अनजान रीश्ता - 68 Heena katariya द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अनजान रीश्ता - 68

पारुल जैसे ही बाथरूम से बाहर आती है । तभी वह समीर यानी सेम को सॉरी बोलते हुए सुनती है । जिससे वह खिड़की की ओर देखती है । तो वहां कोई नहीं था । पारुल का मन तो नहीं था एक शब्द भी मुंह से निकालने का पर फिर उसके मन में सवाल भी उठ रहे थे । इसलिए वह आखिरकार पूछ ही लेती है ।

पारुल: ( धीमे से ) किस... से बात कर रहे हो!! ( मानो इतने शब्द भी बोलना पारुल को कठिन लग रहे थे !) ।
सेम: ( पारुल की ओर मुड़ते हुए ) किसी से भी नहीं वो... ( सेम का ध्यान पारुल के चहेरे पर जाता है। लाल आंखे .... सूजा हुआ मुंह ....मायूस शकल मानो जैसे सेम के दिल पर किसीने खंजर चला दिए हो!! । पारुल की ओर आगे बढ़ते हुए ) फ***क.... क्या हाल बना के रखा है तुमने अपना .... गॉड खुद को शीशे में तो देखो मानो जैसे .... ।
पारुल: जैसे..!?।
सेम: जैसे कोई रास्ता ही ना हो !!! यार ऐसी कोन - सी बात जिस वजह से तुमने अपना ये हाल बना लिया है। आई स्वेर पारो अगर बात इतनी बड़ी नहीं हुई और मुझे पता चला कि तुम ऐसे ही खुद को चौंट पहुंचा रही हो!!! तो!! मैं खुद को और तुम्हे कभी माफ नहीं करूंगा। ( पारुल के चेहरे को हाथ में लेते हुए उसको गौर से देख रहा था । ) ।
पारुल: आई... ई... म.... फाईन... ।
सेम: ( ऊंची आवाज में ) क्या खाक ठीक हो!! पहले तो मैंने तुम्हारी ओर इसलिए नहीं देखा की तुम असहज थी । पर मुझे देख लेना चाहिए था । अगर ऐसा करता तो कम से ये हाल तो नहीं करने देता ।
पारुल: ( सेम के हाथ चेहरे से हटाते हुए बेड पे जाके बैठ जाती है । ) तुम... तुम्हे... मुझे ऐसे... बच्चो.... की तरह डांटने की जरूरत.... नहीं है.... ( नाराज होते हुए ).... मैं खुद को संभाल सकती हूं... ।
सेम: ( स्टडी टेबल की चेयर को पारुल के सामने रखकर उस पर बैठते हुए ) हां हां!! वो तो मै जानता ही हूं तुम खुद को कितना संभाल सकती हो.... तभी थोड़ी देर पहले रो रही थी मानो जैसे मेरी मैय्यत निकली हो.... ।
पारुल: ( गुस्से में सेम की ओर देखती है... मन ही मन ! इससे क्या हो गया है ऐसी अनाप शनाप बाते क्यों कर रहा है... एक वैसे ही प्रोब्लम कम है जो अब ये भी शुरू हो गया... ।) ।
सेम: ( चिढ़ते हुए ) अब कुछ तो बोलो... ऐसे क्या मुझे देखे जा रही हो कभी कभी तो मुझे लगता है की जैसे तुम्हे मेरी कोई परवाह ही नहीं है । मैं ही हूं जो पागलों की तरह तुम्हारे आगे पीछे घूमता रहता हूं!!।
पारुल: ( गुस्से में ) तुम्हे हो क्या गया है!! ऐसे क्यों बरताब कर रहे हो!! अब ठीक है माना मैने रो रोकर बुरा हाल हो गया है। पर इसमें कोन - सी बड़ी बात है!?। इंसान हूं मुझे भी दर्द होता है ।
सेम: पारो!! अब मतलब तुम मुझे कोश रही हो!! एक तो खुद को ऐसी हालत जो तुमने की है उसके लिए मैं तुम्हे माफ तो करूंगा नहीं और दूसरी बात गलती मानने की बजाय ऐसे मुझसे ही झगड़ रही हो!! ।
पारुल: ( गुस्से में ) सेम अब!! बहुत हुआ अब तुम कुछ ज्यादा ही ओवरीएक्ट... कर रहे हो...!।
सेम: ( हंसते हुए ) हाहाहाहाहा..... मैं ओवररीएक्ट कर रहा हूं !? मैं! ? ।
पारुल: हां तुम!? ।
सेम: ( अब गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ रहा था । ) ( गुस्से को कंट्रोल करते हुए )......( वह और कुछ नहीं बोलता ) ।
पारुल: ( सेम की ओर देखे जा रही थी........उससे भी गुस्सा आ रहा था । पर वह भी बात को बढ़ाना नहीं चाहती थी । इसलिए वह भी चुपचाप ऐसे ही अपनी उंगलियों की ओर देखे जा रही थी । ) ।

दोनों कुछ देर तक ऐसे ही बैठे रहे दोनो को ये शांति खल रही थी। पर दोनों ही जानते थे कि अगर एक लफ्ज़ भी.. मुंह से निकला तो बात और बढ़ेगी । सेम ऐसे ही खयालों में डूबा हुआ था की तभी दरवाजे पे किसी के खटखटाने की आवाज आती है। सेम खड़ा होते हुए....दरवाजे की ओर आगे बढ़ता है....वह दरवाजा खोलते हुए.... वह थैंक यू कहते हुए वह ट्रे हाथ में लेते हुए बेड पर रख देता है । पारुल भी ट्रे की ओर देखती है । कॉफी कुछ नाश्ता और दवाई थी। फिर भी वह उससे देखे जा रही थी । सेम आखिरकार हार मानते हुए कहता है ।

सेम: उसे क्या देख रही हो!!? अब जो हाल किया है तुमने अपना सीधी सी बात है ... तुम्हारी बॉडी रिएक्शन तो दिखाएगी... । ये सिर दर्द की दवाई है और कॉफी तुमने रो रो कर जो अपनी एनर्जी गवाई है इसलिए ।
पारुल: ( बस सेम को ताड़े जा रही थी । उससे जो भी गुस्सा आया था थोड़ी देर पहले मानों वह गायब हो गया था । ना चाहते हुए भी उसके चहेरे पर एक हल्की सी मुस्कुराहट सी आ गई थी । मानों सेम को ऐसे चिंता करते हुए देखकर पारुल के दिल को सुकून सा मिल रहा था । की कोई तो है जो उससे चोंट नहीं पहुंचाएगा। जिससे परवाह है मेरी । ) ( सेम के हाथों को अपने हाथों में लेते हुए... लेकिन सेम अपने हाथ पारुल से दूर करते हुए... तभी पारुल कहती है । ) अरे!!...?।

सेम: ( कुछ जवाब नहीं देता बस चुपचाप बैठा था । ) ( पारुल फिर से सेम के हाथो को अपने हाथो में थाम लेती है । जिस वजह से फिर से सेम गुस्से में उससे दूर करने के लिए पटकता है लेकिन पारुल अपनी पकड़ और भी मजबूत कर देती है । सेम फिर हार मानते हुए अपने हाथ पारुल के हाथ में थमे रहने देता है । ) ।


पारुल: अरे!! अब इतना भी क्या रूठना!!!.. कौनसा मैने किसी का खून कर दिया है... चलो ना यार प्लीज माफ कर दो प्लीज....( कान पकड़ते हुए सेम की ओर आंखे जपकाते हुए मासूम शकल बनाकर सेम की ओर देख रही थी । ) ।


सेम: ( पारुल की ओर एक बार नजर करते हुए दूसरी ओर मुंह फेर लेता है । ...) ( मन में... नो... सेम इतनी जल्दी नहीं इतनी जल्दी तो कमजोर मत पड़ो... वर्ना ये लड़की हर बार ऐसे ही खुद को चौंट पहुंचती रहेगी... । खुद को समझाते हुए ) ।


पारुल: ( सेम की ओर से कोई भी प्रतिभाव नहीं मिलता जिससे वह थक के मायूस हो जाती है । और चुपचाप अपनी कॉफी पीने लगती है । ) ।


सेम: ( दिल मानो पारुल को गले लगाना चाहता था पर... वह खुद को रोक रहा था । ) ( वह बोलने के लिए मुंह खोलने वाला ही था कि तभी पारुल कहती । )


पारुल: ( मुस्कुराते हुए ) तुम्हे मेरी मायूस शकल देखकर यहीं कहना चाहते हो ना की तुमने मुझे माफ किया....!? है ना... मैं जानती हूं... ।


सेम: ( गुस्से में बालकनी की ओर जाते हुए ) नो.... ।


पारुल: ( सेम के पीछे जाते हुए )... प्लीज ना अब ये ज्यादा हो रहा है... अब तुम बच्चो जैसे बिहेव कर रहे हो..!।


सेम: मैं.. बच्चों जैसे बरताव कर रहा हूं या तुम!!?।


पारुल: ( सेम के गले में हाथ रखते हुए ) फाइन ना... अब तो मुझे भी नहीं पता कैसे मनाऊं ... यार मान तो ली मैने गलती...!? अब क्या...।


सेम: गलती मानने से क्या होगा जो हालत तुमने अपनी बनाई है वह ठीक हो जाएगी क्या!? नहीं ना तो तुम कुछ बोलो ही मत..!?।
पारुल: अच्छा... अगर ( सेम के करीब जाते हुए ) किस करूं तब भी नहीं मानोगे क्या!? ।
सेम: ( मुंह को हाथ से ढकते हुए जिससे उसके हाथ किस हो जाता ) तुमने क्या मुझे इतना गया गुजरा समझा है की में ऐसे किस... विस से मान जाऊंगा ...!। ( मन ही मन अबे समीर रायचंद गधे ड्रामा बंद कर पहली बार वह तुम्हें बिना कहे किस कर रही है । और उसकी शकल तो देख यार कितनी भोली लग रही है । अब कर भी दे माफ इतना क्या इतरा रहा है। ) ।
पारुल: ( सेम के गले से हाथ हटाते हुए ) फाइन सॉरी ना अब कितनी बार बोलूं सॉरी अब मैं... यार आगे से नहीं होगी ऐसी गलती ... ( जैसे ही सेम अपने चहेरे से हाथ हटाता है... पारुल अपने पैर की उंगली पर खड़े होते हुए सेम के होठ पर एक किस करती है जिससे सेम आश्चर्य में पारुल की ओर देखता है। तो उसकी आंखे बंद थी । सेम भी खुद को रोक नहीं पाता इसलिए वह भी पारुल को किस करने लगता है । ) ।

ऑक्सीजन की वजह से पारुल सेम को हल्का सा धक्का देते हुए दूर होती है । वह सांस लेने मैं व्यस्त थी ... पारो का चहेरा धीरे धीरे लाल हो रहा था । वह जानती थी की अब तक वह टमाटर जैसी हो गई होगी । इसलिए गाल को थपथपाते हुए खुद को नॉर्मल करने की कोशिश कर रही थी । पारुल में सेम की ओर देखने की बिलकुल भी हिम्मत नहीं थी पहली बार है जब पारुल ने सामने से किस किया है । काफी अजीब सा लग रहा था उससे और शर्मनाक भी था उसके लिए । सेम बस मुस्कुरा रहा था । वह जानता था कि पारुल में उसकी जान बस्ती है। चाहे वह जो कुछ भी करे वह पारुल से दूर रह ही नहीं सकता। गुस्सा तो दूर की बात है । दोनो बस अपनी अपनी सोच में डूबे थे। लेकिन उन दोनो को नहीं पता था कि कोई तीसरा इन दोनों को देख रहा है । दूर से अविनाश आग बबूला होते हुए पारुल की बालकनी की ओर ही देख रहा था । मानो जैसे जवालमुखी सुलग रहा हो। वैसे ही उसके पूरे बदन में खून दौड़ रहा था। अविनाश मानो सेम जिंदा गाड़ देना चाहता था । उसकी हिम्मत भी कैसे हुई पारुल के करीब जाने की। गुस्से में कार स्टार्ट करते हुए वह वहां से चला जाता है । क्योंकि वह एक और मिनिट रूका तो वह खुद नहीं जानता क्या करेगा!? और फिर से पारुल को चौंट पहुंचा देगा । वह अब गुस्से में आग बबूला होते हुए एयरपोर्ट पर पहुंचता है । और यहां से जाना ही बेहतर है यहीं सोचते हुए वह फ्लाइट में बैठ जाता है ।