Pyaar Lafzon Mein Kahaan - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार लफ्जों में कहां - 2

दूसरी तरफ बहुत बड़ा villa जिसके अंदर सब चीजें लग्जरी ही थी ...उसी घर में एक मिडल एज की महिला जिनके चेहरे पर बहुत ही ज्यादा चमक थी ....और होठों पर स्माइल ...जोकि जाने का नाम नहीं ले रही थी.... कामिनी कपूर ....!!!

अथर्व कपूर की मां ....जब से उन्होंने सुना उनका बेटा इंडिया आने बाला हैं ....तब से उनकी नजर दरवाजे पर ही रुकी हुई है . ..वह बार-बार दरवाजे की ओर देख रही हैं ....कब उनका बेटा उनकी आंखों के सामने हो....!!!

पूरी हवेली में उनकी आवाज गूंज रही थी जो कि अपने छोटे बेटे प्रेम को बुला रही थी .....प्रेम अथर्व का छोटा भाई.... कहते हैं ना छोटा बच्चा खोटा जरूर होता है... यानि कि शरारती ....वैसे ही प्रेम कपूर का था ....

प्रेम जो आरती होने के बाद फिर से अपने कमरे में जाकर आराम से सोने लगा था ...जिसे दुनिया जहान की कोई खोज खबर नहीं थी ....अपने नींद में अचानक से अपनी मां की आवाज सुनते ही वह उठ खड़ा हुआ ...और जाकर नीचे फर्श पर गिर गया ....वह बेड के किनारे पर सो रहा था ...और जब कामिनी ने उसे आवाज लगाई ...तो वह अचानक से उठा और गिर गया.... जिसकी उम्मीद उसे बिल्कुल भी नहीं थी... अपने कमर पर हाथ रखते हुए प्रेम बाहर कामिनी जी के पास पहुंच गया और बच्चों जैसे रोने लगा....!!!

"मां आप , इतनी तेज कौन आवाज लगाता है..??? देखिए आपके आवाज लगाने से मैं नीचे गिर गया और आपको इतनी ज्यादा किस बात की खुशी हो रही है क्या भाई आ रही है इसलिए"

"हां , मेरा बेटा अथर्व इंडिया आ रहा है तो खुशी क्यों नहीं होगी और तू तो अभी तक जागा नहीं था मुझे तो लगा था तू अभी तक तैयार हो गया होगा....!!! एयरपोर्ट जाने के लिए पर तू तो यहीं पर "कामिनी जी ने प्रेम की तरफ देखते हुए पूछा ....!!!!उसके बाल पूरे तरीके से बिखरे हुए थे जैसे कि वह किसी से फाइट करके आया हो...!!!

प्रेम अंगड़ाई लेते हुए कहने लगे ,"क्या मां इतनी सी बात के लिए आपने मेरी नींद खराब कर दी भाई को लेने के लिए उनके असिस्टेंट कपिल जी है ना वह पहुंच गए होंगे और इतनी सुबह सुबह जाकर मैं उनके गुस्से का शिकार भला क्यों बनूं"

" प्रेम ..."कामिनी जी आंखें दिखाते हुए बोली लेकिन प्रेम उन्हें अपनी बत्तीसी दिखाकर वापस अपने कमरे की तरफ भाग गया...!!!

एयरपोर्ट से करीब 1 घंटे के बाद गाड़ी villa के सामने आकर रुकी .... अभी तो एक महीना ही हुआ था अथर्व को यहां से गए हुए पर अपने घर को देखकर वह थोड़ा सा इमोशनल हो गया.... पर अगले ही पल उसने अपने आप को फिर से उसी रूप में कर लिया ....जैसे कि दुनिया वाले उसके बारे में सोचते थे और देखती थी....!!!!

"Boss! घर आ गया है" कपिल गाड़ी से उतरकर अथर्व की साइड का दरवाजा खोल कर कहता है...!!!

अथर्व उसी अंदाज में गाड़ी से उतरता है और villa के अंदर चला जाता है... अंदर जाते ही उसे वहां की चीजें देख कर कुछ खास हैरानी नहीं होती... उसे पता था उसकी मां एक भी चीज इधर-उधर नहीं करेंगे ..क्योंकि अथर्व को ऐसा ही पसंद था.... सामने एक औरत को सोफे पर बैठा देख अथर्व अपने उन्हें लंबे लंबे कदम लेकर उस औरत के पास गया और उनके पैर छूने लगा... अपने पैर पर अचानक से किसी के हाथ का आभास होते ही कामिनी जी जो इतनी देर से दरवाजे पर ही नजर लगा कर बैठी हुई थी....

कामिनी जी अपने बेटे की तरफ देख रही थी... अथर्व उनके कदमों में ही बैठ गया और उनके गोद में अपना सिर रख लिया.... कामिनी जी ने बहुत ही प्यार से अपने बेटे के सर पर हाथ फेरा....!!!!

" कांग्रेचुलेशन अथर्व आपने अपने पिता के सपने को पूरा करने में कोई कमी नहीं रखी"

"थैंक यू मां" अथर्व ने कुछ ही शब्द कहे।

"पास खड़ा हुआ कपिल जो अपने बॉस को देख रहा था उसके हाथों में हैरान ही साफ साफ दिख रही थी उसे तो विश्वास नहीं हो रहा था जो अथर्व पूरी दुनिया के सामने एक शैतान से कम नहीं था वह अपने परिवार के आगे इतना शांत कैसे ....???"

"उसका जवाब मैं देता हूं ना आपको कपिल जी अपने दिमाग को इतना कष्ट क्यों दे रहे हो आप "किसी ने कपिल के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा...!!!

जैसे ही कपिल ने पीछे मुड़कर देखा तो सामने से प्रेम को देखकर कपिल ने कहा ,"मैं ...मैंने क्या पूछा.. कुछ भी तो नहीं पूछा ...और मैं अपने दिमाग को किस बात का कष्ट देने लगा ..." कपिल यह नहीं समझ पा रहा था कि आखिर प्रेम को उनकी मन की बातें कैसे मालूम हो गई...!!!!

"हा हा हा हा हा. . कपिल जी आप मेरे सामने झूठ बोलने की हिम्मत कर रहे हैं आप शायद मुझे जानते नहीं हैं मैं आपके बॉस अथर्व कपूर का ही भाई हूं माना मेरा नाम प्रेम है तो क्या हुआ और मैं आपके अंदर जो भी सवालों की बारिश हो रही है उन सवालों का जवाब मैं ही आपको दे सकता हूं इसलिए कह रहा हूं अपने दिमाग को इतना कष्ट मत दीजिए..."

"ऐसा बिल्कुल भी नहीं है मैं कुछ भी नहीं सोच रहा और मैं कुछ भी सोच रहा हूंगा तो उसका सीधा जवाब मैं जाकर खुद ही अथर्व सर से पूछ लूंगा"

"ठीक है कपिल जी एस यू विश मैं आपको फोर्स थोड़ी कर सकता हूं तो मैं चलता हूं अपने भाई से मिलने मैं भी अपने भाई से पूरे 1 महीने बाद जो मिल रहा हूं" प्रेम इतना कहकर उस तरफ चला गया जहां पर उसकी मां और भाई बैठे हुए थे....!!!!

"भाई मैं भी हूं यहां पर आप तो सिर्फ मां से ही मिल रहे हैं" प्रेम ने रोनी सी सूरत बनाकर अथर्व से कहा..!!!!

"बेटा आप जाकर जल्दी से रेडी हो जाएं कुछ ही देर में सभी मेहमान आते ही होंगे आप ही का इंतजार हो रहा था"कामिनी जी ने कहा ...!!!

अपनी मां की बात मानकर अथर्व अपने भाई से मिलने के बाद अपने रूम में चला गया....!!!!

क्या रंग लाएगी अथर्व की जिंदगी के अगले मोड़ में....??? क्या होगा अथर्व के लाइफ में....???


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