अनजान रीश्ता - 90 Heena katariya द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अनजान रीश्ता - 90

पारुल थकावट की वजह से बेड पर जाते ही सो गई थी। उसके चेहरे पर जो सुकून दिख रहा था शायद ही आज कल देखने को मिलता था। आजकल मानो जैसे सुकून से उसका दूर दूर तक का कोई नाता नहीं था। अभी जो भाव पारुल के चेहरे पर उमड़ रहे है वह शायद ही होश वाली हालत में देखने को मिलते या फिर यूं मिलते ही नहीं। आज कल तो मानो परेशानी के साथ पारुल का सात जन्मों का नाता बन चुका है। कहीं से भी उसे ढूंढ लेती है। अभी पारुल मानो अपनी सपनो की दुनिया में खोई हुई थी। एक शांति साफ साफ उसके सोती हुई अवस्था में देखी जा सकती थी। मानो जैसे यह पल उसकी जिंदगी के अहम पल हो। क्योंकि जैसे ही वह सच्चाई की दुनिया में आएगी फिर से वह इसी सारे झंझाल को जेलना पड़ेगा ।

अविनाश सीधा कार ले जाकर बार पे रोकता है। क्योंकि वह होश में रहकर तो अभी सोचने की हालत में नहीं था। उसे सही तरीके से सोचने के लिए पी ना ही पड़ेगा । क्योंकि अभी ना तो उसका दिमाग काम कर रहा है और ना ही दिल। अगर उसे इस उथल पुथल को रोकना है तो उसे शराब के सिवाए कोई सहारा नहीं दे सकता । अविनाश सीधा बार पे जाकर चेयर पुल करके बैठता है। वह बार टेंडर को एक सबसे स्ट्रॉन्ग वोडका बनाने को कहता है। जैसे ही बार टेंडर उसे एक शॉट देता है। अविनाश एक ही बार में गटक जाता है। इस वोडका का स्वाद मानो उसके मुंह को अहसास करा रहा था जिस दौर से वह अभी गुजर रहा था। कड़वाहट, जलन, न भाने वाला स्वाद । मानो जैसे यह शराब ना होके अविनाश की जिंदगी की बात हो रही हो। शॉट कुछ ज्यादा स्ट्रॉन्ग होने की वजह से अविनाश का गला जल रहा था मानो उसका गला उसके दिल का हाल बयान कर रहा था। अविनाश शॉट पे शॉट पिए जा रहा था। तभी बात टेंडर उसे कहता है। " सर आई थिंक आपको अब बस करना चाहिए काफी पी चुके है आप। " अविनाश यह बात सुनकर मानो उपहास में हंसने लगता हैं। " जिसे फिक्र करनी चाहिए वह तो ना जाने क्या क्या हश्र किया मेरा, और तुम... ।" एक और शॉट पीते हुए कहता हैं । अविनाश धीरे धीरे अपना होश खो रहा था। लेकिन रुकने का नाम नहीं ले रहा था। बार टेंडर फिर से कहता है । " सर आपके साथ कोई आया है क्या जिसके साथ आप जा सके या किसी का नंबर जिसे मैं बुला सकूं यहां !? " अविनाश फिर से दर्द के साथ एक बार सारे बार पर नजर डालते हुए कहता है। " हर एक शख्स साथ रहकर भी अकेला है। यह भीड़ बस तन्हाई का एक मेला है। " अविनाश इतना कहते ही उसे कार्ड देता है। जब अविनाश जाने के लिए खड़ा होता है तो लड़खड़ाते हुए वह गिरने वाला होता है। वह हाथ के इशारे से कहता है की वह खुद को संभाल लेगा । वह जैसे तैसे कर के बार से बाहर निकलते हुए कार तक पहुंच जाता है। पर जैसे ही वह कार का दरवाजा खोलने की कोशिश करता है। कार का हैंडल उसके हाथ से दूर चला जाता है। वह आंखे मलते हुए फिर से कार के हैंडल को पकड़ने की कोशिश करता है लेकिन फिर से वह अविनाश के हाथो से बचकर दूसरी और चला जाता है। अविनाश थोड़ी देर के लिए ऐसे ही बिना कुछ बोले ही खड़ा रहता है मानो जैसे वह कोई कार ना होकर... कोई जिंदा पदार्थ हो। फिर अचानक से जपट पड़ता है। इसबार कार का दरवाजा खुल जाता है। वह मानो बच्चो की तरह ताली बजाते हुए कार में बैठ जाता है। अविनाश कार को चालू किए बिना ही बिलकुल बच्चो की तरह मुंह से कार चला रहा था। भुरुम.... भुरु.... रम...भुरूम.... भूभुभु रुमममम.... । मानो जैसे वह अविनाश ना होकर कोई छोटा बच्चा हो। तभी अविनाश का फोन बजता है। वह हैंडल को एक हाथ से पकड़कर फोन ढूंढता है। फ़ोन को उठाते हुए कहता है।

अविनाश: हेलो! मां... मैं अभी कार चला रहा हूं... और अपने ही कहां है ड्राइविंग करते वक्त बात नहीं करते ।
विशी: अवि! व्हाट द फ**क... ये क्या बक रहे हो तुम!?।
अविनाश: अरे! अंकल आप मेरे मामा के फोन से क्यों बात कर रहे है। मेरी मामा कहां है!? ।
विशी: अवि! फॉर गॉड सेक तुम्हारी शादी को लेकर ऑलरेडी एक स्केडल बन चुका है अब ... ( गुस्से को काबू में करते हुए ) अभी तुम कहां हो!? ।
अविनाश: नहीं पहले आप बताए आप मेरे मामा के फ़ोन पर से क्यों बात कर रहे है!? ।
विशी: ( गुस्से को रोकते हुए ) क्योंकि बैटा हम लोग एक खेल! खेल रहे और अब आप अपने आसपास देखो कोई दिख रहा है आपको!? ।
अविनाश: ( आसपास देखता है लेकिन उसे सब धुंधला धुंधला दिख रहा था । ) हां दूर एक अंकल दिख रहे है।
विशी: गुड अब उन्हें आवाज देकर अपने पास बुलाओ! और फोन उन्हें दो ।
अविनाश: ( गार्ड को आवाज देता है । गार्ड दौड़ते हुए अविनाश के पास आता है। )

अविनाश उसे फोन थमा देता है। गार्ड विशी से बात करते हुए उससे एड्रेस पूछता है। और जब तक वह ना आए तब तक वहीं अविनाश के पास रहने के लिए कहता है। गार्ड अविनाश को फोन वापस लौटा देता है। और वहीं उसके पास खड़ा होते हुए विशी का इंतजार करता है। तकरीबन १०-१५ मिनिट बाद विशी आता है। वह कार से उतरते हुए अविनाश की कार ढूंढता है तो उसे थोड़ी दूर कार पार्क की हुई नजर आई । गार्ड भी वहीं खड़ा था। विशी उसे कुछ पैसे टिप के तौर पर देते हुए अविनाश की ओर बढ़ जाता है। वह अविनाश की ओर देखता है तो वह सोया हुआ था। अविनाश बिका हाथ कंधे पर रखते हुए उसे बगल वाली सीट की ओर ले जाकर बिठा देता है। विशी ड्राइवर को कार लेकर जाने का इशारा करता है। विशी अविनाश की कार लेकर बार से निकल जाता है। अभी थोड़ी देर हुई थी की वह लोग मेइन हाइवे पे पहुंचे ही थे की तभी ... अविनाश चिल्लाता है । जिस वजह से विशी कार को जोर से ब्रेक मारते हुए कहता है।

विशी: व्हाट... द फ**क अवि ये क्या चु**पा लगा रखा है! अगर तुमने ये सब बंद नहीं किया तो आई स्वेर मेरे हाथो से तुम्हारा मर्डर होगा किसी दिन। ( फिर से कार को चालू करते हुए चलाने लगता है। ) ।
अविनाश: ( आंखे मलते हुए ) अरे! तुम कब आई!? ।
विशी: तुम कब आई से क्या मतलब है!? ।
अविनाश: अरे! बुध्दु माना की तुम लडको जैसी हरकते करती हो! लेकिन हो तो तुम लड़की ही ना तो मैं ऐसे ही पूछूंगा । ( विशी के सिर पर टपली मारते हुए बस उसे प्यार से देखे जा रहा था । )
विशी: ( अविनाश को अनदेखा करते हुए कार चलाने में ध्यान दे रहा था । लेकिन जब अविनाश उसे घूरे जा रहा था तो वह बोले बिना रह नहीं सका । ) ऐसे क्या देख रहे हो! मुझे जैसे पहले कभी देखा नहीं क्या!? फॉर गॉड सेक ऐसे देखना बंद करो ।
अविनाश: ( कंधों को ना में हिलाते हुए ) अहन! मैं तो तुम्हे ऐसे ही देखूंगा! तुम कितनी प्यारी लग रही हो! बड़ी होकर और भी खूबसूरत हो गई हो! ।
विशी: ( एक हाथ से हैंडल और दूसरे हाथ से खुद को ढकते हुए.... ) अवि! मुझे तुम्हारी हालत ठीक नहीं लग रही तुम एक काम करो सो जाओ मैं तुम्हे घर आते ही लगा दूंगा।
अविनाश: ( विशी के नजदीक जाते हुए ) तुम्हारी आंखे, तुम्हारी नाक, तुम्हारे होठ...मानो किसी अप्सरा... नहीं अप्सरा से भी ज्यादा खूबसूरत लग रही हो।
विशी: ( हाथ से होठ छू ने ही वाला था की विशी अपने होठ भींच लेता है। मन में: भगवान बचा लो यार! वरना आज तो मेरी इज्जत बचने से रही! अभी इस हालत में मैं इसे मार भी नहीं। सकता, प्लीज किसी तरह इसे सुलादो! लाज रख ले मेरी वर्ना मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगा। अविनाश को धक्का देकर सीट पर बिठाते हुए ) चुपचाप अपनी सीट पर बैठो! ।
अविनाश: पर क्यों!? लड़कियों को तो तारीफ पसंद होती है! फिर... ।
विशी: ( चिल्लाते हुए ) मैने कहां ना घर आने तक अपनी सीट पर से हिलना मत ।
अविनाश: ( मुंह फुलाकर अपनी सीट पर बैठ जाता है। )।
विशी: ( अविनाश को दूर पाकर मन ही मन: थैंक यू भगवान! और वह बात बिगड़े उससे पहले गाड़ी की स्पीड बढ़ा देता है। ) ।

थोड़ी देर में वह दोनो घर पहुंच जाते है। तभी दो गार्ड आते है। एक विशी के पास से चाबी लेकर कार को पार्क करने और दूसरा दरवाजा खोलने। विशी जैसे ही बाहर आता है। सभी गार्ड की ओर एक गुस्से भरी नजर देखता है मानो जैसे उन लोगो की शामत आई हो लेकिन वह बिना कुछ कहे घर की ओर आगे बढ़ता है। लेकिन अविनाश कार में से बाहर आने का नाम नहीं ले रहा था । जिस वजह से वह पीछे मुड़ते हुए देखता है तो वह अभी भी कार में बैठा था। वह गुस्से को कंट्रोल करते हुए अविनाश के पास जाता है। और दरवाजे के पास झुकते हुए कहता है।

विशी: चलो! अब बाहर आओ! ।
अविनाश: नहीं! मैं क्यों मानू तुम्हारी बात तुमने अभी थोड़ी देर पहले कितना डांटा! भला कोई मेरे जैसे क्यूट, इनोसेंट, प्यारे लड़के को डांटता है और वो भी तारीफ करने के लिए।
विशी: ( इशारे से गार्ड को जाने के लिए कहता है। ) अच्छा ठीक है चलो मेरी गलती अब आ बाहर आ जाओ।
अविनाश: नहीं मैं ऐसे नहीं मानूंगा,।
विशी: ( चिल्लाते हुए ) तो फिर.... ।
अविनाश: ( अविनाश गुस्से में रूठते हुए विशी की ओर देखते हुए ) ।
विशी: ( गहरी सांस लेते हुए ) अच्छा तो फिर तुम कैसे मानोगे!? ।
अविनाश: ( बड़ी सी मुस्कान के साथ गाल पर उंगली रखते हुए ) तुम्हे एक किस...सी देनी पड़ेगी! ।
विशी: ( खुद को दोनो हाथो से ढकते हुए ) मैं क्या पागल हो गया हूं जो ऐसा करुंगा ।
अविनाश: ठीक है तो मैं भी बाहर नहीं आऊंगा! ।
विशी: फाइन जल्दी से बाहर आओ।
अविनाश: ( कार से बाहर आता है लेकिन लड़खड़ा जाता है! विशी उसका हाथ पकड़ते हुए कंधे पर रख देता हुआ। ) चलो अब दो किसी! ( गाल आगे करते हुए ) ।
विशी: ( अपने होठ पर हाथ रखते हुए ) अवि! अभी नहीं! ।
अविनाश: क्यों!? ।
विशी: सभी देख रहे है... कमरे में चलो... फिर... मैं तुम्हे .... किस... ( गॉड क्या कर रहा हूं मैं । ) ।
अविनाश: ठीक हैं ।

वह दोनो आगे बढ़े ही थे की अविनाश विशी के बाल छूते हुए कहता है।

अविनाश: वैसे तुमने बाल क्यों कटवा लिए! यह बाल भी तुम पर प्यारे लग रहे है। पर जहां तक मुझे पता है तुम्हे तो लंबे बाल पसंद है। याद है तुम सोहा से कितना जलती थी उसके लंबे बालों की वजह से ।
विशी: बस ऐसे ही! मुझे ऐसे ही बाल पसंद है। और तुम खां खाकर सांढ जैसे हो गए हो।

विशी जैसे तैसे कर के अविनाश को सीढ़िया चढ़ाता है। कमरे तक पहुंचते पहुंचते विशी की पूरी ताकत खतम हो चुकी थी। कुछ अविनाश को संभालते संभालते और ज्यादातर खुद को अविनाश से बचाते बचाते। वह रुम दरवाजा खोलने की कोशिश करता है तो दरवाजा बंद था। वह दरवाजा खटखटाता है लेकिन कोई जवाब नही आता । वह एक दो बार और दरवाजा खटखटाता है। तब जाके पारुल आधी नींद में दरवाजा खोलती है। विशी सिर को ना में हिलाते हुए सोचती है। इन दोनो का कुछ नहीं हो सकता। तभी अविनाश आंखे खोलकर देखता है! अरे! दो - दो परी! ऐसा कहकर पारुल की ओर आगे बढ़ता है लेकिन लड़खड़ा कर पारुल पर गिर जाता है। पारुल जैसे तैसे अविनाश को संभालती है। वह उसे दूर होने की कोशिश करती है पर अविनाश टस से मस नहीं हो रहा था। तभी वह विशी की ओर मदद के लिए देखती है। अविनाश पारुल से सिर्फ सिर दूर करते हुए कहता है.. वहीं प्यारी आंखे.. पारुल की आंखों को छूते हुए... छोटी नाक... प्यारे प्यारे होठ अंगूठे से पारुल के होठ छूते हुए... प्यारे लंबे बाल ... देखा मैने कहां था ना तुम्हे लंबे बाल पसंद है। इतना कहते ही वह फिर से पारुल की ओर देखकर किस करने ही वाला होता है की विशी उसकी कॉलर पकड़ते हुए उसका मुंह दूसरी ओर मोड़ देता है। और बेड पर ले जाकर बिठा देता है। अविनाश बच्चो की तरह कहता है... लेकिन तुमने कहां था तुम मुझे किस्सी दोगी। विशी चिल्लाते हुए चुप एक दम चुप वर्ना करेले की सब्जी खिला ऊंगा । अविनाश मुंह पर उंगली रखकर बैठ जाता है। लेकिन वह मदद के लिए पारुल की ओर देखता है। लेकिन पारुल अभी भी शोक में थी तभी विशी चुटकी बजाते हुए कहता है...." आज रात तुम इससे दूर ही रहना ... ये कुछ ज्यादा ही नशे में है। इसे संभाल नहीं पाओगी... कोई काम हो तो फॉन कर लेना । इतना कहते ही वह चला जाता है। पारुल खुद की चिमटी काटते हुए देखती है की कही वह सपना तो नहीं देख रही लेकिन जब उसे दर्द होता है तो वह हाथ को सहलाते हुए फिर से अविनाश की ओर नजर डालती है। वह औंधे मुंह बेड पर पड़ा हुआ था। उसके हाथ की पट्टी खून से लथपथ थी । मरहर पट्टी के लिए पारुल बाथरुम में फर्स्ट एड बॉक्स लेने चली जाती है।