अगले दिन सुबह मीटिंग में सब लोग बैठ कर अपने अपने काम के बारे में बता रहे थे, जब अंदर आते हुए नीतू बोली।
“आई एम सॉरी लेट होने के लिए।"
“कोई नहीं बैठिए..”, दीवेश के ये जवाब देते ही, नीतू के आगे पिछली रात हुई सारी बातें चलने लग गई।
“
कैसी हो?”
“
अब तुम्हारा समय बर्बाद नहीं हो रहा, ये सब पूछ कर।", दीवेश के इस सवाल पे रूखे अंदाज में नीतू ने जवाब दिया।
“अच्छी सोसाइटी है ये, यहाँ घर तुमने लिया है, या तुम्हारे पति का था?”
“किराये पे है।"
“ओह.. हाँ उसकी अभी सैलरी इतनी नहीं होगी ना, की वो अभी यहाँ घर ले सके।"
“जो है ही नहीं, उसकी सैलरी का मुझे क्या पता।"
“ओह.. अच्छा, चलो चलता हूँ.. मुझे कुछ काम याद आ गया।", मंद सी मुस्कराहट के साथ दीवेश पीछे मुड़ कर लौटने लगा।
“अभी तो तुम्हें मुझे पूरे घर तक छोड़ना था, की कहीं कुछ हो ना जाए।", नीतू ने ज़ोर से बोला।
“हाँ.. पर फिर मुझे याद आया की तुम नीतू हो। बाय..”, बिना नीतू की तरफ देखे दीवेश ने बोला।
“पागल कहीं का..”, बैठते ही नीतू ने दीवेश को देखते हुए खुद से कहा।
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सिर्फ दो दिन बचे थे, चंचल और सुनील की टीम के बीच के इस काम्पिटिशन को खत्म होने में, और इससे जुड़े सारे लोग जोरों शोरों से अपने अपने काम को खत्म करने मे लगे हुए थे।
“देखो मुझे चाहिए की सिर्फ वही लोग आए, जिन्होंने पिछले 15 दिनों में ज़रोर से समान खरीद के वापस किया है, और फिर मुझे देखना है, की इसके आगे पीछे उन्होंने कितनी बार ऐसा ही किया है, हमेशा वाले है या कभी कभी वाले... पर ये चल क्यों नहीं रहा।", निया अपने आप से बड़बड़ा कर सर पकड़ के बैठी थी, की इतने ध्रुव का मैसेज आया।
“ऐसे में सबसे अच्छा होता है, की तुम छोटा सा ब्रेक ले लो, थोड़ा घूम आओ, अपने आप सब समझ आ जाएगा।"
निया उठ के कॉफी लेने जाती है, और साथ ही अपना मन हल्का करने के लिए, वो सिमरन को कॉल कर लेती है।
“हाय.. कैसी है?”
“मैं ठीक हूँ.. तू बता, कैसा चल रहा है सब?”
“यहाँ तो क्या ही, वो ऑफिस का काम चल रहा है। तू बता शादी की तैयारियां कैसी चल रही है।"
“यार.. कब वापस आ रही है तू? पता है, तुझे, कितना याद कर रही हो तुझे मैं। अभी घर गई थी तो कुछ समान ले लिया, बाकी मम्मी कह रही थी की यही से ले लो। अब किसे ले जाऊ, तो होती तो हम दोनों शाम होते ही शॉपिंग पे निकल जाते, और कुछ दिनों में ही सब निपटा लेते।"
“हाँ.. वो तो है।"
“फिर आ जाना ना। तुझे तो वैसे भी वहाँ नहीं रहना था, तू तो उस पागल के वजह से गई थी।"
“अर्रे.. पर मैं ऐसे कैसे वापस आऊ?”
“बहुत आसान है..", सिमरन अभी बोल ही रही होती है, की चंचल निया को मीटिंग में बुला लेती है।
“चल अभी मैं चलती हूँ.. फिर आराम से बात करेंगे।", ये बोल कर निया फोन रख कर मीटिंग में भाग जाती है।
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शिपी से बात करते हुए कुनाल का, रिया उसके सामने हाथ पे हाथ रख कर लगभग पिछले 15 मिनट से उसका इंतज़ार कर रही होती है।
रिया के गुस्से का अंदाजा लगा कर, फटाफट से बात खत्म करते हुए कुनाल उसके पास आया और बोला।
“सॉरी.. ये तेरा पार्सल..”
“लंच हो गया?”
“नहीं, अभी करना है।"
“तू सॉरी है ना? चल फिर कुछ अच्छा सा ऑर्डर करते है।", रिया ने हंस के बोला।
“साथ ही एक नई मूवी भी आई है, वो देखे?”
“हाँ बिल्कुल।"
कुनाल और रिया, रिया के फ्लैट पे अभी अपना लंच करते करते मूवी देख ही रहे होते है, की इतने में निया घर का दरवाज़ा खोल के अंदर आती है।
अंदर आते ही, रिया के आँखों में आए आँसों को देख, निया कुनाल की तरफ बड़ी बड़ी आँखों से देखती है।
“मैं नहीं.. मैंने कुछ नहीं किया है।", डर से निया की तरफ देखता हुआ कुनाल बोला। "ये सब मूवी का कसूर है।", कुनाल ये बोलते ही निया और रिया ज़ोर से हँसे।
“उसे पता है, मेरी इन हरकतों का।", रिया ने कुनाल को बोला।
“हाँ.. और तभी मैंने तो सोच लिया है, की इसके साथ कोई मूवी देखने नहीं जाना। ये एकलौती होगी, जो कॉमेडी मूवी में भी रो देती है।", निया ने मुस्कराते हुए कहा।
“सच में?”, कुनाल ने रिया से पूछा, और रिया बिना कुछ बोले, बस आँख बंद करके हंस दी।
“ओए.. तू इतनी जल्दी कैसे आई?”, अंदर जाती निया से रिया ने पूछा।
“बस ऐसे ही आ गई। मैं थोड़ी देर अंदर आराम कर रही हूँ।", ये बोल कर निया अपने कमरे में चली गई।
मूवी अभी बस खत्म हुई ही थी, और रिया को ध्रुव का फोन आता है।
“सुन.. तू घर पे है क्या? और निया, वो भी घर पे है क्या? वो ठीक है ना...”
“एक मिनट.. एक मिनट.. रुक.. एक एक करके बोल.. हाँ, निया घर पे ही है। मैं भी बस निकलने वाली हूँ 5 मिनट में। पर क्या हुआ, तू निया के लिए मुझे फोन क्यों कर रहा है?”
“वो.. वो मुझे भी बस अभी पता लगा की, निया से कुछ गड़बड़ हो गई थी आज। और चंचल ने उसे डांट दिया।"
“मतलब?”
“वो याद है.. मैंने बताया था, की हमारे यहाँ काम्पिटिशन चल रहा है, तो आज हमने जो कुछ चीजों को नीतू और उनके बॉस ने देखना था, और उसी में से निया का कुछ कोड नहीं चला। तो बाद में आकर चंचल ने निया को सुना दिया।"
“ओह.. अच्छा..”, ये बोलते हुए रिया निया के कमरे की तरफ बढ़ी तो उसने देखा की निया आराम से सो रही थी। "वो तो सो गई है।"
“ठीक है।", ये बोल कर ध्रुव ने फोन काटा तो, पीछे से उसे सुनील ने बुला लिया।
वो दोनों एक मीटिंग रूम में गए, तो देखा की चंचल भी पहले से वहीं बैठी थी।
“तो सच सच बताओ, ये उसने तुम्हारे लिए किया है, क्या?”, चंचल ने हल्के गुस्से में पूछा।
“मेरे लिए कैसे चंचल..”, ध्रुव ने पूछा।
चंचल ने सुनील को इशारा करके कुछ दिखाने को कहा। सुनील ने अपने फोन में एक ईमेल खोला और ध्रुव को फोन दे दिया।
“ध्रुव – 10, निया - 12, चंचल – 22, सुनील – 22..", ऐसे करके कुछ लिखे उसे मेल को पढ़ कर ध्रुव ने पूछा।
“ये क्या है..”
“ये वो मार्क्स है जो नीतू और दीवेश ने तुम लोगों को दिए है। और निया के ये मार्क्स पहले 15 से ज्यादा थे, तो अचानक से कम कैसे हुए?”