My Love - 2 Radha द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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My Love - 2

कॉलेज क्लास मे......

क्लास के खत्म होने के बाद भी आरव, सनी, अनु और मधु अपनी क्लास में बैठे हुए थे। आरव मधु से कहता है - अंश, तुम्हारें बचपन का क्रश है ना?
मधु - हाँ।
आरव - तुमने 12th क्लास में अंश के बारे में बहुत बार बताया था।
आरव की बात सुन अनु आश्चर्य से कहती है - वहाँ भी मधु अंश के बारे में ही बात करती थी?
आरव - हाँ, मधु ने अंश के बारे में सब कुछ बताया था।
मधु - हाँ तो क्या हुआ, वो मेरा पास्ट था जो बीत गया अब मै उसे भूल गयी हु तुम सब उसी के बारे मे क्यों बात कर रही हो।
सनी - तू सच मे भूल गयी है या ऐसे ही कह रही है?
मधु - हाँ, हाँ सच मे, अब मुझे कोई फर्क नहीं पढ़ता की वो क्या करता है और क्या नहीं।
अनु - चलो! अच्छा है, बाद मे हर्ट नहीं होना पड़ेगा।
अपनी बात ख़त्म कर चारों बाहर निकलते है कुछ दूर चलने पर मधु को म्यूजिक की आवाज़ आती है वो वही रुक जाती है अनु थोड़ा सा आगे चल कर देखती है कि मधु नहीं है इसलिए वो पीछे मूड कर मधु से कहती है - क्या हुआ? चल ना।
मधु - तुम चलो मै आती हु क्लास मे मेरी बुक रह गयी है उसे लेकर आती हु।
अनु - ठीक है, जल्दी आना हम गेट पर तेरा वेट करेंगे।
मधु - ठीक है।
उन सब के जाने के बाद मधु पिछले दरवाजे कर पास जाती है वो म्यूजिक रूम था। मधु हल्का सा दरवाज़ा खोल कर देखती है वहाँ कोई नहीं था तो वो पूरा दरवाज़ा खोल कर थोड़ा अंदर जाती है उसे वहाँ कोई नहीं दिखता है वो वापिस जाने लगती है तभी पीछे से कोई उसे मधु कहकर आवाज़ लगता है वो पीछे मुड़कर देखती है वो अंश था। अंश को अपने सामने देख मधु के चहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है मधु के चेहरे के हाव भाव देख कर कहा जा सकता है की वो बहुत कुछ कहना चाहती है लेकिन कुछ देर पहले की बात याद कर वो अपनी मुस्कान को रोक लेती है।
अंश उसके पास आकर कहता है - हैल्लो, मधु।
मधु - हेल्लो।
अंश - तुम तो दिल्ली गयी थी ना ?
मधु - हाँ, पर 12th वहाँ करने के बाद वापिस यहां आ गयी।
अंश - अच्छा! कैसी हो?
मधु - मै ठीक हूँ, और तुम?
अंश - मै अब ठीक हूँ।
मधु - अब मतलब?
अंश - कुछ नहीं।
मधु - ठीक है, अब मै जाती हूँ।
अंश - ओके।
मधु 1-2 कदम आगे बढ़ाती है तभी अंश कहता है - तुमसे मिल कर अच्छा लगा।
मधु ये सुन वही रुक जाती है और पीछे देखती है अंश के चेहरे पर मुस्कान थी मधु को अंश की बात पर थोड़ा आश्चर्य हुआ लेकिन वो भी हल्का सा मुस्कुरा कर वहा से चली जाती है। रूम से बाहर निकलते टाइम मधु एक लड़की से टकराती है मधु सॉरी बोलकर वहाँ से चली जाती है। वो सोनी थी अंश की बचपन को दोस्त। वो अंश के पास आती है और कहती है - वो कौन थी?
अंश - कोई नहीं, बस स्कूल टाइम मे एक बार मिली थी।
सोनी - अच्छा, एक बार मिलने से ही जान पहचान हो गयी।
अंश नजरें चुराते हुए - ऐसी कोई बात नहीं है बस दुबारा मिल गए थे इसलिए थोड़ी बात हो गयी।
सोनी - वैसे सुनो अंश , मुझे पागल समझ रखा है क्या ?
अंश - क्यों, क्या हुआ?
सोनी - मुझे तो याद नहीं है की तुमने मुझे कभी कहा हो की तुमसे मिल कर अच्छा लगा जो तो मे तुम्हारी बेस्ट फ्रेंड हूँ, मेरी छोड़ो तुमने आज तक किसी से नहीं कहा ऐसा।
अंश - मेने तुमसे इसलिए नहीं कहा क्यों की मुझे तुमसे मिलकर कभी अच्छा नहीं लगा बस पकाती हो तुम।
सोनी - ठीक है, मान जाती हूँ की ऐसे ही बोल दिया होगा लेकिन तुमने कितने अच्छे से बात की उससे।
अंश - तो क्या हुआ?
सोनी - हुआ तो कुछ नहीं है बस कभी मैंने तुम्हे किसी से ऐसे बात करते देखा नहीं।
अंश -मै सबसे रूडली बात करता हूँ?
सोनी - नहीं ऐसा तो नहीं बोला मैंने।
अंश - तो तुम मुझसे बुलवाना क्या चाहती हो की मै उसे पंसद करता हूँ।
सोनी - नहीं, मै ऐसा तो नहीं कहलवाना चाहती थी पर तुमने बोल ही दिया।
अंश - तुमसे बात करना ही बेकार है।
ऐसा कहते हुए वो जाने लगता है तभी सोनी कहती है - वो मधु थी ना ?
अंश - तुम्हे मधु के बारे मे किसने बताया।
सोनी - बताया किसी ने नहीं है बस मैंने उसका नाम कही पढ़ा था।
अंश - कहा?
सोनी - तुम्हारी 10th क्लास की नोटबुक के लास्ट पेज पर।
अंश - तुम मेरी नोट बुक चेक करती थी।
सोनी - नहीं तो, गलती से देख लिया था, वो क्या है ना ज्यादातर सीक्रेर्ट नोटबुक के लास्ट पेज पर ही होते है।
अंश - तुम भी ना यार!

ऐसा कहते हुए वो वहाँ से चला जाता है और पीछे सोनी स्माइल कर रही होती है। मधु अपने फ्रेंड्स के पास जाती है और कहती है - आज का दिन बहुत अच्छा था और मुझे ये कॉलेज बहुत अच्छा लगा।
सनी - ये तो अच्छी बात है अब रोज आना और पढ़ाई करना।
मधु - हाँ, मै रोज आउंगी।
आरव - मुझे ऐसा क्यों लग रहा है की अभी कुछ हुआ है।
मधु - नहीं तो, कुछ नहीं हुआ।
आरव - तो अचानक से तुम इतना खुश क्यों लग रही हो। एक सेकंड, तू अंश से मिली थी क्या?
मधु - हाँ।
आरव - तभी मै सोचु तू इतना खुश क्यों है। तू तो कह रही थी की तू उसे भूल गयी है अब उसके होने और ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ता।
मधु - हाँ, हाँ सच मै, अब मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता धीरे धीरे पूरी तरह भूल जाउंगी उसे।
अनु - मधु यार, हम बस तुझे हर्ट होते नहीं देखना चाहते।
मधु - हाँ, मुझे पता है।

अगले दिन.......

चारों क्लास मे थे।
मधु कहती है - मै कुछ देर मे आती हूँ।
अनु - क्लास स्टार्ट होने मे है।
मधु - मेरा मन नहीं है आज।
अनु - ठीक है जा।
मधु कॉलेज की छत पर जाती है और कॉलेज की दिवार से कॉलेज गेट की तरफ देख रही होती है तभी उसे गेट से अंश बाइक पर आता हुआ दिखाई देता है अंश बाइक को पार्किंग की और ले जाता है और बाइक को वहाँ खड़ी कर कॉलेज की और बढ़ता है अचानक से उसकी नज़र कॉलेज के ऊपर जाती है। वहाँ मधु को देखता है अंश के देखते ही मधु अचानक से दिवार के पीछे छिप जाती है वो अपनी क्लास की और तेज़ी से जाने लगती है सीढ़ियों से उतर कर वो क्लास की ओर जा ही रही थी लेकिन रास्ते मे वो रुक जाती है। उसके बिल्कुल सामने अंश खड़ा हुआ था।
अंश उसके पास जाकर कहता है - क्या हुआ मधु, इतनी जल्दी में कही जा रही हो क्या ?
मधु - हाँ, मै क्लास के लिए जा रही थी स्टार्ट हो गयी होंगी।
इतना कहते हुए वो वहाँ से चली जाती है। जैसे ही मधु क्लास मै पहुंची उसके पीछे ही टीचर भी क्लास में आते है मधु अपनी सीट पर आकर बैठ जाती है
अनु - क्या हुआ मधु ?
मधु - कुछ नहीं।
अनु - तो इतना जल्दी मे क्यों आयी , देख तेरी धड़कने अभी भी तेज है
मधु कुछ नहीं कहती है। पूरी क्लास मे उसका ध्यान कही ओर ही था वो बहुत उदास थी क्लास ख़तम होने के बाद सभी अपने अपने घर जाते है अनु और सनी का घर एक ही दिशा मे था तो वो दोनों चले जाते है उनके जाने के बाद मधु और आरव का घर एक ही तरफ था तो मधु आरव की बाइक पर जाती है आरव मधु को उसके घर छोड़ कर जा ही रहा था की
वो मधु से पूछता है - क्या हुआ मधु ?
मधु - कुछ नहीं हुआ।
आरव - तो उदास क्यों है।
मधु - नहीं उदास नहीं हूँ, बस आज थोड़ा मूड ऑफ है।
आरव - मधु यार, तू मुझसे झूठ मत बोला। माना की मै तुम्हें सिर्फ 1 साल पहले ही मिला हूँ लेकिन मै तुझे बहुत अच्छी तरह जानता हूँ अब बता क्या हुआ?
मधु थोड़ा हिचकते हुए कहती है - आज सुबह ज़ब मै छत पर थी तब मुझे अंश कॉलेज गेट से अंदर आते हुए दिखा उस समय हुआ तो कुछ नहीं लेकिन उसे देख एक अजीब सा दर्द हुआ। एक पल के लिए ऐसा अहसास हुआ जैसे कुछ पल के लिए ही अंश मेरे सामने है उसके बाद वो मेरी आँखों के सामने से ऑझल हो जायेगा शायद इस टाइम के अलावा कंभी वापिस नहीं देख पाऊँगी।
आरव - मधु , अंश तो सिर्फ तुम्हारा क्रश था ना।
मधु - नहीं वो सिर्फ मेरा क्रश नहीं था मै उससे प्यार करने लगी थी मैंने सोचा कि दूर जाकर उसे भूल जाउंगी ऐसा हुआ भी था मुझे लगा कि मै भूल गयी हूँ पर नहीं भूल पायी मै अभी भी उससे प्यार करती हूँ।
ऐसा बोलते मधु की आंखे भर आयी थी जिसे छुपाते हुए मधु कहती है - चलो छोड़ो, इस बारे मे इतना क्या सोचना, सबसे अच्छा है कि मै कभी उसके सामने ही ना आउ और ना ही कभी कोई बात करू। ऐसा करने से सब ठीक हो जायेगा। अगर अभी भी मिलती रही तो मुझे भी नहीं पता कि मै खुद को कैसे संभालूंगी ।
मधु ने सब कुछ इतनी आसानी से बोल दिया और अपने दुख को इस इस तरह से छुपा लिया था कि उसके चेहरे पर सिर्फ स्माइल के अलावा कुछ नहीं था।
आरव - तू ठीक है ना, मुझे तेरी फ़िक्र हो रही है।
मधु - हाँ, हाँ मै ठीक हूँ तुम्हें लगता है कि मै इस बात के लिए हमेशा दुखी ही रहूंगी और इस बात को इतना सीरियस लुंगी। कुछ दिनों मे सब ठीक हो जायेगा।
आरव - मधु,मैंने कभी तुम्हें इतना दुखी नहीं देखा।
मधु - क्योंकी मै खुश हूँ बस मन मे कुछ था तो बोल दिया।
आरव - गजब है ना?
मधु - क्या ??
आरव - सभी अपने तकलीफ को अंदर ही अंदर इतना दबा लेते है कि खुद कि चीखे भी खुद को सुनाई नहीं देती बस चेहरे पर एक मुस्कान दिखाई देती है।
मधु - मतलब???
आरव - कुछ नहीं! तू अब आराम कर, कल मिलते है।
मधु - ओके।
आरव - और हाँ, तू अपना ख्याल रखना।
मधु - हाँ, हाँ रखूंगी।
आरव - गुड।

आरव अपने घर चला जाता है।