“यार अच्छे फंस गए.. यहाँ तो, अब क्या जवाब देंगे इन्हें?”, ऑर्डर देने खड़ी निया ध्रुव से पूछती है।
“पता नहीं, पर तुम्हें नहीं लगता की हमारे पास ज़्यादा बड़ा हुक्कम का इक्का है। आई मीन रीलैशन्शिप वाले तो किसी भी दो लोगों का ब्रैकअप हो सकता है, पर शादी शुदा लोगों के लिए तो इतना आसान नहीं है।"
“हाँ, कह तो सही रहे हो.. इतनी भी फिक्र करने की बात नहीं है। वैसे भी हम कौन सा सही में साथ में है।"
“फिक्र नहीं.. मुझे तो खुशी है, इस बार का तो मेरा प्रमोशन पक्का।", ध्रुव खुश होकर बोला।
“तुम वैसे भी इतना अच्छा काम करते हो, वो तो मिल ही जाता।"
“ये तुम्हारी गलतफ़हमी है, अच्छा काम करने से कुछ नहीं मिलता, और अब तो जब सामने तुम्हारे जैसा प्रतिद्वंदी हो, तो कुछ भी पक्का नहीं होता।"
“हाहा.. धन्यवाद। चलो अब चले, नहीं तो यही आकर सवाल जवाब करने लग जाएंगे वो दोनों।", ऑर्डर की एक प्लेट ध्रुव को देकर दूसरी खुद उठाते हुए निया बोली।
“हाँ.. तो अब बताओ क्या चल रहा है?”, उनके पहुँचते ही चंचल ने बोला।
“अगर मान भी लीजिए, की कुछ है भी तो भी आपको इससे कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।", ध्रुव ने जवाब दिया।
“क्यों नहीं होनी चाहिए, तुम किसी तरह चीटिंग भी तो कर सकते हो, दूसरे बंदे के लिए।"
“उसकी फिक्र आप मत कीजिए, हमने ईमानदारी से लड़ने का वादा पहले ही कर रखा है एक..”, ध्रुव ये बोल ही रहा होता है, की इतने निया उसकी बात को काटती हुई बोली।
“चीटिंग तो आप लोग भी कर सकते हो.. आखिर आप लोगों की तो शादी हुई हुई है।"
“कर सकते थे.. पर नहीं कर सकते।”, नीतू सांस छोड़ते हुए बोली।
“मतलब?”, उन दोनों ने पूछा।
“मतलब.. जैसे तुम्हें पता लग गया, वैसे हमारी नीतू मैडम को भी पता लग गया। उन्होंने हमे पिछले दिनों किसी रेस्टरों में देख लिया था। एक तो पहले से ही किसी से लड़ कर आई लग रही थी, ऊपर से अगले दिन हमारी भी क्लास ले ली। तो अब ये काम्पिटिशन की बाद, ये तो तय है की ज़रोर में या तो सुनील होंगे या मैं।", चंचल ने दोनों को समझाया।
चंचल की ये बात सुनते ही निया और ध्रुव दोनों ने ही सर झुका सा लिया।
“क्या हुआ? तुम लोगों का तो कोई हाथ नहीं था ना इसमें।", चंचल ने उनके लटके हुए चेहरे देख कर पूछा।
“नहीं.. बिल्कुल नहीं।", निया और ध्रुव ने जवाब तो बेशक नहीं मे दिया था, पर उन्हें लग रहा था की ये पक्के से उसी दिन की बात है, जब वो लोग नीतू से पहली बारिश के सिलसले में मिलने गए थे। उस दिन निया ने चंचल जैसे किसी को देखा भी था।
“तो इसलिए.. वो टाइम कम हुआ था?”, निया ने पूछा।
“हाँ", सुनील ने जवाब दिया। "अब सारे सवाल जवाब हो गए हो, तो चले अब?”, सुनील चंचल की तरफ़ देख कर पूछता है।
“बस एक चीज़ और.. ऐसी और कोई तो बात नहीं ना, जो हमारी जाननी जरूरी हो?”, निया ने पूछा।
“तुम्हारा तो ये भी जानना जरूरी नहीं था", चंचल ने हल्का चिड़ते हुए जवाब दिया। "ये जो भी चल रहा है ना, इसका मुझे कोई भी असर तुम्हारे किसी भी काम पे नहीं दिखना चाहिए, नहीं तो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा।", चंचल ने आगे बोला।
“जी..”, निया ने जवाब दिया।
“और तुम दोनों ये जान लो, अगर तुम्हें ये चाहिए, की तुम्हारा ये राज़ राज़ रहे, तो हमारा राज़ भी राज़ ही रहना चाहिए, नहीं तो हम अकेले तो नहीं जाएंगे.. बुरा होगा तो सबका एक साथ बुरा ही होगा।", सुनील ने ये बोलते हुए, अपने सीट से उठा।
“हम ध्यान रखेंगे इस बात का।", ध्रुव ने सुनील की तरफ़ देखते हुए बोला।
सुनील और चंचल वहाँ से उठ के चल दिए। निया और ध्रुव अभी वहीं कैफै में बैठ कर अपना खाना ही खत्म करने लगे हुए थे।
“मुझे नहीं पता था.. की सुनील भी इतनी खतरनाक बातें करते है।"
“वेलकम टू माई वर्ल्ड।", ध्रुव ने हँसते हुए बोला। "तुम्हें क्या लगा था, की सुनील हमेशा बहुत प्यार से बात करते है।
“हाँ.. कम से कम लगता तो यही था।", निया खा कर अपने साथ बाहर आते हुए ध्रुव को बोली।
“यार.. अब प्लीज मैं कुनाल के पास नहीं जाना चाहता, वापस चलते है।", ध्रुव ने बोला।
“हाँ.. मैं भी.. जा कर बस आराम करना है। पता नहीं रोज़ कुछ ना कुछ हो ही जाता है।
“हाँ.. सही में।"
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अगले दिन यूँ तो ऑफिस में शांति थी, बस निया ही थी, जो अभी भी कल वाली बातों को हज़म कर रही थी।
“अच्छा.. इसलिए उन्होंने प्राइवसी फ़िल्टर भी नहीं लिया था, क्योंकि बस एक दिन पहले ही सुनील ने अपनी सारी टीम को वो लाकर दिए थे और कोई कुछ मंगाए और बीवी को ना दे, ऐसे थोड़ी हो सकता है।", बीती बातों को याद करते हुए निया खुद से बोली।
“क्या निया.. किसकी बीवी ने क्या??”, उसके साथ बैठी उसकी एक टीम मेट ने उसकी हल्की हल्की आवाज़ आने पे उससे पूछा।
ये सवाल करते ही, जहाँ चंचल उसकी ओर बड़ी बड़ी आँखों से देखने लगती है। वहीं ध्रुव एक दम से खांसी करने लगता है।
“बीवी.. कौनसी बीवी? मैं तो कह रही थी की टीवी मंगा ही लू एक..”, निया ने फट से उसका जवाब देते हुए कहा।
“क्यों बोर हो रही हो?”
“नहीं.. वहीं तो दिक्कत है, टीवी नहीं है तो रोज़ कोई ना कोई ड्रामा खुद के साथ ही हो जाता है।"
“क्या??”, उसकी टीममेट से हँसते हुए बोली।
“कुछ नहीं.. काम करते है अभी, नहीं तो कॉल में हमारी खैर नहीं।", चंचल की ओर इशारा करते हुए निया बोली और अपने काम मे लग गई।
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“आज शाम में बस वो बोरिंग सा डेटा देखना है, और कुछ नहीं।", अपनी बिल्डिंग में जाती हुई निया, ध्रुव से बोली।
“हाँ.. बिल्कुल", ध्रुव ने ये बोला ही, की इतने में उसका फोन पे एक मैसेज आया।"
“निया.. बस एक छोटी सी गड़बड़ हो गई।", मैसेज पढ़ते हुए ध्रुव निया को बोलता है।
“क्या हुआ?”, बड़ी बड़ी डरी हुई आँखों से देखते हुए निया ने पूछा।
“वो नीतू की फ्रेंड थी ना, उन्हें मैं मदद करने का वादा करके आया था, तो उनका मैसेज आया है, पूछ रही है की क्या स्टैटस है उसका और क्या मैं उनसे आज मिल सकता हूँ....”