अपूर्व. एक जिद्दी निर्णायक... - 1 NR Omprakash Saini द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अपूर्व. एक जिद्दी निर्णायक... - 1

अपूर्व एक जिद्दी निर्णायक...





लेखक एनआर ओमप्रकाश।





राज कॉलेज अहमदाबाद गुजरात

ये लो सारी कॉलेज छान मारी ओर ये देवता यहाँ विराजमान है। रुद्र अपूर्व के पीछे से आता हुआ बड़बड़ा रहा था।

अपूर्व, अपूर्व के कंधे पर हाथ रखता हुआ धीरे से बोला ।

अपूर्व ओह तुम हो, आओ बैठो।

हाँ मैं, नहीं तो तुम्हें किसका इंतजार था। रुद्र अपूर्व के पास बैठता हुआ बोला।

नहीं किसी का नही। मैं तो ऐसे ही यहाँ आकार बैठ गया। कॉलेज के इस बगीचे की जाते जाते शांति ओर इसकी खामोशी मे बसी यादों को महसूस करना चाहता था।

ओह...तो कर लिया

हम्म,,, देख आज कितना सकूँ मिल रहा है इस बागान के पंछियो की चहके के साथ हवा की मधुर मधुर कानो के पास से गुजरती हुई धुन सुनकर। ज़िंदगी के साठे तीन साल गुजारे है इस बागान, कॉलेज ओर फील्ड मे। मगर आज तक इतनी खामोशी मेरे कानो ने कभी भी महसूस नही की है। इन शब्दो के साथ अपूर्व रुद्र की आंखो की तरफ देखता है ओर अपने होठो पर हल्की मुस्कुराट बिखेरता है।

रुद्र - क्या हुआ?यार, आज तुम इतने उदास ओर यहाँ गार्डन मे? कॉलेज छोड़कर गाँव जाने का मन नहीं कर रहा है।

अपूर्व : ऐसी बात नहीं है रुद्र! गाँव जाने का मन किसका नहीं करता। मन तो बहुत कर रहा है अपने गाँव के दर्शन करने का मगर तुम जैसे दोस्तो को छोड़कर जाने को दिल नहीं मान रहा है इस कॉलेज, हॉस्टल ओर तुम लोगो से कुछ खास रिश्ता जुड़ गया है इसलिए तो एग्जाम्स खतम होने के बाद भी रिज़ल्ट तक यहा रुका हूँ।

अच्छा...!!!!! तो ये बात है। तो किसने कहाँ हमे यहाँ अकेले छोडकर जाने का। मैं भी तो मन बनाकर आया हूँ तुम्हारे साथ गाँव चलने का। रुद्र हल्की सी आंखे बंद करते हुए अपूर्व को देखाता है।

अपूर्व उत्साह के साथ – सच, सच मे! मेरे गाँव चलेगा?

रुद्र – हाँ! अपूर्व सच, तुम्हें तो पता ही है मेरा इस दुनिया मे कोई नहीं है उस अनाथालय ओर रमेश काका के अलावा।

अपूर्व – चल छोड़ यार, अब फिर से शुरू मत हो जाना अपनी बातों को लेकर पिछले तीन सालो से सुनता आ रहा हूँ। अब तो पक्क गया हूं। चल मेरे गाँव चल वैसे भी अंजलि काफी टाइम से तुम्हें बुला रही है। चल अब मैं भी घर पर बता दूँ की हम लोग गाँव लौट रहे है।

तो... अकेले अकेले चले जाओंगे। वो भी इस कमीने के बगैर...

रुद्र ओर अपूर्व बगैर पीछे देखे एक साथ बोले – ओह तो अब ये कमीना हमारी एविजड्रोपींग कर रहा है।

एविजड्रोपिंग नहीं रे... पूरी नजर रख रहा था काही तुम दोनों अकेले अकेले फुर नहीं हो जाओ। ओर येही तो प्लानिंग भी चल रही थी।

अपूर्व – नहीं रे पगले। अथक के बिना कभी अपूर्व - रुद्र रह पाये भला।

रुद्र ओर इसलिए तो सभी कहते है “बिना अथक ना अपूर्व ना रुद्रा”

हाँ सो तो है। तो फिर चले....

रुद्र ओर अपूर्व – कहाँ?

अथक : भाई हॉस्टल, भूख लग रही है...अब तुम दोनों को तो लगनी रही एक रुद्र है तो दूसरा भूख पर अपूर्व।

हाँ तो फिर चलो॥

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आकाशपुर गाँव

अपूर्व के खेत मे ग्रुप मे काम करती हुई गाँव की औरतों की बाते—


सुनना मे आयी की काले कुनाल जी वालो छोरों आपरी पढ़ाई पूरी करन आ रियों हैं।

दूसरी औरत- हाँ बाई सही सुनियों ए,,, तीन साल हु फाचो आवे है अबे तो गनो पढ़लियों है जिकों काही ठा केडो दिखतों रहला।

दिखो भली केडो ही बाप जिकों रूपियों उन री पढ़ाई माथे लगायों है एडो फल भी देवे लो या नही। बाप ने तो कोई कसर नहीं छोड़ी। उन री पढ़ाई रे खातर आपरी 50 बीगा खेत भी बेच दियो।

वाह तो छोरा के लखन ही बताई वो केडो होयों माँ बाप हु आगो रहीन पढ़ाई करी है या मोज हीज मारी। पर एक बात तो कहनों पड़ी कुनाल जी ने आपरे छोरा रे हाथे हाथे छोरी ने भी बाहरवी तक पढ़ा ली। वा तो गाँव मे आगे वास्ते पढ़ाई कोणी नही तो छोरी ने आगे भी पढ़ा देता।

अबे छोरी ही तो है। आट तक पढ़ाई बा भी घनी है। छोरी जात ने ज्यादा नही पढ़ा नो जाइजे। आगे जाकर काम तो आपने वालो ही कारणो है उन उम्र री छोरियाँ तो सासरे जावे है मारी माने तो समय रहतो छोरी ने परनाई देनों जाइजे। आज कल को जमानों कोणी जवान बेटी को घर मे रुखाल के राखने को । ओर नहीं पढ़ी लिखी छोरियों का भरोसा है बेरो कोणी कठी जाता कठी बाजे...

(इसी ग्रुप के साथ काम कर रही अपूर्व की माँ चुप चाप सब कुछ सुन रही थी।)

सुन मंजूड़ी(अपूर्व की माँ) मारी माने तो कल से ही तू अंजली को खेता के कामो मे लगा दे। समय तो लगेलों पन धीरे धीरे काम सिखलेसी ईऊ किताक दिन घर के कामा मे ही बैठी रखेगी। कलको सासरे जवेला तो यो बी तो काम करणो पड़सी।

मंजु- मारे छोरी माथे मने पुरो भरोसों है ओर बात रही उसके ससुराल की तो ये सब भाग्य से मिलते है ओर बेटी का भाग बेटी कने है। वे कोई नही खो सके। थे लोग थारे घर को ध्यान रखो दूसरा के घर की तांका जांकी मत करो।

बाई तू तो बुरों मान गई मैं तो साची साची बात बता रही हूँ बाकी गाँव की हालत थारे भी सामने है।

मंजु – हालत की तो बात बी मत करो। इन हालत की जिम्मेदार बी आपा लोग ही हा। अब बात नहीं करो तो ही सोखी बात है।

चलो बाई ई बात ने छोड़ो ओर पानी पीला हैडो तो आई गो। ओर पानी की मटकी की भी कने ही है।


दूसरे दिन अपूर्व के गाँव :

रुद्र बस से उतरते ही बोला : अपूर्व यार तेरा गाँव तो बड़ा ही प्यारा है यार,

अथक हा हा जरा गाँव के अंदर तो चल सब प्यारा प्यारा ही लगेगा अभी तो ये बाहर का नजारा है।

अपूर्व अथक के सामने देख के मुसकुराता हुआ आगे चल दिया।

गाँव के चोपल मे पहुँचते पहुँचते रुद्र ने बहुत बदलाव देख लिए अब रुद्र की इच्छा गाँव के बारे मे रिसर्च करने को हुई। उसने अपूर्व से सवाल करने लगा : अपूर्व! तेरा गाँव इतना रूढ़िवादी कैसे है? तुझे देख तो ऐसा नही लगता था की तुम इस गाँव मे बड़े हुए हो। नही बिलकुल नही। ये गाँव तुम्हारा ही है या हम काही ओर चल रहे हो। सारी औरते घूँगट मे, छोटी छोटी लड़कियां औरतों के बेश मे, हमसे कम उम्र के लड़के खेतो मे काम कर रहे है, स्कूल भी खंडर हो राखी है। क्या है ये सब.... कुछ तो जवाब दे।

अथक ओर अपूर्व रुद्र के सामने देखकर हल्की हल्की मुस्कान करके आगे चल दिये। रुद्र : क्या यार मे कुछ पुच रहा रहा है मुझे सबकुछ जानना है तेरे गाँव के बारे मे।

अथक : सबकुछ।

रुद्र : हा सब कुछ।

अथक मुसकुरता हुआ बोला : इतनी भी क्या जल्दी है। अभी अभी तो आया है कुछ दिन रुक सब कुछ पता लग जाएगा।

अपूर्व : अभी अभी तो आया है इतने मे ही भोचका हो गया। अभी तो बहुत कुछ देखना बाकी है।

रुक कहा जा रही है रुक। पकड़ो इसे पकड़ो। कहाँ तक भागेगी आज तो तेरा काल आया है। नहीं छोड़ दो इसे, दया करो इस पर, रहम रहम करो, मैं माफी मांगती हु इसे छोड़ दो गलती हो गई सरपंच साब रहम करो। चोपल की तरफ से ज़ोर ज़ोर से ऐसी आवाज़े आ रही थी। आवाज़ सुन रुद्र भी दौड़ा। पीछे से अपूर्व, रुद्र रुक कहा जा रहा है हम भी आ रहे है। रुको रुद्र रुको प्लीज स्टॉप... अथक ओर अपूर्व भी रुद्र के पीछे पीछे हो लिये।

अथक : अपूर्व कुछ भी हो आज तुम बीच मे मत पड़ना, पहले मैटर देख लेते है फिर कुछ होगा तो बोलेंगे। जब तक तुम चुप रहना।

अपूर्व : तुम बीच मे पड़ने की बात कर रहे हो। मैं तो सोचा रहा हूँ अभी मुझे देख कर इन लोगो का रिएक्शन केसा होगा। हम किस हालत मे गाँव से बाहर निकले थे ये बात तुम भी जानते हो ओर मैं भी मगर इन तीन- चार सालो मे क्या हुआ ओर क्या नहीं हम दोनों नहीं जानते।

रुद्र ने देखा एक लड़की भागती हुई रुद्र के सामने ही आ रही है। ओर उसके पीछे हाथो मे 5-5 फिट के लठ लिए चार लड़के। रुद्र ये देखकर लड़की की तरफ भागा मगर वो उस लड़की तक पहुंचता इससे पहले ही एक लड़के ने लड़की के पैरो पर गेठी से मारकर गिरा दिया। लड़की को गिरते देख रुद्र के पैरो मे भी एक दम ब्रेक लग गए। लड़के उस लड़की को उठा कर ले गए लड़की रुद्र को बड़ी ही आशा की नजारो से देख रही थी शायद ये मुझे बचा लेगा मगर....

रुद्र, रुद्र.... मेरी बात सुन (अथक भागता हुआ आया ओर रुद्र के कंधे पर हाथ रखता हुआ बोलने लगा) अथक.... अथक... तूने देखा वो लड़की वो लड़की कितनी उम्मीदों से हमे देख रही थी यार चल उसको हेल्प की जरूरत है।

अथक : मेरी बात सुन यार मेरी बात सुन प्लीज हम अभी कुछ नहीं कर सकते रुक जा।

रुद्र : मगर क्यों यार। वो लोग उस लड़की साथ कुछ बुरा कर देंगे। हमे बचना चाहिए उसे।

अथक, रुद्र को शांत करता हुआ : रुद्र.... मेरे भाई मेरी बात सुन ओर समझ अभी तुम कुछ भी मत बोलना वरना अपूर्व ओर इसके परिवार वालो के लिए ओर मुसीबते खड़ी कर दोंगे। इसलिए शांत हो जा प्लीज।

रुद्र : अपूर्व इस गाँव मे ऐसा क्या हो रहा है यार। मुझे कुछ बताएगा भी या...

बीच मे ही अपूर्व बोल पड़ा रुद्र सबकुछ बता दूंगा मगर अभी तुम घर चलो।

रुद्र : मगर मुझे जानना है।

अपूर्व : हाँ हाँ मगर अभी तू घर चल।

अथक : चलो पहले देखते है चोपल मे क्या हो रहा है। शायद सभी घर वाले भी वही होंगे।

अपूर्व : मगर...

अथक : जनता हु तुम क्या सोच रहे हो मगर हमे ये भी पता लगाना है आखिर कर हुआ क्या है॥ चल हम दूर ही खड़े रहेंगे।

अपूर्व : ठीके है चलो...

*****