Train Travel With a Stranger Devika Singh द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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Train Travel With a Stranger

ये एक सच्ची कहानी है।

ट्रेन में सफर करना मुझे बहुत अच्छा लगता है में ज्यादातर ट्रेन में मे अकेले ही सफर किया करता हूं पर एक बार मेरे साथ कुछ ऐसा हुआ था। जिससे बताने में रोंगटे खड़े हो जाते है। यह एक सच्ची घटना पर आधारित एक कहानी है।

जब मेरे दादा एक्सपायर हुए तो हम लोग गांव की तरफ़ ऐसे भागे जेसे कोई हवा किसी दुसरे तरफ़ रुख करती हो
मेरी पुरी फैमिली चालू ट्रेन मुझे सफर कर रही थी। पूरे 1.5 दिन के सफर में मुझे बहुत बोर हो रहा था क्योंकि मेरे दादा से कभी उस तरह बात नहीं हुई थी। में उनसे जादातार दूर ही रहा था। तो मेरा कुछ खास लगाव नहीं था उनसे तो मैं उनके लिए क्यों रोऊ?

उसी ट्रेन में एक लड़का मुझे मिला ये कहानी उसी लड़के की कहानी है। वो मुंबई से कोलकाता जा रहा था।

मुझे उससे बाते करने में मुझे बड़ा मजा आने लगा तो मेरा टाइमपास हो रहा था। बात करते करते उसने मुझे बताया की वो मुंबई के किस लिए आया था।
वास्तव में। "उसका मुंबई में कोई नहीं था" ये सुन कर मैं शॉक्ड हो गया था। वो मुंबई एक लड़की से मिलने आया था जो की उसकी फेसबुक फ्रेंड थी। उसका नाम मीरा था ये 2013 की बात है तब फेस बुक पे एसे अफेयर्स होते रहते थे।
शुरू में उस लड़के ने अपनी आवाज एफबी पे उस लड़की को भेजी थीं,जिसमे वो गा रहा था। उसने मुझे भी सुनाया था। इतनी प्यारी आवाज थी की मुझे लगा वो कोई सिंगर गा रहा हो।

(यह मैं आप लोगो को उनके नाम बता देता हु यह रीयल नाम नहीं बस में युही काल्पनिक नाम दिए है। उस लडकी का नाम मीरा था और उस लड़के का नाम रोहन था। )

उसके गानों की आवाज़ सुनने के बाद मीरा ने उसे मैसेज किया एफबी पर


मीरा -एक और वॉइस भेजो

रोहन -अच्छा

मीरा- आप सिंगर बहुत अच्छे है। सब लड़कियों को क्या एफबी पर अपनी आवाज सुना के पटा रहे हों। कुछ और कोशिश करो सिंगर अच्छे बन जाओगे।

रोहन - सही मे

मीरा - हा तो क्या

रोहन - नहीं यार तुम मज़ाक उड़ा रही हो।

मीरा - अब सही बोलो तो मज़ाक लग रहा है हां तेरी आवाज मुझे प्यारी लग इसलिये मैं बात कर रही हूं। नहीं तो में एफबी पर किसी जल्दी बात नहीं करती किसी से।


रोहन - ओके ओके

(रोहन ने सोचा ज्यादा बोलना ठीक नहीं होगा)

कुछ दिनों तक ऐसे ही बात करते हुए वो दोनो काफ़ी करीब आ गए।
रोहन अब सिंगिंग की क्लास जाने लगा था वो एक अच्छा सिंगर बनने की पूरी कोशिश करने लगा था।

उसने कोलकाता में ऑडिशन दिया या वो सलेक्ट हो गया यहा उसका पहला गाना रिलीज होना था। लेकिन पहले वो मीरा से मिलना चाहता था। उसने मुंबई की ट्रेन बिना बोले किसी को पकडर मुंबई आ गया।

वो मुंबई जा तो रहा था,पर उसे पता नहीं था। आगे उसके साथ क्या होने वाला है।

उसने मुंबई पहुंच मीरा को भी बताया की वो आ गया है। वो चुप चाप उसके लिए पहुंचा। यहां उसने बेल बजाई और भीर दरवाजे के दूसरी तरफ़ एक अधेड़ उम्र की एक औरत खड़ी थी। जिस्का नाम मोना था। वो हिन्दू थी पर किसी क्रिश्चियन के शादी की थी उसे बोला क्या काम है।

रोहन ने बताया वो मीरा से मिलने आया है वो है घर में है क्या?

मोना ने उसे उल्टा सवाल किया कौन मीरा है?
कोन हो तुम?

रोहन परेशानी में आकार उसे मीरा का फोटो दिखने लगा पर मोना उसे पहचानने से मना कर रही थी।
रोहन अब परेशान हो गया था अब वो क्या करे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था।
उसने मीरा को फोन किया पर उसका फोन स्विच ऑफ रहा था। वो बहुत ही ज्यादा टेंशन में हो गया या वो वही बहोश हो गया जब आख खुली तो उसने पाया एक हैंडीकैप लडका उसके सामने में विलचेयर पर बैठा हुआ था।
और बाजू में मोना बैठी हुई थी। दोपहर के 3:45 बज रहे थे। शाम होने जा रही थी रोहन ने कहा मुझे अब चलना चाहिए उसने वापस कोलकाता की ट्रेन पकड ली।

इस बार उसे जल्दी बाजी में चालू ट्रेन में सफर करना पड़ा था। और भीर इस तरह हम दोनो मिले।
इतना बोल कर उसने मुझसे कहा मुझे नींद आ रही है। मैं दरवाजे पर सिगरेट पीने जा रहा हूं तुम पिओगे मैं पीता नही था। लेकिन फिर भी मेरा भी मन कर रहा था।

मैं नहीं गया में वही उसके बैग का ध्यान रखने के लिए बैठ गया। वो उठकर जाने लगा में कुछ देर बैठा रहा फिर मैने देखा उसके बैग का चैन खुला हुआ है। मैने वो बैग का चैन बंद करनी चाही पर वो बंद नहीं हो रहा था।
ऐसा लगा कोई कागज जैसी चीज अटक सी गई है।
मेंने वो कागज़ निकाली वो एक लेटर था मैं उसे पढ़ने लगा
उसमे लिखा था।



प्रिय रोहन,

जब तुम्हे ये लेटर मिलेगा तब तक तुम कोलकाता की ट्रेन पकड़ चुके होगे। रोहन मेने तुमसे एक बात छुपाई है में कोई मीरा नहीं मेरा नाम मयंक है।
मैं एक लड़का हूं मुझे तुमारे साथ यह करने का मन नहीं था। लेकिन मैं समलैंगिक हूं। मुझे लड़के ज्यादा पसंद है इसलिये तुमने देखा होगा मेरे एक भी लड़की दोस्त नहीं है फेस बुक पर
जब तुम मोना आंटी के घर जा रहे थे। तब मैंने तुम देखा था मेने तुम्हे बुलाया भी था। पर मैं टैरिस पे था। इसलिए शायद तुम्हे मेरी आवाज नहीं सुनाई दी थी। मेने फेसबुक पर अपनी प्रोफाइल बदली थी या मोना आंटी का पता डाला था।

जब तुम बेहोश हुए तो मैं भाग के सीधा मोना आंटी के घर गया था। तुम्हें देखता रहा में नहीं चहता था की मेरी अस्लियात तुम्हे पता चले वरना मेरा मजाक बन जाता सब मुझे देखकर हंसते
मोना आंटी किचन में घुसी तो मेने लेटर तुम्हारी बैग में डाल दिया ताकी तुम्हे पता चल जाए की में कौन हुं

तुम्हारा दोस्त,
मयंक

ये देख मेरी आंखे फटी की फटी रह गई मैं ये समझ नहीं पा रहा था। कि ये रोहन को पता है या नहीं

अगर पता है नहीं तो क्या उसे मुझे बता दु की याह नहीं

मुझे ये भी शक हो रहा था कि उसे इस के बारे में पता है वैसे भी की ये लेटर बैग के ऊपर ही था या उसका बैग खुला था। तो उसने देखा तो होगा या जल्दी जल्दी मैं बैग बंद करना भूल गया होगा।

मुझे लगा उसके आने से पहले में ये लेटर जैसे था वैसे ही रख देता हूं या मैं पर वो लेटर उस बैग रखने जा ही रह था मैने जैसे ही चैन खोला की रोहन मेरे सामने खड़ा हो गया
मैं डर गया में कुछ बोल नहीं पा रहा था पर मेरे बोलने से पहले वो बोल पड़ा
"पढ लिया? तुमने
पढ़ के मजा आया होगा ना। मैं तुम्हे बताने वाला था पर तुम स्मार्ट हो तुमने पहले ही लेटर पढ़ लिया है"।

"ठीक है कोई बात नहीं"

"कहानी अभी ये खतम नहीं हुई आगे क्या होता है में बताता हूं
जब मुझे उसका लेटर मिला मैं तूरंत वापस गया उसी मोहल्ले में वहा पहले मैने मोना आंटी को उस लड़के मयंक का पता पुछा फिर मैं उससे मिलने निकल पड़ा"

उस रात के 11:30 बज रहे थे। मयंक कही से घर की तरफ़ जा रहा था। मेने उसे पकड़ कर क्लोरोफोम सुंघाया फिर मैने उसे एक बैग में बंद कर दिया और भीर उसे एक बड़े से बिल्डिंग के पिछे घने काले अंधेरे में ले गया उस तरफ ज्यादा लोग उस अपार्टमेंट में नहीं रहते थे कई सारे फ्लैट्स खाली थे। रोहन का काम और आसान हो गया और उसने उसे मारा और तब तक मारता रहा जब तक वो चुप ना हो जाता फिर जब वो चुप हो गया तभी मैंने एक सिगरेट जलाई और वही पीने बैठ गया कुछ देर बाद मैं सोच रहा तब बाद में वो भागने लगा और फ़िर मैने उससे वही मार दिया। फिर उसने उसे उसी बिल्डिंग के पीछे वाले कहली अंधेरे जगह पर दफना दिया। और वहा से चला आया वापस आते वक्त जब वो उसे दफना रहा था तभी भी वो जिंदा था पर ध्यान ही दीया।अभी मुझे कोई दुख नहीं है।
मैंने ऐसा काम किया है।

मुझसे के इतना बुरा हो गया था। मुझे समझ नहीं आ रहा है। शायद मैं धोखे की आग में अंधा हो चुका था। इतना बोल के सोने चला गया या मैं उसे देखता ही रह गया ये सारी बात साइड में सोया एक आदमी सुन रहा था। पहले उसने कुछ बोला नहीं पर उसके सोने जाने के बाद वो मेरे पास आकर उसने मुझसे कहा तुम डरो मत मैं पुलिस में हु। पुलिस को मैने फोन किया है वो अभी 2 स्टॉप बाद आकर उसे ले जायेगी अब तो मुझे ओर डर लग रहा था। क्यू की यह बात जानने वाला में ही आखरी और इकलौता सबूत हूं। और उसने किसी को ये बात बताई नही है। अगर उसे पता चलेगा तो वो मुझे भी मार देगा।

उस आदमी का नाम देव था।

मुझे लग रहा था कि मैं फस चुका हूं ये रात मेरी आखिरी रात होगी।

करीब 2 बजे रोहन की नींद खुली मेने उसे सब बता दिया यह जानकर वो उसे मारने के लिए चल पडा या मैं जाकर सो गया लेकिन मेरा दिल नहीं मान रहा था। घड़ी घड़ी मुझे उसकी फिक्कर हो रही थी।
में भी पिछे चला गया
देव बहुत चालक था वो हमारी सारी बाते मोबाइल में रिकॉर्ड कर चुका था या उसे मुझे बताया था।

आगे जाकर मैने देखा और में चौक और गया

रोहन उसे दरवाजे से देव को धकेलने वाला था में वहा जा पहुचा था। सब वहा सो रहे थे या रोहन ने उसका मुह दबाया हुआ था।
देव को लगा की मैं उसकी हेल्प करूंगा मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, मैं क्या करू?

मैंने दोनो को कहा "यार झगड़ा बंद करो मैने देव को बोला तुझे कौन सा मेडल मिल जाना है। पुलिस तो आ रही है ना"

देव ने कहा
"अगर वो तेरा भाई होता तो तुझे पता चलता मैं इसका पिछा मुंबई से ही कर रहा हूं मुझे पता है यह खूनी है
पर मेरे पास इस्के खिलाफ सबूत नहीं थे। इसलिये तुम मुझे इसका कुछ भी नहीं कर सकता था।"
जो काम तुमने किया वही काम में करने वाला था में इसी के मुह से सच निकलाने वाला था पर मेरा काम तुमने आसान कर दिया

अब बस इसे जेल के सलाखों के पीछे ले जाना चहता हूं।

अब मुझे समझ में आ गया था मरने वाला मयंक कोई और नहीं था देव का सगा भाई था इसलिए वह रोहन को मारने के लिए उसके पीछे मुंबई से ही पड़ चुका था।

अब में भी डर गया था। क्योंकि अगर ये उसे कोर्ट ले जाएगा तो मुझे भी जाउंगा बिना फालतू का मुझे भी सबूत के चलते ले ले जाया जायेगा ना चाह कर भी मुझे रोहन की साइड लेनी पड़ी अब बस मैं दोनो को अंदर लेने की कोशिश कर था।
देव का सर बहार की तरफ़ था। और रोहन उसे और धकेल रहा था ताकी वो वही गिर कर मर जाये। और मैं ये नहीं चाहता था कि रोहन के हाथो एक और यह पर खून हो जाए उसे लाइफ में कुछ बनना है कुछ कर ना है।
वो एक अच्छा सिंगर है। उसकी लाइफ इसके चलते खराब हो सकती थी।

इसलिये दोनो को भी छुड़ा भी रहा था।
अचानक से मुझे एक टी.सी आता दिखा में उसी बुलाने दौड़ा ही था। रोहन ने देव को दरवाजे से बाहर फेक दिया। यहां मैं कुछ भी नहीं कर सका अब सर्फ मुझे मालुम था। की रोहन खूनी है। और मैं डर गया वो मेरे सामने शैतान जैसा लग रहा था। वैसा ही उसका दिल एक खून कर के भी नहीं भरा हो।
उसने मुझसे कहा तुमें भी डरने की जरूरत नहीं है।
जा कर सो जाओ या आराम करो कल सुबह बात करते हैं।
मुझे अब याद आ रहा था की ये सच में ये "सिंगर है या फिर कॉन्ट्रैक्ट किलर" टी.सी आ कर जा चुका था। उसे कुछ पता नहीं चला मुझे रात में थोड़ी बहुत नींद ही आई थी।

अगली सुबेह के 7:00 बजे रहे थे। रोहन गायब था। वो मुझे दिख नहीं रहा था, मैंने कुछ लोगो से पुछा की वो कहा गया है। किसी को पता नहीं था कि रोहन कहा है। फिर बूढ़े आदमी ने बताया वो तो सुबह 6:00 बजे ही किसी स्टेशन पर उतर गया था। मैने चेक किया तो वो उसका स्टॉप नहीi था।
क्युकी उसकी टिकट मेरे पास ही थी टिकट पर लिखा था मुंबई से हावड़ा
दोपहर 12:00 बजे हम लोगो का स्टॉप आया हम लोग उतर गए पर मेरी आंखे रोहन को ही ढूंढ रही थी। पर वो मुझे कहीं नहीं दिख रहा था।
मुझे यकिन नहीं हो रहा था कि वो मुझसे पहले उतर गया है।
जब ट्रेन चालू हुई तो मुझे याद आया देव का बैग ट्रेन में ही है। मैं ट्रेन के पिछे दौडने लगा दौड़ते दौड़ते मैं उस बोगी में घुस गया या बैग लेके उतर गया में जेसे ही उतरा मैंने देखा मेरे सामने ही रोहन ट्रेन के दरवाजे पर खड़ा था।

उसने मुझे हंस के विदा किया या मुझे अपना पर्स फेक कर इनाम के तौर पर साथ के लिए
उसके पर्स में उसका विजिटिंग कार्ड था।
मैं ये देख के हैरान था। की वो सच में एक कॉन्ट्रैक किलर है।
उसका नाम रोहन नहीं बल्कि डेविड स्मिथ है।
में अब सारी कहानी समझ गया वो कोलकाता से आया था मुंबई अपना काम पूरा कर ने मैं एक हाथ में बैग और एक हाथ में पर्स ले कर सोचता ही रह गया।

की क्या में भी कातिल हुं?

जो मैने उसका साथ दिया।
और पर्स में एक लिफाफा भी था उसे खोल कर देखा तो पता हुआ चला कि मयंक देव का कोई भाई नहीं बल्कि वो वो भी कॉन्ट्राक किलर ही था। रोहन को यानी डेविड को मारने उस ट्रेन में चढ़ा था।

वो डेविड को मारता उससे पहले डेविड ने उससे मार दिया।



The End