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मासूम एडवेंचर

मासूम एडवेंचर

हमारी भाभी जी हाउस वाइफ हैं,और अपने घर परिवार में मस्त रहती हैं, या यूँ कहिये की उनकी दुनिया परिवार, रिश्तदारों, सगे सम्बन्धियों, और मेड तक ही सीमित थी. वें रहती तो दिल्ली में हैं, पर बाहर क्या हो रहा उन्हें इससे कोई मतलब नही था. वें अपनी बनाई हुए दुनिया से संतुष्ट थी. भाभीजी सवभाव से सीधी साधी व् छल कपट से कोसों दूर रहने वाली महिला थी, तभी ये किस्सा बताने योग्य बनता है, वरना बात तो साधारण ही थी. दिल्ली में आजकल नये ट्राफिक नियम लागू हैं, व् नियम का पालन ना होने पर भारी जुर्माने किये जा रहें है.

हुआ यह, की भाभीजी सुबह सुबह अपनी पुत्र वधु रचना के साथ थोड़ा सामान लेने मार्किट जा रही थी. रचना कार ड्राइव कर रही थी व् भाभीजी साथ वाली सीट पर बेठी थी. थोड़ी दूर ही चलें थे, की ट्राफिक पुलिस ने उन्हें रोक लिया, रचना ने तो सीट बेल्ट लगाई थी पर भाभीजी ने नही लगाई थी उन्हें लगता था की यह नियम केवल पुरषों पर लागू होता है. रुकने पर उन्हें कार के पेपर दिखाने को कहा गया, अब मुश्किल हो गई, क्योंकि पेपर उनके पास थे ही नही. कार अधितर उनके बेटे के यूज में रहती थी, व् चालन के चक्कर में कार के पेपर पहले ही कोर्ट में जमा थे. रचना ने बहाना बनाया की कार तो उनके हस्बैंड ही चलाते हैं, और आज अचानक मम्मीजी के पेट में दर्द हो गया तो उन्हें चेक अप के लिए डॉक्टर के पास जा रही है .

भाभी जी इस सारे एपिसोड को आराम से देख रही थी, जब देखा की बात उनकी तरफ आ रही है, तो एकदम चोंकी, और अचानक उन्होंने पेट पर हाथ रख लिया और दर्द से कह्रराने की अपनी तरफ से एक्टिंग करने लगी. पुलिस वालों ने उन्हें शक की नज़र से देखा और शुष्कता से कहा की चालन तो कटेगा. जब रचना ने अपनी मजबूरी को दोहराया व् भाभीजी ने पेट से हाथ ना उठाया तो पुलिस ने फरमाया, पेपर नही हैं, तो 500 रूपए निकालये, मुसीबत से छुटकारा होते देख, भाभीजी रूपए निकालना ही चाहती थी की रचना ने आँख के इशारे से उन्हें मना कर दिया और पुलिस को कहा जल्दी और घबराहट में पर्स घर भूल आये हैं, अब तो केवल 200 रूपए ही हमारे पास हैं.

डॉक्टर का भुगतान केसे करोगे, पूछा गया.
डॉक्टर को क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करेंगे, रचना ने जवाब दिया.

पुलिस ने रचना पर एतबार तो नही किया पर जब भाभीजी को पेट पर हाथ रख कर कहराते देखा और उन्हें लगा की उनके चक्कर में और संभावित ग्राहक भी निकले जा रहें हैं, तो इनको जाने दिया. भाभी जी के लिए तो यह नया अनुभव था, एक एडवेंचर था, मासूम एडवेंचर. और वो बडी रोमांचित हो रही थी.

घर आने पर उन्होंने खुश हो हो कर यह किस्सा सब को बताया और फ़ोन पर सभी सह्लियों को चटकारे लेते हुए सुनाया, की केसे उन्होंने एक्टिंग की, केसे पेट पर हाथ रखा, केसे आवाजें निकाली, और केसे पुलिस को बेवकूफ बनाया, और तो और एक रुपया भी पेनल्टी नही देनी पडी. उनके इतना खुश होने से हमे लगा कि इस बार बेस्ट एक्ट्रेस का ओस्कर अवार्ड उनका ही बनता है. कुछ भी कहो यह बात सुन हम सभी, उनकी मासूम शरारत पर मुस्कराए बिना नही रह सके.

 

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