अनसुलझा प्रश्न (भाग 12) Kishanlal Sharma द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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अनसुलझा प्रश्न (भाग 12)

36--ममता
रंजना की शादी नरेन से हुई थी।नरेन सरकारी विभाग में अफसर था।वह अपने माता पिता से बहुत प्यार करता था और वे उसके साथ ही रहते थे।कान्वेंट में पढ़ी आजाद ख्यालो की मॉडर्न पत्नी को यह पसन्द नही था कि अनपढ़ फूहड़ सास श्वसुर उनके साथ रहे।उसने पति से कहा,"अपने मम्मी पापा को गांव भेज दो।"
"इस उम्र में वहां उनकी कौन देखभाल करेगा?"
रंजना ने कई बार पति से सास श्वसुर को गांव भेजने के लिए कहा।पर हर बार नरेन ने मना कर दिया।जब पति प्यार से नही माना तो नरेन ने जिद्द का सहारा लिया।पति जिद्द के आगे भी नही झुका तो उसने त्रिया चरित्र दिखाया।उसने श्वसुर पर तरह तरह के आक्षेप लगाए।लेकिन नरेन ने सब नकार दिये।
जब प्यार,जिद्द और त्रिया चरित्र का पति पर कोई असर नही हुआ तो रंजना नाराज होकर मायके चली गयी।
नरेन ने सोचा था।गुस्सा शांत होने पर वह लौट आएगी।लेकिन वह कई महीने बाद भी नही आई तो नरेन पत्नी को लेने के लिए जा पहुंचा।उसने पत्नी को प्यार से समझाया पर वह एक ही रट लगाए रही,"जब तक अपने माँ बाप को गांव नही भेजोगे।मैं नही चलूंगी।"
" ठीक है तुम यहाँ रहना चाहती हो तो रहो लेकिन मेरा बेटा मुझे दे दो।"नरेन पत्नी की गोद से बच्चा लेकर चल दिया।
जैसे जल बिन मछली ऐसे ही सन्तान बिन माँ।न चाहते हुए भी सन्तान का मोह रंजना को पति के पीछे खींच ले गया।
37--बलि का बकरा
घूस लेने के आरोप मे मंत्रीजी की कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा था।किसी तांत्रिक ने मंत्रीजी को सलाह दी--अगर बकरे की बलि दी जाए तो उनकी कुर्सी बच सकती है।
कई बार से वह सांसद चुनकर आ रहे थे।लेकिन मंत्री नही बन पाए थे।जैसे तैसे इस बार मंत्री बने,तो साले साहिब के पकड़े जाने पर उनकी कुर्सी खतरे में पड़ गयी थी।हाथ आयी कुर्सी छोड़ना नही चाहते थे।अतः तांत्रिक के कहने पर बाजार से बकरा खरीद कर लाया गया।पूजा अर्चना करने के बाद मंत्रीजी बकरे के सामने चारा डाल रहे थे।
हरे हरे चारे को कौन बकरा छोड़ता है।लेकिन इस बकरे ने चारे की तरफ देखा तक नही।उसका मन चारा खाने को बिल्कुल नही कर रहा था
।बकरे को भनक लग गयी थी, मंत्रीजी की कुर्सी बचाने के लिए उसकी बलि दी जाने वाली है।
बकरा सोच रहा था।रिश्वत मंत्रीजी के साले ने ली और जान उसकी जाएगी।
38--अनुत्तरित प्रश्न
"अरे कपड़े गन्दे कैसे कर लाये?"पति पर नज़र पड़ते ही सरोज ने पूछा था।
"कुत्ते को बचाने के चक्कर में----
दीपक रोज की तरह ऑफिस से अपने घर लौट रहा था।एक कुत्ता सड़क के किनारे बैठा सो रहा था।जैसे ही दीपक का स्कूटर कुत्ते के पास आया।कुत्ता अचानक उठकर भागा।कुत्ते को बचाने के चक्कर मे स्कूटर पलट गया और दीपक गिर पड़ा।उसके कपड़े गन्दे हो गए
पति की बात सुनकर सरोज बोली,"कुत्ते को चोट तो नही लगी?"
"तुम कैसी पत्नी हो।पति की चोट की नहीं, उस आवारा कुत्ते की चोट की चिंता कर रही हो।"पत्नी की बात सुनकर दीपक बोला था।
"तुम्हारी देख भाल करने के लिए घर मे कई लोग हैं,"पति की बात सुनकर सरोज बोली,"कुत्ते को चोट लग गयी होगी,तो ऐसे ठंडे मौसम में उस कुत्ते की देख भाल कौन करेगा?"