राब्ता - भाग - 1 जॉन हेम्ब्रम द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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राब्ता - भाग - 1

"तो क्या हमें मिलना चाहिए?"
"क्यों नहीं जरूर।"
"कल सुबह 10 बजे उसी रेस्टोरेंट पर।"
"तय रहा।"
अगले दिन राजेश सुबह जल्दी उठ कर तैयार होकर रेस्टोरेंट पहुंच जाता है। उसके एक ऑनलाइन दोस्त से उसने मिलने का प्लान बनाया था।
राजेश तैयार होकर दस बजे रेस्टोरेंट पहुंच जाता है उसने सबसे लास्ट का टेबल चुना था ताकि उन्हें एक दूसरे को ढूंढने में ज्यादा परेशानी न हो।
वो जैसे ही रेस्टोरेंट के अंदर जाता है उसकी नजर सीधे वाले लास्ट टेबल पर जाती है वहां पहले से ही एक सुंदर नौजवान बैठा होता है। वो उसके पास जाता है और बैठ जाता है।
"राघव?" राजेश बैठते हुए पूछता है।
"हां और तुम राजेश।"
"हां!"
"बैठो तो।"
इतने में वेटर आ जाता है।
"आप क्या लेना पसंद करेंगे सर?" वो राघव की ओर देखकर पूछता है।
"कुछ भी को अच्छा हो!"
वेटर कुछ समझ नहीं पाता पर फिर भी चला जाता है।
"तो अब सब कैसा है?" राघव उससे पूछता है।
"सब,ठीक ही चल रहा है वैसे में दोबारा तुम्हारा धन्यवाद करना चाहूंगा अगर तुमने मेरी मदद ना की होती तो न जाने मैं क्या ही करता।"
"मुझे खुशी है मैं तुम्हारी मदत कर पाया।"
इतने में वेटर दोबारा आ जाता है
"माफ कीजिए पर मैं समझ नहीं पाया की आप क्या लेंगे तो मैं ये ले आया।"
"ये भी बढ़िया है।" राघव मुस्कुराते हुए जवाब देता है।
फिर दोनो बातें करते हुए खाना शुरू करते है।

कुछ महीनों पहले

राजेश का जन्म एक मिडिल क्लास परिवार में हुआ था। वो अपने माता पिता का इकलौता बच्चा था। हालाकि ये पूरी तरह से सच नहीं था। उसका एक बड़ा भाई भी था जो उसके बचपन में ही घर छोड़ कर चला गया था उस वक्त राजेश काफी छोटा था लेकिन उसके माता पिता ने उसे कभी अपने बड़े भाई के बारे में नहीं बताया उसके बड़े भाई के घर छोड़ने के बाद वो उनके लिए मर चुका था। सिर्फ किसी लड़की के लिए अपने परिवार को छोड़ देना उसे सही लगा होगा पर उसके माता पिता ने उसे कभी माफ नहीं किया। बचपन से राजेश को यही बताया गया की वह इकलौता बच्चा है।

अपनी पढ़ाई पूरी कर राजेश छोटी मोटी नौकरी करनें लगा ताकि उसके घर का खर्चा चल सके उसके माता पिता अब बूढ़े हो चुके थे और काम करने कि हालत में नहीं थे। इस वजह से घर की सारी जिम्मेदारियां उसपर आ गई लेकिन उसने खुशी खुशी सब संभाल लिया।
एक दिन जब वो रोज की तरह थक हार कर काम से वापस आया तो रात का खाना बनाने की उसकी बिलकुल ताकत नहीं थी उसने घर की बाई को खाना बनाने को कह दिया। जब रात के खाने का समय हुआ और सब खाने बैठे तो उसकी माँ ने उससे कहा — "बेटा अब हमारी उम्र हो चली है और बाई को देने के लिए पैसे भी कम पड़ रहे है तू दिन भर थक हार कर आता है और फिर बाकी काम भी तू ही संभालता है वो तो शुक्र है बाई घर के काम काज कर देती है, पर ऐसा कब तक चलेगा? तू शादी क्यों नहीं कर लेता?"
ये सुन राजेश के गले में खाना अटक जाता है और वो खांसने लगता है। उसकी माँ तुरंत उसे पानी पिलाती है।
"ठीक है शायद आप सही है।" वो अटपटे मन से कहता है।
"हमने पहले से ही तुम्हारे लिए एक लड़की ढूंढ रखी है।" उसकी माँ उससे कहती है।
"क्या?" वो आश्चर्य से उसकी मां की ओर देखता है।
"क्या हुआ कोई समस्या है?" उसकी मां उससे सवाल करती है।
"नहीं सब ठीक है,आपको जैसा ठीक लगे" और इतना कह वो दोबारा खाने लगता है।
पूरी रात इसी बारे में सोच उसे नींद नहीं आती वो तय करता है की अगले दिन वो अपने दोस्त विजय से मिलकर इस बारे में बात करेगा और वो एक रेस्टोरेंट में मिलते है।
"क्या बात हो गई,तुमने मुझे ऐसे क्यों बुलाया?" विजय उससे पूछता है।
"अब क्या बताऊं, बहुत बड़ी मुसीबत हो गई है।"
"हुआ क्या?" विजय जिज्ञासा से पूछता है।
"मेरी मां मेरी शादी कराना चाहती है और उन्होंने ने तो लड़की भी ढूंढ ली है।"
"तो इसमें समस्या क्या है?"
"क्या मतलब समस्या क्या है? यही तो समस्या है।"
"देख भाई वो तेरी भलाई के लिए ही कर रहे है।" विजय उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है।
"पर तू समझ नहीं रहा यार.."
"क्या नहीं समझ रहा मैं?"
"सुन.. देख पर मैं ये शादी नहीं कर सकता, मैं यूं ही किसी की जिंदगी बर्बाद नहीं कर सकता।"
"क्या मतलब है इसका? किसकी जिंदगी बर्बाद होगी इससे.. क्या चल रहा है तेरे मन में?" विजय कुछ परेशान सा हो जाता है।
राजेश एक लंबी सांस लेता है कुछ देर शांत होकर कहता है।
"मैं गै हूं।"
"क्या?....."
"हां और मैं ये शादी कर किसी लड़की की जिंदगी बर्बाद नहीं करना चाहता।"
"तू होश में तो है? पता भी है क्या कह रहा है?"
"मुझे पता है तुझे अजीब लगा होगा पर यही सच है।"
"बस बहुत हो गया!" ये कहकर विजय टेबल से उठता है और जाने लगता है। ये देख राजेश हैरान रह जाता है। पर कुछ नहीं कर पाता और उसे अपनी नजरों से ओझल होते हुए देखता रह जाता है।
शाम के वक्त राजेश विजय को कॉल करता है।
"हेलो!"
"तू अचानक वहां से चला क्यों गया?"
"तो क्या करता मैं? तू पागल हो गया है क्या कह रहा था वहां मुझसे?"
"जो सच है मैं वही कह रहा था।"
"अगर यही सच है तो दोबारा मुझे कभी कॉल मत करना।" इतना कहकर विजय फोन काट देता है। दोनो ही इस सच्चाई को स्वीकार नहीं कर पा रहे थे। विजय सदमे में था और राजेश भी राजेश समझ नहीं पा रहा था की ऐसे वक्त पर उसके सबसे अच्छे दोस्त ने उसका साथ कैसे छोड़ दिया। और अब वो क्या करेगा?

– क्रमशः