मैं सौतन नहीं हूँ - 1 S Sinha द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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मैं सौतन नहीं हूँ - 1

 


                                                            कहानी -  मैं सौतन नहीं हूँ 

 


“ शेखर ,  हमारी पढ़ाई खत्म हुई और आज हमदोनों को डिग्री भी मिल गयी  . इसके बाद न जाने तुम कहाँ होगे और  मैं कहाँ रहूंगी   .  तुम जानते हो हमारा रिश्ता मुमकिन नहीं है  . इसलिए अब हमें मजबूरन एक दूसरे से जुदा होना ही पड़ेगा   . “ 


“  खुशबू  , मेरी तरफ से ऐसी कोई मजबूरी नहीं है   . मैंने अपने मम्मी पापा से बात कर ली है   . उन्हें दूसरे धर्म की लड़की से परहेज नहीं है   . “ 


“ पर मेरे मम्मी डैडी को है   . दीदी का जो हश्र हुआ मुझे अभी तक याद है   . उन्हें भी दूसरे धर्म के  लड़के से प्यार हो गया था   . पापा का कहना था कि अगर लड़का धर्म बदल दे तो उन्हें यह रिश्ता मंजूर है , वरना विधर्मी से शादी की तो   माता पिता के लिए वह मरी समझी जाएगी   . दीदी ने भाग कर लव मैरेज तो कर लिया  पर उसके बाद आज तक दुबारा घर में कदम नहीं रख सकी  . हमने सोचा था कि शायद दी को बच्चा होने पर मम्मी पापा  नाती को देख कर अपना विचार बदल देंगे   . पर दो दो नन्हें मुन्ने नातियों के  फोटो तक देखना उन्हें गंवारा  न था   . और मुझे मालूम है तुम भी अपना धर्म नहीं बदल सकते हो , इसलिए हमारी लव स्टोरी का  यहीं  द एन्ड हुआ   .  “ 


“ पर अभी कुछ ही दिनों पहले तक तुमने ऐसी कोई बात नहीं की थी और मुझे याद है तुमने भी कहा था कि अपनी दीदी की तरह लव मैरेज कर लोगी  . और इसी इरादे के चलते इसी के चलते तुमने खुद को ख़ुशी ख़ुशी मुझे समर्पित भी कर दिया था , याद है न   . “ 


“ हाँ , यूँ समझो कि उस समय मैं खुद को बहुत स्ट्रांग समझ बैठी थी और उनके विरुद्ध जाने की सोच बैठी  . और जहाँ तक बात समर्पित करने की थी तो मैं कुछ  पल के लिए कमजोर पड़ गयी थी और वह मेरी ज़िंदगी की पहली और आखिरी भूल थी , हमें ऐसा नहीं करना चाहिए था   . वह मेरी पहली और आखिरी भूल थी   . दीदी के जाने के बाद से मम्मी पापा को घुट घुट कर जीते देखा है  .  वैसे भी अब उन्हें  तकलीफ नहीं देना चाहती हूँ  . तुम मेरी तरफ से आज़ाद हो   . बेकार  हमलोगों को जिंदगी भर समाज से कट कर रहना पड़ेगा और उनके ताने  सुनने को मिलेंगे   . इस से बेहतर है एक बार मन को समझा लें और इस रिश्ते को भूल कर आने वाले जीवन की राह बदल लें   . “ 


शेखर ने खुशबू को आलिंगन में लेना चाहा पर उसने जल्द ही शेखर की बाहों से अपने को मुक्त कर के कहा “ नहीं शेखर , अब और नहीं   . मैं कमजोर हो कर टूटना नहीं चाहती हूँ   . तुम्हें भी समझना होगा   . “ 


“ एक बार ठीक से सोच लो   .  मैं और मेरे घर वाले तुम्हें आज भी सहर्ष स्वीकार करने को तैयार हैं   . “ 


“ मैं जानती हूँ शेखर और इसके लिए मैं तुम लोगों की आभारी हूँ   . पर मैं मम्मी पापा को अकेले नहीं छोड़ सकती हूँ   . मैं मजबूर हूँ  . मैं दीदी की तरह हिम्मतवाली नहीं हूँ  . बाय , टेक  केयर  ऑफ़ योरसेल्फ   . “ 


“ अरे , इस तरह बाय कर के चल दोगी  ? क्या इसके बाद हम दोनों बिलकुल अजनबी की तरह रहेंगे ? क्या हमारे बीच कोई रिश्ता नहीं रहेगा आज के बाद  ? कोई सम्पर्क का साधन तो होना चाहिए हमारे बीच  . “ 


“ हम दोनों के लिए  यही बेहतर है कि दोनों एक दूसरे को भूल जाएँ और अजनबी ही रहें  . मेरी शादी की बात भी चल रही है , अपने ही धर्म के लड़के से  . पापा के बहुत करीबी दोस्त का लड़का है  . मैं उनके खिलाफ नहीं जा सकती हूँ , तुम्हें समझना होगा शेखर  .  कांटेक्ट में रहने से फिर प्रेम का बीज पुनः पनपने लगेगा और  दोनों में कोई भी चैन से नहीं जी सकेगा  . “ 


खुशबू और शेखर के लिए यह आखिरी मुलाकात थी  .  एक महीने के अंदर ही खुशबू की शादी हो गयी और वह श्री लंका  चली गयी  . उसका  पति अरमान भारतीय मूल का था पर उसका श्री लंका के बेन्टोना  में बिजनेस था और वहीँ सेटल्ड था  .  बिजनेस कोई बहुत बड़ा नहीं था  . एक इंडियन रेस्टॉरेंट था जिसकी आमदनी अपनी जरूरतों और ख़ुशी से जीने के लिए काफी थी   . पर खुशबू की यह ख़ुशी ज्यादा दिनों के लिए नहीं रही   . 


शादी के एक महीने बाद ही  खुशबू को लगा कि वह प्रेग्नेंट है  . खुशबू का  मन कह रहा था कि  यह बच्चा उसके पति का नहीं हो सकता है   .  प्रेग्नेंसी टेस्ट  पॉजिटिव आया , मियां बीबी दोनों  खुश थे  . कुछ महीनों बाद  गाले  में इंडिया और श्री लंका का   क्रिकेट मैच था  . उसका पति मैच देखने जा रहा था   . हालांकि अरमान  नहीं  चाहता था पर  खुशबू ने भी गाले  जाने  की जिद ठान ली और कहा “ गाले  बेन्टोना से नजदीक ही है , एक घंटे में पहुँच जायेंगे   . “


वे  दोनों मैच  देखने जा रहे थे  . मैच शुरू ही होने वाला था , टॉस हो चुका था   . जल्दी पहुँचने के चक्कर  में अरमान ने कार की स्पीड बहुत बढ़ा दी    .  एक मोड़ पर किसी ट्रक से बचने के लिए अचानक ब्रेक लेना  पड़ा और  कार दो तीन पलटी खाने  बाद एक किनारे जा  गिरी   . इस भयंकर दुर्घटना में उसका पति अरमान बुरी तरह घायल हुआ  . खुशबू को भी काफी चोट लगी थी  . उसके एक पैर की हड्डी टूट गयी थी   .  उसकी जान को  कोई  खतरा नहीं था पर उसकी  एमरजेंसी डिलीवरी करानी  पड़ी  . दो दिनों के बाद अस्पताल में पति की मौत हो गयी  .मरने के पहले उसने अपनी बच्ची की एक झलक भर देखी  थी हालांकि वह पूरी तरह  होश में नहीं था  . मरने  के पहले  ही पति ने  उस से वादा लिया था कि उसकी मौत के बाद श्री लंका  में रह कर उसका बिजनेस खुशबू को देखना होगा  .  


खुशबू की बेटी मीना का चेहरा तो शेखर से काफी मिलता था साथ में उसकी बड़ी बड़ी आँखें और घुंघराले बाल भी शेखर जैसे ही थे  . यह सब देखने के बाद खुशबू को यकीन हो गया कि मीना उसके पति अरमान की संतान नहीं थी बल्कि वह उसके पहले प्रेम की निशानी थी  . 


इधर खुशबू के जाने के बाद से शेखर  उदास रहा करता था  . एक  साल तक माता पिता के दबाव के बावजूज वह शादी टालता रहा पर इसके बाद उसे शादी करनी पड़ी  . वह चेन्नई के एक मल्टीनेशनल कम्पनी में काम करता था  . शादी के करीब दस  साल बाद वह अपनी पत्नी और बेटे के साथ श्री लंका  गया   . इत्तफाक से एक दिन डिनर के लिए वह खुशबू के रेस्टॉरेंट में पंहुचा  .  खुशबू ने शेखर को देख कर पहचान लिया  . उसके टेबल पर आर्डर लेने वह खुद गयी  . पहली नजर में शेखर उसे पहचान नहीं सका  . कार एक्सीडेंट में हुए ज़ख्म भरने के लिए खुशबू के चेहरे पर दोनों तरफ काफी  टाँके लगे थे  .  शेखर ने अपनी पत्नी मीरा और बेटे अंशु की पसंद के डिश आर्डर किये   . खुशबू आर्डर ले कर चुपचाप चली गयी और फ्रंट डेस्क पर बैठ गयी   . 


क्रमशः