YOU ARE MINE - 3 Nidhi Parmar द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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YOU ARE MINE - 3

उस आवाज को सुन के मेंने अपने आपको संभाल लिया और उससे नजरे चुराके अपना काम करने लगी और वो बोलने लगा मुझे तुमसे बात करनी है अभी!!! और मेने उसको अनसुना कर के अपना पर्स और गाड़ी की चाबी लेकर वहा से निकल गई और वो जैसे ही मेरे पीछे आने लगा वहा उसके मैनेजर ने रोक दिया । में गाड़ी चलाते समय पे सोच रही थी ये क्यों आया फिर से ..? क्यू मेरी ही कंपनी में आया ...? ये सब होने के बाद मेने घर पे जाके अपने आपको संभाल लिया और आज जो हुआ उसके बारे में अपने घर पे नही बताने का नक्की किया और वीकेंड आ गया तो मैं वापस अपने मम्मी पापा के पास चली गई ।
इस बार वो दोनो परेशान थे मेरे लिए क्युकी मैने उनको इस सप्ताह में ठीक से बात नहीं की थी । मुझे वो दोनो समझाने लगे शादी कर लो ... हमे चिंता रहती है तुम्हारी , तुम्हारी उम्र की लड़किया शादी कर के अभी मां भी बन गई है !!! अब तो शादी कर लो और मैने बोल दिया आप ढुंढलो में मना नहीं करूंगी और ये बात सुन के वो लोग बहुत ही खुश हो गए और में वापस पुणे आ गई । जब मै ऑफिस में अपने टेबल पर गई तो वहा पे वो खड़ा था और वो कोई नही सार्थक शाह था । जिसे में बहुत प्यार करती थी और उसे यू देख कर मैं कुछ नही बोला और अपना काम करने लगी वो अपने दस बॉडीगार्ड को लेकर मेरी ऑफिस में आया था और मेरी ऑफिस में सभी लोग हमे ही देख रहे थे । जिया मुझे तुमसे बात करनी है .. थोड़ी देर के लिए मैने कहा टाइम नही है मेरे पास ...और इतना बोलने के बाद वो चला गया।

उसके जाने के बाद पूरी कंपनी में बात होनी चालू हो गई की जिया और ये सर का क्या चक्कर चल रहा है ..? इसने अपनी जाल में तो नही फसाया और कही सारी बात करने लगे मेरे चरित्र पे भी उंगली उठाने लगे क्योंकि मेने छोटी उम्र में उन सबसे ज्यादा ऊंचा पद पे काम कर रही थी और वो सब एक मौका ढूंढ रहे थे मुझे नीचा दिखाने का...और ये सब बात पहले तो मुझे परेशान नहीं कर रही थी लेकिन बाद में ये सब बढ़ता गया । सार्थक शाह मुझे हर रोज मिलने आता था और एक ही बात कहता था कि मुझे तुमसे बात करनी है और मेरे मना करने से वो कुछ बोल बिना ही चला जाता था । सभी लोग अब मेरे पीठ के पीछे मेरा मजाक बनाने लगे थे...? इस सबसे अभी में परेशान हो गई थी और अकेले पड़ गई थी इसलिए मैंने कंपनी छोड़ने का सोचा और इन सबसे दूर अपने भाईके पास जाने की तैयारी करनी शुरू करदी ।
मैने शनिवार को सुबह जाके पहले ही अपना इस्तीफा अपने CEO विक्रम राणा को देना का नक्की किया और जब में वहा पे उसकी केबिन में गई तो वहा पे उसकी फोटो
लगाई हुई थी और उसका नाम लिखा हुआ था और ये देख के मैं चौंक गई और सोचने लगी ये तो वो ही अकडू है । उसके केबिन केबाहर मैं १५ मिनिट तक बैठी और अपनी बारी की राह देखने लगी और जब मेरी बारी आई तो में उसके केबिन में गई तो उसने मुझे कम इन बोलके अपनी फाइल देखने लगा और मैने बिना कुछ कहे अपना इस्तीफा दे दिया । मैने जैसेही उसको ये दिया उसने अपनी बड़ी बड़ी आंखें मेरी तरफ की और मेरा इस्तीफा मंजूर कर दिया और बोला जो भी काम तुम्हारे हाथ के नीचे है उसको पूरा करने के बाद तुम जा सकती हो । मैने उसके सामने बड़े गुस्से से देख के और दांत पिसके बोला ठीक है।

मेरे इस्तीफे की बात वायु वेग की तरह पूरी कंपनी में फैल गई । जब ये बात सार्थक के पास गई तो वो कंपनी में आ गया और मुझे खींच के एक केबिन में ले गया । में बोल रही थी की ये क्या बत्मीजी है ...? होंश में तो हो..? उसने मुझे कुछ जवाब ही नहीं दिया और बोल ने लगा ये क्या मजाक चला रहा है जिया ...? मैने उसको जवाब दिया तुमसे ही शिखा है मजाक करना. तुमने अभी तक ये सब याद रखा है ( सार्थक) भूलने लायक क्या था मिस्टर सार्थक शाह !!!! ( मैने गुस्से में बोला ) .(सभी लोग की भीड़ जमा हो गई )कोई तमाशा चल रहा है यहां , अपना काम करो जा के ( सार्थक गुस्से में )
तमाशा !!!! इतने छोटे छोटे तमाशों की आदत होंगी है ना तुम्हे..? क्यू आये हो यहां पे ...? ( मेरी आजव में खराश आने लगी ) ये सभी विक्रम बाहर खड़ा हो के देख रहा था । तुम्हे क्या लगता है की मैं तमाशा करता हु ..? ( सार्थक)
हा !!!! और तुम्हे मजा आता है मुझे नीचा दिखाने में . तुम्हे क्या चाहिए ..? क्यू आए हो..? चले जाओ...?( मेरी जीभ लड़खड़ा रही थी ) तुम से प्यार करता हु इसलिए यहां पे आया हूं और ये कोई मजाक नहीं है !!!! ( सार्थक)
प्यार!!! प्यार !!! मतलब भी पता है इसका ...? कब था प्यार ..? किस की तरफ से था..? ( में उसको पूछ रही थी ) और उसने मुझे जोर से गले लगाया और बोलने लगा की मुझे पता है मेरी गलती थी .. लेकिन मुझे मेरी गलती का एहसाह है । तुम्हे जो सजा देनी है वो दे सकती है लेकिन मुझे छोड़ के मत जाओ में तुम्हारे बिना मैं नही रह सकता और मैं उसको अपने से दूर करने लगी और इसमें मुझे उससे धक्का लग गया और में जोर से नीचे गिरने वाली थी और वहा पे अचानक किसने आके मुझे बचाया ।