अपूर्व एक जिद्दी निर्णायक - 2 NR Omprakash Saini द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अपूर्व एक जिद्दी निर्णायक - 2

पंचो आ रही थारी गुनहगार ये कहते हुए लड़को ने उस लड़की को पंचायत के बीच मे धक्का देकर फेख दिया...अपूर्व, अथक और रुद्र चौपल तक आ पहुँचते है मगर दूर ही खड़े रहते है। लड़की पंच पंचायत के सामने हाथ जोड़ कर खड़ी हो गई।

चौपाल के चबूतरे पर बैठे पाँचो पंच एक दूसरे के सामने देखकर बात करने बाद मुख्य पंच बोलाता है :– इन्ह छोरी ने बिना ब्याही माँ बनने रो पाप करियों है और हाथे मे इन्ह गाँव, समाज और आपरे कुल री मान मरयादा भी धूड़ मे मिलाई है। इनरी सजा तो इन्हे भुगतनी पड़ी और इनरे हाथे इनरी माँ ने ओ सच छुपा कर इन्ह छोरी रो हाथ दियो है इन्हरे वास्ते इन दोनों माँ बेटी ने सजा मिलेगी। पण म्हा लोग सगला गाँव वाला री राय लेनी चावा की इनरे बारे मे थे लोग कहीं केणी चाहो हो सब आप आप री राय दे सको।

पंचो की बात सुनते ही सभी लोग एक दुसरे के सामने देखते हुए काना फूसी करने लगते है अरे आज पंचो ने कई हो गयो हैं ऐ लोग गाँव वाला रि राय पूछे है आज तक तो एडो कोणी होयों है कई होयों????... कई होयों?????... ठा कोणी????

तभी एक बूढ़े बुजुर्ग की आवाज आती है :- आरे पँचा आज ओ थान्ह लोगा ने कई होयो है। आज तक तो पंचायत ने केड़ा भी मामले मे म्हाणी राय नही पूछी तो फचे आज म्हाँ लोगा री राय क्यूँ?

पंच लोग बोलते है :– अरे दुलीया थारी उम्र ढल गई है तू बता आज तक तू गाँव मे एडो मामलो देखियो है जिनमे बिन ब्याही छोरी माँ बनी हो, नहीं ना, इन्ह मामला मे कोई दो गुट कोणी खड़ा है पुरो गाँव खिलाफ है इन वास्ते ओ मामलो गाँव रे लोगा रो है खाली खेप पंचायत रो कोणी इसलिए अब गाँव वाला ही बताओ की इनरे हाथे कई करनो है?

औरतों के झुंड से एक आवाज आती है :- एडी ने तो जिंदा जला दे ताकि कोई और एडो पाप नही करे। पापिन कहीं की।

ये सब सुनकर रुद्र मुह पर हाथ रखता हुआ अपूर्व की और देखकर बोला :- बा...प रे…! जिंदा जलाने की बात कर रहे है। अपूर्व यह तेरा गाँव है।

अथक, रुद्र के सिर पर हल्के हाथ से मार कर हँसता हुआ बोला :- बस इतने मे ही बाप याद आ गया आगे सुन कुछ ही देर मे नानी भी याद आयेगी।

रुद्र, अथक के सामने हाथ करता हुआ बोला :– ऐ...! यहा तो माँ का ही अता पता नहीं और तू नानी की बात कर रहा है। पगला गया है।

अथक :-ओह अच्छा, तो फिर तू चिंता मत कर इस लड़की को जलाने दे फिर मेरे ही गाँव मे तेरा एक और भाई मिल जाएगा उस बच्चे को भाई बना लेना फिर ये बुढ़िया तेरी नानी बन जाएगी।

रुद्र अथक को अंगुली दिखता हुआ बोलता है :- देख कमीने...

दोनों को झगते देख अपूर्व बोलता है :- स्टॉप, क्या कर रहे हो? यार! मैटर इज सिरीअस तुम दोनों बाद मे झगड़ लेना।

अथक बोलता है :- अपूर्व...!

अपूर्व गुस्से भरी नजरों से अथक के सामने देखता है। अथक सॉरी बोल कर चौपाल की तरफ देखने लगता है।

पुरुष वर्ग से आवाज आती है :- जलाने से कई होवे पंचा इन रे घर रो हुको पानी बंद कर दो भूखा मरी जने अपने आप चेतो आई।

रुद्र :- ये हुका पानी क्या होता है बे।

अथक फिर से रुद्र के सर पर मारता हुआ बोलता है :- सामने देख ले, बे। पीज़ा बर्गर की बात चल रही है।

रुद्र हल्का सा हँसता हुआ :- हहहह... वेरी फ़न्नी, जिस गाँव मे पान की दुकान नहीं है उस गाँव मे पीज़ा बर्गर।

अथक :- तो फिर क्यो पूछ रहा है। सामने देख ना, अभी तो और मज्जा बाकी है।

रुद्र :- यहा तो किसी के जान की पड़ी है और ये कमीना इसमे भी मजे मारना चाहता है।

अपूर्व :- तुम दोनों का हो गया।

अथक और रुद्र गर्दन हिलाते हुए बोले :- हाँ।

अब युवा वर्ग कहाँ पीछे रहने वाला था एक युवक बोलता है :– अरे नहीं नहीं इन्हे तो बिना गाबा(कपड़े) पेड़ रे बांध कर 100 कोडा ढोको। इस बात पर सभी लड़के हाँ हाँ कहते हुए ज़ोर ज़ोर से ठहाके लगाकर हँसने लगते है।

पंच लोग :- बस…., अब बहुत हो गई थान्ह लोगा रि राय; एक पंच उस लड़के के सामने देखकर बोला ऐ छोरा थने घनी गरमी चढ़ी है। जो इन्ह रा गाबा उतारने रे खातिर उतावलों हो रहियों है। अब पंचयात ही फैसलो करेगी। दो मिनट एक दूसरे से बात करके पंचायत ने फैसला सुनाया :- म्हा सगला गाँव वाला री बाता सुन और फैसलो करियों हाँ की इन दोनों माँ – बेटी ने इन गाँव रे मान मरयादा रे हाथे हाथे औरत होने री भी मरयादा लांगी है इन वास्ते इन्ह छोरी ने 50 कोड़े ठोके जाये और इनरे घर रो हुको पानी बंद कर इन्हे समाज से बाहर कियों जावे है अगर कोई भी इन्ह लोगा री मदद करेला या रिश्तो रखेला वो भी गाँव और पंचायत रो दोषी मानो जावेला।

रुद्र :- बाप रे जवान लड़की और 50 कोड़े। नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं....... ये अन्याय है... नहीं नहीं नहीं नहीं... मैं ये सब नहीं देख सकता...

अथक :- तो कौन कहता है देखने को आँखे बंद कर लेना।

तभी बीच मे :- रुको !... पुरुष वर्ग से एक बुजुर्ग की आवाज गूँजती है :– रुको पंचो रुको! ओ न्याव(न्याय) कोणी है इन माँ – बेटी रे कारण बच्चे रे हाथे क्यूँ अन्याव करो हो। ओ इतरों बड़ो भी अपराध कोणी की इनरे घर रो हुका – पानी बंद कर दियो जावे पाप तो इ छोरी ने करियों है इनमे चार दिन पहला पैदा हूयों बच्चा रो कई कसूर है।

अथक :- ये ले रुद्र तेरे भाई को बचाने आ गया बुढ़ाऊ अंकल।

रुद्र,,,रुद्र,,, अथक रुद्र को पुकारता हुआ इधर उधर देखता है फिर अपूर्व से पूछता है :- अपूर्व, अपूर्व ये रुद्र कहा गया।
अपूर्व :- रुद्र... कहा गया? अथक और अपूर्व इधर उधर रुद्र को देखते है मगर वो कहीं पास मे नजर नही आता है।

पंच लोग उस बुजुर्ग का जवाब देते हुए बोले :- रोहिडा रे पाप सु पिपली भी सूखे है। इन्ह छोरी रो......

बीच मे ही, मैं सहमत हूँ... मैं सहमत हूँ... दादा जी की बात से मैं सहमत हूँ। रुद्र पंचायत तक चौपाल मे आ पहुँचता है।

रुद्र को देखकर सभी गाँव वाले आश्चर्य मे पड़ जाते है पंच सहित सभी लोग एक दूसरे का मुह देखने लगते और एक दूसरे से सवाल करते है ओ कुण है? ओ कुण है? आपाने गाँव रो तो कोणी है।

अथक, अपूर्व के कंधे पर हल्के से मारता हुआ :- अपूर्व,,, अपूर्व,,,,! रुद्र... रुद्र....रुद्र उधर पंचायत मे।

अपूर्व एक दम पंचायत के सामने देखता है आरे यार यह मरवाएगा कहा फस गया अथक जल्दी जा रुद्र को रोक मेरे भाई रुद्र को रोक।

अथक :- हाँ...हाँ जाता हूँ।

पंच रुद्र से सवाल करते है :- थू कुण है छोरा म्हारे गाँव रो तो कोणी लागे है कठू आयो है? अर म्हारी गाँव री पंचायत रे मामले मे दखल देवे है।

रुद्र :- हाँ मैं इस गाँव का नहीं हूँ। मगर......रुद्र पूरी बात करता है तब तक अथक वहाँ पहुँच जाता है।

अथक रुद्र को रोकता हुआ उसके कंधे पर हाथ रखकर बोलता है :- रुद्र… रुद्र... मेरी बात सुन।

अथक को देखते ही सारे गाँव बाले भौंचके रह जाते है।

पंच :- अथक! ओ कुण है? अर तू कद(कब) आयो रे।

अथक पंचो के सामने देखकर बोलता है :- पंच परमेश्वर ये मेरा दोस्त है मेरे साथ आया है मगर...

बीच मे ही पंच बोल जाते है :– गाँव रे मामला मे दखल नही देवे इन्हे ले जाकर समझा दे ।

अथक :- जी पंच परमेश्वर, मैं...मैं ले जाता हूँ।

रुद्र अथक से हाथ छुड़ाता हुआ :- रुको अथक!
अथक रुद्र को रोकने की कोशिश करता है मगर रुद्र अथक को हाथ से इशारा करता हुआ रोक कर बोलता है :- रुको अथक अगर आज मैं यहा से चला गया तो किसी निर्दोष के साथ अन्याय हो जाएगा जो मैं नहीं देख सकता इसलिए अब तुम रुको; इस पंचायत की तो..... मैं देखता हूँ मुझे कौन रोकता है?

रुद्र पंचो के सामने देखकर बोलता है :- हाँ तो पंच परमेश्वर मैं आपका गाँव का नहीं हूँ मगर यह मामला भी सिर्फ आपके गाँव का नहीं है समस्त नारी जाति का है उनके सम्मान का है सही और गलत का मामला है अन्याय और न्याय के बीच का है। मेरे और आपके बीच का है यह मामला सिर्फ इस एक औरत या लड़की का नहीं है पूरे स्त्री समुदाय का है उनके अधिकार का है इसलिए अब आपको मेरी दलीले सुननी पड़ेगी।

पंच लोग गुस्से से बोलते है :– अथक...!

अथक धीरे से रुद्र को बोलता है :- रुद्र।

रुद्र भी अथक को रोकता हुआ बोला :- अथक! दो मिनट बस...

पंच लोग रुद्र का ऐसा रोद्र रूप देखकर बोले :- आ पंचायत आज आठे ही खत्म होवे है।

रुद्र गुस्से मे चिल्लाता हुआ बोला :- रुको...! कोई नहीं जाएगा, पंचायत तो अब शुरू हुई है पंचो के सामने देखकर बोलता है क्यों पंच परमेश्वर डर गए? अगर बिना न्याय किये निकले तो बहुत बुरा होगा। मैं इस गाँव मे ही हूँ इस पूरे परिवार की मदद करूंगा और 50 कोड़े मे से एक भी कोडा नहीं मारने दूंगा। आपके फैसले की तो मैं...(हाथ से मुठ्ठि बंद करके इशारा करता हुआ बोलता है) समझ गए या समझाऊँ।

पंच बोलते है :- कई समझाय?

रुद्र :- यही की अगर सही फैसला किये बिना निकले तो दुबारा पंचायत लगाने लायक नही रहोंगे इसलिए सोच लों... वरना आने वाले समय मे नहीं आपकी पंचायत रहेगी और नहीं आप लोग रहोगे।

पंच गुस्से से बोलते है :- बाहरू आयोड़ों छोरो और तू म्हाने धमकावे इनरो खामियाजो तो थने भुगतनों पड़ी। थे लोग ऊबा ऊबा (खड़ा खड़ा) देख कई रहयाँ हो। छोरो! जवान खून है थांरे हाथा मे लठ भी है ठोको इन्हे।(पंच लोग पास मे खड़े गाँव के लड़को से बोलते है)

अथक रुद्र का हाथ पकड़कर खिचता हुआ बोला :- रुद्र भाग...

रुद्र अपने शर्ट की बांह का बटन खोलकर बांह ऊपर करता हुआ :- ओ...हो! तो मारा मारी कुटा कुटी... क्या बात है। चलो इसी बहाने कोई गाँव की गौरी को दीवाना करने का मौका तो मिलेगा।

गाँव के 6 मुसठंडे लड़के चिलाते हुए रुद्र पर टूट पड़ते है :- ऐ...???? छोड़ेंगे नहीं... एक लड़का रुद्र के सर पर लठ गुमाता है मगर रुद्र नीचे होकर बचता हुआ अगले लड़के के फेफड़ो के बीच मूका दे मारता है लड़का सीधा खड़ा होकर मुह के बल गिर जाता है। रुद्र फिर पीछे से आने वाले वार को संभालता हुआ लठ पकड़कर लड़के को आगे की तरफ खिचता है और मुह के बल गिरा देता है। फिर अपने सामने से सिर पर आने वाले वार को रुद्र अपने दोनों हाथो से लठ पकड़ता हुआ वार को संभालता है और अपने एक पैर से उस लड़के के किडनी पर दे मारा और तुरंत प्रभाव से संभलता हुआ पीछे से आने वाले लड़के के पेट पर लठ के एक सिरे से मारता है। चारो की जबरदस्त मार देख कर दो लड़के पीछे हट जाते है। रुद्र उन दोनों को पीछे सरकते देख बोलाता है। क्या हुआ? बस इतने मे ही; आ जाओ, आ जाओ यार। वो दोनों ना मे गर्दन हिलाते हुए अपनी जगह वापस आ जाते है।

अर्पिता मन मे बोलती है :- अरे वाह! यह तो बड़ा ही हिम्मती है और अथक के साथ आया मतलब अपूर्व का दोस्त है। और नाम भी रुद्र मतलब मेरा रुद्र; रोज सिर्फ भैया से ही तारीफे सुनी है आज तो साक्षात देख भी लिया। क्या बात हैं मेरे हीरो तू तो बिलकुल भैया की तरह पंचायत से ही भीड़ गया। वांह वांह क्या बात है। शाबाश।

रुद्र को ऐसे रोद्र रूप मे देखकर पंच लोग चबूतरे पर वापस आ बैठते है।

रुद्र अपने कमर पर हाथ रख के गहरी सांस लेकर बोलाता है :- क्या हुआ? वापस कैसे बैठ गए। रुकने के लिये मैंने पहले भी बोला था ना; मगर नही, आपको तो मारा मारी की पड़ी है।

बीच मे ही मुख्य पंच(सरपंच) बोल पड़ता है :- छोरा! थन्हे कई चाहिए?

रुद्र :- न्याय और सही फैसला।

पंचायत ने जो भी फैसलो करयों है सगला गाँव वाला री सहमति से करयों है।

रुद्र उस बुजुर्ग की तरफ हाथ करके बोलता है :- नहीं। इन एक अंकल की सहमति नहीं थी और नहीं मेरी।

पंच लोग :- ऐ छोरा तू इन्ह गाँव रो कोणी है। थारी सहमति री म्हाने किन्ही कोई जरूरत कोणी।

रुद्र :- मगर इन्ह दादा जी की तो है। तो बस, ठीक है मैं इनकी तरफ से ही लड़ूँगा मगर उस नन्ही सी जान और इस मजबूर माँ के साथ अन्याय नहीं होने दूंगा।

पंच लोग :- ठीक है। छोरा! तो थू एक ऐडी बात बता दे। जिन से थू ओ साबित कर सके की ओ अन्याव है।

रुद्र :- आ...हा। पाप सिर्फ इस लड़की ने ही किया है वह लड़का कहा है जिसने इसको माँ बनाया है। मुझे उस लड़के से मिलना है जिसकी वजह से यह लड़की बिन ब्याही माँ बनी है लेकिन वो अभी तक इस पंचायत मे पेश नहीं हुआ है। कहाँ है? वो लड़का जिसने ये पाप किया है।

रुद्र की बात सुनकर सारे गाँव वाले काना फूसी मे लग जाते है।

पंच बोलते है :- इ छोरी रे सहमति बगैर कोई छोरा की नहीं कर सके है। इन्ह वास्ते सगली गलती सिर्फ और सिर्फ छोरी री मानी जावे है।

रुद्र हाथ को क्रॉस मे काटता हुआ ज़ोर से बोलता है :- गलत। बिलकुल गलत।

गाँव वाले रुद्र की आवाज सुनकर चुपचाप उसके सामने देखने लगते है।

रुद्र :- सरासर गलत, जितनी बड़ी गलती इस लड़की की है उससे कही गुना ज्यादा गलती उस लड़के की है जिसने इसके विश्वास का गला घोटा है। वो कायर है जो इस सच्चाई से भाग रहा है की वो इस बच्चे का बाप है। अगर ब्याह से पहले एक लड़की का माँ बनाना पाप है तो ब्याह से पहले एक लड़का का बाप बनाना भी पाप है और साथ मे बिन ब्याही लड़की के साथ संबंध बनाकर उसको को माँ बनाना भी पाप है। इसलिए इस केस मे जितनी बड़ी गलती इस लड़की है उतनी बड़ी गलती उस लड़के की भी है जिसने इसके साथ प्यार का झूठा नाटक किया है इसके जिस्म के साथ खिलवाड़ किया और कुंवारी लड़की को माँ बनाकर छोड़ दिया। बिना पुरुष के कोई औरत माँ नहीं बनती इसलिए उस पुरुष को ढूँढना जरूरी है जिसने ये पाप किया है। इस गलती मे सिर्फ इन माँ बेटी को सजा देकर यह पंचायत सिर्फ इस लड़की के साथ ही नहीं बल्कि समस्त नारी जाति के साथ अन्याय कर रही है। न्याय तो वह होगा जब उस लड़के को ढूंढकर इस लड़की के साथ शादी करवाई जाये और उस नन्ही सी जान को एक बाप का नाम दिया जाये।

पंच :- यह नहीं हो सकता।

क्यों नहीं हो सकता? मैं पूछता हूँ क्यो? अपूर्व ज़ोर ज़ोर से बोलता हुआ पंचायत मे आता है।

अपूर्व,,, अपूर्व,,,! अपूर्व को देखकर सभी गाँव के लोग एक दूसरे के मुह देखते हुए से बोलते है। यह कब आया?

अर्पिता भी धीरे से बोलती है :- अपूर्व भैया।

पंच लोग :- अपूर्व तू, थारी इतरी हिम्मत के तू फाचों पंचायत रे सामने आ गयो।
अपूर्व :– हाँ मैं, जब जब जहां जहां तुम लोग अन्याय करोगे तब तब वहाँ वहाँ मैं आ पहुँचूंगा और आज फिर से ये पंचायत अन्याय करने जा रही है क्योकी इसमे भी गलती सिर्फ औरत की है किसी मर्द की नही है मगर इन्ह औरतों के सम्मान मे लड़ने वाला गाँव का यह मर्द वापस लौट आया है और हाँ! इस बार मैं अकेला नहीं हूँ मेरे साथ कोई और भी है। यह रुद्र मेरा दोस्त मेरे साथ खड़ा है।

अथक एक कदम आगे आकर अपूर्व का साथ देता हुआ बोलता है :- और मैं भी।

पंच :- ओ हो, तो अब थू इन्ह गाँव री पंचायत रे खिलाफ आपरो बदलो लेने वास्ते सेना तैयार कर रहयों है।

अपूर्व :- नहीं नहीं। नहीं... यह सोच तुम जैसे घटिया लोगो की हो सकती है मेरी नहीं। मैं इस गाँव के खिलाफ कोई सेना तैयार नहीं कर रहा हूँ। मैं सिर्फ औरतों के साथ इस गाँव मे होने वाले अन्याय के खिलाफ खड़ा हूँ और आज भी यही अन्याय होने जा रहा था। वर्षोतलक आ रही तुम लोगो की परंपरा को बदलने आया हूँ। गाँव की औरतों को यह बताने के लिए आया हूँ की औरत का काम सिर्फ बच्चा पैदा करना और घर के काम करना ही नही है और भी बहुत से काम है जो सिर्फ मर्द ही नही कर सकता बल्कि औरत भी कर सकती है।

अपूर्व औरत वर्ग से बोलता है :– आज अगर तुम लोग चुप रही तो कल यह ही आप लोगो के साथ भी होगा। याद करो आज तक इस पंचायत मे क्या होता आ रहा है। आज तक एक भी फैसला तुम्हारे पक्ष मे आया है कब तक तुम लोग जुल्म सहती रहोगी। अपने वजूद के लिए क्यों नही लड़ती। कोई तो आगे आओ।

सभी औरते अपने आंखे झुकाकर धरती की तरफ देखने लगती है।

अपूर्व :- छि मैं भी किससे उम्मीद लगा रहा हूँ। यह तो खुद इन जैसे पापियों का साथ दे रही थी। एक औरत होकर औरत को ही जिंदा जलाने की बात कर रही थी।

पंच :- छोरा! ओ कोई अन्याव कोनी है। गाँव वाला रे सहमति से फैसलो लियो गयो है और अब ओहि फैसला आखिरी है।

रुद्र :- ना पंचा ना; ऐसी गलती मत करना। मैं इस बच्चे के बाप से मिले बिना तुम लोगो को यहाँ से हिलने भी नही दूंगा; जाने से पहले एक बार फिर से सोच लेना।

पंच :- ठीक है। थने उन्ह छोरा से मिलनो है जिनरे कारण आ छोरी माँ बनी है।

रुद्र :- हाँ, आपको पता है। वो कौन है? तो ठीक है उसको सामने ले आओ।

पंच :- नहीं। म्हा लोगा ने कोणी ठा है वो कुण है; आ बात तो खाली आ छोरी ही बता सके है। थू ही पुछ ले।

अपूर्व उस लड़की से पूछता है :– देख बहन, अब तेरे साथ न्याय होने वाला है। तेरे बच्चे को बाप का नाम मिल जाएगा। जल्दी बता दे कौन है? वो कौन है? डर मत हम तेरे साथ है जल्दी बता दे।

लड़की पहले से ही बहुत गबराई हुई थी, कभी पंचो को देखती है और कभी गाँव वालो को देखती है और फिर रुद्र और अपूर्व को देखकर आंखे झुकाकर नीचे देख लेती है।

रुद्र उस लड़की से बोलता है :- पिछले 9 महीने से तुमने बहुत तकलीफ़े सहन की है। बहन, अब बस डर मत; ऐसे चुप रहकर तुम उसको क्यों बचा रही हो? प्लीज बता दो, वो कौन है? बाकी सब तुम्हारा यह भाई देख लेगा।

मगर वो लड़की बहुत गबराई हुई होती है तो वो बस इतना ही बोल पाती है – मै.... मैं...मैं नहीं बता सकती।

कहते है औरत जिससे प्यार करती है उसके ऊपर कोई भी संकट नही आने देती है। यह इस लड़की का प्यार ही है जो उस लड़के का नाम नही ले पा रही है।

अथक अपूर्व और रुद्र को रोकता हुआ बोलता है :- ठीक है; अभी यह गबराहट के कारण कुछ बोल नही पा रही है। हम बाद मे बात करेंगे।

अपूर्व :- नहीं अथक... यह गबराई हुई नहीं है बल्कि बहुत डरी हुई है और यही डर इस गाँव की हर औरत के मन मे बैठा हुआ है।

रुद्र : ठीक है तो फिर हमे पता लगाना आता है। मैं उस लड़के को आखिरी मौका देता हूँ। जिसने भी यह कायरता वाला काम किया है। वो खुद चुप चाप सामने आ जाये तो अच्छा है वरना....

रुद्र दो मिनट इंतजार करता है मगर कोई सामने नही आता है।

रुद्र : ठीक है मुझे पता लगाना आता है। कल अगर एक भी पुरुष गाँव से गायब रहा तो उसकी खेर नही।

रुद्र की बात सुनकर गाँव के लोग हँस पड़ते है। जिकों होवे ला गायब बोहि बने ला बाप। हांहांह...

रुद्र गुस्से से भरी तेज आवाज मे बोलता है :- हंसो मत; पहले पूरी बात सुन लो। कल ही शहर से डीएनए टेस्ट के लिए टीम बुला रहा हूँ। इस बच्चे और गाँव के हर मर्द का डीएनए टेस्ट होगा जिसका मैच होगा वही उसका बाप होगा और उसे इस लड़की से शादी करनी पड़ेगी।वरना...

डीएनए....डीएनए.... ओ कई है? सारे गाँव वाले एक दूसरे से काना फूसी मे लगे थे।

अपूर्व गाँव वालो को समझाता हुआ बोला :- डीएनए टेस्ट मतलब इस टेस्ट की रिपोर्ट बता देती है की बच्चे का बाप कौन है या इस लड़की के साथ किसने संबंध बनाया। ये ऐसा टेस्ट है जिसमे इस लड़की के साथ जिसने भी संबंध बनाया है वो पकड़ा जाएगा। और ये डीएनए सभी लोगो का अलग अलग होता है तो यह भी मत सोचना की किसी का समान मिल जाएगा। मैं पंचायत और उस व्यक्ति को कल तक का समय देता हूँ। वो जो कोई भी है कल पंचायत के सामने आ जाये वरना फिर उसका फैसला सीधा कोर्ट मे होगा कोई पंचायत मे नहीं। अब तुम लोग जा सकते हो और पंच परमेश्वर जी आप लोग भी पधारो।

पंच :- ओ ठीक कोणी है छोरा।

अथक मुस्कुराट के साथ बोलता है :- मेरे गाँव के प्यारे पंचो अब सब ठीक ही होगा आप लोग पधारो। कल सुबह वापस भी आनो है, है ना।

अपूर्व :- और हाँ अगर आज इस लड़की के घर के आस पास कोई भी भटकता हुआ नजर आया या इसको कोई नुकसान पहुंचाने की कोशिश भी की तो फिर उसकी खैर नहीं। सोच लेना।

धीरे धीरे सभी लोग निकलते है।

सरपंच और पंच लोग कुनाल जी के पास आकार बोलते है :– थारो छोरों बावलों हो गयो है। घर ले जाकर समझा दे। पंचायत रे खिलाफ भारी पडेला।

कुनाल जी :– जी सरपंच जी, मैं समझा दुला पण नहीं समझा तो थे लोग अपनी खैर मनाना ।

अपूर्व अपनी माँ के पाँव छू कर आशीर्वाद लेता है । फिर अर्पिता से मिलता हुआ बोलता है :– क्या रे चिचड़ी तू तो बिलकुल ही बदल गई कुछ ज्यादा ही मोटी नहीं हो गई।
अर्पिता :- हाँ हाँ मोटी तो हुई हूँ, तुम्हारे जाने के बाद माँ-बापू का सारा प्यार मुझे ही जो मिला है मगर तुम कुछ ज्यादा ही हैंडसम हो गए हो। अब जरा संबल जाना आगे तुम्हारा ही नंबर लगने वाला है।
अपूर्व :– ओह! किस बात का नंबर।

अर्पिता हँसती हुई बोलती है :- मेरे माँ की बिंदनी और मेरी भाभी लाने का।

मंजुडी, अर्पिता को डाटती हुई बोली :– चुप, कठे ऊबी है, चेतो भी है। हरके जगह शुरू हो जावे कोई आगे देखे न पाछे।
मंजूड़ी अर्पिता को डाटती है तब तक रुद्र आकर उसके पाँव छु लेता है। मंजूड़ी एक दम नीचे देखती हुई पाँव पीछे लेती है। मंजूड़ी को पाँव पीछे लेते देख रुद्र बोलता है :- माँ आशीर्वाद नहीं देओगी।

मंजूड़ी :- हाँ...; खुश रह छोरा। ईश्वर थने घनो बड़ो आदमी बनावे।

रुद्र भावुक होकर बोलता है :- थैंक यू। माँ.....! मैंने आज तक अपनी माँ को तो नही देखा मगर...आज....इतना बोलते बोलते रुद्र के आंखे नम हो जाती है।

अपूर्व रुद्र के कंधे पर हाथ रखता हुआ बोलाता है :- माँ रुद्र बचपन से अनाथ है इसलिए आज तुझे माँ पुकारते ही भावुक हो गया।

मंजूड़ी रुद्र के गाल पर प्यार से हाथ रखती हुई बोली :- छोरा कुण केवे तू अनाथ है। आज से तू भी म्हारे घर रो सदस्य है। यह सुनते ही रुद्र अपूर्व से कहता है की अपूर्व अब मैं अनाथ नहीं रहा।

पीछे से आवाज आती है :- थान्ह सब लोगो रो मिलनो हो गयों हो तो म्हारी धिकले भी एक नजर देख लों।

आवाज सुनकर अपूर्व बोलता है :- पापा...। पीछे मुड़कर कुनाल जी के पाँव छूता है।

कुनाल जी :- खुश रह। आखिरकार म्हा लोगा री याद आ गई थन्हे; पाँच बरस हो गया घर सु गए गाँव से नाराजगी थी घर से थोड़ी जिकों एक बार भी मुड़के कोनी देखियों।

अपूर्व :- पापा...वो...

कुनाल जी अपूर्व के पीठ पर मारते हुए बोले :- बस अब रहने दे पहला घर चाल थारे से घनी बाता करनी है।

अपूर्व :- हाँ! पापा... मगर पहले इससे तो मिलो ये मेरा दोस्त....

बीच मे कुनाल जी बोल जाते है :- रुद्र; जानता हूँ रोज अर्पिता से थारी और इनरी खबर मिल जाती थी पण आज देख भी लिया। बड़ो ही हिम्मती है।

रुद्र, कुनाल जी के पाँव छूता है। कुनाल जी आशीर्वाद देते है :- खुश रहो और थोड़ा लड़ाई झगड़ा कम करयाँ कर।

अर्पिता बीच मे बोलती है :- झगड़ा तो इनका पैदायसी साथी है।

अपूर्व रुद्र को अर्पिता से मिलाता हुआ बोला :- रुद्र इससे मिल यह चंचल-चिचड़ी मेरी नटखट छुटकी बहिना।

अर्पिता, अर्पिता नाम है मेरा। इतना बड़ा भी नहीं जितना भैया बता रहे है बीच मे ही अर्पिता बोल जाती है।

रुद्र अर्पिता को हाय बोलता है।

अर्पिता रुद्र को हैलो करती है।

कुनाल जी :- चलो अब घर चाला; बाकी रि बाता और मुलाकाता घर पे करना।

अपूर्व, रुद्र और अर्पिता :- हाँ हाँ चलो घर चलते है कहते हुए आगे बढ़ते है।

पीछे से अथक चिलाता हुआ बोलता है :- आरे मैं भी घर चालू या यहीं चबूतरे पर ही बैठ जाऊँ।

रुद्र और अपूर्व :- हाँ हाँ यही बैठ जा।

अर्पिता :- मैं खाना लेकर आ जाऊँगी।

मंजूड़ी :- चुप करो। आरे अथक कठे रह गयों छोरा चल आजा।

अथक रुद्र और अपूर्व का बैग उठता हुआ बोलता है :- हाँ हाँ मोसी माँ मुझे तो तुम तालाब से उठा के लायी थी ना, सामने खड़ा था फिर भी कैसे दिखूँगा। चलो, आदत से मजबूर जो हूँ आप मना करोगी तो भी आऊँगा। नहीं आऊँगा तो फिर जाऊंगा कहाँ।

घर पहुँचने पर कुनाल जी मंजूड़ी से बोलते है :- देवी, टाबरा वास्ते चाय बना दे जद तक मैं गाय ने चारो- पानी कर आऊँ। फिर अपूर्व से बोलते है अपूर्व थू थारे दोस्त ने कमरो दिखा दे। अर्पिता काले ही साफ करयों है।

अपूर्व :- हाँ, रुद्र चल। (रुद्र अपूर्व के पीछे चलता है और अथक भी उसके पीछे पीछे चल रहा था) कमरे का दरवाजा खोलता हुआ अपूर्व बोलता है :- यह हमारा कमरा है, दो बेड लगे हुए है। पहले मैं और अथक इसी रूम मे रहते थे अब हम तीनों को शेयर करना है। इस दरवाजे के लेफ्ट साइड मे स्विच है। यह बैक साइड खिड़की है, यह तेरी अलमारी है। यह हम तीनों की कॉमन बैंच है। जब तक यहाँ है यह रूम उतना ही तेरा है जितना मेरा और अथक का है।
रॉम ही नहीं ओ पुरो घर ही थारो है बेटा, केड़ी भी जरूरत होवे तो बिना जिज्क बता देना मंजूड़ी कमरे मे आती हुई बोलती है।

अपूर्व हँसता हुआ बोला :- माँ...रॉम नहीं। रूम, रूम होता है। अंग्रेजी नहीं आती है तो फिर मारवाड़ी ही बोल दे।
मंजूड़ी :- हाँ हाँ वोही वोही.... रूम, पहले हिन्दी बोलता था अब आ अंग्रेजी, था दोणु भाई बहन ने तो..... चल चाय लेलो।
अपूर्व :- हाँ, यहाँ टेबल पर रख। फिर अथक से बोलता है ओय अथक देख क्या रहा है? यह बैग नीचे रख और बाहर से दो कुर्सी लेकर आ। अथक अपूर्व को घूरता हुआ बाहर की तरफ गया और दो कुर्सी लेकर आता है फिर खुद चाय लेकर बेड पर बैठ जाता है। अपूर्व रुद्र को चाय देता है। मंजूड़ी बाहर जाती है और अर्पिता कमरे के अंदर आती है।
अर्पिता अथक को छेड़ती हुई बोली :- ओय बरसाती मेंढक, ऐसे मुंह क्यो फुला रखा है।
अथक गुस्सा दिखाता हुआ बोला :- टाटीयां (मधुमखियाँ) खा गया। तू अपना काम करना चिपकू कहीं की फ्री फोगट मे पंचायती कर रही है।

अर्पिता हँसती हुई बोली :- ओह हो कौनसे टाटीयां खा गया। मैं सब जानती हूँ अपने बिस्तर नीचे लगाले भिडु अब तो दो नहीं तीन हो गए हो। तेरी तो वाट लग गई। रूम का बड़ा शेनशाह बन रहा था॥ अब तो....

क्या अब तो? क्या??? क्या??? बिस्तर नीचे लगेंगे अपूर्व के; मेरे नहीं और हाँ अगर तू बीच मे आई तो एंकाउंटर कर दूंगा.... नारद मुनि बनने का शौक ही खत्म हो जाएगा....अथक हल्का सा चिलाता हुआ अर्पिता से बोलता है।

अपूर्व, अथक की तरफ अंगुली करता हुआ बोलता है :- ओ हैलो कमीने... वो मेरी बहिन है। किसकी? मेरी; बनेगी नारद मुनि। चुपचाप बेड के दूसरी तरफ बोरियां बिस्तर लेकर जम जा वरना...

अथक :- ओ बहिन के भाई साइड हो जा। हम फाइटरस पार्टनर के बीच आया तो...

थे दोणु टाबराल जिऊ लड़ना फाचा शुरू हो गया मंजूड़ी रूम मे आती हुई बोली।

अथक मंजूड़ी से बोलता है :- देखो मौसी माँ अपूर्व को मना लो... ये अब फिर से मेरे और मेरे फाइटर पार्टनर के बीच टांग अड़ा रहा है फिर इस कमीने ने कुछ किया तो मुझे मत बोलना।

क्या कर लेगा रे? बोल, बोल क्या कर लेगा? अपूर्व अथक की तरफ आंखे दिखाता हुआ कुर्सी से खड़ा हुआ और आगे बढ़ा...

अपूर्व, देख अपूर्व मैं सच मे कुछ कर दूंगा... आगे मत आना... देख आई वॉर्न... आई वॉर्न... अथक अपूर्व को अंगुली दिखाता हुआ वॉर्न करता है और एक एक कदम पीछे रखता हुआ बेड की दूसरी तरफ कूद जाता है।

अपूर्व बेड पर चढकर बोलता है :– ओ वॉर्न की बुआ क्या हुआ फट क्यो रही है। कुछ करने वाला था ना। अब आ.... आ…. आना।

अथक अपूर्व के पीछे की तरफ हाथ से इशारा करता हुआ बोला :- मासु दादा; अपूर्व एक दम पीछे की तरफ देखता है। अथक बेड की दूसरी तरफ कूदकर अर्पिता को हट छिपकली बोलता हुआ हल्का सा धका देकर रूम से बाहर निकल जाता है।

अपूर्व अथक के पीछे भागता हुआ :– रुक कमीने आज तो तेरी खैर नहीं...

मंजूड़ी रुद्र के पास बैठती हुई बोलती है :– ऐ दोनों छोटाक तकाऊँ ऐडा ही है। ठा कोणी थारे हाथे पाँच बरस म्हा लोगा से आगा(दूर) बिना लगडिया कीकर रहियाँ है ।

रुद्र बोलता है :- बिना झगड़े तो वहाँ पर भी नहीं रहते थे मगर अकेले तो कभी नहीं रहे। एक कमीना है तो दूसरा उसकी जान है। कोई भी काम होता तो दोनों साथ मिलकर ही करते थे। आप बहुत किस्मत वाले हो जो आपको अपूर्व जैसा बेटा और अथक जैसा भांजा मिला है वरना आज कल कौन मौसी को माँ का दर्जा देता है।

मंजूड़ी :- रुद्र बेटा, अथक म्हारी बहन रो छोरों जरूर है। पण मैं कदी भी इन्हे भाँजो नहीं समझी म्हारों छोटों बेटो समझन पालियों हूँ। जद ओ 5 साल रो हो तब अथक री माँ मरती मरती अथक री ज़िम्मेदारी म्हारे हाथा मे सोप गई। ओ अथक म्हारी बहिन और बहनोई सा रे प्रेम री आखरी निशानी है।

प्रेम की निशानी; रुद्र मंजूड़ी के सामने देख कर एक नई जिज्ञासा से बोलता है।

मंजूड़ी :- हाँ बेटा, म्हारे बहिन रे प्रेम रि निशानी; म्हारि बहन गाँव रे जागीदार रे खेतो मे भड़िया(मजदूरी मे काम करना) जाती थी। जागीदार रो छोरो उन्हरे हाइनो-दाइनों (हमउम्र) थो। लगभग एक महीनो जागीदार रे खेतो मे ही काम करने गई अर वठे उन्ह छोरा रे हाथे प्रेम कर बैठी। फचे बखत रे हाथे दोनों जना जीने मरने रि कसमें खा ली। इन बात रि भनक(खबर) किने भी कोणी पड़ी। बहन रि उम्र देखता पापा ने उन्ह रो ब्याह तय कर दियो। म्हारि बहन बड़ी खुदार और सिद्धांतों वाली छोरी थी। एक बार किन्हे भी वचन दे देती तो फचे मरने वास्ते भी तैयार रहती । ऐडा मे जिका साथे प्रेम करियों उन्हे दियोडो वादो कीकर भूल जाती। ब्याह रे दिन बा घर से उन्ह छोरा रे साथ भागकर गाँव रे मंदिर मे ब्याह कर लियो। आठीले पापा रे घर रे किवाड़ माथे बारात खड़ी थी। जद पापा ने इन्ह बात रि ठा पड़ी तो पापा माही ही माही(अंदर ही अंदर) टूट गए थे । गाँव रे लोग मिलन इज्जत अर नाक बचाने रे खातिर म्हारी बहन री जगह माथे मन्हे मंडप मे बिठाने री हिदायत दी पण पापा एक गलती माथे एक और गलती कोनी करनी चाहता इन्ह वास्ते पापा ने ओ फैसला म्हारे ऊपर सोप दियो। माँ अर सहेलियों रे समझाने पर मैं समाज मे पापा रि इज्जत बरकरार राखने रे खातिर जीजी रि जगह बैठने तैयार हो गई पण म्हें म्हारि बहन और बहनोई सा ने माफ करना रि अर दूल्हे ने इन्ह बात रि ठा होनी चाहिजे की उन्ह रो ब्याह म्हारे हाथे हो रहयों है आ एक शर्त रख दी। क्यूँकी मैं कोई भी रिश्तो झूठ रि बुनियाद माथे नहीं रखनी चाहती थी। म्हारी शर्त ने ले सब मान गया पण सब रे मन मे डर हो की आ बात सामने वाले मानेगे या नहीं। म्हारि बहन रि जगह मन्हे अपने घर री बिंदनी बनाएँगे या नहीं। बस इ बात ने ले सब परेशान हो रहयाँ था। पण उन्ह दिन सबसे बढ़िया बात आ हुई की इन्ह रा पिताजी ओ कहता हुआ मान गया की जिकों छोरी आपरे बाप रि इज्जत अर मान मरयादा बचाने रे खातिर आपरी बहिन री जगह ब्याह करने वास्ते तैयार हो गई इनसे समझदार अर घर को जोड़े रखने वाली बिंदनी, म्हाने पूरा संसार मे भी कोणी मिल सके। उस बखत(वक्त) तो सब मान गया पण इन्ह रे बड़ा भाई साहब रे मन मे म्हारि बहन रे प्रति घनी घृणा(नफरत) हो गई। बखत रे हाथे म्हारे अपूर्व हो गया और एक महीने बाद ही म्हारे बहन रे अथक। इन्ह रे हाथे ही पुराना सारा घाव भर गया। म्हारे पापा रे घर मे तो सब खुश था पण जेठजी रे मन मे बदले रि भावना कदी भी ठंडी कोणी हुई। वो जीजी रो दूसरा रे हाथे भागकर ब्याह करने रो मतलब अपनी इज्जत उतारने से लगा बैठे थे। जद अथक 5 साल रो हो तो जीजी अर जीजों सा म्हारे घर(ससुराल में) आया जिकों म्हारे जेठजी ने कथाई मंजूर कोनी हो। रात को फाचा जाता बखत जेठ जी उन्हरे फटफटिया री ट्रेक्टर सु भिड़ंत करवा दी। फिर अस्पताल मे जीजी और जीजों सा रि मौत हो गई। अर उन्ह दिन मरती मरती जीजी अथक ने म्हणे सोप दियो। उन्ह दिन रे बाद आज तक म्हारी कोशिश होवे की अथक ने कदे भी जीजी रि कमी महसूस नही हो।

कहानी सुनने के बाद रुद्र बोलता है :- सच मे आंटी जी। आज तक सिर्फ यह बात कहानियों मे सुनी थी की मौसी माँ जैसी होती है परन्तु आज तो मे साक्षात देख रहा हूँ। सच मे आप बहुत महान हो।

मंजूड़ी नम हुई आंखो को पोछती हुई बोलती है :- बेटा सांझ हो रही है मैं रसोई रे काम मे लागू। थू बोहत थकियोंडो है। थोड़ी जेज़(देर) आराम कर ले।

रुद्र :- नहीं आंटी जी ऐसे ढलते दिन मे आराम करने की आदत नहीं है। आप जाइए, मैं अपने आप को मैनेज कर लूँगा।

अर्पिता रूम मे आती हुई बोलती है :– माँ अगर तुम कहो तो रुद्र जी को मैं घर और बाड़ा दिखा लाऊ।

मंजूड़ी :- ए बावली इनमे कई पूछने रि बात है लेजा।

अर्पिता ने पहले रुद्र को घर का निचला भाग दिखाया फिर छत के उस भाग तक ले गई। जहां से गाँव और अपूर्व के खेत साफ दिखाई देते है।
अर्पिता रुद्र को बताती है :– रुद्र जी, यह घर के पीछे की दिवार से छटा हुआ बाड़ा है। जिसमे आपके दोस्त की आधी ज़िंदगी गुजरी है। गायों और भैंसयों के साथ देहाती लाइफ जीता था। सर्दियों मे वो छपर भैया का फ़ेवरिट प्लेस था और यहाँ से एक खेत आगे जो खेत है वो हमारा ही है। लगभग 200 बीघा खेत है। इसी खेत के राइट साइड मे नजर गुमाईये। वो अपूर्व भैया और अथक बैठे है। यह जगह भैया और अथक की बहुत ही पसंददीदा जगह है। जब ये दोनों उदास या खुश होते है या एक दूसरे से रूढ जाते है तो इसी जगह का सहारा लेते है। 24 घंटो मे से 10 घंटे तो इनके यही गुजर जाते है इसलिए पापा ने इस जगह पर पड़ी एक भी वस्तु को नहीं हटाया और नहीं किसी को यहाँ आने देते थे। आज भी देखो दोनों लड़ते झगड़ते वहीं जाकर बैठ गए। जब से इन दोनों ने घर छोड़ा था तब से ये जगह पापा के लिए फ़ेवरिट जगह बन गई थी। पापा को जब भी अथक और अपूर्व की याद आती तो वो इसी जगह पर जाकर बैठ जाते थे। ये जगह बड़ा ही सुकून देती है। कभी कभी लगता है की इसी जगह पर बैठे बैठे ज़िंदगी गुजर जाए। अर्पिता बोलती जाती है और रुद्र शांति से सुनता रहता है। जब रुद्र कुछ नही बोलता है तो अर्पिता कहती है ओ सॉरी मैं कुछ ज्यादा ही बोल रही हूँ। आप बोर हो रहे होंगे।

रुद्र : नहीं, बोर नहीं हो रहा हूँ बल्कि बहुत खुशी महसूस हो रही है। अपूर्व की नई नई बाते जानकर अच्छा लग रहा है। जैसा वो दिखता है वैसा वो है नही।

अर्पिता : हम्म, वैसे बहुत कुछ बाकी रहा गया है। जो अपूर्व के बारे मे आपको जानना चाहिए। एनी वे, इधर आइये आपको यही से गाँव के भी दर्शन करवा देती हूँ।

रुद्र : हाँ हाँ, क्यो नहीं। स्योर

ये हमारे घर के आगे का हिस्सा जहां से इस छोटे से जहाँ की सारी झांकीयाँ देखी जा सकती है। वो देखिये वो हमारी चौपाल जहां से गाँव मे आता हुआ हर शक्स पर सीसीटीवी कैमरे की नजर रहती है। रुद्र हैरानी से पूछता है ‘कैमरे’। अर्पिता कहती है हाँ; कैमरे गाँव के बुजुर्ग लोग बैठे रहते है। गाँव मे आने वाले हर शक्स पर नजर रखते है। गाँव मे तो ये लोग ही कैमरे का काम करते है। रुद्र हँसता हुआ बोलता है अच्छा। रुद्र को हँसते देख अर्पिता को भी अपनी बात पर हँसी आ जाती है। फिर बताती है की वह चौपाल के पीछे ही हमारे गाँव की स्कूल है और स्कूल की बाउंडरी से छटी हुई तालाब की पाल है और उसी के बगल से गुजरने वाली गली मे ही तीन मकान आगे उसी लड़की का घर है जिसका मामला आज पंचायत मे चल रहा था।

रुद्र ओह! सी... करता हुआ बोलता है अब बस आज के लिए आपके गाँव की जानकारी मेरे हिसाब से काफी है बाकी का फिर कभी जरूरत पड़ी तो...देख लेंगे।

अर्पिता हँसती हुई बोलती है :- हहहहह... मैं भी ना.... आपको युद्ध भूमि मे जाने से पहले जैसे सेनापति राजा को दुश्मन का अड्डा दिखाते है वैसे दिखाने लगी।

रुद्र हल्का सा हह करके हँसता हुआ बोलता है :- शायद मुझे भी ऐसे ही लगा। फिर दोनों एक दूसरे को देख कर साथ मे हंसने लगते है॥

दोनों घर की छत के मध्य मे रखी कुर्सियों पर आकर बैठ जाते है। कुछ देर मौन बैठे रहने के बाद रुद्र बोलाता है :- अर्पिता जी... ये... अपूर्व और अथक के गाँव छोडने के पीछे की क्या कहानी है?

अर्पिता रुद्र के सामने देखती है। अर्पिता के सामने देखने से रुद्र को लगता है की शायद अर्पिता को अच्छा नही लगा तो वो बोलता है नहीं! ऐसे ही... मेरा मतलब है...था... की इन दोनों को वहाँ पंचायत मे देख कर गाँव के लोगो का...

बीच मे ही अर्पिता बोल पड़ती है :- समझ गई, आप क्या जानना चाहते हो; बताती हूँ। वो उस दिन क्या हुआ की शाम का समय था भैया खेत से लौट रहे थे। उसी वक्त तालाब के पास ही गाँव के रानी जी की लड़की को साँप ने दंश मार दियाँ। भैया ने उस लड़की को गौद मे उठायाँ और केसरियाँ कंवर जी के थान तक ले गए। गाँव की पंचायत के डर से भोपो जी ने उसको झाड़ा देने से मना कर दियाँ क्योंकि वो जाति से हरिजन थी।

रुद्र एक दम से बोलता है :- वॉट? हरिजन थी तो इलाज नहीं कर सकते। कैसे लोग है? यार! अपूर्व भी पढ़ा लिखा होकर भोपा, जाड़-फुक इन्ह बातो पर विश्वास करता है। उसे हॉस्पिटल ले जाना था। स्टुपीट फैलो...

अर्पिता :- शायद आप सही कह रहे हो मगर आज भी राजस्थान के ऐसे बहुत से गाँव है जहां जाति धर्म पर इंसान से भेदभाव किया जाता है और इस गाँव मे तो बहुत ही ज्यादा करते है। गाँव मे हॉस्पिटल भी नहीं हैं और शहर यहाँ से 65 किलोमीटर दूर है। शाम का वक्त हो चला तो भैया अकेली लड़की को लेकर गाँव से बाहर भी जा नहीं सकते थे और फिर ये मान्यता भी तो है की इन्ह भोपा लोगो के पास ऐसी दिव्य शक्ति और मंत्र होते है जिससे साँप खाये हुए व्यक्ति का जहर निकाल सकते है और फिर इसके अलावा भैया के पास दूसरा कोई ऑप्शन भी नहीं था।

रुद्र :- अरे यार, ऑप्शन क्यों नहीं था, गाँव मे कोई वैध वगेरा तो होगा ही ना।

अर्पिता :- आज आप जो सवाल कर रहे हो; जानकारी के अभाव मे कर रहे हो। मुझे लगता है आपको पहले गाँव को समझना चाहिए उस वक्त जो परस्थितियाँ उत्पन्न हुई थी जरा उनके बारे मे भी सोचो।
वो क्या है ना रुद्र जी! कभी कभी इंसान करना तो बहुत कुछ चाहता है मगर उसके हालात, समाज की सोच, अपने परिवार की फिक्र ऐसे बहुत सारे फेक्टर्स होते है जिसके आगे उसे अपने गुटने टेकने ही पड़ते है। अक्चुयली मे इंसान मजबूर नही होता है, उसकी परस्थितियाँ और वक्त उसे मजबूर बना देता है। इस दुनिया मे जीतना कौन नहीं चाहता है हार किसी को पसंद नही है मगर अधिकतर हार को ही गले लगाना पड़ता है और वहीं उस दिन भैया के साथ भी हुआ था। भैया ने आवेश मे आकर उस भोपे पर हाथ उठा लिया इससे सारा गाँव भड़क गया। वक्त पर इलाज नहीं मिलने के कारण उस लड़की की मौत हो गई और इधर भैया के खिलाफ पंचायत बैठ गई। भैया पंचायत की कोई बात सुनने को तैयार नही थे। उसके परिवार और रिश्तेदारों के अलावा उस लड्की की मौत से किसी को कोई हमदर्दी नहीं थी। भैया अकेले थे फिर भी लड़ते रहे मगर हार नहीं मानी। भैया ने भरी पंचायत मे ये संकल्प लिया की एक दिन गाँव की इस पंचायत को उखाड़ फेकुंगा। भैया ने भगवान शिव की सौगन्द खाई की :- ‘मैं अपूर्व, भगवान शिव की सौगन्द खाता हूँ की एक दिन ऐसा ला दूंगा की इस गाँव के हर जाति की औरत पंचायत के डर से नही मरेगी। वो खुद रूढ़िवादी परम्पराओ की बेड़ियाँ तोड़कर अपने आजाद विचारों से जियेगी। कोई भी पाबंदी औरत को केद नही कर पाएगी। आने वाली पीढ़ियों की ज़िंदगी से पंचायत शब्द ही मिटा दूंगा।‘ अपूर्व के इस नादान उड़दंग ने पंचायत को और अधिक आहात कर दिया था। आखिरकार पंचायत ने उसे 5 साल के लिए गाँव निकाला दे दिया मगर भैया तो ऑलरेडी इसकी तैयारी कर चुके थे। गाँव से दूर जाकर अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए भैया के पास यह एक स्वर्णिम अवसर था। कुछ भी कहो उस समय वक्त ने भैया का साथ दिया जिससे माँ और पापा को भी ज्यादा समझाने की जरूरत नही पड़ी क्योंकि ये पंचायत का फैसला था जिससे भैया को तो किसी भी हालत मे गाँव को छोडकर जाना ही था। अपूर्व के बिना अथक एक पल भी नहीं रह सकता और दोनों ने साथ मे ही 12 वी कक्षा पास की थी तो भैया के साथ-साथ अथक भी अपना सामान बांधकर उसके साथ जाने के लिए तैयार हो गया। भैया ने उसी दिन पंचायत को खुली चुनौती दी की जिस दिन भी वापस लौटूँगा गाँव की परंपरा को बदल दूंगा। इस पंचायत को जड़ से उखाड़ फेकुंगा। और इस प्रकार आज पूरे 5 साल और 3 महीने बाद भैया वापस घर लौटे है।

रुद्र सिर हिलता हुआ बोला :- ओह! तो ये बात थी जो आज तक मुझे पता नही थी। मैं हमेशा पूछता रहा की मेरा तो कोई परिवार भी नही है फिर भी मैं रमेश काका से मिले बगैर नही रह सकता और उनसे मिलने चला जाता हूँ मगर परिवार होते हुए भी ये कभी नही मिलने जाता है मगर कभी भी कोई जवाब नही मिलता था और नही अथक कुछ बताता था। मतलब मेरा दोस्त सजा काट रहा था और इस बात का मुझे आज तक पता भी नहीं था। आरे वाह! अपूर्व तू तो बड़ा ही ढीठ किस्म का आदमी निकला। इंटरेसटिंग, अपूर्व की जिद्द के लिए इस गाँव के साथ फाइट करने मे बहुत मजा आयेगा।


अर्पिता :- आप अभी अभी आए हो। यह थली(स्थानीय भाषा मे रेगिस्तान मे स्थित गाँव को थली कहते है) है। अभी बहुत कुछ जानना बाकी है। आपको क्या लगता है वो लड़की कल सुबह आपको सही सलामत मिल जाएगी। नही बिलकुल नही। ऐसा सोचना भी मत; कल सुबह वो या तो गाँव मे ही नही मिलेगी या फिर किसी कुए मे मृत पड़ी होगी। ये लोग रातो रात उस लड़की को गाँव से दूर जाने के लिए मजबूर कर देंगे या मार देंगे।

रुद्र आश्चर्य के साथ अर्पिता को देखता हुआ बोलता है :- वॉट? क्या बोल रही हो ऐसा कौन करेगा भला।

अर्पिता :- ऐसे चौंकने की कोई जरूरत नहीं है रुद्र साहब, ये आकाशपुर है। अब तो सुबह तक का इंतजार करो; कल देखते है उस लड़की के साथ क्या होता है।

रुद्र :– देखते है। कल वो होगा जो पहले कभी इस गाँव मे नही हुआ।

इनकी बाते चल ही रही थी के बीच मे अथक की आवाज गूंज पड़ती है :- ओय छिपकली… छिपकली...

आवाज सुनकर रुद्र अर्पिता से बोलता है :- चलो यह आ गया आपका बरसाती मेंढक। चले...

अर्पिता हम्म करती हुई बोलती है :- और आपका कमीना... फिर दोनों एक साथ हल्के हल्के हँसे और नीचे आ जाते है।

शेष निरंतर...