KAKA - THE CHARISMA OF A SUPERSTAR RAJESH KHANNA - 1 Manish Dixit द्वारा जीवनी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

KAKA - THE CHARISMA OF A SUPERSTAR RAJESH KHANNA - 1


CHAPTER I




मिट चुका है वजूद, फिर भी कुछ अरमान अभी है बाकी।
आप सबके दिलो में, मेरे लिए चाहत अभी है बाकी।
शोहरोतो के परवतो के शिखर पे भी नही संभाल पाया खुदको।
मर के भी जिंदा हूं, क्योंकि आप सबके दिलो में, मेरा fan अभी है बाकी।




इज्जते, शोहोरते, उल्फते, चाहते, सब कुछ इस दुनिया में रहता नही।
आज मैं हूं जहां, कल कोई और था।
ये भी एक दौर है, वो भी एक दौर था।

_राजेश खन्ना.






















प्रस्तावना।


"My story is a result of intensive study and research about the character and the phenomenon of Rajesh Khanna so that i can portray it through out."

राजेश खन्ना।

या कहे सुपरस्टार राजेश खन्ना। इस शक्सियत के कई नाम है।

लेकिन इस शक्सीयत के पीछे की जीती जागती सच्चाई बड़ी ही दिलचस्प, फिल्मी और उतार चढ़ाव वाली है।

कहते की दुनिया में वक्त से पहले और किस्मत से ज्यादा कभी किसीको न कुछ मिला है, और ना ही कभी किसी को कुछ मिलेगा। लेकिन हिंदी फिल्म इतिहास में एक ऐसा भी दौर आया था जब कमियाबी और वक्त इस शक्सियत की गुलाम बन चुकी थी। जिसे इस शक्सियत से जुड़े हर व्यक्ति ने करीब से देखा है। "राजेश खन्ना" ये नाम, केवल कमियाबी का दूसरा नाम ही नही बल्कि कामियाबी का एक प्रचंड सैलाब था, जिसके केवल छूने से भी कामियाबी कदम चूम लेती थी।









"Writing about such a big superstar is really apeared to be a challenging thing for me. Because the only material i have about this superstar was a well documented story in the form of novels. I have to collect jumbled and indistinct article and rope it in a single thread that to in a correct sequence presicely. And i seriously want to portray the character as if people could imagine him like a 3- hour- movie watching it on a big screen multiplex.
But my curiosity wins here."


"KAKA-THE CHARISMA OF A SUPERSTAR RAJESH KHANNA" ये मेरे नजरिए से लिखी गई एक ऐसी कहानी है, जो आपको राजेश खन्ना के जीवन से जुड़े हर पैलू से रूबरू कराएगी।


"It's a fictional story to portray the real character of super star Rajesh Khanna"





Actors verdict interview on superstar Rajesh Khanna:


"शादी में जैसे सितारे मिलाए जाते है, हम दोनो की जोड़ी के सितारे मिलते थे..."
_मुमताज़


"Nobody can compete with Rajesh Khanna; it is impossible. Rajesh Khanna wasn't there for his body or height but what a personality for just his face, smile and eyes......"
_Hrishikesh Mukherji

"An artist must always be judged by his best work.Rajesh Khanna too should be remembered for his better works and not for the string of bad choices."
_Satyajeet Ray




"KAKA-THE CHARISMA OF SUPERSTAR RAJESH KHANNA" ये कहानी sueprstar राजेश खन्ना के निजी जिंदगी के कुछ सच्ची घटनाओं पर आधारित एक बायोग्राफिकल लेख है। इस लेख में राजेश खन्ना जी के करियर से जुड़े कुछ सच्चे दिलचस्प और रोमांचक पहलुओं को इकट्ठा कर वाचकों के सामने संवादात्मक तरीके से प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया गया है। इस लेख के कुछ पात्र, घटनाएं,संवाद और प्रसंग राजेश खन्ना जी की वास्तविक व्यकतिमत्व को बयान करने हेतु काल्पनिक तरीके से रचे गए है। लेकिन इस कहानी कुछ पात्र, घटनाएं, संवाद और प्रसंग ऐसे भी है जो वास्तविकता में थे। इस कहानी के जरिए राजेश खन्ना जी के वास्तविक जीवन को ध्यान रखते हुए फिल्मी जगत के उस सुनहरे युग को वाचकों के सामने उजागर करने का प्रयत्न किया गया है।


नमस्कार🙏। मै इस कहानी का लेखक। आशा करता हु के मेरी ये कहानी आपको बोहोत पसंद आएगी।
मेरी ये कहानी आपको मनोरंजन के एक ऐसे सफर पे लेजाएगी जिस में कुछ मोड़ पे रोना आएगा, कुछ मोड़ पे हसी आएगी। लेकिन अंत में ये कहानी आपको जिंदगी के हर एक मोड़ पे एक नया सबक बताके जरूर जाएगी।

धन्यवाद🙏

Enjoy the story..
Happy Reading....


Start sound, Lights, camera, and

Action!!!!!!







साल २०२२।
Present Day।


सुबह के ६ बजे का अलार्म बजता है।

बैकग्राउंड में trending English music बज रहा है।

Ruby अपने बिस्तर से उठते हुए गहरी अंगड़ाई लेकर बाथरूम की तरफ बढ़ती है।


Mom: Ruby। बेटा जल्दी ब्रश करो, ब्रेकफास्ट टेबल पर लगाया है।

Ruby की मम्मी, नीचे डाइनिंग रूम से उसे बुलाती है।
Ruby के घर में उसके माता पिता और उसकी नानी रहती है।




Ruby। न्यू दिल्ली में रहने वाली आज के नए जनरेशन की होनहार, ambitious, १६ साल की college going लड़की है, जिसे रोमांटिक एक्शन फिल्में देखने और उनके ऊपर लिखी किताबें पढ़ने का बड़ा शौक है। वो future में फिल्म डायरेक्टर बनना चाहती है।

Mom: Ruby बेटा जल्दी आना।

Ruby: आई मम्मा।

Ruby दौड़ते हुए नीचे उतरकर झट से ब्रेड jam का एक स्लाइस मुंह में ठूंस कर कार की तरफ बढ़ती है।

Mom: अरे बेटा दूध तो पीती जा।

Ruby: नही mom college के लिए late होजाएगा। शाम को पीलूंगी। By मम्मा लव यूं।

Ruby दौड़ते हुए कार में बैठती है और ड्राइवर कार सीधा collage की और ले चलता है।


Mom: ये आजकल के बच्चे भी ना। खाना कम खाते है। फिर भी दिमाक तेज चलता है।


इधर कार में बैठ कर ruby मोबाइल में हीरोपंती 2 मूवी का एक्शन सीन बड़े ही मन लगाकर देख रही है।


Background में कार स्पीकर में सफर फिल्म का गीत जोर से बज रहा है।

"मधुबन की सुगंध है सांसों में, बाहों में कमल की कोमलता, किरणों का तेज है चेहरे पे, हिरणों की है तुझमें चंचलता"

Ruby को ये गाना irritate करने लगता है।

वो अपने मोबाइल में देख रहे movie से distract होने लगती है।


Ruby: ड्राइवर अंकल, ये क्या बोरिंग पुराने गाने लगाए हैं आपने। कोई इंग्लिश song play करो ना।

Driver: जैसी आपकी मर्जी दीदी।

ड्राइवर गाना change करता है। और एक ट्रेंडिंग इंग्लिश रोमांटिक song play करता है।

Driver: एक बात बोलू ruby दीदी?

आप कुछ भी कहो। लेकिन पुराने गानो में जो मजा है, वो आज कल के नए गानों में कहा।

Ruby: अच्छा। ड्राइवर अंकल, आप जरा जल्दी गाड़ी चलाएंगे? क्योंकि मुझे स्कूल के लिए लेट हो रहा है। Ruby driver की बात को इग्नोर करते हुए बोलती है।

तभी ruby की best friend Jenny का मेसेज आता है।

"Tiger(actor Tiger Shroff) is coming for shooting in next week"




दोनो खुशी से पागल होजाती है।


Ruby: पर तुम्हे कैसे पता jenny?


Jenny: Oh come on यार obviously।

मेरे पापा उसी film के crew member है।
तो मुझे तो पता चलना ही था।


Ruby: Jenny Jenny Jenny please please please Uncle से कहो ना की मुझे tiger से मिलवाए। मुझे tiger के साथ एक सेल्फी लेनी है।

Jenny: Ruby तू पागल है?

वहा कितनी भीड़ होगी। और मैं बोलूंगी तो भी मेरे dad बोहोत खडूस है। वो नहीं मानेंगे।


Ruby: यार ऐसा मौका फिर कब मिलेगा पता नही।

यार jenny कुछ दीमाक लगा ना।

मुझे कुछ भी करके tiger से मिलना है।

यार कितना handsome है वो।

उसके साथ ली हुई selfie मैं अगर Facebook insta पे डालूंगी तो likes और comments की तो बौछार होजाएगी मुझपे। Everyone will get jelous on me।

Jenny: ओहो। मेरी प्यारी ruby darling। इतने बड़े सपने देखना बंद कर।

चल अब लेक्चर शुरू होने वाला है।



दूसरे दिन श्याम को।

Ruby TV पे tiger Shroff की बाघी फिल्म का "girl i need you" गाना देखते हुए उसी गाने में खो जाती है। उसे आस पास क्या चल रहा है उसका कुछ ध्यान नहीं रेहता।


तभी पीछे बैठी उसकी नानी रेडियो on करती है।

रेडियो on करते ही "हाथी मेरे साथी" फिल्म का ये गाना शुरू हो जाता है।

" चल चल चल मेरे साथी, ओ मेरे हाथी, चल लेचल खटारा खींच के। चल यार धक्का मार, बंद है मोटर कार"


Ruby को घुस्सा आता है। वो गुस्से से अपने सिर पे तकिया लपेट लेती है और घुसे से बोलती है। उफ्फ मुझे चैन से कोई Tiger को देखने भी नही देता।


Ruby अपने कमरे में लेटे हुए Tiger को कैसे मिले इस बारे में सोचने लगती है।


तभी ruby के दिमाग में एक plan आता है।

और वो झट से उठ खड़े होकर दीवार पर लगे tiger Shroff के बड़े पोस्टर की तरफ देखते हुए बोलती है।

Tiger, मैं तुम्हे जल्द ही मिलूंगी।


दूसरे दिन कॉलेज कैंपस से।


Ruby: Jenny मैने tiger से मिलने का एक धांसू प्लान बनाया है।

सुनो।

कल सुबह ठीक ८ बजे हम miranda house के लिए निकलेंगे।

वहा z security के साथ लोगो की भी पूरी भीड़ रहेगी।

तुम्हे बस सिक्युरिटी गार्ड का ध्यान बटाना है।

उसी वक्त मैं पीछे के दरवाजे से कॉलेज के अंदर घुस जाऊंगी।

मैं कॉलेज में ऊपर चढ़ते हुए सिधा टावर तक पोहोच जाऊंगी।

वहासे एक रस्सी के सहारे नीचे उतरते हुए सीधा सेट पे छलांग लगाऊंगी।

और फिर एक बार सेट पे पहुंच गई, तो फिर tiger तक पहुंचने में कितना टाइम लगता है। At least उसका autograph लेने का और एक सेल्फी खींचने का भी टाइम मिल जाए तो बोहोत है।

Jenny: वाह!! क्या ढासू idea है ruby।

चल इसी बात पे pizza पार्टी दे मुझे।


उसी दिन श्याम को घर से।


नानी: Ruby बेटा मुझे मेरे मोबाइल से यूट्यूब लगा देना जरा।

मुझे ये ओपन नहीं करते अरहा।

Ruby: सिंपल है नानी।

Ruby नानी के मोबाइल से यूट्यूब play करती है।

तभी उस में "Roti" film का एक वीडियो song शुरू होता है " गोरे रंग पे ना इतना गुमान कर, गोरा रंग दो दिन में ढल जाएगा"

Ruby: क्या नानी आप भी ये क्या पुराने गाने सुनती रहती हो।

नानी: अरे Ruby बेटा, हमारा दौर ही अलग था। उस दौर के actors, किरदार और गाने सदाबहार थे। वो आज भी देखने में बड़े अच्छे लगते है।

Ruby: ऐसा कुछ नही है नानी। वो आपके दौर के थे इसलिए आपको अच्छे लगते है। और कुछ नही।

Ruby की ये बात सुनकर नानी चुप होज़ाती है।


दूसरे दिन सुबह की पहली किरन ruby के balcony पे पड़ते ही ruby झट से उठती है। आखिर वो दिन आही गया जिसका उसे बेसब्री से इंतजार था। आज Ruby बोहोत ही खुश है। क्योंकि उसे आज टाइगर से मिलने का सपना पूरा होने वाला है।

Ruby पूरी तरह से रेडी होकर ड्राइवर को कॉल करती है।

Ruby: ड्राइवर मुझे कॉलेज तक छोड़ दो।

Driver: पर दीदी आज तो कॉलेज को छुट्टी है ना।

Ruby: मुझे कॉलेज में नोट्स बनाने जाना है भैय्या। मेरे कुछ फ्रेंड्स भी आने वाले है।

Driver: अच्छा मैडम अभी आता हूं।

Ruby आज भी बिना ब्रेकफास्ट करे निकल जाती है।

Mom: अरे ruby बेटा आज तो छुट्टी है ना।

Ruby: अरे Mummy notes बनाने जाना है।

जल्दी ही आउंगी।

चलो ड्राइवर।

गाड़ी ruby के हंसराज कॉलेज की तरफ निकल पड़ती है।

कॉलेज तक पहुंचते ही वहा उसे wait करते हुए jenny दिखती है।


Ruby: चलो चलो जल्दी चलो।

दोनो बाइक पे miranda collage की तरफ निकल पड़ते है।

Jenny तुम्हे पता है ना क्या करना है।


Jenny: हा ruby, तुम टेंशन ना लो। मैं सब संभाल लूंगी।


याहा तक सब plan के मुताबिक ही चल रहा था।


दोनो एकदम सही वक्त पे miranda collage पहुंचते है।

वहा उन्हें दिखता है वही नजारा। जैसा उन्होंने सोचा था।

Z security और हजारों लोगों की भीड़।

उसी भीड़ में कही था ruby के सपनो का शहजादा tiger Shroff। जो उस वक्त शूटिंग में busy था।

अब ruby का tiger से मिलने का सब्र खत्म हो रहा था।

चलो jenny plan B शुरु करो जल्दी।

Jenny अपने पॉकेट से ढेर सारे crackers निकालती है।

के तभी जोर से बारिश शुरू होती है।

वहा shooting देखने रुकी सभी भीड़ वापस जाने लगती है।

शूटिंग साइट से आवाज आता है।

पैकअप।


Ruby: Ohh shit।


Tiger car में बैठ कर वहा से निकल जाता है।


Ruby: Jeny चलो बैठो जल्दी।

हम tiger की कार का पीछा करते है।

दोनो फुल स्पीड में उस कार की तरफ भरी बारिश में निकल पड़ते है।

तभी jenny को उसके daddy का फोन आता है।

Jenny: Dad का call? ओह shit।

शायद daddy ने हमें देख लिया।

Jenny call उठाती है।

Jenny: हा dad?

Dad: Jenny तुम कहा हो।

जेनी: मैं घर पे हूं dad।

Dad: मुझसे झूठ मत बोलो।

मैंने तुम्हे शूटिंग sight पे देख लिया है।

घर जाओ चुप चाप।

जेनी: Yes dad।

चलो ruby। अभी कुछ नही हो सकता।

आज का दिन ही खराब है।

दोनो निराश हो कर वापस अपने कॉलेज की तरफ लौट आती है।

Bye Ruby।

Better luck next time।

पता नही कभी next time आएगा भी या नहीं।


Ruby निराश होते हुए कॉलेज से थोड़ा आगे पैदल चल पड़ती है।

तभी बारिश थोड़ी और तेज होने लगती है।

बारिश तेज होने की वजह से Ruby पास की एक बड़ी सी library के नीचे रुक जाती है।

तभी बारिश और तेज होने लगती है। बिजलियां कड़कने लगती है।

ज्यादा बारिश होने की वजह से Ruby लाइब्रेरी के अंदर घुसती है।

Library का owner store room में गया है।

Library की light भी बारिश की वजह से बंद हो चुकी है।

Ruby अपना गीला फोन रूमाल से पोछने लगती है और अपने ड्राइवर को कॉल करती है। लेकिन poor network की वजह से driver तक ruby की आवाज साफ नहीं पहुंचती।


तभी अचानक पीछे के शेल्फ से एक किताब नीचे गिरने की आवाज आती है।

Ruby देखती है की उस किताब पर लिखा है "KAKA-THE CHARISMA OF A SUPERSTAR RAJESH KHANNA"

बीन मतलब की किताब समझकर ruby वो किताब वापस शेल्फ में रख देती है।

बारिश से बुरी तरह भीगी हुई बेचैन ruby वापस अपने driver को फोन लगाती है।

लेकिन फिरसे वही poor network की वजह से। Driver से ठीक से बात नहीं हो पाती।

अब ruby driver को whatsaap से live location भेजती है। और नीचे लिखती है। Please pick me up।

तभी फिर से पीछे के शेल्फ से कुछ गिरने की आवाज आती है।

Ruby जा कर देखती है की वही same किताब फिर से नीचे गिरती है।

अब ruby को थोड़ा अजीब लगने लगता है। वो किताब को और गौर से देखने लगती है।

बादल और घने होने लगते है। बिजलियां और जोर से कड़कने लगती है। घने बादलों की वजह से थोड़ा थोड़ा अंधेरा छाने लगता है। उस किताब को गौर से देखते हुए ruby की नजर किताब के मुखपृष्ठ पर छपे राजेश खन्ना के चेहरे पर पड़ती है। बिजलियों की कड़कड़ाहट से पैदा हुई रोशनी राजेश खन्ना के उस खिलखिलाते चेहरे को और स्पष्ट करने लगती है। Ruby उस किताब को और गौर से देखने लगती है।

तभी कार का हॉर्न बजता है।

Ruby घबराकर हड़बड़ा जाती है।

तभी उसे दिखता है बाहर ड्राइवर उसका wait कर रहा है।

Ruby वो किताब को एक गहरी नज़र से देखते हुए वापस शेल्फ में रख देती है और कार में बैठ कर घर की तरफ चली जाती है।



बारिश से बुरी तरह भीगी हुई ruby घर पे आती है।

वो Library में दोबार गिरी उस किताब के बारे में सोचने लगती है।

तभी

Tv पे मेरे जीवन साथी फिल्म का गाना शुरू होजाता है।

"दीवाना लेके आया है, दिल का तराना,देखो कही यारो, ठुकरा न देना मेरा नज़राना। दीवाना लेके......."


Ruby झट से TV बंद कर देती है।


अब ruby चुप चाप अपने कमरे में जाती है।


mom: Ruby बेटा lunch ready है। आजाओ?


नही mumny भूख नही है।


Ruby अपने बेड पे दो मिनट लेट ती है और फिर सो जाती है।


नींद में ruby को एक अजीबोगरीब सपना दिखता है।


साल १९७२


Ruby को सपने में ऐसा भ्रम होता है की वो Bombay के आशीर्वाद bunglow के टेरेस पे खड़ी है।


नीचे से उसे हज्जारो लोगो का शोर अस्पष्ट तरीके से सुनाई पड़ता है।
थोड़ा पास जाकर उसे दिखता है Bunglow के नीचे हज्जारों लोगो की भीड़ उमड़ पड़ी है।
एक तरफ Bunglow के सामने बड़ी से बड़ी गाड़ियां line लगाकर खड़ी है।


दूसरी तरफ हजारों लोग bunglow के टेरेस की तरफ आंख लगाए किसी का बेसब्री से इंतजार कर रहे है।

उस समय ऐसा लग रहा था मानो पूरे बॉम्बे शहर में कोई बड़ा उत्सव चल रहा हो।

लोगों का शोर, उत्साह और उत्सुकता चरम पे थी मानो उनके सामने उनका भगवान आने वाला हो।

तभी बड़े ही stylish अंदाज में, अपने चेहरे पे सुंदर सी हसीन मुस्कुराहट लेकर सुपरस्टार राजेश खन्ना उनके सामने आते है।
राजेश खन्ना आते ही Ruby के कानो में उनके मशहूर डायलॉग्स की प्रतिध्वनि धीमे आवाज में गूंजने लगती है।

"बाबू मोशाय, जिंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी नही"

लोग पागलों जैसे चिल्लाने लगते है।

"किसी बड़ी खुशी के इंतजार में हम ये छोटी-छोटी खुशियों के मौके खो देते हैं"।


"पुष्पा मुझसे ये आसूं नहीं देखे जाते, i hate tears"

"जिंदगी और मौत ऊपरवाले के हाथ में है जहापाना। उसे ना आप बदल सकते है ना मैं। हम सब तो रंगमंच की कटपुतलिया है, जिनकी डोर ऊपरवाले के उंगलियों में बंधी है। कब कौन कैसे उठेगा, ये कोई नही बता सकता"

"जिसे दोस्त का हाथ थाम ले और मां का आशीर्वाद मिल जाए, वो जिंदगी की हर मंजिल तय कर सकता है।

"मै मरने से पहले मरना नहीं चाहता"

"इस दुनिया में दो टांग वाला जानवर सबसे खतरनाक है"

"जिंदगी का कोई भी रास्ता एकदम सीधा तो नही होता है।
कही न कही मोड़ तो जरूर आता है"।


राजेश खन्ना अपने सब fans की तरफ हाथ दिखाकर मुखातिब होने लगते है।

ये देख कर सारे fans में उत्साह और बढ़ने लगता है।




"ये तो मैं ही जानता हूं कि जिंदगी के आखिरी मोड़ पर कितना अंधेरा है"।

राजेश खन्ना जी के ऐसे कई सुप्रसिद्ध dialuagues और कुछ लोकप्रिय गाने Ruby के कानों में एक साथ पागलपन की तरह बड़ी तेज़ी से गूंजने लगते है l

तभी अचानक ruby को दिखता है की bunglow के सामने की सारी भीड़ पूरी तरह से गायब होगई है। Bunglow के सामने एक भी आदमी खड़ा नही है। पूरा इलाका सुनसान सा होगया है। और इधर, ruby के सामने आशीर्वाद bunglow के balcony में खड़े ३० साल के राजेश खन्ना अचानक ६८ साल के बन जाते है। उनका चहरा उतरा हुआ है। आंखे बीमार और कमजोर दिख रही हैं। चेहरे पर और पूरे शरीर पर झुरियो के अलावा और कुछ बचा ही नहीं है। उनका शरीर पूरा सिकुड़ गया है। बोलने और कुछ करने की शक्ति बची ही नहीं है। ऐसा लग रहा था मानो वो जिंदगी के आखरी पल में है। उन्हे कुछ तकलीफ हो रही हो। लेकिन उनकी तकलीफ सुनने वाला कोई नही है। फिर भी वो Ruby की तरफ देख कर बड़े ही अदाईकी के साथ गर्दन झुकाकर मुस्कुराकर कहते है।

"बाबू मोशाय!!! मेरे Fans मुझसे कोई छीन नही सकता"।

"आनंद मरा नहीं । आनंद मरते नहीं"

तभी Ruby घबराकर झट से बेड पर से उठती है।

वो सोचती है।

ये मुझे क्या हो रहा है? कौन है ये राजेश खन्ना? लोग उनके पीछे इतने दीवाने क्यों है? साल १९७२ में ऐसा क्या हुआ था के बॉम्बे में इतनी भीड़ उमड़ पड़ी? और एक पल में सब भीड़ गायब कैसे होगई। और अचानक ३० साल के राजेश खन्ना ६८ साल के कैसे होगए? उनके life में ऐसा क्या हुआ था जो उनका इतना बुरा हाल हुआ।

इन सारे सवालों ने Ruby को परेशान कर दिया था।
राजेश खन्ना के बारे में जानने की उसकी उत्सुकता बढ़ने लगी।

अब ruby को इन सारे सवालों के जवाब जानने थे। और उसे पता था की ये जवाब कहा मिलेंगे।



उसी दिन श्याम को।


Ruby अपनी गाड़ी निकालती है और सिद्धा उस लाइब्रेरी की तरफ निकल पड़ती है।



Ruby library का दरवाजा धिरेसे खोलती है।

Owner: आईए मैडम। कौनसी किताब चाहिए आपको।

उस library का owner बोलता है।

Ruby उसकी बात को अनसुना करते हुए उसी शेल्फ की तरफ जाती है जहा उसने वो किताब रखी थी जिसपर लिखा था KAKA_THE CHARISMA OF A SUPERSTAR RAJESH KHANNA.

Ruby को वो किताब दिखती है।

Ruby उस किताब की तरफ डरे सहमे हुए देखती है।

और उस किताब को धीरे से अपने हाथ में पकड़ती है।

फिर ruby एक मिनट के लिए अपनी आंखे बंद करके वो किताब हाथ में लेके दौड़ते दौड़ते सीधा library owner के पास आती है। उसे उस किताब की कीमत देकर वो किताब खरीद लेती है और सिद्धा घर की तरफ निकल पड़ती है।


Ruby अब अपने बेडरूम में बैठ कर अपने सामने वो किताब रखती है।


और एक मिनिट उसे देखने के बाद बड़ी हिम्मत जुटाकर उस किताब को खोलती है।

उस किताब के खोलते ही Ruby मानो किताब को पढ़ते पढ़ते उसके अंदर चली जाती है।

















----------------------------------------------------------
KAKA_THE CHARISMA OF A SUPERSTAR RAJESH KHANNA
----------------------------------------------------------

CHAPTER I

सन १९५२।

भारत स्वतंत्र होने के कुछ सालों में ही bombay शहर तरक्की के शिखर पर था। नए कारोबार, औद्योकीकरण और बडी बडी परियोजनाएं, आप्रवासियों को बॉम्बे की तरफ आकर्षित करने लगी। धीरे धीरे बॉम्बे शहर metropolitian city में तपदिल होने लगा। माचिस के डिब्बी के आकार की पहली गगन चुम्बी इमारत south bombay के मालाबार हिल लगत के रिहाईशी इलाकों के शान में शामिल थी। कुछ ही सालों में बॉम्बे शहर एक नई वित्तीय राजधानी के रूप में प्रस्थापित हुआ और धीरे धीरे सारे देश से आप्रवासियो की तादाद बॉम्बे की तरफ और बढ़ने लगी और गिरगांव शहर आप्रवासियों का केंद्र बनने लगा। उन दिनों फिल्म इंडस्ट्री भी तरक्की के कगार पर थी। कुछ बाहरी और सरकारी कोषाध्यक्ष फिल्म इंडस्ट्री को आर्थिक पहलुओ से मजबूत बनाने के नए दरवाजे खोलने लगे। उन दिनों बॉम्बे सिनेमा अपने सुनहरे युग से गुजर रहा था। अशोक कुमार, राज कपूर, दिलीप कुमार, गुरुदत्, बिमल रॉय, बी आर चोपड़ा, चेतन आनंद, विजय आनंद और देवानंद जैसे बड़े बड़े नामों ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपना प्रभुत्व प्रस्थापित कर लिया था।

और इधर आसमान को ताड़े खड़ा १० साल का एक नौजवान लड़का, हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के इन्ही सुनहरे पन्नो में अपना एक अलग इतिहास लिखने वाला था। जिससे हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की तकदीर बदलने वाली थी।





सरस्वती सदन
ठाकुरद्वार नाका
गिरगांव, मुंबई


खुले आसमान में बादलों को चीरकर ऊंचाई में aeroplane जा रहा है।

एक १० साल का तेजस्वी नौजवान लड़का अपने दोनो हाथों का गोलाकार बनाकर अपने आंखों पर रख कर गौर से उस aeroplane की तरफ देखते हुए मन ही मन में कुछ सोच रहा है।

" एक दिन मैं इसी aeroplane की तरह ऊंचाई के शिखर तक पहुंचूंगा"

तभी नीचे से उसका बेस्ट स्कूल फ्रेंड रवि( present actor jitendra) आवाज देता है।

काका!!

नीचे आ ना।

Ice cream खाने चलेंगे।

दोनो cycle पर बैठ कर चीरा बाजार से होते हुए royal opera house के सामने से जा रहे है।

वहा उसे दिखते है दिलीप कुमार की फिल्म "दाग" का बड़ा पोस्टर, फिल्म "आन" का पोस्टर और गीता बाली और भरत भूषण की फिल्म "आनंद मठ" का पोस्टर।

Cycle के पीछे जतिन उस पोस्टर्स को बड़े ही कुतुहलता से देखते हुए है कुछ गुनगुना रहा है।


जतिन: यार रवि।मुझे एक बात बता।

तुझे cycle किसने दिलाई?

रवि: मतलब?

जतिन: मतलब तुमने खुद से मांगी या तुम्हारे पिताजी ने खरीद के दी।

रवि: नही।

मेरे पिताजी ने खरीद के दी।

जतिन: कमाल है।

बड़ा नसीब वाला है तू।

रवि: उसमे क्या।

तुझे भी चाहिए तो तू भी मांग सकता है अपने पिताजी को।

जतिन: हा यार।

ये भी बात सही है तेरी।


रॉयल ओपेरा हाउस से।


जतिन और रवि फिल्म "दाग" देखते हुए बैठे है। बड़े से
ब्लैक एंड व्हाइट परदे पर तलत मेहमूद के हल्के थरथराते धीमें आवाज में गाना चल रहा है। "ए मेरे दिल कही और चल, गम की दुनिया से दिल भर गया, ढूंढ ले अब कही घर नया" । फिल्म में दिलीप कुमार ये गाना गाते हुए दिख रहे है।

जतिन की जिज्ञासु स्वप्निल आंखे उस दृश्य को बड़ी ही कुतुहलता से देख रही है।


घर लौटते ही।


जतिन: चाईजी?(जतिन की मां)

जतिन जोर से अपनी मां को आवाज लगा रहा है।



चाईजी: जतिन बेटा कहा गए थे तुम।

जतिन:चाईजी जल्दी से खाना लगाओ मुझे भूख लगी है।

चाईजी: तू जल्दी से मूह हाथ धोले।
मैं तुम्हारे लिए खाना लगाती हु।


जतिन: चाईजी मैं फिल्म देखने गया था।

दाग फिल्म। अच्छी पिक्चर थी चाईजी।

जतिन खाना खाते हुए बड़े ही लगन से चाईजी को दाग movie की स्टोरी बताता है।


अब बात करते करते जतिन चाईजी को बोलता है।

जतिन: चाईजी मुझे नई cycle चाहिए। मिलेगी?

चाईजी: अरे बेटा तू पिताजी से बात कर ना।

जतिन:ठीक है चाईजी मैं कर लूंगा बात।

अब चलता हु।

चाईजी: कहा जा रहे हो?

जतिन: दोस्तो के साथ खेलने।

चाईजी: ठीक है लेकिन जल्दी आना।


अगले दिन।

जतिन दुसरे ही दिन बड़े ही उत्साह से नई cycle मांगने के लिए पिताजी से मिलने उनके ऑफिस जाता है।


जतिन: पिताजी कहा है?

Manager: वो meeting में busy है बेटा, दूसरे रूम में है।

आप यही रुकिये, मै उन्हे meeting होने के बाद बता दूंगा।


Manager के वहा से जाते ही जतिन अपने पिताजी के ऑफिस केबिन में इधर उधर देखते हुए टहलने लगता है।

केबिन में उसे एक बड़े से टेबल के पीछे एक आराम कुर्सी दिखती है। अपने पिताजी की कुर्सी समझकर जतिन बड़े ही उत्साह से उस कुर्सी पर आरामसे बैठने लगता है। जतिन उस कुर्सी को इस तरह छूता है और बैठता है, मानो वो उस कुर्सी का मालिक हो। और बिल्कुल अपने पिताजी की तरह मालिक बनकर सब पर हुकुम छोड़ने का नाटक करता है।

तभी वहा उसके uncle K.K TALWAR आते है।


K.k. talwar: काका!!!

ये क्या कर रहे हो तुम???

जतिन को chair पर बैठा देख uncle उसपे घुस्सा करते है।

तुम इस चेयर पर क्यों बैठे हों?


आइंदा से किसी और के खुर्सी पर बैठने से पहले ये सोच लेना की तुम उस खुर्सी के लायक हो या नहीं!!!

Talwar uncle बड़े ही घुस्से से जतिन को डांटते है।

तलवार अंकल की ये डांट जतिन को बर्दाश्त नहीं होती। वो रोने लगता है।

उसे उसकी गलती का एहसास नहीं हो रहा था।

जतिन को बचपन से ही किसी भी बात के लिए ना शब्द सुनने की आदत नही थी। उसे जल्दी ही किसी भी बात का बुरा लगता था। बचपन से ही वो हट्टी, जिद्दी और घुसैल था।

वो रोते रोते पिताजी से मिले बिना ही तुरंत वापस घर जाता है।


घर पहुंचते ही घुसैल जतिन तुरंत मां से एक सवाल पूछता है।


चाइजी!! मै अपने ही पिताजी के खुर्सी पे क्यों नही बैठ सकता???


चाईजी, जतिन के पास बैठ कर उसे समझाती है.



जतिन के असली माता पिता नंदलाल खन्ना और चंद्रानी खन्ना थे। चुनीलाल खन्ना और लीलावती खन्ना (चाईजी) ने उन्हें पाल पोस कर बड़ा किया था। जतिन का जन्म लाहौर में हुआ। इंडिया पाकिस्तान विभाजन के दौरान पूरी खन्ना फैमिली लाहौर से अमृतसर में विस्थापित हो गई थी। जतिन के पिताजी के बड़े भाई, याने चुनीलाल खन्ना अपना खुदका बिजनेस संभालने से पहले ठाकुरद्वार चॉल में supervisior का काम करते थे। कुछ साल बाद वो railway contractor बने और फिर कुछ सालो में उन्होंने खुद का business शुरू किया। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए चुनीलाल खन्ना को बोहोत मेहनत करनी पड़ी । तब जाकर चुन्नीलाल उस chair पर बैठने के काबिल बने।

चाईजी: मेहनत और लगन से काम करने से ही आदमी को उसकी असली कीमत मिलती है। मेहनत करने से ही आदमी अपने मुकाम तक पहुंच सकता है।

चाईजी: "परिश्रम ही योग्य प्रतिफल पाने का मार्ग भी है और अधिकार भी".

चाईजी के येही अल्फाज जतिन के जिंदगी का पहला सबक बने।

इस हादसे के बाद जतिन(राजेश खन्ना) कभी भी किसी दूसरे के chair पे नही बैठे।


कुछ दिनों बाद।


जतिन अपने स्कूल से घर लौटते हुए।


अचानक उसे दिखता है उसके सामने चाईजी और चुन्नीलाल उस जमाने की latest model की साइकिल लेके खड़े है।


उस cycle को देख कर जतिन की आंखें चमक उठती है।
जतिन कुछ ज्यादा ही खुश था क्युकी उसे यकीन नही होरहा था की जिस चीज के लिए उसने इतनी बार अपने पिताजी की तरफ मिन्नते की वो चीज आज अचानक उसके सामने खडी मिलेगी।

लेकिन उसे इस बात का यकीन था की उसके पिताजी उससे इतना तो प्यार करते ही है की उसे जो चाहिए वो चीज उसे कभी न कभी दिलवाही देंगे।

वो दौड़कर cycle की तरफ झपट पड़ता है। Cycle को आशार्यचकित नजरों से देख कर वो बोहोत खुश होता है।



एक दिन जतिन अपने घर के कंपाउंड में नई cycle की सवारी का आनंद ले रहा था।

Cycle पर मानो उसकी बहुत अच्छी पकड़ बैठ चुकी थी।

उसने cycle और तेज चलाना शुरू किया। वो अब cycle को बड़े ही कुशलता और आत्मविश्वास से चला रहा था।cycle नई होने की वजह से वो भी उसका अच्छा प्रतिसाद दे रही थी। लेकिन कुछ ही क्षणों में साइकिल चलाते चलाते उसका संतुलन बिगड़ गया और वो साइकिल से गिर पड़ा।

अचानक वो बहुत ही तीव्रता से साइकिल से गिर पड़ा। उसे संभलने को थोड़ा वक्त लगा। वो थोड़ा घबरा गया। ये हादसा इतनी तीव्र गति से हुआ के कुछ देर के लिए उसे क्या हुआ कुछ पता नही चला।

हड़बड़ी में उसने अपने शरीर के जख्मों को टटोला।
उसके घुटनों पे उसे जख्म के निशान दिखे।

जैसे ही उसने घुटनों से खून निकलते देखा, वो घबराकर जोर से रो पड़ा।
वो चाहता था की कोई उसकी रोने की आवाज सुनकर उसे मदत करने आए।

तभी उसी बिल्डिंग के सीढियों से नीचे दौड़ते हुए एक १६ साल की सुंदर लड़की हाथ में antiseptic bottle और cotton swab लेते हुए जतिन के पास आती है।

ये लड़की जतिन के बिल्डिंग में ही रहने वाली उसकी पड़ोसी थी जिसका नाम सुरेखा था।


खून का बहना न रुकता हुआ देख सुरेखा तुरंत अपनी पुरानी सारी का टुकड़ा फाड़ कर उसके घुटनों को मरहम पट्टी करने लगी। उस समय दोनो मानो थोड़े करीब आने लगे।

जतिन की आंखे सुरेखा की मनमोहक भूरी आंखो पर जमी हुई थी। और सुरेखा की आधी पलके झुकी हुई आंखे जतिन के जख्म की मरहम पट्टी करने में व्यस्त थी।

तभी अचानक सुरेखा के होठ जतिन के होठों को बड़े ही नरमी से छूने लगे।


जतिन के लिए वक्त मानो उसी क्षण में थम सा गया। उसे ऐसा एहसास हो रहा था मानो सारी दुनिया उसी क्षण में लिपट के थम सी गई है।


इसी क्षण से जतिन के जिंदगी में पहले प्यार की नादान सी सुंदर कहानी शुरू होने जा रही थी।

शाम को जब वो घर लौटा तो अपनी नजरे सबसे चुराते हुए सीधा छत पे जा बैठा। वहा अकेले में बैठकर वो अपनी आंखे बंद करके सुरेखा के साथ हुए उस हसीन पल की फिर से कल्पना करने लगा। उसकी बड़ी सी भूरी आंखे उसे देख हमेशा मुस्कुराया करती थी और प्यार के कुछ अनोखे हसीन लम्हों का एहसास दिलाया करती।

धीरे धीरे दोनो में नजदीकिया बढ़ने लगी। मुलाकाते बढ़ने लगी। वो दोनो अब अच्छे दोस्त बन गए थे। दोनो साथ में हसने खेलने लगे


और ऐसे ही एक दिन।

जतिन: सुरेखा तुम्हे पता है आज क्लास में बहुत मजा आया।

वो रवि है ना रवि ,अरे मेरा दोस्त!!
उसने आज पता है मास्टरजी के कान की मशीन ही तोड़ दी।

हमारे मास्टरजी की दो मिनिट के लिए आंख लग गई थी। तो उसने चुपकेसे मास्टरजी के कान से मशीन निकाली और फिर कान में चोटीसी लकड़ी चुभाकर वहां से भाग गया। मास्टरजी जोर से चिल्लाके उठ खड़े होगये। और जब नीचे बैठे तो खुर्सी पे रखी मशीन ही टूट गई!!!

दोनो जोर जोर से हंसने लगे।


जतिन को अपने दिल की छोटी से छोटी बातें भी सुरेखा के साथ बांटना बोहोत अछा लगता था। वो अपने दोस्तो के सारे किस्से उसे बताता था।

रोज स्कूल से घर लौटते ही bag पटक कर वो सीधा सुरेखा से मिलने जाता था।

धीरे धीरे जतिन के मन में सुरेखा के लिया प्यार का खुमार सिर चढ़ के बोलने लगा।

और ऐसे ही एक दिन।

स्कूल के बाहर जतिन के आने का इंतजार करते हुए सुरेखा खड़ी थी।
तभी जतिन अपने हाथो में फूलों का गुलदस्ता छुपाकर एक गुलाब का फूल अचानक सुरेखा को देता है।

सुरेखा आज उसकी परीक्षा लेने वाली थी।

वो बोली।

सुरेखा: वाह बोहोत खूबसूरत है! लेकिन मुझे तो चमेली का फूल पसंद है गुलाब का नही।

तब जतिन चुपके से चमेली का फूल निकाल के उसे देता है।

सुरेखा:(थोड़ी अचंभित होकर) अरे !! उफ!! मैंने गलती से कह दिया वो तो मेरी मां को पसंद है। मुझे तो सिर्फ कमल का फूल ही पसंद है।

तभी जतिन चुपके से कमल का फूल निकाल ता है।

अब सुरेखा वो फूल देख कर हैरान रहजाती है।

जतिन: मुझे पता था तुम मेरी परीक्षा ले रही हो। लेकिन मैं भी कुछ कम नहीं हु।
मै तुम्हारे प्यार को जीतना चाहता था। इसीलिए मैंने सभी प्रकार के फूल लाए थे।

ये लो। सिर्फ तुम्हारे लिए।

जतिन घुटनों के बल झुक कर सुरेखा के सामने हाथ आगे कर के उसे सारे फूल देता है।

सुरेखा मुस्कुराकर शर्माने लगती है।

उसने सच में सुरेखा का दिल जीत लिया था।

तभी वहा जतिन का दोस्त रमेश (रमेश भाटलेकर) आता है।

रमेश: (जतिन की तरफ देख कर) वाह! काका वाह!

क्या style है तुम्हारा!!! भाई मान गए तुमको।

नमस्ते भाबि!

सुरेखा शर्माने लगती है।

अरे काका तुम्हे पता है theatre में फिल्म लगी है "इंसानियत" देखने चले?

जतिन: चलो।

Theatre से।

तलत मेहमूद और लता मंगेशकर की मधुर आवाज में देव आनंद और बिना रॉय पर फिल्माया गया ये प्यारा सा गाना शुरू होता है "आई झूमती बहार, लाई दिल का करार देखो प्यार होगया देखो प्यार होगया"

इधर जतिन और सुरेखा एक दूसरे की आंखों में आंखे डालें निशब्द और स्तब्ध हो जाते है। ऐसा लग रहा था मानो इन दोनो के लिए ही ये गाना चल रहा हो।

कुछ साल ऐसे ही बीते।

जतिन का सुरेखा से रोज मिलना जारी था। वो बहुत खुश था।

एक दिन,

हमेशा की तरह जतिन अपना स्कूल बैग घर पे पटक कर सीधा सुरेखा के घर गया। उसने देखा वहा ताला लगा हुआ है।

वो पड़ोस में बैठी एक औरत से पूछता है।

जतिन: यहां ताला क्यों लगा है? कहा गए सब लोग?

औरत: सब लोग गांव गए है बेटा। आज सुरेखा की शादी है ना!!!!
उसके माता पिता चाहते थे की उसकी शादी उनके गांव में ही होनी चाहिए।

ये सुनकर जतिन एक मिनिट के लिए मानो सदमे में चला गया। उसकी आंखों से आंसू निकल आए। उस वक्त उसके लिए वो बात अनपेक्षित थी। वो तैयार नहीं था।

जतिन की सुरेखा से वो आखरी मुलाकात रही। उस दिन बात जतिन ने सुरेखा को कभी bombay आते हुए नही देखा।
सुरेखा से बिछड़ना जतिन के लिए बहुत दुखदाई रहा। जतिन के मन में सुरेखा के लिए प्यार भुलाना आसान नहीं था।
वो अंदर से टूट चुका था। उसकी बातें सुनने के लिए उसके पास अब कोई अपना सा नही था।

कुछ दिन ऐसे ही बीते।

जतिन सुरेखा की याद में घंटो टेरेस पे बैठा रहता। आसमान से गुजरने वाले aeroplane देखता रहता।

ऐसेहि एक दिन जतिन अपने मां बाप के साथ एक theatre Play देखने गया।

उस theeatre play के सारे किरदार जतिन को बेहद पसंद आए। उस theatre play और उसमे देखे किरदार से प्रभावित होकर जतिन, दूसरे ही दिन अपने सारे दोस्तो को लेकर अपने घर के टेरेस पे गया। theatre play के मुताबिक उसने सभी दोस्तो को एक एक किरदार सौपना शुरू किया। Theatre play अच्छा रंगने लगा। अब उसने सारे दोस्तो के किरदार बदल दिए। धीरे धीरे उसका theatre play रोमांचक बनने लगा।

वो टेरेस ही जतिन के जिंदगी का पहला stage बना। जतिन को रंगेबीरंगी , अपने चेहरे को पेंट करना, लंबे चौड़े डायलॉग्स बोलना बोहोत पसंद था। लेकिन इन सब में उसे theatre play देखना सबसे ज्यादा पसंद था। वो कभी भी कोई theatre play देखने का मौका छोड़ता नही था।

जब भी वो टेरेस पे परफॉर्म करता था, उसके सारे दोस्त तालिया बजाकर उसकी प्रशंसा करते। वो देख, जतिन बोहोत खुश होता। हालाकि ये सब अभी बोहोत छोटे पैमाने पे था लेकिन जतिन के लिए इस के मायने बोहोत थे। जतिन को पहले से ही अतिप्रशंसा पसंद थी। शायद तभी से उसे बड़े बड़े स्टार्स की तरह अपने प्रशंसकों से घिरे रहना पसंद था। और सुरेखा के साथ दिल टूटने के बाद ये सब चीजें उसके जख्मों पे मरहम जैसा काम कर रही थी।

१९५० का दशक खत्म होने तक बॉम्बे शहर में परिवर्तन आने लगा। १६ का जतिंदर चुनीलाल खन्ना अब कॉलेज की आगे की पढ़ाई के लिए अपने पिताजी के कहने पे बॉम्बे से पुणे रवान हुआ।

Fergusson collage
Pune

Watchman: कहा जाना है?

जतिन: अंदर जाना है। BA course के लिए admission लेना है।

Watchman: admissions full होगयी हैं। अगले साल आना।

जतिन निराश होकर वहा से जाने लगता है।

तभी ,
उसका दोस्त रमेश भाटलेकर अचानक वहा मिलता है

रमेश: अरे काका तू यहां?

ओहो!! क्या बात है!! बड़ा handsome दिखने लगा तू तो!!

जतिन: अरे रमेश!!! तू यहा कैसे??

रमेश: अरे बड़ी लंबी कहानी है, फिर कभी बताऊंगा। लेकिन तू यहा कैसे?

जतिन: पिताजी ने भेजा है मुझे यहा BA पढ़ने के लिए। यहां एडमिशन के लिए आया था! देखता हु तो क्या एडमिशन फुल!!!

रमेश: तू रहता किधर है यहां?

जतिन: अभी अभी तो स्टेशन से सीधा यही आया हु। अभी तक सोचा नहीं।

रमेश: तो फिर चल मेरे घर रहने !!

जतिन: लेकिन??

रमेश: कोई लेकिन वेकिन नहीं! तू मेरे घर रहेगा मतलब मेरे घर रहेगा। और रही बात कॉलेज की, तो तू वाडिया कॉलेज में admission कर ले मैं भी वही पढ़ता हूं। दोनो साथ मिलके जाएंगे। वहा मिलजाएगी तुझे admission।

रमेश जतिन को अपने घर लेजाता है। रमेश पुणे के आप्टे रोड, डेक्कन जिमखाना एरिया में अपने माता पिता के साथ रहता था।

एक दिन,

घर पे लेटे हुए, जतिन रेडियो पे आकाशवाणी लगाता है। उसपे राज कपूर की फिल्म "श्री ४२०" का ये गाना शुरू है "दिल का हाल सुने दिलवाला, छोटी सी बात ना मिर्च मसाला, कहके रहेगा कहने वाला दिल का हाल सुने दिल वाला"।

तभी वहा रमेश आता है।

रमेश: अरे काका!! तुम अब भी सुरेखा की यादों में खोए हुए हो? भूल जाओ उसे!!

जतिन: अरे नही र!! मै तो अपनी तमन्नाओं के बारे में सोच रहा था।
रमेश: कौनसी तमन्ना?

जतिन उठ कर अपने दोनो हाथ रमेश के कंधो पे रख कर बड़े ही गभीरता से उसे बोलता है।

जतिन: रमेश यार मुझे actor बनना है!! मैंने अपनी एक फोटो राज कपूर साहब को भेजी है । शायद वो मुझे अपने किसी फिल्म में साइन कर ले!!

जतिन के इस बात पे रमेश जोर जोर से हंसने लगता है?

रमेश: काका यार मजाक करने की भी कोई हद होती है। तुम्हारे जैसे कई लडको ने ऐसे कई फोटो इनको भेजे होंगे।
तो क्या वो सबको actor बनाएंगे? रमेश हसने लगा।

जतिन: अरे रमेश!! मेरा मजाक मत उड़ाओ। मै सच कह रहा हूं। मुझे actor बनना है मतलब बनना है। और मैं एक दिन एक्टर बनके दिखाऊंगा।

जतिन की ये बात सुन कर रमेश भावुक हो जाता है।

रमेश: मैं तेरे साथ हू जतिन। मुझे लगता है की तू एक दिन जरूर एक्टर बनेगा।

दो साल ऐसे ही बीते ,

पढ़ाई के मामले में जतिन एवरेज स्टूडेंट था। पढ़ाई से ज्यादा theatre play करना, ड्रामा में रोल करना उसकी प्राथमिकता थी।

दो साल पुणे में निकालने के बात जतिन कॉलेज के आखरी साल में वापस बॉम्बे आया। साल १९६१ में उसने बॉम्बे के KC collage में BA की पढ़ाई जारी रखी। बोहोतसे मायनो में जतिन के लिए ये घर वापसी थी।

जतिन अब आजाद पंछी था। उसके अरमानों को ऊंची उड़ान भरने का इंतजार था। अब वो ज्यादातर वक्त collage में, theatres में, और beaches पे बिताने लगा।

लेकिन family business join करने की उसके पिताजी की अपेक्षा की वजह से उसका actor बनने का ख्वाब अभी भी अंधेरे में ही था।


और आखिर एक दिन सच्चाई और अपेक्षाओं के बीच का परदा गिर ही गया।

जतिन (रोज की तरह कॉलेज के लिए घर से निकलते हुए)

चुनीलाल खन्ना: कही जा रहे हो?

जतिन:( अपनी पिताजी की अनुमति लेते हुए नीचे सर झुकाकर) जी ।

चुनीलाल खन्ना: ये अच्छी बात है की तुम अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीना चाहते हो। बहार घूमना चाहते हो, छुट्टियां मनाना चाहते हो। लेकिन कभी अपने भविष्य के बारे में भी सोचा है? आशा करता हु के मौजमस्ती से भरी तुम्हारी इस जिंदगी के साथ साथ तुम अपने करियर के बारे में भी सीरियस रहोगे। आखिर तुम्हे कभी न कभी तो काम करना शुरू करना ही पड़ेगा ना!!

जतिन: (गर्दन नीचे झुकाकर सहमति देते हुए वहा से चुप चाप कॉलेज के लिए निकल जाता है)

जतिन के पिताजी ने अपनी सूक्ष्म बातो के जरिए, जतिन को उनका बिजनेस जल्द ही join करने की बात पे मोहर लगा ही दी थी।

लेकिन इस नौजवान लड़के के मन में कुछ और ही बात चल रही थी। उसे अपनी मंजिल तो पता थी, लेकिन राह मिल नही रही थी। ऐक्टर बनने के उसके सपने को साकार करने की राह ढूंढ निकालनेका सही वक्त अब आचुका था।

लेकिन शुरुआत कहा से करे? किस्से मिले? इन सवालों के जवाब उसके पास नही थे।



उसी समय।

ALL INDIA RADIO
STUDIO
BOMBAY


अमीन सयानी की भारी आवाज में "बिनाका गीतमाला" प्रोग्राम शुरू है

"आह हाsss!!! आपका जाना पहचाना संगीत गूंजा!

और ss देखिए जाग उठी, मधुर मशहूर फिल्म संगीत के बचपन और जवानी की यादें "

रेडियो के बैकग्राउंड में फिल्म "पतिता" (१९५३) का ये गाना शुरू है "याद किया दिल ने कहा हो तुम, झूमती बहार है जहां हो तुम"

तभी, एक ६ फीट दो इंच लंबे कद के नौजवान लड़के के कदम हल्के हल्के स्टूडियो की तरफ बढ़ रहे है।

अमीन सयानी: अरे भाई! तुमसे कितनी बार कहा गया है की तुम्हारी आवाज़, जरूरत से ज्यादा भारी है। तुम select नही हो सकते।

वो नौजवान लड़का निराश होकर भारी कदमों से वापस लौटते हुए।

वो थे "The living legend "अमिताभ बच्चन"।


Kaka - The CHARISMA OF A SUPERSTAR RAJESH KHANNA
chapter I

................................समाप्त................................


यहां तक पढ़ने के बाद Ruby के मन में आगे की कहानी जानने की उत्सुकता बढ़ने लगी।

वो तुरंत अपनी बाइक पे सवार होकर उसी library में जा कर chapter II के तलाश में सारी लाइब्रेरी ढूंढने लगी।

बोहोत सारी किताबे ख़ोज कर जांचने के बाद आखिर कार उसे एक शेल्फ के आखरी कोने में किताब मिलती है।जिसपे लिखा होता है।


Kaka - THE CHARISMA OF A SUPERSTAR RAJESH KHANNA
chapter II

coming soon...