प्रकरण-45
नौकरी पाने की वजह से कहें, अपने पैरों पर खड़े हो जाने के कारण या फिर आर्थिक स्वतंत्रता पा जाने के कारण कहें...केतकी अब खुश रहने लगी थी। फिर भी उसने घर के कामकाज करना छोड़ा भी नहीं था, न ही कम किया था। सभी काम मां के ऊपर डालने से आखिर कैसे चलता? अब वह अपने गुजराती भाषा की किताबों के अलावा अन्य विषयों की भी किताबें लाकर घर पर देर रात तक पढ़ती रहती थी, उनमें से नोट्स बनाती और फिर उनका अध्ययन करती थी। पूरी निष्ठा और ईमानदारी से पढ़ाने और अपने विषयों के प्रति अद्यतन जानकारी रखने के कारण वह जल्दी ही विद्यार्थियों के बीच एक लोकप्रिय शिक्षिका बन गई।
इतिहास के शिक्षक पंद्रह दिनों के लिए छुट्टी पर गए, तब उनकी सारी कक्षाएं केतकी ने पूरी कीं। वह विषय उसने इतने आसान तरीके से विद्यार्थियों को पढ़ाया कि बच्चे उससे खुश हो गए। केतकी विद्यार्थियों के स्तर पर उतर कर, विषय को आसान करके पढ़ाती थी। हंसते-खेलते हुए पढ़ाती थी, इस लिए विद्यार्थियों को समझने में सहायता मिलती थी।
ट्रस्टी कीर्ति चंदाराणा के खास मित्र की बेटी अल्पा जोशी तो केतकी की तरफ देखती ही रह गई। इतिहास के शिक्षक ने तो कक्षा में एक तरह के भय का वातावरण बना कर रखा हुआ था। विद्यार्थी उनसे डरते थे। वह जैसे ही कक्षा में प्रवेश करते, बच्चों को जो थोड़ा बहुत आता भी था, वे भूल जाते थे। लेकिन अब केतकी के साथ घुल-मिल गए विद्यार्थी अगली कक्षा में पढ़ाए जाने वाले पाठ को घर से खुद ही पढ़ कर आने लगे थे। केतकी ने पहले ही दिन कक्षा में कह दिया था, “देखो, मैं शाला में नई हूं। मुझे इतिहास विषय पढ़ाने के लिए कहा गया है, यह विषय मेरा नहीं है। लेकिन तुम्हारे इतिहास के शिक्षक के वापस आने तक आप सब मेरी सहायता करें। मेरी मदद करनी होगी। करेंगे न?”
भला कौन से ऐसे शिक्षक हैं जो बिना नाराज हुए बात करते हैं, हाथ में स्केल लिए बिना पढ़ाते हैं और फिर हाथ भी जोड़ते हैं? विद्यार्थियों के लिए तो यह सुखद आश्चर्य ही था। इस झटके से बाहर निकलते ही कक्षा के मॉनिटर रमेश प्रजापति ने खड़े होकर कहा, “इन सभी की तरफ से मैं इस कक्षा का मॉनिटर आपको आश्वासन देता हूं कि आपको कभी कोई परेशानी नहीं होगी। हम सब आपके साथ हैं।”
केतकी हंस कर बोली, “थैंक यू रमेश भाई..अब मुझे बताइए कि इतिहास विषय में हमेशा सबसे अधिक नंबर किसको मिलते हैं?”
रमेश शरमा गया। एक लड़की ने बताया, “रमेश को ही...”
केतकी रमेश के पास गई।
“तो फिर रमेश भाई...आज आप हमें इतिहास पढ़ाइए...समझाइए...” हड़बड़ाए हुए रमेश को वह ब्लैकबोर्ड तक ले गई और फिर खुद रमेश की जगह पर आकर बैठ गई। रमेश को बड़ा अभिमान हुआ। उसको जोश आ गया और उसने सरदार वल्लभभाई पटेल का पाठ पढ़ाना शुरू किया। आखिर में विद्यार्थियों से प्रश्न भी पूछे। एक प्रश्न का उत्तर देने के लिए केतकी ने भी अपना हाथ उठाया था। रमेश ने उसे उत्तर देने के लिए कहा। केतकी ने अपनी होशियारी दिखाने के बजाय कम शब्दों में सही उत्तर दिया। तभी पीरियड समाप्त होने की घंटी बज गई तो रमेश अपनी जगह से हट गया। केतकी ने उठ कर उससे पूछा, “सर आज का होमवर्क...?” पूरी कक्षा देखती ही रह गई। रमेश जैसे-तैसे बोल पाया, “सरदार वल्लभभाई पटेल पर एक टिप्पणी लिख कर लाएं और अगला पाठ राजा राममोहन रॉय का है, उसे पढ़ कर आएं।”
उस दिन रिसेस में केतकी के पीरियड की ही चर्चा होती रही। अल्पा जोशी ने घर जाकर अपने पिताजी से यह बात बताई तो उन्होंने कीर्ति चंदाराणा को फोन मिलाया। “मेरी अल्पा को इतिहास विषय कठिन लगता है लेकिन आज उसने मेरे पीछे पड़ कर सरदार पटेल पर टिप्पणी लिखवा ली। कहते हैं कि किसी नई शिक्षिका के कारण ऐसा हुआ है। शिक्षा के क्षेत्र में तुम्हारे इस नए प्रयोग के लिए तुम्हें खूब बधाई कीर्ति। ”
चंदाराणा ने फोन अल्पा को देने के लिए कहा। अल्पा ने कक्षा में जो कुछ हुआ, वह बड़े उत्साह के साथ बताया। अल्पा की बातचीत में खुशी, उत्साह और केतकी के लिए आदर और प्रेम झलक रहा था। इसे देख कर चंदाराणा को अपना चुनाव सार्थक जान पड़ा। उसने फिर से एक बार ड्रॉवर खोल कर उसमें रखे हुए फोटो की ओर देखा।
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अगले दिन स्टाफ रूम में बड़ी खुसफुस चल रही थी। केतकी के पहुंचते ही सब चुप हो गए। केतकी ने खाली कुर्सी पकड़ी और उस पर बैठ कर किताब पढ़ना शुरू कर दिया। गणित के शिक्षक रमेश जोशी उठ कर उसके पास गए। “कॉन्ग्रेचुलशन्स, और उससे भी अधिक आपका आभार।” “थैंक यू सर, लेकिन मुझे बधाई देने और मेरा आभार मानने का कारण मुझे समझ में नहीं आया...”
“अरे, आप विद्यार्थियों में लोकप्रिय होने लगी हैं...”
“वो तो उनका प्रेम है। बच्चे तो मासूम होते हैं। मैं तो बस पौन घंटे में जितनी अच्छी तरह से संभव होता है, पढ़ाने की कोशिश करती हूं। ”
“लेकिन आप वह जिस तरह से करती हैं मैंने उसके लिए आपका आभार माना है। आप मानेंगी नहीं लेकिन यदि कोई शिक्षक अनुपस्थित हो तो उसकी जगह कक्षा में जाने के बाद क्या और कैसे पढ़ाया जाना चाहिए, इसका उदाहरण आपने प्रस्तुत किया है। होशियार विद्यार्थी को आगे करके खुद उसकी जगह पर बैठ जाना चाहिए। समस्या ही खत्म हो जाती है।” इतना सुनते ही सब हंसने लगे। “नहीं सर, ऐसी बात नहीं है...मैं लगभग सभी विषयों की किताबें पढ़ती रहती हूं। तैयारी भी करती रहती हूं। इतिहास का पीरियड भी मैं पढ़ा सकती थी लेकिन शायद उसका उतना अच्छा परिणाम नहीं मिल पाता। ”
सभी अनुभवी शिक्षक आंखें फाड़ कर देखने लगे। कैसे पढ़ाया जाए, अब यह भी कल की आई नई लड़की हमको सिखाएगी? उसका उत्तर सुन कर रमेश जोशी गुस्से से अपनी कुर्सी पर जाकर बैठ गए और केतकी फिर से इतिहास की किताब पढ़ने लगी। रिसेस के बाद उसे तुरंत इतिहास का पीरियड लेना था।
केतकी के कक्षा में पहुंचते ही सभी विद्यार्थ प्रेम और आदर से उठ कर खड़े हो गए, “नमस्ते मैडम...”
“नमस्ते, नमस्ते...सभी लोग बैठ जाओ। ” सब लोग जब बैठ गए तो केतकी ने कहा, “मैं जब स्कूल में थी तो रिसेस के बाद तुरंत पढाई करने का मेरा मन नहीं करता था। इस लिए हम लोग पांच मिनट के बाद पढ़ाई शुरू करें क्या?” सभी ने खुशी-खुशी हामी भर दी। सभी को ये विचार पसंद आया। “तब तक हम लोग अपने कल के होमवर्क की कॉपियां रमेश भाई के पास जमा करेंगे।” सभी विद्यार्थी अपनी-अपनी कॉपी रमेश भाई को देने लगे। सबसे आखिर में केतकी ने अपना कागज रखा। “ये मेरा होमवर्क। कल मैं छात्रा थी, तो होमवर्क करना मेरा कर्तव्य था, मेरा काम था। सच्चा और अच्छा विद्यार्थी अपना होमवर्क कभी भी टालता नहीं। क्योंकि होमवर्क से अपनी पढ़ाई की नींव मजबूत होती है। ठीक है न?” मुझे बड़े दिनों बाद होमवर्क करने का मौका रमेशभाई ने दिया। इसके लिए रमेशभाई का बहुत-बहुत आभार।”
इसके बाद केतकी ने राजा राममोहन रॉय का पाठ पढ़ाना शुरू किया। “जैसा कि कल रमेशभाई ने कहा था, मैं तो पाठ पढ़ कर आई हूं। तुम लोगों में से कितने लोग यह पाठ घर से पढ़ कर आए हैं?” करीब-करीब सभी विद्यार्थियों ने अपना हाथ ऊपर किया। रमेश के चेहरे पर केतकी ने चमक देखी। इसके बाद केतकी ने राजा राममोहन रॉय के कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने जो सामाजिक सुधार किए थे उसके बारे में बताया। घर से पढ़ कर आने के कारण बच्चों को इस बारे में काफी जानकारी मिल ही गई थी। फिर भी केतकी के पढ़ाने की शैली ऐसी थी कि सारे विद्यार्थी मंत्रमुग्ध होकर सुन रहे थे। पीरियड खत्म होने पर केतकी ने होमवर्क दिया, “तुम सबको राजा राममोहन रॉय के बारे में बहुत सारी जानकारी मिल गई है इस लिए उनके बारे में टिप्पणी लिखना कोई बड़ा काम नहीं है। इसकी जगह तुम उन्हीं के समान किसी अन्य समाज सुधारक की जानकारी कहीं से इकट्ठा करो। किसी से पूछो और उनके बारे में अपने शब्दों में दस पंक्तियां लिख कर लाओ। ठीक है न?” सभी ने हामी भरी। केतकी आगे बोली, “इसके पहले मुझे एक वचन दो कि रविवार की छुट्टी में खूब मौज-मस्ती करोगे। घर के लोगों और मित्रमंडली के साथ खूब धमाल करोगे। बगीचे में जाओगे या फिर नदी किनारे। तुमने किस तरह मौज-मस्ती की मुझे आकर बताना, लेकिन खबरदार जो किसी ने रविवार के दिन किताबों को हाथ भी लगाया तो....”
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जीवन में पहली बार शांति बहन रणछोड़ दास पर नाराज हुईं, “एक पढ़ी-लिखी लड़की के लिए तुम रिश्ता नहीं खोज पाए। तुम किसी काम के नहीं।” रणछोड़ दास चुप रह गया, लेकिन केतकी के कारण उसे नालायक कहा जा रहा है, इस बात से उसे बहुत गुस्सा आया।
अनुवादक: यामिनी रामपल्लीवार
© प्रफुल शाह