हलचल - पार्ट 3 Darshika Humor द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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हलचल - पार्ट 3

अब तक आपने देखा:-
आरव और अद्वय के बीच प्यार भरी छोटी मोटी नोकझोक होती है जहां अद्वय समझदार और थोड़ा मजाकिया भी है वहा आरव शैतान और थोड़ा लापरवाह। पर उसका बड़ा भाई उसकी हर प्रॉब्लम सॉल्व कर देता है।
अब आगे:-
(सीढ़ियों से जल्दी जल्दी उतरते बच्चो के पैरों की जोरदार आवाज और धीरे धीरे उनकी खुसरपुसर सुनाई दे रही है, नरेंद्र हॉल में खड़ा इंतज़ार करता हुआ और निर्मला बच्चो के पीछे पीछे उनके टिफिन लाती हुई नज़र आ रही है कि तभी आरव नरेंद्र की तरफ जोर से दौड़कर जाता हुआ पापा पापा कहता है तो दूसरी ओर अद्वय थोड़ा दूर खड़ा नज़र आ रहा है।)
नरेंद्र आरव और अद्वय दोनों को पास बुलाता है और कहता है कि स्कूल का समय हो गया है चलो कार में जाकर बैठो, मैं एक फाइल लेकर आता हूं, जाओ। आरव और अद्वय दोनों कार के पास आते है और हैरान हो जाते है। आरव कहता है कि देखो भाई न्यू कार। WOW! IT'S SO NICE BRO. अद्वय भी कार को देखता रह जाता है और बोलता है:- ये तो वो मारुति का न्यू मॉडल है ना! It's amazing. कितनी कूल कार है। तब आरव कहता है:- भाई, मैं भी तो वही कह रहा हूं?so nice.
दूर से नरेंद्र को आता देख अद्वय आरव को बोलता है कि :- देख पापा आ रहे है। जल्दी से गाड़ी में बैठ वरना डांट खानी पड़ेगी? चल बैठ।
( इसके बाद वो दोनों कार में बैठ जाते है और नरेंद्र भी कार में बैठकर कार चलाने लगता है, रास्ते में वो बच्चो को पढ़ाई के बारे में पूछता है तो बच्चे बताते है कि पढ़ाई सही चल रही है इसके बाद बार बार आरव अद्वय के कानों में खुस्फुसाकर उसे कार के बारे में पूछने को कहता है पर अद्वय मना कर देता है पर आरव तो बच्चा है वो अपने मन की सुनता है और पूछने की कोशिश करता है।)
आरव धीरे से पापा से पूछता है कि पापा आपने नईं कार खरीदी है? ये कितनी अच्छी कार है? पर पापा आप तो हमेशा वो ब्लू कार ही यूज करते हो, आपको हमने कई बार नई कार लेने को कहा पर आप उसे हटाते ही नहीं हो। तो आज कैसे आपने न्यू कार ली। लगता है अब आप भी उस कार से बोर हो गए हो? है ना पापा, है ना भाई ??
अद्वय ने हस्ते हुए जवाब दिया तूने एकदम सही कहा मेरे भाई! आखिर तू भाई किसका है मेरा ना! और ये पापा किसके है मेरे ना। उस खटारा से वैसे भी किसको मज़ा मिल सकता है? हा हा हा (वो मुस्कुराने लगा)।
पर जैसे ही नरेंद्र के खामोश चेहरे को उसने देखा तो कुछ बात भांपते हुए चुप हो गया। नरेंद्र ने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा कि :- अपनी तरफ से बयानबाज़ी करना छोड़ दो बेटा। जरूरी नहीं तुम जो predict करो वो सच ही हो, कभी कभी दूसरो की बातो और इमोशन को भी जानना चाहिए! तुम सिर्फ अपनी दुनिया में रहते हो कभी सबको समझने की कोशिश करो। सोलह साल के हो गए पर हरकते पांच साल के बच्चे जैसे करते हो। वो कार तुम्हारी मोम की फेवरेट कार थी जिसे तुम खटारा कह रहे हो। तुम्हारी जगह तुम्हारे भाई ने ये बात की होती तो मैं बुरा नहीं मानता, पर तुमने तो अपनी मां को देखा है उसके प्यार को समझा है फिर तुम क्यों ये सवाल कर रहे हो। वो कार मैंने मैकेनिक को ठीक करने और रेनोवेट करने को दी है। जरूरी नहीं कि पुरानी हो चुकी हर चीज खराब है और सिर्फ फेकने और छोड़ देने के लायक है, पुरानी हो चुकी चीजो और लोगो से हमें जितना लगाव होता है वो नई से उतना नहीं हो सकता। ऐसा ना हो कि जिंदगी में नए और पुराने एहसासों के बीच तुम इस तरह फंस जाओ की जो सही हो वो ही ना जान पाओ?
अद्वय मन ही मन ये सोच रहा था कि ऐसा क्यों है कि पापा इतने इमोशनल हो जाते है मॉम को लेकर, मॉम अलाइव भी नहीं है फिर भी पापा क्यों इतना पजेसिव है उनके लिए? ये सब मेरी समझ से परे है? और I think कि मुझे इन सबसे दूर ही रहना चाहिए
अद्वय अपनी सोच में ही खोया था कि पापा ने बोला कि बेटा अब तो तुम समझ जाओ? मैं तुम्हारा मूड खराब नहीं करना चाहता? तब अद्वय ने बात समझते है कहा:- SORRY DAD! NOW I UNDERSTAND YOU. I NEVER DO THIS AGAIN😳.
तब नरेंद्र ने कहा कि शाबाश बेटा। अच्छा चलो तुम्हारा स्कूल आ गया है तुम अपने साथ आरव को लेकर जाओ।
( अद्वय और आरव अपना स्कूल बैग उठाते है और स्कूल गेट की तरफ जाते है जिसके बोर्ड पर लिखा है एक्सीलेंस इंटरनेशनल एंड ग्रेडिंग स्कूल 🏫 जहां आज एक नया फेट दस्तक देने को है मींस आकृति )

TO BE CONTINUED
WRITTEN BY:-DARSHIKA