दो रास्ते - भाग-1 S Sinha द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

दो रास्ते - भाग-1

भाग -1 कहानी - दो रास्ते

“ आज मौसम बहुत अच्छा है , छुट्टी का दिन भी है . क्या आपको कभी बाहर घूमने का मन नहीं करता है ? दिन रात घर में घुस कर बैठे रहते हैं . आपके सारे दोस्तों का भी यही कहना है . “ एक साथ इतनी शिकायतें रीमा ने अपने पति अमर से कर डाली .


फिर भी अमर खामोश रहा . तब रीमा ने अपने बेटे को आवाज दे कर कहा “ संजू , चल हमलोग पार्क घूमने चलते हैं . “


अमर ने खामोशी तोड़ते हुए कहा “ एक मिनट रुको , हम सभी चलते हैं . तुम भी क्या कहोगी ? “


बड़े बेटे रंजीत ने कहा “ आप लोग घूम आईये . मैं अपने दोस्त के यहाँ जाऊंगा , स्कूल के होमवर्क के बारे में उस से बात करनी है . “


रीमा ने अपने दो साल की बेटी सीमा को गोद में लिया और संजू को कहा “ तुम अपनी बेबी साइकिल ले लो , पार्क में चलाने के लिए बहुत खुली जगह मिलेगी . “


बड़ा बेटा रंजीत उस समय आठ साल का था और छोटा संजू चार साल का था . आखिर अमर अपने परिवार के साथ पार्क की सैर करने निकला . अमर और रीमा पार्क की झील के किनारे एक बेंच पर बैठ गए और रीमा ने अपनी बेटी को गोद में लिए दूध की बोतल पकड़ा दी . संजू अपनी बेबी साइकिल चलाने लगा . रीमा ने उसे आवाज दे कर कहा “ ज्यादा दूर नहीं जाना . यहीं आसपास ही रहना कहीं दूर जाने से रास्ता भूल सकते हो और वापस हमारे पास आने में तुमको दिक्कत होगी . “


रीमा अपने पति और बेटी के साथ झील के फव्वारे और उसमें तैरते सैकड़ों बत्तखों को देख रही थी . कभी बत्तखों का एक झुंड पानी से निकल कर उनके पास आ जाता तो रीमा अपनी बेटी के लाये कुछ बिस्कुट उनकी ओर फेंक देती . सारे बत्तख उसी पर टूट पड़ते . सीमा भी बत्तखों की क्रीड़ा का आनंद ले रही थी . कुछ देर के लिए किसी को संजू का ध्यान न रहा . कुछ देर बाद अचानक रीमा को संजू की याद आयी तब उसने उठ कर चारों और देखा , पर संजू कहीं नहीं दिखा . उसने संजू को जोर जोर से अनेकों बार आवाज भी दी पर उसका कोई पता न था . आसपास के लोगों से भी पूछा कि शायद किसी ने उसे देखा हो , पर कोई सफलता नहीं मिली . रीमा दहाड़ मार कर रोने लगी , उसके आंसू थम नहीं रहे थे .

अमर ने भी पूरे पार्क का चक्कर लगा कर संजू को खोजा पर उसका कोई निशान न मिला , उसकी साइकिल भी न मिली . तब वह बोला “ अब रोने धोने या यहाँ रुकने से कोई लाभ नहीं है . चलो पुलिस स्टेशन चल कर संजू के गुम होने की रिपोर्ट लिखाते हैं .


पार्क से कुछ ही दूरी पर थाना था , वहां जा कर उन्होंने संजू के ग़ुम होने की रिपोर्ट लिखवाई . पुलिस ने संजू का हुलिया और उसके कपड़े आदि के बारे में पूछा . अमर और रीमा ने डिटेल्स बता दिए . पुलिस ने उसका फोटो माँगा तब अमर बोला “ फोटो अभी साथ में तो नहीं है . थोड़ी देर में घर से ला कर मैं उसका फोटो दे दूंगा . “


भारी मन से सभी घर लौटे . कुछ देर बाद अमर पुलिस स्टेशन गया और उसने संजू के कुछ नए पुराने फोटो पुलिस को दे दिए . साथ ही उसने संजू की हाइट , उसकी कुछ आदतों आदि के बारे में पुलिस को विस्तार से बताया .


इधर घर में रीमा का रोना धोना जारी था , वह खाना पीना छोड़ कर बैठी थी . सिर्फ एक ही रट लगाती “ मेरे संजू को वापस ला दो नहीं तो मैं जान दे दूंगी . “


अमर , उसके दोस्त , रिश्तेदार और पड़ोसी सभी समझाते कि भूखे रहने से संजू का पता तो नहीं मिलेगा . पूरे दो दिन बाद काफी समझाने पर रीमा के मुंह में अन्न का पहला दाना गया , तब जा कर अमर ने चैन की सांस ली . उसने कहा “ भगवान पर भरोसा रखो , एक दिन हमारा संजू जरूर वापस आएगा . देखो इन दो दिनों में सीमा बेटी का क्या हाल बना रखा है तुमने . अब इसे सम्भालो . “


अमर अब दफ्तर जाने से पहले या दफ्तर से लौटते समय रोज एक बार पुलिस स्टेशन जरूर जाता और अपने बेटे के बारे में पूछता . थानेदार उसे तस्सली देता और कहता कि हमलोग अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं और जैसे ही हमें संजू की कोई सूचना मिलेगी आपको खबर कर दी जायेगी . कभी दारोगा उस पर बरस पड़ता और कहता “ आप क्या समझते हैं ? संजू को ढूंढने के सिवा हमारे पास और कोई काम नहीं है क्या ? आपको रोज समझा दिया जाता है कि जैसे ही संजू के बारे में पुलिस को कोई सूचना मिलेगी आपको बता दिया जायेगा . पर आप हैं कि मानते ही नहीं हैं . जाईये हमें अपना काम करने दीजिये . “


अमर अपना सा मुंह लिए वापस चला आता था . रीमा अभी भी नार्मल नहीं हो सकी थी . अभी भी अक्सर उसकी आँखें संजू को याद कर नम हो जाती थीं . इस बीच अमर ने उसे कुछ दिनों के लिए अपने पीहर जाने की सलाह दी यह सोच कर कि बदले माहौल में शायद उसका ध्यान बेटे की ओर से भटके .


दो महीने बीत जाने के बाद भी संजू का कोई सुराग नहीं मिल सका था . अमर और रीमा दोनों ने देश भर में जहाँ कहीं भी उसके रिश्तेदार थे उनको संजू के बारे में बता दिया था और उन सभी को उसकी एक फोटो भी भेज दी थी . पर अभी तक सफलता हाथ नहीं लग सकी थी .


अमर ने शहर के पुलिस अधीक्षक से मिल कर अपने राज्य के अलावे देश के अन्य राज्यों की पुलिस को भी संजू के लापता होने की सूचना देने की मांग की ताकि पूरे देश में उसकी खोज जारी रहे .


पुलिस अधीक्षक ने कहा “ मैं आपकी बात से सहमत हूँ . सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 5 वर्षों में करीब 250000 बच्चे लापता हुए हैं यानी हर घंटे करीब 5. 7 बच्चे देश में लापता हो रहे हैं . सरकारी मशीनरी इस समस्या से जूझ रही है . कुछ बच्चों का पता लगा कर उनके माता पिता को सौंप दिया है पर दुर्भाग्य से कुछ बच्चों का कोई सुराग नहीं मिल सका है . हम उनके माता पिता के दिल के दर्द को समझ सकते हैं और उनके प्रति सहानुभूति रखते हैं . “


पुलिस अधीक्षक ने अमर की बात मान ली और उसने देश के अन्य राज्यों की पुलिस को इस मामले में सहयोग के लिए पत्र लिखा . अब अन्य राज्यों की पुलिस भी संजू की तलाश में सक्रिय हो गयी .


क्रमशः