इश्क़ ए बिस्मिल - 36 Tasneem Kauser द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

इश्क़ ए बिस्मिल - 36

आप कुछ कह रहे थे।“ उमैर को चुप देख अरीज ने उसे टोका था। वह जैसे अपने होंश में वापस लौटा था। उसे समझ नहीं आ रहा था की कैसे कहे। उसने थोड़ा सोच कर अपनी बात की शुरुआत की थी।

“Actually मुझे तुम से कुछ पूछना था। तुम ने उस दिन कहा था की जिस तरह बाबा ने इस निकाह के लिए मेरे साथ जबरदस्ती की थी उसी तरह तुम्हारे साथ भी की थी तो क्या.... “ उमैर कह ही रहा था की अरीज ने उसे टोक दिया था।

“नहीं... उन्होंने मेरे साथ कोई ज़बरदस्ती नहीं की थी.... मेरी ज़िम्मेदारियों ने की थी।“ उसने उमैर की बात को सही किया था तो उमैर चुप हो गया था और उसे देखे जा रहा था। उसने इतनी मुश्किल से बात करनी शुरू की थी, तो वो भी अरीज ने बीच में टोक दिया था।

“आप आगे कहें।“ उसे खुद को घूरता देख अरीज उसे टोक कर पछता रही थी।

“मुझे पहले समझ नहीं आ रही थी की मै तुम से डिरेक्टली कैसे बात करूँ मगर अच्छा हुआ तुम ने बीच मे टोक कर मुझे सीधे रास्ते पे ले आई। तो मिस अरीज.... आह! सॉर्री मिसेज अरीज उमैर खान... क्या तुम्हारी लाइफ में कोई ऐसा था जिसे अपनी ज़िम्मेदारियों की वजह से छोड़ कर तुम्हे मुझ से शादी करनी पड़ी?” उमैर एक एक लफ्ज़ बोहत ठेहर ठेहर के अदा कर रहा था ताकि अरीज को उसकी बात समझ आ जाए।

अरीज का ये हाल था की उसकी रगों मे लहू की जगह लावा फूट पड़ा था। वह उसे एक टक देखे जा रही थी। वह अपना मूंह खोलना नही चाहती थी की कहीं गुस्से में उसके मूंह से कुछ उल्टा सीधा ना निकल जाए मगर यहाँ पर बात ही उसके जवाब पर खतम होनी थी।

“मेरी छोडें मिस्टर उमैर खान आप अपनी बताएं। क्या कोई है जिसे छोड़कर मजबूरियों में आपको मुझ से शादी करनी पड़ी?” वह बड़े कॉन्फिडेंस के साथ उसकी आँखों में आँखे डाले पूछ रही थी। उसकी बात पर उमैर का पारा हाई हो गया था।

“मैं तुम से पूछने आया हूँ, तुम्हे जवाब देने नहीं।“ वह गुस्से में चीख पड़ा था। अरीज ने जल्दी से स्टोर रूम का दरवाज़ा लगा दिया था ताकि आवाज़ बाहर ना जाए...सोनिया थकी हुई थी और उसका मूड स्विंग ना हो इसलिए अभी तक इमर्जेंसी जारी थी पूरे घर में। अरीज की इस हरक़त पर उमैर हैरान रह गया था, मगर अगले ही पल अरीज मुड़ी थी और उमैर पर चढ़ाई की थी।

“अगर आप मुझे जवाब नहीं दे सकते तो फिर मुझ से भी कुछ पूछने का आपको कोई हक़ नहीं है।“ अरीज ने अभी तक अपनी आवाज़ नीची रखी थी।

“Danmed… मैं तुम्हारी हेल्प करना चाहता हूँ इसलिए पूछ रहा हूँ अगर कोई है तो मुझे बता दो मैं.... “ वह अभी भी चीख रहा था। अरीज ने फिर से उसे बीच में टोक दिया था।

“मेरे कंधे पर बंदूक रख के अपना उल्लू सीधा करने से बेहतर है की आप अपनी मदद ख़ुद कर लें तो ज़्यादा मेहरबानी होगी।“ अरीज ने उसे दो टके का जवाब थमा दिया था और एक बार फिर से सफाई में लग गई थी। उमैर अपनी दांत पीस कर उसे देखता रह गया था।

वो जाने ही वाला था की अरीज ने उसे पीछे से बोला था। “आज रात आप अपने रूम में शिफ़्ट हो सकते है। मैं आपका रूम खाली कर दूँगी।“

उमैर ने पीछे मुड़ कर उसे देखा था। वह इतना कह कर फिर से काम में लग गई थी।


अज़ीन अब पहले से काफी बेहतर महसूस कर रही थी इसलिए उसे फिर से कमरे से बाहर जाने का मन कर रहा था। आज फिर से उसे नाश्ते में बासी रोटी और अचार मिला था मगर अब वह मन मार कर उसे खाना सीख गई थी लेकिन फिर भी दिल चाहता था की अगले रोज़ कुछ अच्छा खाने को मिल जाए। कमरे की खिड़कियों से उसे उमैर की गाड़ी नज़र आ गई थी इसलिए वह भागी भागी उसकी तलाश में डर डर कर पूरे घर को छान मार रही थी और तभी उसे एक कमरे से हदीद निकलता हुआ दिखाई दिया था। अज़ीन इतना ज़्यादा डर गई थी की भागते हुए अपने सामने सोनिया को नहीं देख पायी जो एक हाथ में कॉफ़ी का मग लिए और दूसरे हाथ में सेल फोन लिए उस में busy थी। अज़ीन से उसकी टक्कर की वजह से सोनिया की कॉफ़ी छलक पड़ी थी और उसकी व्हाइट टॉप पे जा बजा कॉफ़ी के दाग लग गए थे जबकि दूसरी तरफ़ अज़ीन फ़र्श पर गिर पड़ी थी।

अज़ीन की इस हरक़त की वजह से सोनिया को इतना गुस्सा आया की उसने बिना कुछ सोचे समझे उसे मारना शुरू कर दिया, और साथ ही साथ उसे खुब डान्ता भी। हदीद को कुछ समझ नहीं आया की जो हुआ वो क्यों हुआ मगर उसे सोनिया का अज़ीन को मारना बिल्कुल सही नहीं लगा था।

“सोनिया!.... “ वह अज़ीन को बेरहमी से मारे जा रही थी। उसका हाथ रुकता ही नहीं अगर वहाँ पर उमैर ना पहुंचता।

“दिमाग़ खराब हो गया है तुम्हारा? या फ़िर पढ़ लिख कर भी जाहिलियत नही गई है तुम्हारी।“ उमैर उस पर दहाड़ा था, सभी नौकर वहाँ पे इकट्ठा हो गए थे, सोनिया को अपनी insult फील हुई थी। देखते देखते वहाँ पे आसिफ़ा बेगम भी पहुंच गई थी।
अरीज उस वक़्त भी स्टोर रूम में थी जब सोनिया के ज़ोर से चिल्लाने की आवाज़ से भागी भागी वहाँ पहुंची थी।

उमैर ने रोती हुई अज़ीन को गोद में उठाया था, अरीज ने आते ही अज़ीन को उसकी गोद से ले लिया था। थोड़ी देर पहले गुस्से से उसकी आंखों में आँखे डालने वाला उमैर अभी अरीज से नज़रें चुरा रहा था। अपनी बहन की करनी उसे अरीज के सामने शर्मिंदा कर गई थी।

“मैं तुमसे कुछ भी एक्सपेक्ट् कर सकता था मगर एक बच्ची पर हाथ उठाना? ये तुमने कैसे कर लिया?...करना तो दूर कोई एक बच्ची पे हाथ कैसे उठा सकता है?....मैं तो ये सोच सोच कर हैरान होता था मगर मेरी ही अपनी बहन ने मुझे डेमो कर के दिखा दिया” उसने सोनिया को आड़े हाथो लिया था। सोनिया बस अपना गुस्सा पी कर रह जा रही थी, क्योंकि उमैर के पीछे खड़ी आसिफ़ा बेगम उसे चुप रहने का इशारा कर रही थी।

“तुम सब यहाँ पे क्या तमाशा देख रहे हो? ... जाओ यहाँ से... सब अपने अपने काम में लगो।“ आसिफ़ा बेगम को नौकरों का ख़्याल आते ही वहाँ से सब को डाँट कर भगा दिया।

“भाई उसने मेरी पूरी टॉप खराब कर दी.... व्हाइट कलर पे ये कॉफी के दाग नहीं जाने वाले है.... ये बच्ची भागी आ रही थी इसे देखना चाहिए था।“ सोनिया अपना गुस्सा ज़ब्त कर के धीमे लहजे में अपनी सफाई पेश कर रही थी वरना तो उसका दिल कर रहा था की अज़ीन को एक दो हाथ और लगाए इसलिए की उसकी वजह से उसे इतनी बातें सुननी पड़ रही है वह भी सब नौकारों के सामने।

“हाँ तुम्हारी टॉप खराब कर दी थी... तुम्हारा खून तो नहीं कर दिया था जो तुम ने ऐसा react किया।“ उमैर अभी भी उसे बख़्शने के मूड में बिल्कुल नहीं था। सोनिया से अब बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया था सो वह वही पे सब के सामने फूट फूट कर रोने बैठ गई। उमैर की इस बात पर आसिफ़ा बेगम से रहा नही गया बेटी के दर्द में वह तड़प कर बोली थी।

“अपनी बहन के लिए कैसी बातें कर रहे हो उमैर... वो भी एक पराई लड़की के लिए जिसकी बड़ी बहन ने तुम्हारा सुकून, चैन, घर सब कुछ छीन लिया है।“ उनकी बात पर अरीज ने अपनी नज़रें चुराई थी तो दूसरी तरफ़ उमैर ने आसिफ़ा बेगम की इस बात पर अरीज को देखा था फ़िर आसिफ़ा बेगम को। सोनिया भी अब अपना रोना भूल कर शॉक के आलम में बात को समझने की कोशिश कर रही थी। वह कभी अपनी माँ को देखती, कभी उमैर को तो कभी अरीज और अज़ीन को। वह कुछ कुछ समझ कर भी यकीन करने के दर पे नहीं थी... आखिर कौन थी वह दोनों बहने और उन्होंने ऐसा क्या किया था उसके बड़े भाई के साथ?

आसिफ़ा बेगम ने उसे फोन पर कुछ नहीं बताया था, वह उसका ट्रिप बर्बाद करना नहीं चाहती थी। उन्होंने पहले ये सोचा था की वह अरीज और अज़ीन को कुड़े कचड़े की तरह कुछ ही दिनों में घर से बाहर फेक देंगी मगर ज़मान खान की धमकियों ने उन्हे ये समझा दिया थी की ये काम इतना आसान नहीं है। इसमें कुछ वक़्त तो ज़रूर लगेगा। वह खुद तो टेंशन में थी ही लेकिन अपनी फूलों जैसी सोनिया को बिल्कुल भी टेंशन नहीं देना चाहती थी।

अपनी औलाद सबको प्यारी होती है... अगर यही प्यार आप दूसरों की औलादों को थोड़ा सा भी दे देंगे तो शायद दुनिया से बोहत सारे अनाथ और यतीम बच्चों को अपने अकेले होने का एहसास नहीं होगा।

क्या उमैर का अपनी बहन को डाँटना अरीज के नज़दीक उमैर के लिए उसके नफ़रत को कम कर देगी?

या अरीज अभी भी उस से नफ़रत में उलझती रहेगी?

बेटी सोनिया के insult का बदला आसिफ़ा बेगम अरीज से कैसे लेंगी?

जानने के लिए बने रहें मेरे साथ और पढ़ते रहें इश्क़ ए बिस्मिल