Prem ka Kamal - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

प्रेम का कमल - 2

यूँ तो ठाकुर परिवार की सुबह हमेशा की तरह होती थी पर आज की सुबह कुछ ख़ास थी आज इस घर के चश्मों चिराग अपनी दो बहनों के एक लौते भाई और अपने माता पिता के लाडले बेटे नीरज का जन्मदिन था। आज ठाकुर मेंशन फूलों और लाइट से सजा हुआ था और किसी राज दरबार से कम नही लग रहा था माँ ने गले मे नौ लखा हार गले मे पहना हुआ था माथे पर चमकदार बिन्दी और बदन पर लाल सफेद साड़ी पेहने वो किसी रहज माता से कम नही लग रही थी। वह हाथ मे पूजा की थाली थामे हुये पूजा घर से निकल रसोईघर की और बढते हुए घर के वफादार नोकर चमन काका को आवाज दी" चमन!" आवाज सुनते गले पर गमछा डाले हाथ मे फूलो की माला लिए एक अधेड़ उम्र सावला रँग का मोटा सा आदमी "जी मेम साहब" कहते हुए दौड़ा -दौड़ा आया। उसे देख माँ यशोदा ठाकुर बोली उत्साहित होकर बोली "यह लो तीन हजार रुपए बाजार से जाकर जल्दी से मावा मिश्री खोया और दूध ले आओ आज हमारे लाडले का जन्म दिन है। हम पहले उसके लिए खीर बनाएंगे और फिर मंदिर में गरीबो को कंबल और कुछ पैसे बांटेंगे"। चमन काका ने फूलों की माला एक दीवार पर टांगी जिस पर हैप्पी बर्थडे नीरज लिखा था और बाहर समान लेने चले गए। इतने में साइड के रास्ते से होकर 15 सीढ़ीया ऊपर से नीचे की तरफ आ रही थी उसपर से लम्बे बालो वाली ग्रीन ड्रेस और पैरो में महँगी सेंडल्स पहने हुए दो लडकिया नीचे उतरकर आई।माँ माँ बोलती हुई नीचे आ ही रही थी के एक नोकर घनश्याम जो छत पर कपड़े सुखाने जा रहा था गलती से उनसे टकरा जाता है। बस फिर क्या था जो सुबह नीरज के शानदार स्वागत से होने वाली थी वो सुबह लड़ाई झगड़े और चिखम चिल्ली से शुरू हो ती है। सुनाली ने जो इस घर की सब से बड़ी बेटी थी। वह गुस्से में "यू रास्कल कहती हुई घनश्याम को एक जोरदार चांटा जड़ दिया और बोली" तुम्हें दिखाई नही देता हमसे टकरा कर हमारे कपड़े गन्दे कर दिये अब हमें दुबारा नहाना पडेगा आज हमारे भाई का जन्मदिन था सोचा था उसे मंसूरी जाने की टिकट देकर उसके लिए गाना गा कर उसका स्वागत करेंगे पर तुम्हारी इस हरकत ने सारा मुड़ खराब कर दिया अभी पिता जी को बुलाकर तुम्हारी शिकायत करते हैं" घनश्याम बोला "छोटी मालकिन मुझे माफ़ कर दीजिए मेरे हाथ मे कपड़े का ढेर था मैं उन्हें संभालने की कोशिश में आपसे टकरा गया। फिर माँ बोली" जाने भी दो सुनाली वो उम्र में तुमसे बड़े है तुम्हें इस तरह उनसे बात नहीं करनी चाहिए।" सुनाली चिड़चिड़ाते हुए बोली" माँ उम्र में बड़े है तो क्या हुआ हैसियत में तो ये बहोत छोटा सा आदमी है हमसे।" इतने में पिता रोशन ठाकुर शोर सुनकर वहां आ गए और बोले "क्या हुआ हमारी परी क्यों गुस्सा हो रही है? इतना सुनते ही सुनाली आग बबूला हो कर बोली देखिए पिताजी ये सूरदास हमसे टकरा गया और हमें अशुद्ध कर दिया'' रोशन ठाकुर के गुस्से की सीमा नही थी उन्होंने घनश्याम को दो थप्पड़ मारे और उसे बुरा भला कहने लगे वो बोले कि तुम लोगो को तो अपने पैर की जूती के नीचे रखना चाहिए हमारी पत्नी ने तुम्हे सिर पर चढ़ा रखा है। तुम लोग तो बड़े घर के लायक ही नहीं हो"! वह इतना बोल रहे थे और घनश्याम डरा सहमा हुआ एक कोने में रो ही रहा था की शोर सुनकर नीरज नीचे आया उसके गौरे गौरे मुखड़े पर जन्मदिन की आजब सी चमक थी उसकी काली आँखो पर काला चश्मा पहने लम्बा गठिला नीरज लाल काली टी शर्ट और ब्रांडेड जीन्स पहने हुए वो क़िसी हीरो से कम नही लग रहा था। उसमे सब से पूछा कि बात क्या है। सबने उसे पूरी बात बताई। "वो बोला पिता जी क्या आप भी मेरे जन्मदिन पर इन छोटे लोगों के मुह लग रहे हो चलिये चलिये अपना मुड़ सब चेंज कीजिए और मेरे गिफ्ट्स लाइये। माँ को भी बात बदलने का मौका मिल गया उन्होंने घनश्याम को वहाँ से जाने को कहा और नीरज का माथा चूमा उसको ढेर सारा आशीर्वाद दिया और बोली आज मै तुम्हारा मन पसंद खाना और खीर बनाऊँगी। इतने में चमन काका खीर का सामान ले आये। और घर के बाकी लोग डिंनिंग हॉल की टेबल पर जाकर बैठ गए। माँ अन्दर रसोई में जाकर खीर बनाने लगी। दोनो बहनो ने उसे मंसूरी की टिकट दी और कहा कि वहाँ जा कर खूब एंजॉय करे सारे एडवेंचर स्पोर्ट्स खेलकर लौटे। दूसरी ओर पिता ने उसे BMWकी चाबी दी कहाँ की जाओ पार्किंग में तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है। वो दौड़ा दौड़ा पार्किंग लॉन्ज में पहोंचा वैसे तो वहाँ कई गाड़ियां और बाइक्स खड़े थे पर लाल चमचमाती BMW को देख कर नीरज खुशी से पागल हो गया उसने गाड़ी की चाबी को चूमा और गाड़ी के अंदर जाकर उसे स्टार्ट करने लगा। वह जल्दी से अंदर डिंनिंग हॉल में गया पिता के गले लग कर बोला ", you are best dad" उसकी खुशी को देख कर अपनी मुछो को ताव दिया और बोले "जाओ और हमारी शान का परछम लहराओ और शाम को अपने दोस्तों को पार्टी के लिए बुलाना मत भूलना।" माँ के हाथ की खीर खाकर और बहन और पिता से अपने मन चाहें तोहफ़े लेकर वो BMW में बैठ कॉलेज पहूंचा।गौरे रंग और 5फुट 6इंच लम्बे कद वाला नीरज ब्रांडेड जीन्स और महंगी शर्ट आँखो पर एक लाख गॉगल्स पहन कर BMW से दिल्ली के कॉलेज में जब भी उतरता उसके आसपास लड़कियों और उसके दोस्तों की लाइन लग जाती थी। उसके सभी अध्यापक उसकी बुद्धिमता के कायल थे। अपनी पूरी कक्षा में वो ही था जिसकी सब से बनती थी। वह सबको खुश करने का हुनर था जिसपर उसको अपनी इस बात पर बहोत नाज था। उसको कॉलेज कैंटीन में दोस्तो के गप्पे लगाना, गिटार बजाना और उनके साथ रिवर राफ्टिंग माउंटेनियरिंग और कैम्पिंग करना बहुत पसंद था कॉलेज में गीटार बजाने के बाद उसने जब सबको दिल्ली के सबसे होटल में अपने दोस्तों को जन्मदिन की पार्टी दी। वहां सबने खूब एन्जॉय किया । सब देर रात जब पार्टी करके घर लौटे तो पिताजी ने उसके दोस्तो को बताया कि कल नीरज और उसके सब दोस्त मंसूरी कैम्पिंग, माउंटेनियरिंग रिवर राफ्टिंग करने जा रहें है जिसका खर्चा उसके पिता उठाएंगे। सब यह बात सुनकर बहोत खुश हुए । अगले दिन सुबह नीरज उठा और मंसुरी जाने के लिए तैयार हो गया।
 

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