हारा हुआ आदमी (भाग 43) Kishanlal Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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हारा हुआ आदमी (भाग 43)

"लो चाय पीओ" निशा ने एक कप पति को पकड़ा दिया।निशा चाय पीते हुए पति को रात के समाचार सुनाती रही।फिर चाय पीकर वह लिहाफ ओढ़कर लेट गयी।कुछ देर बाद ही उसे नींद आ गयी।उस दिन वे आगरा ही रहे।देवेन ने एक बात नोट की।माया उसके सामने आने से बचती रही।अगर आमना सामना हुआ भी तो माया ने नज़रे झुका ली।
शाम को ताज एक्सप्रेस से निशा और देवेन वापस दिल्ली लौट आये थे।ट्रेन लेट होने के कारण घर पहुंचते पहुंचते उन्हें बहुत देर हो गयी थी।
"मुझे तो नींद आ रही है।"घर पहुंचकर निशा बोली।वह राहुल को लेकर बिस्तर में लेट गयी।उसे लेटते ही नींद आ गयी।लेकिन देवेन की आंखों में नींद नही थी।वह बिस्तर में पड़ा जग रहा था।
देवेन के दिमाग मे कल रात कक घटना घूम रही थी।कल रात की घटना को देवेन भुला नही था।वह बिस्तर में पड़ा पड़ा सोचने लगा।
शादी से पहले देवेन एम आर था।उसे अपने काम के लिए अलग अलग शहरों में जाना पड़ता था।ट्रेन बस से सफर करना पड़ता था।तरह तरह के लोग उसके सम्पर्क में आते थे।आदमी ही नही औरते भी उसके सम्पर्क में आती थी।
निशा से पहले अनेक लड़कियां उसके सम्पर्क में आयी थी।पर किसी भी लड़की से देवेन के आत्मीय सम्बन्ध नही हुए थे।हर औरत से उसके सम्बंध मात्र औपचारिक रहे।कोई भी लड़की देव को अपनी तरफ आकर्षित नही कर सकी।
निशा ,देवेन की जिंदगी में आनेवाली पहली लड़की थी जिसने पहली मुलाकात में ही उसे आकर्षित किया था।उसका मन मोह लिया था।न जाने निशा में ऐसा क्या था कि पहली मुलाकात में ही देवेन उसे चाहने लगा था।इस चाहत का ही नतीजा था कि उनके सम्बन्ध धीरे धीरे प्रगाढ़ होने लगे।दोनो एक दूसरे के करीब आने लगे।और एक दिन शादी करके हमेशा के लिए एक हो गए।वे पति पत्नी बन गए।
शादी से पहले निशा और देवेन के बीच एक साल तक दोस्ती रही।इस एक साल में उनके सम्बन्ध घनिष्ठ होते गये।जब भी वह आता निशा उसके पास होटल में आती।काफी समय वे कमरे में अकेले साथ गुज़ारते।लेकिन देवेन ने कभी भी अनधिकार चेष्टा नही की।किसी तरह की छेड़छाड़ या छूने की कोशिश कभी नही की।
देवेन और निशा के मन जरूर मिल गए थे लेकिन तन नही।उनके बीच शारीरिक सम्बन्ध शादी के बाद ही स्थापित हर
निशा उसकी जिंदगी में आनेवाली पहली औरत थी।जिससे उसके Jजिस्मानी रिश्ते बने।
निशा बेहद खूबसूरत थी।निशा की मादक जवानी,मोहक रंगरूप और उफनते यौवन ने देवेन को ऐसा मोहजाल में फसाया कि वह सिर्फ उसी का होकर रह गया।सिर्फ उसी का।राहुल के जन्म से पहले तीन साल के दाम्पत्य जीवन मे निशा के प्यार में कोई कमी नही आयी थी।निशा उसे बहुत प्यार कटती थी।
राहुल के जन्म के बाद निशा के प्यार में वो जोश नही रहा था।वह कुछ बेरुखी हो गयी थी।पति से ज्यादा बेटे का ख्याल रखने लगी।यह परिवर्तन निशा में ही नही आया था।शायद माँ बनने के बाद हर औरत में आ जाता। है।पहले सिर्फ पति के प्रति ही उसकी जिम्मेदारी होती है लेकिन बेटा होने परर उस पर दोहरी जिम्मेदारी आ जाती है।पहले सारा समय पति के लिए होता था।पर अब समय बट जाता है।