धर्म अपना अपना - 2 Kishanlal Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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धर्म अपना अपना - 2

"मेरी बात का बुरा मान गए क्या?""
"आयशा ऐसे लोग दोनो तरफ है।समाज मे सब तरह के लोग होते है।अच्छे भी और बुरे भी।ऐसे ही देश मे होते है।"
"परेश तुम सही कह रहे हो।"
और दोस्ती होने के बाद वे रोज मिलने लगे।परेश रोज आयशा को कभी केंटीन कभी किसी रेस्त्रां में ले जाता।एक दिन आयशा बोली,"आज पैसे मैं दूंगी।'
"तुम,"परेश बोला,"तुम्हारे पास पैसे कहा से आये?"
"जहाँ से तुम्हारे पास आते है।"
"मेरे पास कहाँ से आते है?"
"तुम्हारे घर से आते होंगे?"
"नही,"परेश बोला,"मैं अपना खर्च खुद चलाता हूँ।'
"कैसे?"
"खाली समय मे मैं डाटा एंट्री का ऑन लाइन जॉब करता हूँ।उन पेसो से मेरा खर्च चल जाता है।'
"सच।"
"हां।'
"मुझे भी सीखा दोगे।मैं भी करना चाहूंगी।'
"जरूर' परेश बोला,"गुरुदक्षणा देनी पड़ेगी।"
"दूंगी।'
और परेश ने उसे भी एक सप्ताह में डाटा एंट्री का काम सीखा दिया था।जब आयशा की पहली इनकम हुई तब वह परेश से बोली,"गुरुजी मैं सिख गयी।अब क्या गुरुदक्षिण देनी है?"
"आज तुम से कॉफी पीनी है।'
और उस दिन परेश ने आयशा से काफी पी थी।लेकिन उसके बाद उसने आयशा को पैसे नही देने दिए।
"अब तो मैं भी पैसे कमाती हूँ फिर मुझे पैसे क्यो नही देने देते।"
"अपनी मम्मी को भेज दिया करो।"
परेश आयशा से विभिन्न विषयो पर बहस करता।वह भारत के बारे में उसे बताता और उससे पाकिस्तान के बारे में पूछता।जब आयशा वहाँ के हालात बताती तो परेश कहता,"तुम्हारे देश के हुक्मरानों ने देश को कहा पहुंचा दिया।'
साथ घूमते,साथ खाते पीते समय गुजरने के साथ वे एक दूसरे के करीब आने लगे।इतने करीब की एक दिन परेश उससे बोला," मैं तुम्हे चाहने लगा हूँ।"
"अच्छा।"
"मुझे तुमसे प्यार हो गया है।"
"फिर?"
"मैं तुम्हे प्रपोज करना चाहता हूँ।"
"जानते हो मैं मुसलमान हूँ।"आयशा बोली,"और तुम हिन्दू।"
"मतलब तुम मुसलमान लड़के से शादी करोगी।"
"मैने यह कब कहा?"
"तो और क्या कहना चाहती हो?"
"अगर हम शादी करे तो हमे धर्म बदलना पड़ेगा।"
"आयशा शादी धर्म या जाति की नही होती है।प्यार और शादी मर्द और औरत के बीच की बात है।"
"साफ साफ कहो न।"
"शादी के बाद न तुम हिन्दू बनोगी न मैं मुसलमान।हम पति पत्नी बनकर भी अपना धर्म नही बदलेंगे।"
और उनकी एम बी ए पूरी होने पर उन्हें वहां नौकरी मिल गयी थी।
"क्या तुम्हारी मम्मी हमारी शादी को तैयार हो जाएगी"?आयशा बोली थी।
",मेरी माँ रूढ़िवादी है वह आसानी से नही मानेगी,"परेश बोला,'तुम्हारी।"
"आसानी से नही मानेगी,"आयशा बोली,"फिर शादी कैसे होगी?"
"होगी,"परेश बोला,"हम उन्हें पहले कुछ नही बताएंगे।पहले यहां बुला लेते है।"
"अगर नही मानी तो?"
"तो भी हम शादी कर लेंगे,"परेश बोला,"बाद मे मान जाएगी।'
"पहले नही मानी तो बाद में कैसे मानेगी/"
"तुम भी बुध्धु हो।अरे बच्चे हो जाएंगे तब मा न जाएगी।"
"हट"आयशा शरमाकर बोली,"शादी हुई नही और बच्चे पहले कर रहे हो
और परेश व आयशा ने अपनी माँ को इंगलेंड बुला लिया।एक दिन परेश बोला,"आज अपनी माँ को लेकर पार्क में आओ।"
परेश और आयशा अपनी अपनी माँ के साथ पार्क में पहुंच गए।परेश अपनी माँ को आयशा के बारे में बताते हुए बोला,"माँ यह आयशा है।मेरे साथ पढ़ती थी और अब हम साथ काम करते है।"
आयशा अपनी माँ को परेश के बारे में बताते हुए बोली,"माँ यह परेश है----
"माँ मैं इससे शादी करना चाहता हूँ"
"तो मुझे इसलिए बुलाया है?"
"हा माँ,"परेश बोला,"और अब तुम हमारे साथ रहोगी।"
आयशा की बात सुनकर माँ बोली,"तू एक हिन्दू से शादी करेगी।"
"हा"
"मतलब तू हिन्दू बन जाएगी।"
"नही।"
"तो परेश मुसलमान बन जायेगा।"
"माँ हम अपना धर्म नही बदलेंगे।"
"तुझे जो करना है कर मैं वापस चली जाती हूँ,"जाहिरा बोली,"तुझे कोई मुसलमान लड़का नही मिला।"
"हिन्दू से शादी करूंगी तो वह मुझे हमेशा अपनी बनाकर रखेगा,"आयशा बोली,"जैसे मेरे बाप ने तुझे छोड़ दिया था।ऐसा तो नही होगा।"
लेकिन जाहिरा इस शादी के लिए तैयार नही थी।तब परेश की माँ उसे समझाते हुए बोली,"बहन बच्चो की खुशी में ही अपनी खुशी है।"
काफी समझाने पर जाहिरा मान गयी।
दो संस्कृतियो का मिलन
परेश और आयशा की माँ उनके साथ रहने लगी।अपने अपने धर्म को मानते हुए भी उनका दाम्पत्य सुखी था