. यदि ऐसा नहीं किया तो यह वीडियो वायरल हो जायेगा जिसके जिम्मेदार तुम रहोगे.’  

मैसेज पढ़ने के बाद मैने वैसा ही किया मुझे पता था कि कोई मेरी कमल के साथ तस्वीरे ले रहा है. बाईक पर मैं कमल के पीछे बैठकर उसे कसकर पकड़ कर बैठता था. ताकि देखने वालो को लगे की हम बेशर्म लव्हर्स है. अब तुम ही बताओ संयुक्ता मैं क्या करता. मैं तो तुमसे ही प्यार करता हूं. तुम्हारे अलावा मेरे दिल में कोई और लड़की नहीं है. मैं तुम जैसी नाजुक कली को छोडकर कमल से कैसे प्यार कर सकता हूं जिसमें लड़कियों वाली कोई नजाकत ही नहीं है.”

राजवीर की बातें सुनने पर मैं हर एक बात को जोड़कर देखने लगी. सभी बातों के तार एक-दूसरे से जुड़ रहे थे. पर वे मुझे उलझन में भी डाल रहे थे. मनिष पर यकीन करूं तो राजवीर हम दोनों लड़कियों का इस्तेमाल कर रहा है ऐसा प्रतीत होता है और राजवीर की बातों पर यकीन करूं तो कमल मुझसे मेरा प्यार छीन रही है ऐसा प्रतीत होता है. एक तरफ बचपन से चली आ रही दोस्ती तो दूसरी तरफ मेरी मोहब्बत. किस पर विश्वास करूं ? किसका यकीन करूं?

राजवीर का पलड़ा ज्यादा भारी लग रहा था. क्योंकि कमल द्वारा मेरा वीडियो बनाना, मेरी पीठ पीछे राजवीर से अपना रिश्ता गहरा करना. उसकी वह मजाक में कही हुई बात की, ‘तू जिससे प्यार करेंगी मैं उसी से शादी करूंगी’. उसे सच साबित करने की जिद्द. दूसरी ओर मनिष की बातों पर मेरा जरा भी यकीन नहीं था व मुझे राजवीर के खिलाफ भड़का कर बेवकूफ बना रहा है इसका मुझे पक्का विश्वास था.

मेरी रोज ही राजवीर से फोन पर बातें होने लगी. उसकी प्यार भरी बातें मेरे दिल को गुदगुदाने लगी. मेरी तारीफ में कहे हुये उसके शब्द मेरे शरीर के अंग-अंग को पुलकित करने लगे. मन चाहता अभी उड़कर उसके पास चली जाऊं उसे अपनी बाहों में भर लू. खूब प्यार करूं इतना की…. उसे अपने से अलग ही ना होने दूं. मैं अपने इन्हीं रंगीन सपनों में खोई रही और पंद्रह दिन कैसे बित गये पता ही नहीं चला. ताई मुझसे पूछती भी की मैं घंटो फोन पर किससे बात करती हूं. कोई लड़का है क्या, किसी से प्यार करती है क्या. पर मैंने ताई को कुछ भी नहीं बताया. उस दिन ताई मेरे पास आते हुये बोली, “संयुक्ता…. तू सिर्फ अपने प्रेमी से फोन पर ही बातें कर. मुझे कुछ मत बता लेकिन तेरी खास सहेली कमल की दो दिन बाद ही शादी होने वाली है. उसने तुझसे पहले नंबर मार लिया.”

ताई के मुंह से ये बात सुनकर मुझे जरा भी धक्का नहीं लगा. क्योंकि मैं जानती थी दादासाहेब ऐसा ही कुछ करेंगे वह प्यार में पागल लड़की को ज्यादा दिनों तक घर में कुंवारी बिठाकर नहीं रख सकते थे. मैंने पूछा, “लड़का कौन है?”

“अरे…! ये बात तो मैंने बाबु से पूछी ही नहीं. तुम ही फोन करके पूछ लो”

            मैने तुरंत ही बाबु को फोन मिलाया और उनसे पूछा, “बाबु…  मैंने सुना है कमल की शादी है, कमल का रिश्ता कहां हुआ है ? लड़का कौन है ? क्या नाम है उसका ?”

            “रूक… रूक एक साथ इतने सवाल, ना मेरी तबीयत पूछी, ना खैरीयत बस कमल के बारे में जानने को ज्यादा उत्सुक है. तू तो उससे झगडा करके यहां से गई थी ना. उसकी सजा यह है कि मैं तुझे कुछ नहीं बताऊंगा तू जल्दी से यहां आ और अपनी आंखों से देख, कौन लड़का है ? कहां का है ? किस परिवार से है ? दूल्हे को देखकर तू खुश हो जायेगी. साथ में अपनी ताई और भाऊजी (जीजाजी) को भी साथ लेकर आना. दादासाहेब ने अपने ही होटल में बहुत ही शानदार शादी का अरेंजमेंट किया है.”

            दूल्हे के बारे में कुछ भी न बताकर बाबु ने मेरे सामने बहुत बडा सस्पेंस क्रिएट कर दिया था इसलिए मुझे वहां जाने की जल्दी होने लगी. मैं अपनी ताई के पीछ पड़ गई की हमें अभी यहां से चलना चाहिए. जबकि ताई का कहना था शादी दो दिन बाद है तो अभी क्यों जाये. कल चलते है हमारे पहुंते ही हल्दी का समारोह भी हमें मिल जायेगा और दूसरे दिन शादी भी देख लेंगे वहां से हम सीधे वापस आ जायेगे. तेरे भाऊजी को ज्यादा दिनों तक छूट्टीयां नहीं लेनी पड़ेगी.

            ताई की बात सच थी, भाऊजी अपने काम से ज्यादा दिनों तक छूट्टी नहीं ले सकते थे. लेकिन मैं एक पल भी ताई के घर रुकना नहीं चाहती थी, पर रुकना पड़ा. मैं खुश थी कि कमल की शादी हो रही है और मेरे प्यार के रास्ते का कांटा दूर हो रहा है.

दूसरे दिन हम दोपहर को ताई के घर से निकले. शाम को कमल के बंगले पर थे. बंगला पूरी रोशनी से जगमगा रहा था. दादासाहेब के कई रिश्तेदार आये हुए थे. मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं सीधे कमल से जाकर बात करूं. उससे झगडा करके यहां से निकली थी मैं. मैं जानना चाहती थी कि, दूल्हा कौन है. मैंने घर के दूसरे नौकरों से बात की उनसे पूछा पर किसी ने भी मुझे दूल्हे के बारे में कुछ नहीं बताया. सभी मेरी मौज लेने लगे. मैं सस्पेंस से मरी जा रही हूं यह जानकर कोई मेरे सवाल का सीधा जवाब नहीं दे रहा था. आखिर मैं हिम्मत करके कमल के पास पहुंच ही गई.

….. क्रमश:

अश्वजीत पाटील

 

 

कमल की किससे शादी हो रही है ? वीडियो के स्क्रीन शॉट कौन भेज रहा था ? राजवीर और संयुक्ता की शादी हो पाई या नहीं ? क्या सच में राजवीर दोनों सहेलियों को बेवकूफ बनाकर इस्तेमाल कर रहा था ? मनिष के मनसुबे क्या थे ? कमल और संयुक्ता का रिश्ता पहले जैसा हो पाया या नहीं ? कौन किसे बेवकूफ बना रहा है ?

इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए इसी कहानी का भाग दूसरा पूरा पढ़े….