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हमें तुमसे हुआ हैं प्यार

तारा यार जल्दी कर ना पहले ही दिन ऑफिस लेट पहुँचोगी तो सर से डाट सुन्नी पड़ेगी l अनुराधा घड़ी देख कर बोली l अनु बस थोड़ी देर जरा भगवान जी से प्राथना कर लू l अनुराधा तारा से एक काम कर तू प्रार्थना कर भजन गा यें ऑफिस काम सब छोड़ यें तेरे बस की बात नहीं है l तारा यार अनु तो यें कैसी बात कर रही है चल हो गया मेरा l

चलिए दोस्तों कहानी के नये किरदारो से मिलवाते है l तारा वर्मा उम्र 27 साल देखने में सुन्दर ओर सुशील lएक मिडिल क्लास फैमिली में पाली बढ़ी लड़की तारा के पापा विजय वर्मा की मिडिकल की दुकान थी माँ नीलम वर्मा घर में सिलाई का काम करती थी साथ ही साथ कुछ लडकियो को सिलाई सिखाती थी बस इन्ही सब से उनका घर चलता था l इनकी दो बेटी एक बेटा था l जिसमे तारा सबसे बड़ी थी l तारा ने ग्रेजुशन एकाउंट्स से किया था ओर कम्प्यूटर सिख चुकी थी l वो किसी नौकरी की तलाश में थी l उसकी एक दोस्त अनुराधा थी जो मुंबई में जब करती थी उसने अपने ऑफिस में आये न्यू सेक्रेटरी की जब का ऑफर के लिये तारा को बताया था तारा ने हां करने से पहले अपने मम्मी पापा से पूछा पहले वो लोग तैयार नहीं थे फिर अनुराधा ने उनसे बात की साथ ही अपने मम्मी पापा को भी बात करवाया l तब जाके तारा के मम्मी पापा मान गये l तारा मुंबई चली आयी l यहाँ उसका इंटरव्यू हो चूका था वो सेलेक्ट हो चुकी थी l कल से उसे ऑफिस जाना था lअब आगे तारा ओर अनुराधा ऑफिस पहुचे l अनुराधा बच गये यार अभी सर नहीं पहुचे है वरना अच्छी खासी क्लास लग जाती l तारा हसके मेरे भोलेनाथ ने हमें बचा लिया l अनुराधा हां भगवान जी आपको बड़ा वाला थैंक्यू अनुराधा हाथ जोर के बोली l तभी ऑफिस में कुणाल श्रीवास्तव की एंट्री होती है l सब ऑफिस के स्टॉफ खरे होकर गुडमॉर्निंग सर बोलते है l कुणाल उन सब को गुडमॉर्निंग बोलकर अपने केबिन में चला गया l यें है मिस्टर कुणाल श्रीवास्तव उम्र तीस साल देखने हैंडसम l श्रीवास्तव कम्पनी के मालिक राधेश्याम श्रीवास्तव का बेटा अबीर श्रीवास्तव कम्पनी की बागडोर इनके हाथो में थी l राधेश्याम जी का परिवार - इनके दो बेटे मोहित श्रीवास्तव, अबीर श्रीवास्तव ओर बेटी आभा श्रीवास्तव पत्नी रेखा श्रीवास्तव l मोहित श्रीवास्तव एक डॉक्टर है इन्हे अपने पापा की कम्पनी से कोई मतलब नहीं है क्यूंकि यें डॉक्टर की ड्यूटी में बिजी इतने रहते है lअबीर श्रीवास्तव विदेश में बिज़नेस की पढ़ाई कर रहे थे पर अचानक अपने पापा की तबियत खराब होने की वजह से उन्हें आना परा l राधेश्याम जी ने अपने कम्पनी का काम उन्हें दे दिया तब से कुणाल श्रीवास्तव इस कामनी के मालिक है l अब आगे अनुराधा तारा से तू यही बैठ मुझे अबीर सर को कुछ फ़ाइल दिखानी है l मैं फ़ाइल दिखा के आती हुँ l अनुराधा अबीर को फ़ाइल दिखाती है l अबीर फ़ाइल ठीक है आप ले जा सकती है l अनुराधा जाने लगती है l अबीर एक मिनट अनुराधा रुक जाती है पीछे पलट कर जी सर l अबीर हमारी नयी सेक्रेटरी को भेज देना l ओके सर l अनुराधा तारा के पास आकर तुम्हे सर बुला रहे हैl

तारा मुझे.....

अनुराधा हां तुम्हे अब जाके देखो l

तारा अपनी घबराहट छुपाती हुई अपने बॉस के केबिन तरफ चली जाती हैं l
वहाँ पहुंचकर तारा बोली may i come in sir

अबीर you come इन

तारा अंदर आ जाती है जी सर आपने मुझे बुलाया?

अबीर मैंने तुम्हे नहीं अपनी न्यू सेक्रेटरी को बुलाया है वैसे तुम कौन हो?

तारा मैं ही हुँ नयी सेक्रेटरी

अबीर what?? तुम हो मेरी सेक्रेटरी तुम जैसी बेहनजी को किसने मेरा सेक्रेटरी बनाया है वो उसके कपडे को देखते हुए बोला l

तारा को गुस्सा आगया उसने अबीर से कहा आप किसी के कपड़ो से कैसे किसी को जज कर सकते है? हां मैं सूट पहनती हुँ ओर मुझे ऐसे कपडे पहना ही अच्छा लगता है l वैसे भी मुझे कपडे देख कर नहीं मेरी डिग्री देख कर रखा गया था l

अबीर को उसकी बातो से गुस्सा आगया वो बोला get out of here!!

तारा भी गुस्सा से वहा से निकल जाती है अनुराधा उसे गुस्से से आता हुआ देख कर बोली क्या हुआ?

तारा मैं घर जा रही हुँ मुझे ऐसे ऑफिस में काम नहीं करना जहा लोग डिग्री से जायदा कपड़ो को इम्पोर्टेन्ट देते है l यह बोल वो अपना बैग ले चली गयी l

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