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दो पल क लिए मिलना, और प्यार हो जाना

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क्या है ये दो पल का प्यार ??

क्या हो सकता है किसी को दो पल में किसी से प्यार? नहीं जानते? चलिए हम बताते हैं आपको...

फिर आप खुद ही अंदाज़ लगा लीजिएगा कि किसी को दो पल के मुलाकत में प्यार होता है या नहीं।

ये प्रेम कहानी बिहार मे बसी एक छोटा सा गांव महरैल की है...जितनी प्यारी ये गाँव है..उतनी ही प्यारे यहाँ के रहने वाले लोग है ।

यहाँ के लोग अपने जरूरत की समान लाने, गाँव से थोड़ा दूर बसी एक बाजार जाते है।

एक दिन महरैल गाँव के एक लड़का जिसका नाम अभिषेक है ।

वो भी रोज जाता था। एक समय आया की वो रोज सज-धज के उस बाजार जाने लगा...

अब आप पूछोगे....सज धज के क्यों जाने लगा वो ???

तो बात ये थी कि एक दिन जब वो बाजार से गुजर रहा था तो उसे एक लड़की दिखी...

अभिषेक उस लड़की से अपनी नजर हटा ही नही रहे थे....और फिर जब कुछ देर तक

नजर नहीं हटाए तो सामने से लड़की की भी नजर पड़ी उस लड़के पे...फिर क्या....दोनों एक दूसरे को देखते रहे...अब ये दो पल की

यू इस तरह देखा-देखि मैं ही शहजादे को प्यार हो गया....फिर क्या उस दिन के बाद रोज अभिषेक बाजार सज-धज के जाने लगे...और फिर वो इधर उधर

देखे जा रहा था..तभी दूसरी और से एक लड़की गुजर रही थी ..और उस लड़के क चेहरे पे मुस्कुराहट बया कर दी कि अभिषेक का दिल

इन्ही का इंतज़ार कर रहा था...वो लड़की अपने मम्मी के साथ आती थी..हाथ मे थेली थी..जिसे देख के लग रहा था कि वो भी सामान लेने आयी

है...वो लड़का उसे बस देखे जा रहा था..कुछ देर में वो चले जाती है।

ऐसे ही वो रोज बाजार आती और लड़का उस के आने से पहले

वहा आ जाता..और जब तक लड़की बाजार मे रहती वो उसे ही देखते रहता बस..

और फिर उस के जाने के बाद वो भी चला जाता....वो रोज कोशिश करता बात

करने की लेकिन वो जैसे ही बात करने जाता कि वो चल देती थी या सामने कोई आ जाता था।

वो दो पल का वक़्त मैं वो लड़का बस कोशिश

करता कि कैसे वो अपने दिल की बात उस लड़की से कहे...फिर एक दिन किस्मत ने भी उसका साथ दे दिया और एक दिन वो अकेली ही बाजार आयी बस

फिर क्या वो लड़का उस लड़की के पास गया..और उसका का करिश्मा देखो..दोनों एक साथ बोल पड़े कि...मुझे कुछ कहना है

क्या पल था वो...फिर क्या...लड़का डर गया..उसे लगा कहीं इसे बुरा न लग गया हो की मैं इसे रोज यहाँ देखता रहता हूँ या कोई और

बात..वो डर के उस लड़की के तरफ देखा..और धीमी आवाज में उसे कहा ..बोलो क्या हुआ....लड़की फिर कहती है तुम बोलो कि क्या कहना है ?

लड़का डर रहा था कुछ कहने से अब और उसने पहले उसे ही कह दिया की तुम बोलो पहले

फिर अचानक से दोनों एक ही साथ अपनी-अपनी दिल की बाते बोल दी...लड़का सुनते ही अपना होश ही खो दिया

क्योंकि उसे कभी लगा ही नही था की...लड़की भी उससे प्यार करती है।

कुदरत का खेल तो देखो...लड़की भी रोज इसीलिए आती थी कि..वो रोज उस लड़के को देख सके...प्यार दोनों मैं पहले दिन के एक पल से ही

हो गया था। लेकिन एक दूसरे को बताने का मौका नहीं मिल रहा था।

फिर क्या....रोज यही आने लगे एक दूसरे से मिलने लगे।

कुछ समय बाद दोनों ने अपने-अपने घर में बात की और दोनों ने शादी कर ली.....

और इस तरह से वो दोनों हमेशा के लिए साथ हो गए और ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगे।

इससे ये पता चलता है कि प्यार करने में साल या महीना नहीं लग जाता है प्यार तो वो खुसी है, वो एहसास है, वो विश्वास है जो एक पल में और बस एक नजर में ही किसी को किसी से हो जाता है।

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पत्नी ने पति से कहा, "कितनी देर तक समाचार पत्र पढ़ते रहोगे ?

यहाँ आओ और अपनी प्यारी बेटी को खाना खिलाओ"

पति ने समाचार पत्र एक तरफ़ फेका और बेटी की ध्यान दिया,बेटी की आंखों में आँसू थे और सामने खाने की प्लेट... ।

बेटी एक अच्छी लड़की है और अपनी उम्र के बच्चों से ज्यादा समझदार ।

पति ने खाने की प्लेट को हाथ में लिया और बेटी से बोला,"बेटी खाना क्यों नहीं खा रही हो?

आओ बेटी मैं खिलाऊँ."

बेटी जिसे खाना नहीं भा रहा था, सुबक सुबक कर रोने लगी और कहने लगी,"मैं पूरा खाना खा लूँगी पर एक वादा करना पड़ेगा आपको." ।

"वादा", पति ने बेटी को समझाते हुआ कहा, "इस प्रकार कोई महँगी चीज खरीदने के लिए जिद नहीं करते." ।

"नहीं पापा, मैं कोई महँगी चीज के लिए जिद नहीं कर रही हूँ." फिर बेटी ने धीरे धीरे खाना खाते हुये कहा,

"मैं अपने सभी बाल कटवाना चाहती हूँ." ।

पति और पत्नी दोनों अचंभित रह गए और बेटी को बहुत समझाया कि लड़कियों के लिए सिर के सारे बाल कटवा कर गंजा होना अच्छा नहीं लगता है ।

पर बेटी ने जवाब दिया, "पापा आपके कहने पर मैंने सड़ा खाना, जो कि मुझे अच्छा नहीं लग रहा था, खा लिया और अब

वादा पूरा करने की आपकी बारी है." ।

अंततः बेटी की जिद के आगे पति पत्नी को उसकी बात माननी ही पड़ी ।

अगले दिन पति बेटी को स्कूल छोड़ने गया ।

बेटी गंजी बहुत ही अजीब लग रही थे. स्कूल में एक महिला ने पति से कहा, "आपकी बेटी ने एक बहुत ही बड़ा काम किया है ।

मेरा बेटा कैंसर से पीड़ित है और इलाजमें उसके सारे बाल खत्म हो गए हैं ।

वह् इस हालत में स्कूल नहीं आना चाहता था क्योंकि स्कूल में लड़के उसे चिढ़ाते हैं. पर आपकी बेटी ने कहा कि वह् भी गंजी होकर स्कूल आयेगी और वह् आ गई ।

इस कारण देखिये मेरा बेटा भी स्कूल आ गया ।

आप धन्य हैं कि आपके ऐसी बेटी है " ।

पति को यह सब सुनकर रोना आ गया और उसने मन ही मन सोचा कि आज बेटी ने सीखा दिया कि प्यार क्या होता है ।

इस पृथ्वी पर खुशहाल वह नहीं हैं जो अपनी शर्तों पर जीते हैं बल्कि खुशहाल वे हैं

जो, जिन्हें वे प्यार करते हैं, उनके लिए बदल जाते है !

प्यार के लिए जो ख़ुशी से खुद को बदल दे वो ही सच्चा प्यार होता है।
अगर खुद को बदलना एक मजबूरी लगे तो वो प्यार नहीं एक समझौता है।

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ये कहानी है उस लड़के और लड़की की जो अपने प्यार के सहारे अपनी सारी खुशियाँ एक साथ बाँट रहे और उन्हे दुगना कर रहे और अपने गम बांटकर उन्हे कम कर रहे।

इस कहानी में अनिरुद्ध नाम का लड़का है और प्रिया नाम की एक लड़की है अनिरुद्ध बड़ा ही सीधा-साधा लड़का है ।

अनिरुद्ध के लिए उसका परिवार ही सब कुछ है। अनिरुद्ध अपने परिवार के लिए कुछ भी कर सकता है । इसलिए वह दिन रात मेहनत करता है और दिन-रात मन लगाकर पढ़ाई करता है साथ ही साथ कुछ काम करता है जिसे कुछ पैसे कमा सके। अनिरुद्ध दिन-रात इसलिए मेहनत करता है ताकि वह पढ़ लिखकर कुछ कर सके बड़ा आदमी बन सके और अपने परिवार का नाम रोशन करें अनिरुद्ध की यही ख्वाहिश थी की अपने मां-बाप को वह खुशी दे सके जिसके वह हकदार है।

अनिरुद्ध इंजीनियरिंग करता है साथ ही साथ वह पार्ट टाइम जॉब भी करता है। अनिरुद्ध चाहता है कि वह बहुत बड़ा आदमी बने। उसे अपने करियर में सक्सेस मिले। ताकि आगे चलकर उससे उसके परिवार को किसी भी तरह की मुसीबत का सामना ना करना पड़े।


अनिरुद्ध रोज की तरह अपने ऑफिस जा रहा रहता है वहां आज उसके ऑफिस में एक प्रिया नाम की लड़की ने न्यू जॉइनिंग की होती है प्रिया को देखते ही अनिरुद्ध को उससे प्यार हो जाता है पहली नजर वाला प्यार। प्रिया भी अनिरूद्ध की तरह ही सीधी-साधी लड़की होती है जिसके लिए उसका परिवार और उसका फ्यूचर ही सब कुछ है वह अपने मां-बाप का हाथ बटाने के लिए पढ़ाई के साथ-साथ पार्ट टाइम जॉब भी करती हैं। प्रिया लेकिन अनिरुद्ध से थोड़ी सी अलग है।
अनिरुद्ध अपने मां-बाप के कहने पर चलता है जैसा वह कहते हैं वह वैसे ही करता है लेकिन प्रिया अपने सपनों को जीना चाहती है वह अपने सपने पूरे करना चाहती है उसका जो दिल चाहता है वह वही करती है उसने कभी दुनिया की फिक्र नहीं की। लेकिन उसके परिवार की पुरानी सोच उसके सपनों के आड़े आ गई इसलिए प्रिया अपने सपने अब तक जी नहीं पा रही थी। पर उसके मन में अभी आशा जगी हुई थी उसका भगवान में भी काफी विश्वास था उसे यकीन था कि एक न एक दिन उसके सपने जरूर पूरे होंगे जब अनिरुद्ध और प्रिया की पहली मुलाकात हुई अनिरुद्ध उसे अपना दिल दे बैठा। उस दिन से दोनों में दोस्ती हो गई।

प्रिया को अनिरुद्ध का स्वभाव अच्छा लगने लगा अनिरुद्ध हर वक्त उससे बात करता उसका छोटी छोटी चीजों में मदद करता हर वक्त उसका ख्याल रखना हमेशा उसे पूछना की उसने खाना खाया कि नहीं।

धीरे-धीरे प्रिया भी अनिरुद्ध को पसंद करने लगी थी।

फिर एक दिन अनिरुद्ध ने प्रिया से अपने प्यार का इजहार किया और प्रिया ने भी हां कह दी क्यूंकि प्रिया को भी प्यार चाहिए था वह हमेशा अकेली थी अंदर से उसे कभी इतना प्यार नहीं मिला किसी से और ना ही किसी ने कभी उसकी परवाह की अनिरुद्ध का ऐसा स्वभाव प्यार भरा और परवाह करने वाला देखकर प्रिया ने उसके प्यार को कुबूल किया और अपने प्यार का भी इजहार किया इसी तरह दोनों एक साथ घूमते मिलते एक दूसरे से बातें करते और अपने प्यार के खुशियों के पल समेट ते रहे। प्यार में मीठी तकरार तो होती है इनके बीच की तकरार हुई पर इन्होंने एक दूसरे को समझा एक दूसरे को संभाला और हमेशा एक दूसरे का साथ दिया।

अनिरुद्ध और प्रिया दोनों एक साथ कॉलेज जाते हैं एक साथ काम पर जाते जहां जाते हैं हमेशा एक दूसरे के साथ रहते।

इसी तरह खट्टी मीठी यादों के साथ दोनों ने एक साथ 4 साल गुजारे साथ ही साथ प्रिया इंजीनियर बन गया जिसकी काफी अच्छी नौकरी है और प्रिया भी एक राइटर बन गई साथ ही साथ वह अच्छा गाना भी गाती है अनिरुद्ध ने उसका सपना भी पूरा करने में मदद की गाना गाने का और अपनी आवाज को लोगों तक पहुंचाने का।

इतना समय साथ गुजारने के बाद दोनों के बीच में प्यार बहुत गहरा हो गया दोनों एक दूसरे के बिना अब जी नहीं सकते थे।

दोनों एक दूसरे के दिल की धड़कन बन चुके थे दोनों ने सोचा कि वह अब अपने अपने परिवार वालों को उनके रिश्ते के बारे में बताएंगे।

जब दोनों ने यह बात अपने घर में बताइ तब दोनों के ही परिवार वालों ने इस रिश्ते से इंकार कर दिया इनके दोनों एक कास्ट के नहीं थे दोनों अलग-अलग कास्ट के थे उनके परिवार वालों को यह मंजूर नहीं था कि उनके बच्चे उनके खिलाफ जाकर बिरादरी के खिलाफ जाकर अपनी कास्ट के खिलाफ जाकर किसी और से शादी करें।

उन दोनों के परिवार वालो ने उनका मिलना फ़ोन पे बात करना सब बंद करा दिया।

दोनो एक दूसरे के बिना रह नहीं पा रहे थे दोनों एक दूसरे की याद मैं तड़प रहे थी। दोनों एक दूसरे को मिलने के लिए बैचैन थी।

अनिरुद्ध जो अपने परिवार की इतनी इज़्ज़त करता है उनके लिए कुछ भी कर सकता है उन्हें कभी दुखी नहीं देख सकट। अपने परिवार की खातिर उसने प्रिया को भूलने का फैसला कर लिया। प्रिया को अपने प्यार और भगवन पे पूरा भरोसा त।उससे यकीं था की वह एक न एक दिन ज़रूर अनिरुद्ध के साथ होगी। इस्लिये उसने कभी हिम्मत नहीं हारी। उसने बहुत कुछ किया अनिरुद्ध को पाने क लिए रोज़ सुबह शाम वो भगवान् से प्रार्थना करती।

रोज़ अपने माँ बाप से कहती की उसने कभी भी उनकी कोई बात नहीं ताली किसी चीज़ के लिए उसने ना नहीं कहा बस अपनी ज़िन्दगी का फैसला वो खुद करना चाहती थी क्यूंकि वो जानती थी की उसकी ख़ुशी अनिरुद्ध के साथ है और कि

सके साथ नहीं।

प्रिया अकेले ही अपने प्यार के लिए लड़ी उम्मीद कायम रखी भगवन पे भरोसा रखा और एक दिन उसके परिवार वाले मान गए काफी कुछ प्रिया ने सहा काफी गिले शिकवे हुए नाराज़गी हुई लेकिन आखिर मैं सच्चे प्यार की जीत हुई ।

किसी तरह अनिरुद्ध को भी प्रिया ने मन लिया उन दोनों के प्यार के वास्ते और उनके साथ को देखकर उनके परिवार वाले राज़ी होगये इस रिश्ते के लिये। दोनों अलग कास्टे के होने के वजह से दोनों के परिवारों को समाज का डर था की लोग क्या कहेंगे ।

लेकिन अनिरुद्ध और प्रिया को किसी चीज़ की परवाह नहीं थी।

दोनों ये बात अब समाज चुके थे की उनके प्यार के सामने कोई चीज़ बड़ी नहीं वो अपने प्यार के सहारे कोई भी लड़ाई लड़ सकते हैं और जीत सकते है।

आज के ज़माने मैं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अब भी जात पात ऊंच नीच को मानते है।

पर इस कहानी से हमें यही सीखने मिलता है की प्यार की कोई जात नहीं होती प्यार का कोई धरम नहीं होता प्यार तो प्यार होता है जिसके सहारे ज़िन्दगी ख़ुशी से जी सकते है।

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एक लड़की थी। बहुत ही खूबसूरत।

जितनी वह सुंदर थी, उतनी ही ईमानदार।

न किसी से झूठ बोलना, न किसी से फालतू की बातें करना।

बस अपने काम से काम रखना।

"उसी क्लास में एक लड़का था। वह मन ही मन उससे बहुत प्यार करता था।

लड़का अक्सर उसके छोटे-मोटे काम कर दिया करता था।

बदले में जब लड़की मुस्करा कर थैंक्यू कहती थी, तो लड़के की खुशी की सीमा नहीं रहती थी।

एक बार की बात है। दोनों लोग साथ- साथ घर जा रहे थे।

तभी जोरदार बारिश होने लगी।

दोनों को एक पेड़ के नीचे रुकना पडा पेड़ बहुत छोटा था,

बारीस की बुन्दे छन-छन कर उससे नीचे आ रही थीं।

ऐसे में बारिश से बचने के लिए दोनों एक दूसरे के बेहद करीब आ गये।

लड़की को इतने करीब पाकर लड़का अपने जज्बातों पर काबू न रख सका।

उसके लड़की को प्रजोज कर दिया।

लड़की भी मन ही मन उसको चाहती थी।

इसलिए वह भी राजी हो गयी।

और इस तरह दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा।

एक बार की बात है लड़की उसी पेड़ ने नीचे लड़के का इंतजार कर रही थी।

लड़का बहुत देर से आया।

उसे देखकर लड़की नाराजगी से बोली, 'तुम इतनी देर से क्यों आए?

मेरी तो जान ही निकल गयी थी।'

यह सुनकर लडका बोला, 'जानेमन, मैं तुमसे दूर कहां गया था, मैं तो तुम्हारे दिल में ही रहता हूं।

तुम्हें यकीन न हो तो अपने दिल से पूछ लो।'

लड़के की इस प्यारी सी बात को सुनकर लङकी अपना सारा

गुस्सा भुल गयी और वह दौड़ कर लड़के से लिपट गयी।

एक दिन दोनों लोग उसी पेड़ के नीचे बैठे बातें कर रहे थें।

लड़की पेड़ के सहारे बैठी थी अैर लड़का उसकी गोद में सर रख कर लेटा हुआ था।

तभी लड़की बोली, ''जानू, अब तुम्हारी जुदाई मुझसे बर्दाश्त नहीं होती।

तुम्हारे बिना एक पल भी मुझे 100 साल के बराबर लगता है।

तुम मुझसे शादी कर लो, नहीं तो मैं मर जाऊंगी।''

लडके ने झट से लड़की के मुंह पर अपना हाथ रख दिया और बोला, ''मेरी जान, ऐसी बात मत किया

करो, अगर तुम्हें कुछ हो गया, तो मैं कैसे जिंदा रहूंगा।''

फिर वह कुछ सोचता हुआ बोला, ''तुम चिंता मत करो, मैं जल्द ही अपने घर वालों से बात करूंगा।''

धीरे-धीरे काफी समय बीत गया।

एक दिन की बात है। दोनों लोग उसी पेड़ के नीचे बैठे हुए थे।

उस समय लड़के का चेहरा उतरा हुआ था।

लड़की के पूछने पर वह रूआंसा होकर बोला, ''जान, मैंने अपने घर वालों को बहुत समझाया, पर वे हमारी शादी के लिए तैयार नहीं हैं।

उन्होंने मेरी शादी कहीं और पक्की कर दी है" यह सुन कर लड़की का कलेजा फट पड़ा।

उसका मन हुआ कि वह जोर-जोर से रोए"लेकिन उसने

अपने जज्बात पर काबू पा लिये और बोली, ''मैंने तुमसे सच्चा प्यार किया है, मैं तुम्हें कभी भुला नहीं सकती।''

''प्लीज मुझे माफ कर देना..!'' लड़का धीरे से बाेला, वैसे अगर तुम चाहो, तोअब से हम एक अच्छे दोस्त रह सकते हैं।''

लडकी यह सुन कर ज़ो-ज़ोर से रोने लगी" लड़के ने उसे समझाया और फिर दोनों लोग रोते हुए अपने- अपने घर चले गये।

देखते ही देखते लड़के की शादी का दिन आ गया।

लड़के को यकीन था कि उसकी शादी में उसकी दोस्त जरूर आएगी। पर ऐसा नहीं हुआ। हां, लड़की का भेजा हुआ एक गिफ्ट पैक उसे ज़रूर मिला।

लड़के ने कांपते हांथों से उसे खोला। उसे देखते ही वह बेहोश हो गया।

गिफ्ट पैक में और कुछ नहीं खून से लथपथ लड़की का दिल रखा हुआ था।

और साथ ही में थी एक चिट्ठी, जिसमें लिखा हुआ था- अरे पागल, अपना दिल तो लेते जा वरना अपनी पत्नी को क्या देगा ?


दोस्तो हमारी जिन्दगी का सबसे खुबसुरत एहसास प्यार ही है ।

जो हमको आपको हर किसी को होता है पर क्या हम उसको अपना पाते हैं कभी हम गलत तो कभी साथी गलत दोनो सही तो घरवाले गलत पर क्या प्यार गलत होता है नही"तो"मित्रों प्यार करो लेकिन खिलवाङ मत करो ।

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