संयोग-- अनोखी प्रेम कथा - (भाग 1) Kishanlal Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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संयोग-- अनोखी प्रेम कथा - (भाग 1)

"धीरे धीरे अंधेरे को खदेड़कर उजाला धरती पर अपने पैर पसार रहा था।भोर का आगमन होते ही पेड़ो पर बैठे पक्षियों का कलरव स्वर गूंजने लगा।शीतल मन्द मन्द हवा बह रही थी।चारो तरफ हरियाली।खेतो में पीली पीली सरसों लहरा रही थी।सुबह के सुहाने मौसम में ट्रेन विन्घ्याचल के लम्बी श्रंखला के साथ दौड़ी चली जा रही थी।ट्रेन के फर्स्ट क्लास कोच में संगीतकार शंकर यात्रा कर रहे थे।
भोर का आगमन होते ही उन्होंने अपनी वीणा उठाई।लोग सुबह उठकर व्यायाम करते है।घूमने जाते है।शंकर रोज सुबह रियाज करते थे।यह उनका नियम था।उनकी आदत में सुमार था।कही भी हो रियाज करना नही भूलते थे।
शंकर की उंगलियां वीणा के तारो पर थिरकने लगी।और मधुर वीणा की तान वातावरण में रस घोलने लगी।कुछ ही मिनट गुज़रे थे कि वीणा के स्वरों को भेदती हुई दूर से आते गाने की आवाज उनके कानों में पड़ी।हारमोनियम की धुन पर मधुर नारी स्वर में कोई गा रही थी,
दौलत वालो भगवान से डरो
दौलत के नशे में चूर होकर
गरीबो पर जुल्म मत करो
गाने के बोल सुनकर शंकर चोंका था। फ़िल्म अमीर आदमी में उन्होंने संगीत दिया था।यह गाना उस फिल्म में था।कोई औरत उनके संगीतबद्ध गाने को गा रही थी।शंकर वीणा बजाना भूलकर गाना सुनने लगे।यह गाना फ़िल्म में एक नई गायिका से गवाया था।उससे भी ज्यादा मधुर स्वर था।और गाना खत्म हो गया।शंकर सोचने लगा।कुछ देर बाद एक युवती बूढ़े के साथ पैसे मांगती हुई आयी।केबिन का दरवाजा खुला था इसलिए उस तक भी आ पहुंची।
"गाना तुम गा रही थी?"शंकर ने अपने सामने खड़ी युवती को देखा।पुराने फ़टे कपड़ो में वह युवती सूंदर लग रही थी।बूढा कमजोर था।उसने गले मे हारमोनियम लटका रखा था। युवती बोली,"जी बाबूजी।मैं ही गा रही थी।"
"तुम इस तरह क्यो गाती हो?"
"बाबूजी हम गरीब है।गाना गाकर भीख मांगकर अपना पेट भरते है।'
"तुम बहुत अच्छा गाती हो,"शंकर बोला,"कौनसी फ़िल्म का गाना है?"
"अमीर आदमी,"वह युवती बोली,"इसमें संगीतकार शंकर ने संगीत दिया है"।उस युवती ने शंकर के और गानों का भी जिक्र किया था
"तुम जानती हो संगीतकार शंकर को,"शंकर बोला,"!कभी मिली हो शंकर से?"
" आप भी हमारी गरीबी का मजाक उड़ा रहे है,"इस बात का जवाब युवती के पिता ने दिया था।,"हम गरीब लोग।इतने बड़े आदमी से मिलने का सौभाग्य हमे कहां?'
"तुम मिलना चाहते हो शंकर से?"
"हमारे अहोभाग्य अगर कभी उनसे हमारी मुलाकात हो जाये त्तो?"
"बाबा मैं ही संगीतकार शंकर हूँ।"शंकर ने उनको अपना परिचय दिया था।
"आप शंकर---बूढा और युवती के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा,"सचमुच आज तो ऊपर वाला हम पर मेहरबान हो गया।इतना बड़ा संगीतकार हमारे सामने।हमने तो स्वप्न में भी नही सोचा था कभी ऐसा भी हो सकता है।धन्य हो गये हम तो आज",।
"तुम्हारा नाम क्या है?"शंकर ने युवती से पूछा था।
"संगीता।"
"बहुत प्यारा नाम है।जैसा प्यार नाम है,वैसी ही आवाज में मिठास है।माधुर्य है।खनक है।जादू है तुम्हारी आवाज में,"शंकर बोला,"कभी मुम्बई गयी हो?"
"नही।"
"कभी मुम्बई आना हो या मेरी कोई जरूरत हो तो मुम्बई चली आना,"शंकर अपना विजिटिंग कार्ड संगीता को देते हुए बोला,"इस कार्ड में मेरा फोन नम्बर और पता लिखा है।"
मुम्बई मेल सिग्नल न होने के कारण एक छोटे से स्टेशन पर रुकती है।युवती और उसका पिता ट्रेन से उतर जाते है