इश्क़ ए बिस्मिल - 30 Tasneem Kauser द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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इश्क़ ए बिस्मिल - 30

वह बे मकसद ड्राईव करते करते बोहत दूर निकल गया था। इतनी दूर की अब कच्ची पक्की सड़के ही मिल रही थी .... शहर बोहत पीछे रह गया था और वह बोहत आगे सिर्फ़ सड़कों के मुआम्ले में ही नहीं ज़िंदगी के मुआमले में भी। उसके सामने अब सिर्फ़ हरियाली थी, सब कुछ हरा भरा था, उसे सुकून की ज़रूरत थी, ताज़ी हवा की ज़रूरत थी, सो इनकी तलाश में वह भटकता हुआ यहाँ तक पहुंच गया था। एक नदी के किनारे उसने अपनी गाड़ी रोकी थी। वह गाड़ी से बाहर निकल कर बोन्नेट से टेक लगा कर खड़ा हो गया था, और ढलती शाम का सुकून अपने अंदर भर रहा था। एक गहरी सांस खीची थी, और ज़िंदगी का एहसास हुआ था।सूरज अपना रंग बिखेरता पूरे नदी को नारंगी कर गया था। परिंदो की चहचहाट उसके कानों को भी सुनून बख़्श रहे थे। सभी परिंदे थक कर अब अपने घर को जा रहे थे। दुनिया में सब का एक आसरा होता है, सब को भूक लगती है। इसकी फ़िक्र से कोई भी नहीं बच सका, दुनिया की हर मख़लूक़ ....क्या इंसान, ....क्या जानवर,...क्या परिंदे...क्या पेड़ पौदे....। इस दुनिया में सबकी फ़िक्र एक है...सबकी ज़रूरत एक है।

उमैर की गुलाबी रंगत ढलती सूरज के किरणों के कारण सुनेहरी हो गयी थी और उसकी आँखे सूरज का अक्स लिए एक आईना सा लग रहा था।

“क्या हो गया है तुम्हे यार? जब से मिले हो होठों पे जैसे ज़िप लगाया हुआ है।“ सनम का मूड ऑफ हो गया था। उसकी शिकवे पर भी उमैर ने उसकी तरफ़ देखा तक नहीं था। जब ही वह फ़िर से बोलने लगी थी।

“हम आज पंद्रह दिनों के बाद मिल रहे है, चार दिनों से हमारी अच्छी तरीके से बात तक नहीं हुई है। मुझे लगा था की हम कहीं बाहर dinner पर जायेंगे... ढेर सारी बातें करेंगे, मैं तुम्हें बताऊंगी बंगलौर में क्या क्या हुआ मेरे साथ... तुम मुझे बताते के मेरे बैगर तुमने कैसे दिन बिताई... मगर ये क्या तुमने तो जैसे मूंह पे ताला लगाया हुआ है।“ सनम के शिकवे जारी थे। इस बार उमैर ने उसे देखा था। ब्लू कलर की लो वेस्ट जीन्स पर उसने व्हाइट कलर की टॉप पहन रखी थी। पीठ पर फेले straight डाय किये हुए डार्क ब्राउन बालों में लाइट ब्राउन कलर की हाईलाइट की हुई थी जिसपर संग्लासेस टिके हुए थे। गंदुमी रंग के चेहरे पे हज़ेल ब्राउन रंग की आँखें थी। Fucshia पिंक कलर की लिपस्टिक उस पर काफी जचता था। लंबा, पतला बदन उसे अच्छी personality का दावेदार बनाती थी। नाक नक्शे बोहत खास नहीं थे फिर भी उसकी स्मार्टनेस और बोल्डनेस उसे खूबसूरत बनाती थी।

उमैर के होंठ खामोश थे लेकिन ज़हन में काफ़ी धकड़ पकड़ चल रही थी। उसके इस तरह देखने से सनम ने अपनी भवें चढ़ा कर उसे सवालिया नज़रों से देखा था। जब ही उमैर ने उस से पूछा था।

“क्या तुम रात में सुकून से सोती हो... आई मीन... बिना किसी डर के, बिना किसी फ़िक्र के।“ उमैर काफी संजीदा सा लग रहा था। उसकी बात पे सनम पहले तो हैरान हुई थी मगर फ़िर उसे जवाब दिया था।

“नहीं... मैं नहीं सोती...” उमैर को उसका जवाब थोड़ा सुकून दे गया था मगर अगले ही पल सनम ने फिर से आगे कहा था।

“पूरी रात तुम्हारे साथ बातें करती रहती हूँ, सो कहाँ पाती हूँ....तुम्हें तो पता ही है।“ उसके अगले ही जुमले ने उमैर को और बेचैन कर दिया था। वह उसकी डेली रूटीन जानता था फ़िर भी जाने क्यों पूछ बैठा था।

“मेरा मतलब है तुम अकेली रहती हो...तो डर नहीं लगता के कोई आ जायेगा... मेरा मतलब है..... “ उमैर बोहत कंफ्यूज़ हो गया था की उसे पूछना क्या है...और कैसे है....वह ये भी नहीं जानता था की आखिर वो ये सारे सवाल सनम से कर ही क्यूँ रहा है...मगर फिर भी जाने क्यों कर रहा था?

“मुझे क्यूँ डर लगेगा?....मुझे अकेले रहने की आदत है....और सब से important बात ये है की मेरे पास तुम जो हो....इसलिए मुझे कोई फ़िक्र नहीं है....। और दूसरी बात....अकेले रहना ये मेरी ख़ुद की चॉइस थी। मेरी मोम को कोई और मिल गया तो उन्होंने मेरे डैड को छोड़ दिया और जब मुझे तुम मिल गए तो मैंने उन्हें छोड़ दिया। मैंने तुम्हारी मोहब्बत में सब को छोड़ दिया मिस्टर उमैर खान। “ उसने एक अदा से कहा था और साथ ही उमैर के गले से लग गयी थी लेकिन उमैर ने उसे खुद से परे कर दिया था और कहा था।

“मैं चाहता हूँ के अब हम शादी कर लेते हैं।“ उमैर के मूँह से ये बात निकलने की देर थी के सनम खुशी के मारे उछल पड़ी थी और दोबारा से उसके सीने से लग गयी थी। उमैर ने इस दफा फ़िर से उसे खुद से परे किया था।

“मेरी पूरा बात तो सुन लो पहले।“ उमैर ने उसे खुद से अलग करते हुए कहा था।

“बातें तो होती रहेंगी मिस्टर उमैर खान मगर पहले मुझे ये बताओ के आपका तो चार पांच सालों तक शादी का कोई इरादा ही नहीं था फ़िर अचानक से ये ख्याल दिमाग मे आया कैसे?....और दूसरी बात के ये कौन सा तरीका है शादी के लिए propose करने का?.... ना कोई डाएमंद की रिंग, ना कोई फूलों का bouquet और ना ही कोई फाइव स्टार होटल....इतनी दूर ड्राइव कर के आये है तो atleast seaside पे लेकर मुझे जाते, कुछ अरेंजमेंट करवाते फ़िर मुझे propose करते। मगर तुम मुझे कहाँ लेकर आए हो? मुझे तो इस जगह का नाम तक नहीं पता है... मैं अपने बच्चों को क्या बताऊंगी के तुम्हारे बाप ने मुझे कहाँ propose किया था।“ वह ख्यालों में जाने कहां कहाँ पहुंच गयी थी...खुशी के मारे वह बेहाल हो रही थी और जो भी मूंह में आ रहा था बस बोले जा रही थी। उमैर काफ़ी परेशान था इसलिए वह उसकी इन बातों से पक रहा था।

“सनम कंट्रोल... कंट्रोल.... पहले मेरी पूरी बात तो सुन लो।“ उसने चिढ़ कर कहा था, और साथ में उसे शांत करने के लिए उसका हाथ भी पकड़ लिया था। उमैर का बिगड़ा हुआ मूड देख कर सनम चुप हो गयी थी और अब तावज्जोह से उसे सुन रही थी।

“तुमने मेरे लिए अपना सब कुछ छोड़ दिया है ना तो अब मैं तुम्हारे लिए पीछे अपना सब कुछ छोड़ देना चाहता हूँ।“ उमैर ने उसके दोनों बाज़ुओं को पकड़ कर कहा था। कुछ देर पहले वाली सनम की चहक और हंसी गायब हो गई थी। वह बस उमैर को चुप चाप देखती रह गयी थी।

“क्यूँ तुम्हारे घर वाले क्या राज़ी नहीं होंगे इस रिश्ते से?” सनम ने अपनी भवें चढ़ा कर उस से पूछा था। एक नाराज़गी का साया उसके चेहरे पर लहरा रहा था।

“हाँ ऐसा ही समझ लो।“ उसने एक लंबी सांस खिचते हुए कहा था।

“मगर क्यूँ?” उसने रानी सूरत बना कर उस से पूछा था। वह बस रोने ही वाली थी।

“बस! है कोई वजह।“ उमैर ने उस के सवाल को टाला था।

“यही वजह है ना की मैं पठान नहीं हूँ।“ सनम अब रो दी थी।

“हाँ ये भी एक वजह है।“ उमैर को अभी अभी एक और वजह मिल गई थी जो वह भूले बैठा था।

“कैसे लोग हैं तुम्हारे घर वाले? किस दुनिया में रहते है? किस ज़माने में जीते हैं?” सनम ने उसका हाथ अपने बाज़ुओं से हटा दिया था। वह अब अपना हाथ मूंह पे रख कर रो रही थी।

“तो क्या हो गया... वह मानते रहें उन्हें जो भी मानना है... मैं तो हूँ ना तुम्हारे साथ... तुम्हे किस बात की फ़िक्र है?” उमैर अब और ज़्यादा परेशान हो गया था। उसे बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था की सनम कुछ ऐसा react करेगी।

“सब कुछ छोड़ कर करोगे क्या?” उसने अपने चेहरे से हाथ हटा कर उमैर से पूछा था। सनम को फ़िक्र लगी थी। उसके सवाल पे उमैर का चेहरा पहले से कुछ और ज़्यादा बुझ सा गया था। उसने अपनी जीन्स की जेब में हाथ डाली थी और एक लंबी सांस हवा के सुपुर्द की थी फिर सनम से कहा था।

“तुम्हारी तरह किसी कंपनी में जॉब।“ उमैर ने अपना फ्यूचर सोच लिया था। मगर सनम ने ऐसा कुछ नहीं सोचा था वह उसे बेयकिनी से देख रही थी।


क्या चल रहा था सनम के दिमाग़ में?

क्या वह जान पाएगी उमैर का सच?

क्या उमैर उसे बता पाएगा इस अचानक से उस के साथ अपनी शादी का फैसला?

क्या इनका साथ यहीं तक रहेगा?

जानने के लिए बने रहे मेरे साथ और पढ़ते रहें