चलते-चलते अब दोपहर हो चुकी थी । ऊपर आसमान में सूरज काफी जोरों से चमक रहा था । मगर यहाँ जंगल में पेड़ों की छाँव ही काफी थी ठंडक के लिए ।
राशि चलते-चलते थक चुकी थी । वह आराम करना चाहती थी । जब उसने एक पेड़ के नीचे पड़े पत्थर को देखा तो उससे रहा नहीं गया । वह तुरंत भागकर उस पत्थर पर जा कर बैठ गई ।
अभी भी राशि के साथ ही चल रहा था । वह भी काफी थक चूका था । मगर वह जनता था कि थोड़ी दूर पर ही एक ठंढे पानी का झरना था और सभी लोग वहीं से होकर गुजरने वाले थे, तो अभी ने राशि को थोड़ी दूर और चलने को कहा ।
"अरे बैठ क्यों गई? थोड़ी दूर में झरना आने वाला है । वहीं सबलोग हमारा इंतज़ार कर रहे होंगे । चलो ।" अभी ने राशि से कहा ।
"मैं अब और नहीं चल सकती । मैं थक चुकी हूँ यार । मेरे पैर भी दर्द कर रहे हैं ।"राशि ने थके हुए सुर में कहा ।
"अरे चलो उठो, वरना मैं तुम्हें यहीं छोड़ के चला जाऊँगा । चलो ।" अभी राशि से चलने को कहता है और उसका हाथ पकड़कर उसे उठाने की कोशिश करता है ।
राशि खड़े होते हुए "अरे रूको क्या कर रहे हो ।"
अभी कहता है " अगर हम यहाँ थोड़ी देर और रोके न तो सब हमें छोड़कर चले जायेंगे, समझी । अब चलो जल्दी यहाँ से ।" इतना कह कर अभी उसे पीछे से धकेलने की कोशिश करता है ताकि राशि आगे बढ़ सके ।
"अरे चल रही हूँ न धकेलना बंद करो ।"
रास्ते आसान नहीं थे राशि के लिए मगर अभी साथ में था तो वह उसे हमेसा आगे बढ़ने को कहता रहता था । वह उसे प्रकृति का मज़ा लेने को कहता । तो कभी आसमान को महसूस करने को कहता । वह रास्ते भर राशि को अपनी खामोश गलियों से निकल कर एक नयी दुनिया से मिलने को कहता । वह खुश था । दिल से ख़ुश था ।
वहीं राशि अपनी ख़ुशी पर चुपी लगाए बैठी थी । वह नहीं जानती थी कि वह कैसे अपने दुखों को छोड़ अभी की तरह खुश रह सकती थी । वह नहीं जानती थी कि वह अपने दिल की बात कैसे बंया कर सकती थी । वह अकेली थी ।
कुछ देर चलने के बाद अभी और राशि उसी झरने के पास पहुँचते हैं जिसके बारे में कुछ देर पहले अभी बात कर रहा था ।
झरने के पास बाकि लोग भी मौजूद थे जो उनसे आगे निकल गए थे । वे सभी झरने के ठंडे पानी का मज़ा ले रहे थे। कोई पानी में डुबकियां लगा रह था तो कोई अपनी फोटोज़ खिंचवा रहा था ।
वे सभी राशि और अभी को आता देख अपना हाँथ हिलाते हैं और उनमें शामिल होने को कहते हैं । अभी भी अपना हाँथ हिलाते हुए उनके पास दौड़ पड़ता है और एक बड़ी सी छपाक के साथ पानी में कूद जाता है ।
अब, अभी तो बाकि लोगों के साथ मज़े करने चला गया मगर राशि किसी को जानती नहीं थी तो वह वहीं अकेले खड़ी होकर बाकियों को देख रही थी ।
राशि को अकेला खड़ा देख वहीं झरने के किनारे बैठी एक लड़की ने राशि को हाँथ हिलाकर अपने पास आने को कहती है ।
"हाई । इधर आओ । वहां अकेले क्या कर रही हो?"
राशि उस लड़की के पास जाती है । वह लड़की राशि को पानी की बोतल देते हुए उसका नाम पूछती है "ये लो । तुम्हारा नाम क्या है?"
"राशि ।"
"राशि, नाइस नेम । मैं अनन्या ।" अनन्या राशि से हाथ मिलाकर कहती है ।
"ये ज्योति...ये कल्पना और वो प्रिया है ।"
"हाई, हेलो ।" सभी लड़कियों ने एक दूसरे से हाथ मिलाया और अपना परिचय एक दूसरे से किया ।
"तुम यहाँ अकेली आयी हो?" नरम आवाज में कल्पना पूछती है ।
"हाँ ।"
"तुम कहाँ से हो?" प्रिया जिज्ञासु होकर पूछती है ।
"मुंबई ।"
" मैं भी मुंबई से हूँ । तुम मुंबई में कहाँ से हो?
" अंधेरी।"
"तुम्हारा अपना घर है?"
"नहीं, मैं वहां काम करती हूँ ।"
"ओ... तो तुम्हारा घर कहाँ हैं?"
"राजपुर।"
"ये राजपुर कहाँ है?"
"महाराष्ट्र में ही एक गाँव है।"
"तो तुम यहाँ क्या कर रही हो? घूमने आयी हो?"
अनन्या प्रिया के सवालों को लगाम लगते हुए कहती है,
"ओ सवालों की देवी बस करो । कितना सवाल पूछती हो । साँस तो लेने बेचारी को । देखो कितनी हैरान लग रही है ।
"अरे कोई बात नहीं ..." राशि हल्के आवाज़ में कहने की कोशिश करती है।
"क्या मैं तो बस पूछ रही हूँ ।" प्रिया ने कहा है और अपने फ़ोन में व्यस्त हो गई ।
यह सब देखकर अब राशि के चेहरे पर एक हलकी सी मुश्कान आने लगी थी ।
तभी अचानक कहीं से लड़कियों को पानी के छींटे पड़ते हैं ।
"अरे... ।" अनन्या के मुँह से आवाज निकलती है ।
"अरे! क्या कर रहे हो अभी... जाओ उधर जाकर ... ।" इसके आगे कल्पना कुछ बोल पाती अभी लड़कियों पर और पानी की बूँदें छिंट देता है । सभी लड़कियाँ अब उसे घूरकर देखती हैं और इस दौरान प्रिया तेजी से उठकर बोलती है।
"तेरी तो...अभी मैं तुम्हें मज़ा चखाती हूँ ।" इतना कहकर प्रिया दौड़ पड़ती है अभी के पीछे ।
"रुको मैं भी आती हूँ ।" ज्योती कहती है और वह भी अभी को मज़ा चखने उसके पीछे दौड़ पड़ती है ।
"रुक अभी कहाँ भाग रहा है । हम तुझे आज नहीं छोड़ेंगे । रुक ।" प्रिया कहती है ।
"तुम रुकने बोलोगी और मैं रुक जाऊँगा । पागल हूँ क्या । तुम दोनों मुझे मार न डालोगी ।" अभी जवाब देता है ।
"इसकी तो....अभी रुक वरना सही में मार डालूंगी ।" प्रिया ने कहा ।
भागते - भागते अभी झरने से सटी एक बड़ी सी चट्टान पर चढ़ जाता है और ऊपर चढ़कर प्रिया और ज्योती को चिढ़ाने लगता है ।
अभी को ऐसा करता देख प्रिया और ज्योती दोनों उसके पीछे भागती हैं उसे पकड़ने के लिए ।
मगर...अभी हाथ आने वालों में से नहीं था वह प्रिया और ज्योति के ऊपर आने से पहले ही झरने में छपाक से कूद जाता है ।
अब प्रिया और ज्योती दोनों ही चट्टान के ऊपर से अभी को पानी में गोते लगते देख रही थीं । मगर प्रिया का मन तभी शांत होता जब वह अभी के कान न पकड़ लेती । तो बिना देरी करते हुए प्रिया ने ज्योति से नज़रें मिलाई और उसे पानी में कूदने का इशारा करते हुए दोनों अचानक से झरने में कूद गईं ।
अब अभी के बचते का कोई रास्ता नहीं था क्योंकि पानी में जो लड़के पहले से मौजूद थे, वे भी अब लड़कियों के साथ हो लिए । बेचारा अभी पकड़ा गया ।
यह सब देख अनन्या और राशि दोनों के मुँह से भी हंसी छूट गई । दोनों जोर - जोर से ठहाके लगाकर हंसने लगीं ।
कुछ देर बाद, जब सभी पानी से बाहर आए तो अनन्या ने लड़कों से राशि का परिचय करवाया ।
"गाइस, ये राशि है।"
" हाई ।" राशि ने अपना हाथ हिलाया ।
"ये हमें जोइन कर रही है और ... अब...आगे हमारे साथ ही जाएगी ।"
"वेलकम अबॉर्ड । आई'म जय ।"
"हाई ।" राशि अपना हाँथ हिलाते हुए जय को हाई कहती है ।
"मैं देवाँक हूँ। तुम मुझे देव कह सकती हो।"
"ओके, देव । हाई ।"
"हाई.... '"देव रिप्लाई करता है ।
"मैं गौतम हूँ और ... ये पैट्रीक है । ये फिलीपिंस से आया हैं यहाँ धूमने के लिये ।
"हाय ।" पैट्रिक ने कहा ।
"और मैं यहाँ की कैम्पिंग साइट का आर्गेनाइजर वशी हूँ ।"
"हेलो एंड आई एम सो सॉरी ऐसे आप लोगों के बीच आने के लिए ।" राशि कहती हैं ।
"अरे कोई बात नहीं ।" देव और जय एक साथ कहते हैं ।बाकि के लोग भी उनकी हाँ में हाँ मिलाते हैं ।
अब जब सब राजी थे इस सफ़र के अगले पड़ाव में जाने के लिए तो बिना देर करते हुए सभों ने अपना - अपना बैग उठाया और निकल पड़े अपनी मंज़िल की ओर, जो पहाड़ी के टॉप पर की कैंम्पिंग साइट थी ।
इस कैम्पिंग साइट से कई और मनोरम कर देने वाली जगहों पर जाया जा सकता था ।
वाशी जो कैम्पिंग साइट का आर्गेनाइजर था, वह लोकल था और एक गाइड के रूप में काम करता था ताकि लोग सही सलामत पहाड़ों में आ - जा सकें ।
रस्ते में चलते - चलते वाशी सभों को बताया जा रहा था कि कैंपिंग साइट पर पहुंच कर आगे वो क्या - क्या करेंगे ।
"देखो गाइस, हमें कैंपिंग साइट पर पहुँचते - पहुंचेते शाम हो जाएगी और जब हम वहां पहुंचेंगे तो कैंप पर आपलोगों के लिए टेंट पहले से लगे हुए होंगे । आपको बस अपनी पसंद का टेंट चुनना है ।"
"आप थोड़ी देर आराम करोगे, फ्रेश होंगे फिर आपको कुछ खाने पिने को दिया जायेगा ।"
"क्या हमें चाय भी मिलेगी?" देवाँक जिज्ञासु होकर पूछता है ।
"हाँ भाई,चाय भी मिलेगी ।'" वाशी जवाब देता है ।
"नाश्ते के कुछ देर बाद आपको डिनर मिल जायेगा । आपलोग डिनर करके आराम कर सकते हो ।"
"मगर डिनर के बाद हम वहां कैंप फायर करते हैं । तो अगर आप लोगों को कैंप फायर जोइन करना हो तो आप वो भी कर सकते हैं ।" वाशी कहता है और सभों को गाइड करता हुआ सभी के आगे - आगे चलता है ।
वहीं पीछे अभी और बाकि लड़के अभी से अपनी फोटो खिंचवाते हुए, कुछ सेल्फी लेते हुए, तो कुछ पोज़ देते हुए दिख रहे थे । लड़कों को अपनी फोटोज़ किल्क करवाता देख लड़कियाँ कहाँ पीछे रहने वाली थीं । ज्योति, कल्पना और प्रिया भी अपनी फोटोज़ लेने में जुट गयीं ।
चलते - चलते सभी अपनी अतरंगी फोटोज ले रहे थे वहीं अनन्या और राशि एक दुसरे से बातें कर रही थीं।
और बातों - बातों में राशि को पता चलता है कि अनन्या उन्तीस साल की है और उसकी एक बार शादी भी हो चुकी है । मगर शादी के चार साल के बाद भी बच्चा न होने के कारण उसकी शादी टूट गई ।
अनन्या एक मेच्योर किस्म की लड़की थी । उसकी लाइफ बिलकुल एक खुली किताब की तरह थी । वह अपने दिल की बात रखने में हिचकिचाती नहीं थी । उसके दिल में हजारों चोटें थी जैसे बच्चा न होने का दर्द, शादी टूटने का दर्द, दुनिया के तानों का दर्द, अपने ही घरवालों के न अपनाने का दर्द ।
मगर अनन्या जल्दी टूटने वालों में से नहीं थी । उसे चीजों को जाने देना आता था । उसने किसी तरह अपने आप को संभाला और अब वो एक बच्चों के एनजीओ में काम करती है जो अनाथ बच्चों को बेटर एजुकेशन एंड लाइफ दिलाने में हेल्प करती है ।
राशि को अनन्या की लाइफ काफी इन्स्पिरिंग लगी और उसे एहसास होने लगा कि उसकी तकलीफें तो अनन्या की तकलीफों के सामने कुछ भी नहीं हैं ।
"कितनी हिम्मतवाली है अनन्या ।" यह सोचते हुए राशि अनन्या को मुस्कुराकर देखती है । और अब उसे इस सफ़र में एक नई उम्मीद दिखने लगती है । वह जानने लगती है कि उसकी दुनिया के बाहर भी एक और दुनिया है जो उसकी सोच से बहुत बड़ी है ।