ये काली काली आंखें - नेटफ्लिक्स Manish Sidana द्वारा फिल्म समीक्षा में हिंदी पीडीएफ

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ये काली काली आंखें - नेटफ्लिक्स

नेट फ्लिक्स लेकर आया है एक लव स्टोरी और थ्रिलर का मिक्सचर.रिव्यू से पहले आइए जानते है इसकी कहानी के बारे में
कहानी
ये कहानी है विक्रांत(ताहिर भसीन) की जो भिलाई में रहता है।उसने अभी अभी इंजीनियरिंग कंप्लीट की है।उसने भिलाई मिल में नौकरी के लिए अप्लाई किया है।विक्रांत नौकरी मिलने पर शिखा(श्वेता त्रिपाठी) के साथ शादी करके सेट हो जाना चाहता है।शिखा भी विक्रांत से प्यार करती है।
विक्रांत के पिता शहर के बाहुबली विधायक अखिराज अवस्थी(सौरभ शुक्ला) के ऑफिस में अकाउंटेंट की नौकरी करते है और उसके अहसानो से दबे हुए है और उसका बहुत सम्मान करते है।जबकि विक्रांत अखिराज की असलियत जानता है और उस से दूर रहना चाहता है।विक्रांत के पिता चाहते है कि विक्रांत अखीराज अवस्थी के पास नौकरी करे।पिता का दिल रखने के लिए विक्रांत इंटरव्यू के लिए अखिराज के पास जाता है।अखिराज की लाडली बेटी पूर्वा (आंचल सिंह )उसी दिन पढ़ाई पूरी करके वापिस लौटती है और विक्रांत को देखती है।बचपन में विक्रांत और पूर्वा एक ही स्कूल में पढ़ते थे। पूर्वा बचपन से विक्रांत को चाहती है।पर जब भी पूर्वा विक्रांत के आस पास होती थी,विक्रांत के साथ कुछ बुरा होता था।इसलिए विक्रांत पूर्वा से चिड़ता है और उस से दूर रहना चाहता था।
पूर्वा अपने पिता से कहकर विक्रांत को अपने पास नौकरी दे देती है।पर विक्रांत वो नौकरी करना नही चाहता।
अगले दिन विक्रांत अखिराज को नौकरी के लिए मना करने जाता है पर अखिराज विक्रांत के सामने ही एक पुलिस अफसर का खून कर देता है।विक्रांत के सामने पूर्वा का भाई पुलिस अफसर के टुकड़े टुकड़े करके विक्रांत को un टुकड़ों को नदी में फेकने के लिए दे देता है।विक्रांत उनका दुर्दांत रूप देखकर नौकरी के लिए मना नही कर पाता।
अगले दिन विक्रांत पूर्वा को साफ कह देता है कि वो उसके पास नौकरी नहीं करना चाहता। पूर्वा मान जाती है।
पर उसी दिन विक्रांत के घर की लाइट,पानी,टेलीफोन कनेक्शन काट दिया जाता है।मजबूर होकर विक्रांत को पूर्वा से आग्रह करना पड़ता है कि वो उसे नौकरी दे दे।
पूर्वा विक्रांत पर अहसान जताकर अपनी शर्तो पर उसे नौकरी देती है।
कुछ समय बाद पूर्वा के पिता विक्रांत को पूर्वा से शादी के लिए कहते है।विक्रांत के ये कहने पर कि उसकी जिंदगी में कोई और लड़की है,अखिराज़ के आदमी शिखा का कत्ल कर देते है।
मजबूर होकर विक्रांत पूर्वा से पहले सगाई और फिर शादी कर लेता है।तभी विक्रांत को पता चलता है कि शिखा जिंदा है।इसके बाद शुरू होती है विक्रांत की शिखा को बचाने की कोशिश और पूर्वा से बदला लेने की कोशिश ।कहानी में कई रोमांचक मोड़ आते है पर कहानी एक और सीजन के लिए अधूरी रह जाती है।
एक्टिंग

ताहिर भसीन और आंचल सिंह का अभिनय बढ़ीया है।सौरभ शुक्ला हमेशा की तरह लाजवाब है।श्वेता त्रिपाठी के पास अधिक दृश्य नही आए और उनका काम औसत है।
सिद्धार्थ सेन गुप्ता का डायरेक्शन भी सधा हुआ है और 8 के 8 एपिसोड्स में रोमांच बना रहता है।

निष्कर्ष
कुल मिलाकर ये काली काली आंखे पैसा वसूल सीरीज है।जिसे देखा जाना चाहिए।निर्माता इसका दूसरा सीजन लाने का ऐलान कर चुके है।
रेटिंग
**** (4/5)