इश्क - एक नशा - 4 Krishna Kaveri K.K. द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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इश्क - एक नशा - 4

इश्क - एक नशा
कृष्णा सिंह कावेरी "के के"



पार्ट - 4



अनिरूद्ध के केबिन में एंटर करते ही जहां विनय सिर झुकाकर स्माइल करता है वहीं विनय का फेस देखकर अनिरूद्ध थोड़ा गुस्से में नजर आता है , जिसे देखकर विनय भी मुस्कुराना बंदकर के एकदम एक्सप्रेशनलेस फेस बनाकर स्ट्रेट खड़ा हो जाता है।



अनिरूद्ध लैपटॉप पर सी सी टीवी फुटेज देखे जा रहा था लेकिन 10 - 15 मिनट बीतने के बाद भी उसे नैना नजर नहीं आती है तो वो गुस्से में इरिटेट होकर कहता है,,,,, ये सब क्या है विनय? इतनी देर तक फुटज देखने के बाद भी वो लड़की क्यों नहीं नजर आ रही है? तुम मुझे बेबकूफ तो नहीं बना रहे हो ना? कहीं ऐसा तो नहीं है कि तुम उस लड़की के बारे में कुछ पता नहीं लगा पाएं हो.....! और इसलिए मेरे गुस्से से बचने के लिए ये बेकार और बोरिंग सी सी टीवी फुटेज दिखाकर मेरा टाइम वेस्ट कर रहे हो.....!



अनिरूद्ध को इस तरह गुस्से में बौखलाया देख , विनय उसे शांत करने की कोशिश करता है,,,,, कूल डाउन सर! प्लीज कूल डाउन! प्लीज शांत होकर एक मिनट के लिए मेरी बात तो सुनिए....!



अनिरूद्ध - कुछ नहीं सुनना है मुझे! बस जो काम तुम्हें दिया गया था , उसका रिजल्ट चाहिए मुझे....!



विनय - सर! मैं आपको रिजल्ट ही देना चाहता हूँ! लेकिन आप है कि मेरी एक भी बात सुन ही नहीं रहे है.....!



अनिरूद्ध - जो कहना है साफ साफ कहो! और हां एक बात अच्छी तरह से याद रखना इंतजार करवाने वाले और बेवजह वक्त बर्बाद करवाने वाले लोग मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं आते है , ऐसे लोगों को मैं बाहर का रास्ता दिखाने में ज्यादा देर नहीं करता हूँ।



विनय - वहीं तो मैं कब से कहने की कोशिश कर रहा था सर! हो सकता है फुटेज को फास्ट फॉरवार्ड कर के देखने की वजह से वो लड़की कहीं पे स्किप हो गई हो.....! मैं सारे लड़कियों की वीडियो पाऊस कर के उनके फेस का स्क्रीन शार्ट ले लेता हूँ , जिससे अगर जल्दी जल्दी में किसी लड़की की फुटेज स्किप भी हो गई होगी तो अब आसानी से दिख जाएंगी।



फाइनली विनय की बातें सुनकर अनिरूद्ध थोड़ा रिलेक्स हो जाता है और सारे गर्ल्स की पिक्चर को उसके ईमेल आईडी पर सेंड करने को बोलकर मीटिंग अटेंड करने चला जाता है।



अनिरूद्ध के केबिन से जाते ही विनय भी लैपटॉप के साथ केबिन से बाहर आता है।



रजत की नजर विनय पर जाती है , उसे पता चल जाता है कि विनय टेंशन में है। वो उसके पास जाकर कहता है,,,,, अब क्या हो गया यार! चेहरे पर 12 क्यों बजा रखे है? देख यार विनय! तेरी शक्ल ही ऐसी है कि अगर जरा सी भी कोई बात हो जाए ना तो सारा टेंशन चेहरे पे साफ साफ नजर आने लगता है। अब ज्यादा भाव खाने की जरूरत नहीं है , जल्दी से बता क्या बात है? अनिरूद्ध सर! ने फिर से कोई स्पेशल टास्क तो नहीं दे दिया ना?



विनय , अनिरूद्ध सर! से हुई सारी बातें रजत को बता देता है।



ओह! तो ये बात है! इट्स ओके! कोई बात नहीं , तुम्हरा ये दोस्त कब काम आएंगा.....! चलो हम दोनों मिलकर अनिरूद्ध सर! की उस हूर पारी को ढूंढते है , बोलकर रजत हँसते हुए विनय को अपने साथ स्टाफ कैंटीन की ओर ले जाता है।



दीया किचन में दोपहर के खाने की तैयारी कर रही है। वहीं सुजाता अपने कमरें में बैठी कुछ सोच रही थी,,,,, पता नहीं ये दोनों बहनें यहां से कब बिदा होगी? इस दीया! को तो फिर भी कोई मिल भी जाएंगा! लेकिन उस अंधी नैना! को कौन पूछेगा? माना कि दिखने में खूबसूरत है! लेकिन ये भी सच है कि लड़की चाहें बढ़ी लिखी खूबसूरत ही क्यों ना हो.. अगर उसमें रत्ती भर भी कोई खोट हो ना तो उसे पूछने वाला कोई नहीं होता है।



कुछ देर बाद सुजाता अपने कमरें से बहार आती है और सीधे किचन में दीया के पास आकर कहती है,,,,, वैसे दीया! तुम्हें नहीं लगता कि अब वो वक्त आ गया है , जब तुम्हें भी शादी कर के अपना घर बसा लेना चाहिए , आखिर सारी उम्र अपने भाई के घर तो पड़े नहीं रहा जा सकता ना!



सुजाता की बात सुनकर दीया समझ चुकी थी कि उनकी भाभी को उन दोनों बहनों का , उनके साथ उसी घर में रहना अब बिल्कुल भी रास नहीं आ रहा है इसलिए वो जल्दी जल्दी उन दोनों बहनों की शादी करवाना चाहती है।



हां भाभी! आपने ठीक कहा.. एक ना एक दिन तो सबको शादी करनी ही पड़ती है। आप बिल्कुल भी टेंशन मत लीजिए.. आज नहीं तो कल मेरी और नैना की भी शादी हो ही जाएंगी.. "क्योंकि कहते है चाहें अच्छा हो , या बुरा हो , ईश्वर ने सभी के लिए किसी ना किसी को तो बनाया ही होता है , जो सही वक्त आने पर उसे जरूर मिलता है।"



दीया की बात सुनकर सुजाता मुँह बनाते हुए वापस अपने कमरें में चली जाती है।



स्टाफ कैंटीन में सब लोग खाना खाकर वापस ऑफिस की ओर जाने लगे थे लेकिन रजत और विनय अभी भी लैपटॉप पर बिजी नजर आ रहे होते है।



मुझे लगता है ये वाली होगी? देख ना यार! कितनी ब्यूटीफुल है.. और ये वाली तो उससे भी ज्यादा ब्यूटीफुल है.. ओ माई गॉड! ये जगह तो किसी पैराडाइज से कम नहीं है.. यहाँ पर जहाँ देखो वहाँ बस ब्यूटी ही ब्यूटी है। हाय! मेरी फूटी किस्मत.. इस दुनिया में जॉब करने के लिए इतनी अच्छी और मजेदार जगह होने के वाबजूद मैं कहाँ इन बेकार फाइलों के बीच में बस गया हूँ.. काश कि मैं भी इस जगह पर जॉब कर रहा होता तो जिंदगी किसी स्वर्ग से कम नहीं होती.. चारों तरफ बस मस्ती भरे गानों के साथ खूबसूरत कन्याओं की छत्रछाया होती.. और मैं उनके बीच चैन की बांसुरी बजाता रहता।



सब लोग कैंटीन से चले गए रजत! और लंच टाइम भी आधे घंटे पहले ओवर हो चुका है। पिछले एक घंटे से तुम बस फालतू की बकवास ही कर रहे हो.. इस तरह से तो ऑफिस टाइम ओवर होने के बाद भी मेरा काम नहीं होगा , विनय थोड़ा गुस्से में लेकिन उदासी भरी नजरों से घूरते हुए कहता है।



विनय को इस तरह से घूरता हुआ देख रजत को भी रिलाइज हो जाता है कि उसका दोस्त सच में बहुत परेशान है इसलिए अब वो भी सिरियस होकर विनय के काम को करने में लग जाता है। लगभग 15 - 20 मिनट के अंदर वो सारी लड़कियों की पिक्चर को पीडीएफ फॉर्मेट में कन्वर्ट कर के अनिरूद्ध सर! की ईमेल आईडी पर मेल कर देता है।



To be continued.....


Thanks for Reading.....


Written and Copyrighted by @Krishna Singh Kaveri "KK"