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अनजान रीश्ता - 79

पारुल बस बैचैन होकर टहलते हुए सोच रही थी की अविनाश को कैसे रोके । क्योंकि पारुल में इतनी हिम्मत नहीं थी की वह अपने मॉम डैड का सामना कर सके और सेम उसे कैसे मिलेंगी। क्या कहेगी!? । ये चिंता पारुल को खाए जा रही थी । तभी वेनिटी का दरवाजा खुलने की आवाज आती है । पारुल बेकरार होते हुए अविनाश से कहने वाली होती है ।


पारुल: अवि!! ( सामने जाते हुए ) ।


विशी: वोह!! रिलेक्स पारुल! इतनी क्या जल्दी है कि तुम उस गधे के लिए इतनी बेकरार हो रही हो!? ।


पारुल: विशी... मजाक का टाइम नहीं है पहले जल्दी से कहो अविनाश कहां है!? ।


विशी: और कहां होगा शूटिंग ही कर रहा है!। बस आखिरी सीन है.. आता ही होगा।


पारुल: थैंक्स! ( यह कहते हुए वैनिटी से बाहर चली जाती है । ) ।


विशी: अरे! सुनो तो ( पारुल विशी की बात सुने बिना ही बाहर चली जाती है । ) ।


पारुल जैसे ही बाहर कदम रखती है मानो जैसे उसने बड़ी गलती कर दी । क्योंकि सारे सिर पारुल की ओर ही मुड़ गए थे । पारुल सब को नजरअंदाज करते हुए अविनाश को ढूंढती है पर वह उसे कहीं नजर नहीं आता । पारुल थक हार कर एक आदमी को रोकते हुए पूछती है की अविनाश कहां है । तब वह उससे कहता है की सर तो स्टूडियो में शूट कर रहे है। पारुल स्टूडियो का पता पूछते हुए आगे बढ़ती है । पारुल गेट के अंदर जाने वाली होती है की सिक्योरिटी उसे रोक देता है।


पारुल: देखिए मैं अविनाश की पत्नी हूं! वह यहीं शूटिंग कर रहा है! प्लीज मुझे जाने दे अंदर ।


सिक्योरिटी: क्या! मैडम ऐसे सो लोग आते है यहां! ऐसे बहाने बनाकर! अगर आपके पास आईडी कार्ड है तो दिखाए वर्ना यहां से निकले ।


पारुल: अरे! मैं सच कह रही हूं! में कोई बहाना नहीं बना रही आप यकीन क्यों नहीं कर रहे मेरा!? मैं सच में अविनाश खन्ना की बीवी हूं!? । आप चाहे तो उसे कॉल करके पूछ लीजिए ।


सिक्योरिटी: क्या में आपको पागल दिखता हूं! जो ऐसे काम के लिए उन्हें फोन करूंगा! आप प्लीज जाईए यहां से ।


पारुल: लेकिन!?।


सिक्योरिटी: पारुल को दूर करते हुए बाकी लोगो के पास चेक करने लगता है ।


पारुल वहीं गेट के बार खड़े होते हुए अविनाश का इंतजार कर रही थी। उसकी नजर गेट पर ही टिकी थी। जब भी दरवाजा खुलता पारुल खुशी से देखती की कहीं अविनाश तो नहीं!? लेकिन हर बार ही कोई और इंसान निकलता था । करीब एक घंटे से यही चल रहा था । पारुल निराश होते हुए फिर से टहलने लगती थी। उसके सब्र का बाण मानो टूट रहा था । क्योंकि एक तो दिमाग में टेंशन घूम रहा था। और अविनाश आने का नाम नही ले रहा था ।


पारुल अब सिर झुकाते हुए ऐसे ही टहल रही थी । तभी फिर से दरवाजा खुलने की आवाज आती है पारुल इसबार घूमती नहीं। वह बस टहल रही थी कि तभी आवाज आती है ।


अविनाश: तुम यहां क्या कर रही हो!? ।


पारुल: ( सिर उठाते हुए देखती है तो अविनाश था । ) ये सच में तुम हो!? ( अविनाश का हाथ पकड़ते हुए ) थैंक गॉड! इतना इंतजार तो मैने किसी का नहीं किया जितना तुमने आज करवाया है।


अविनाश: क्या!? ।


पारुल: वह सब भूल जाओ!? ( अविनाश को दूर ले जाने की कोशिश करते हुए ) मुझे तुमसे जरूरी बात करनी है।


अविनाश: बोलो!? ।


पारुल: यहां नहीं प्लीज!? ।


अविनाश: ( अपना हाथ पारुल के हाथ में से छुड़ाते हुए ) अगर तुम लंच वाली बात के लिए आई हो तो सॉरी! उस बात पे में कोई बहश नहीं चाहता! ।


पारुल: ले... ( चिल्लाने ही वाली होती है की आसपास देखती है सभी लोग उन दोनो को ही देख रहे थे । ) । ( मुस्कुराते हुए गुस्से में ) लेकिन तुम समझते क्यों नहीं!? तुम क्या पागल हो गए हो!? मैं कैसे सब का सामना करूंगी!? ।


अविनाश: जैसे अभी सब लोगों का कर रही हूं वैसे ही । और दिक्कत तुम्हे थी तो तुम्हारे लिए ही मैं वहां जा रहा हूं वर्ना मुझे कोई शोख नहीं है खुद की बेइज्जती करवाने की।


पारुल: जब तुम जानते हो की जलील होने वाले हो तो फिर क्यों जाना! प्लीज ( अविनाश का हाथ दोनो हाथ में लेते हुए )... यार और कुछ भी लेकिन ये मत करो!? ।


अविनाश: ( अविनाश पारुल के हाथो पर हाथ रखते हुए ) बीवी... तुम कुछ ज्यादा ही सीरियस हो गई हो है ना!? । ( हाथो पर थोड़ा दबाव करते हुए ) लोग देख रहे है इसका मतलब ये नहीं की तुम अपने पत्निधर्म में आ जाओ। और ( पारुल की हाइट जितना झुकते हुए ) जब चाहो तब मेरा गलत फायदा उठाओ।


पारुल: है!? गलत फायदा ( अजीब सा मुंह बनाते हुए ) और वो भी मैने!? कब!? ।


अविनाश: ( अपने हाथो को पारुल के हाथो के साथ ऊपर करते हुए ) ये देखो!? दूसरी बार तुमने मेरा हाथ छुआ है!? ।


पारुल: ( जल्दी से अविनाश का हाथ छोड़ते हुए ) वो .. आई एम..... सॉरी... । टेंशन में हो गया होगा । और फिर एक घंटे से तुम इंतजार करवा रहे थे तो... ।


अविनाश: क्या!? तुम एक घंटे से यहां खड़ी हो!? तुम अंदर भी आ सकती थी... या फिर तुम्हे ये उटपटांग हरकते करना पसंद है।


पारुल: ( गुस्से में मुस्कुराते हुए ) गधे! उल्लू के पट्ठे! बेड़ा गरत हो तुम्हारा! मैं क्या तुम्हे पागल दिख रही हूं जो बिना वजह यहां खड़ी रहूंगी!? वो... मेरे पास अंदर जाने के लिए पास नहीं था और सिक्योरिटी वाले ने अंदर जाने से मना कर दिया! तो फिर मेरे पास कोई और विकल्प था ही नही ।


अविनाश: ( गुस्से को कंट्रोल करते हुए ) हां तो वैनिटी में भी वापस जा सकती थी।


पारुल: वो... वो... में रास्ता भूल गई और फिर टेंशन के मारे मुझे चैन भी कहां आने वाला था तो इसीलिए यही रुकना बेहतर समझा ।


अविनाश: तुम क्या कोई छोटी बच्ची हो!? जो ऐसे व्यवहार कर रही हो । अगर कहीं खो जाती तो!? या फिर गलत स्टूडियो के सेट पे चली जाती तो । पता है कितना मुश्किल होता तुम्हे ढूंढना । अरे! कम से कम वेनिटी में ही रुकती.. कौन सा में मरने वाला था की वापस नहीं लौटता।


पारुल: अच्छा ठीक है ना अब! मैं कौन-सा गुम हो गई हूं। और वैसे भी गुस्सा मुझे होना चाहिए समझे।


अविनाश: ( हाथो को क्रॉस में जोड़ते हुए ) अच्छा! अब अपनी गलती का अंदाजा भी नहीं है तुम्हे और उल्टा तुम मुझे ही सुना रही हो । तुम्हे ये जगह क्या घूमने फिरने के लिए लग रही है । यहां पे ना जाने कितने लोग होगे और किस किस तरह के!? तुम्हे पता भी है अगर तुम इस स्टूडियो में ना आती तो इस १६५९ एकर के चक्कर ही काटती रहती । और किसे तुम मदद के लिए कहती हां! किसे जानती हो तुम!? यहां ।


पारुल: लुक आई सेड सॉरी ना! तो बात को खत्म करो और रही बात मेरी तो मैं खुद का ध्यान खुद रख सकती हूं। आई डोंट थिंक सो की तुम्हे इतना ओवररिकेट करने की जरूरत है । और वैसे भी मैं खो जाऊं या मुसीबत मैं पडू इससे तुम्हे फर्क नहीं पड़ना चाहिए ... ( अचानक अविनाश उसके करीब आ जाता है । )
अविनाश: ( पारुल के करीब जाते हुए ) लिटल लायनेस... ( पारुल के कान में कहते हुए ) यहां लोग आसपास खड़े है तो तुम्हे नहीं लगता तुम कुछ हद से ही ज्यादा बोल रही हो। ( पारुल के बालो से खेलते हुए ) और रही बात तुम्हारी परवाह की.... तो बीवी हो तुम मेरी..! नाम की ही सही..... लेकिन बीवी हो.... तो जब तक इस शादी में हो.... में यहीं एक्सपेक्ट करता हूं की आइंदा ये गलती ना हो ... वर्ना मनवाने के मेरे पास कई तरीके है जो तुम अच्छी तरह जानती हो । ( मुस्कुराते हुए गुस्से में पारुल के सिर पर किस करते हुए ) ... चलो अब ससुरजी वैट कर रहे होगे हमारा! ।

अविनाश पारुल का हाथ थामते हुए उसे स्टूडियो से बाहर ले जाता है । बाकी सभी जो लोग भी खड़े थे वे सब इन लोगो को देखे जा रहे थे । और बाते कर रहे थे की कितना प्यार है दोनो में । सब बातो से अनजान की क्या बाते चल रही है । दोनो के बीच में उन्हें लग रहा था जैसे ये दोनो प्यार भरी बातें कर रहे है ।


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