ऐसा कहा जाता है की विद्यार्थी जीवन किसी भी व्यक्ति के जीवन का सर्वोत्तम जीवन होता है।मैं भी ऐसा ही सोचता था।लेकिन जिंदगी में कई ऐसे मोड़ आते हैं जो आपकी जिंदगी बदल देते हैं।लोग यह भी कहते है कि कोई अपने परिवार का चयन खुद नहीं कर सकता लेकिन अपने दोस्तों का चयन कर सकता है।मेरे दोस्तों ने मुझे और मेरी जिंदगी दोनों बदल दिया।ये तब की बात है जब मैं नौवीं कक्चा में था। मेरे पिता जी सरकारी नौकरी करते थे. इसी वजह से उनका कई बार ट्रांसफर होता रहता था. तभी उनका ट्रांसफर दिल्ली कार्यालय में हुआ. जिस वजह से मेरा विद्यालय भी बदल गया . नया सेहर नए लोग हर चीज़ नई थी । जब मैं पहली बार अपने नए विद्यालय गया तो मुझे थोड़ा असहज सा लग रहा था । क्यों की हम जिस सेहर से अये थे वहा के रेहेन सेहेन और यहाँ के रेहेन सेहेन में काफी अंतर था. पहले दिन जब विद्यालय गया तो वहा के अध्यापक ने मझे दूसरे बच्चो से परिचय करया। मैं अपना नाम बताना तो भूल ही गया। मेरा नाम दीपक है। जिस स्कूल में मेरा एडमिशन हुआ था उसका नाम दिल्ली पब्लिक स्कूल था। वहां के बच्चो का बोल चाल मुझसे बहुत अलग था। मुझे शुरू -शुरू उनसे बात करने में बहुत दिक्कत होती थी। किसी तरह एक महीना निकल गया। हम लोगो की गर्मियों की छुट्टी हो गई। गर्मिओ की छुट्टी ख़तम हुई और विद्यालय फिर से शुरू हो गया। गर्मिओ की छुट्टी के बाद एक नए लड़के का एडमीशम हुआ। उसका नाम अभिषेक था। क्यों के वो भी नया था और मझे भी ज़्यादा वक़त नहीं हुआ था। तो हम दोनों एक साथ रहने लगे और धीरे धीरे अच्छी दोस्ती हो गई। हम लोग साथ में पढाई करते थे। खेलते कूदते थे। उसके यहाँ नया कंप्यूटर आया था। रविवार के दिन उसके घर जा के कंप्यूटर में गेम खेला करता था। हमलोगो ने साथ में कई सेतानिया भी की थी। सब कुछ अच्छा चल रहा था। ऐसा करते करते एक साल बीत गया। अब हम दसवि में पहुँच गए थे। हमलोग पढाई में औसत थे. जब बोड्स के परीक्षा होने वाले काफी डरे हुए थे दोनों। सरे परीक्षा हो गए। और परिराम का दिन आया तो दोनों प्रथम श्रेणी से पास हो गए। ऐसे ही दो साल और बीत गया। अब हम बारहवी की परीक्षा पास कर चुके थे। अब हम अच्छे कॉलेज में प्रवेश की तैयारी कर रहे थे। हम दोनों का एक ही कॉलेज में एडमिशन हो गया। नया कॉलेज नए लोग सब कुछ अच्छा चल रहा था। कॉलेज जाते थे लेकिन क्लास अटेंड नहीं करते थे क्लास बंक किया करते थे। कॉलेज में कई सूंदर लड़किया भी थी। दूसरे से देखते थे बात करने की कोसिस करते थे। लेकिन डर के मारे बात नहीं कर पते थे। धीरे धीरे छे महीने बीत गए।हमारे पहले सेमस्टर का परीक्षा होने वाले थे। उसकी तयारी करने लगे। क्यों के हमदोनो ने सही से क्लास नहीं किया था। तो पहले सेमस्टर के परीक्षा में हमदोनो का बैक आ गया था।घर वालो ने इस वजह से बहुत डाँटा। हमने भी सोचा घर वालो ने इतना पैसा लगाया है। पढाई नहीं करेंगे तो हम फ़ैल हो जायेंगे। नए सेमस्टर के क्लासेज शुरू हो गए। अब हम दोनों रोज़ क्लास में जाने लगे। कई बच्चे तो ऐसे मिले जिन्हे हम जानते भी नहीं थे के ये हमारे साथ एक ही क्लास में है। उनमे से एक लड़के से अभिषेक की अछि दोस्ती हो गई क्यों के वो और अभिषेक एक ही जगह के थे। इसी वजह से मेरी भी अच्छी दोस्ती हो गई। अब हम तीनो एक साथ क्लास करते और मैथ्स और बाकि विषय के प्रशन उत्तर एक साथ में हल करने लगे। हमारे क्लास में कई सारी लड़कियां भी थी। तब मैं किसी से ज़्यादा बात नहीं करता था। लेकिन इस मामले में अभिषेक और उसका उसका दोस्त जिसका नाम प्रतिक था वो अच्छे से बात कर लेते थे। हमारे क्लास में एक लड़की थी जिसका नाम ज्योति था। उसका कॉलेज में कोई अच्छा दोस्त नहीं था। मेरी उससे बात होने लगी क्यों मुझे उसे देख के बुरा लगता था. मैं सभी लड़कीओ से बात नहीं करता था। लेकिन ज्योति से कोई बात नहीं करता था तो मैं उससे बात करने लगा। हमारे क्लास में एक और लड़की थी उसका नाम रीतू था। अभिषेक और वर्षा की अच्छी दोस्ती हो गई थी। वो उससे हमेशा मज़ाक किया करता था ऐसे ही एक दिन मज़ाक मज़ाक में अभिषेक ने उसे प्रोपोज़ कर दिया। पहले तो रीतू बोली ये क्या बात कर रहे हो मुझे तुमपे ज़रा सा भडोसा नहीं है पता नहीं अब कौन सा खुराफात चल रहा है तुम्हरे दिमाग में। अभिषेक ने बोला नहीं मैं सच बोल रहा हु चाहे तो दीपक से पूछ लो। अभिषेक ने इस बारे में मुझे पहले ही बता रखा था के वो रीतू से ऐसा कुछ मज़ाक करने वाला था। मैंने भी उसके हाँ में हाँ मिला दिया तब ये नहीं पता था की बहुत लोगो की ज़िन्दगी बदल जाएगी। रीतू ने मुझसे इस बारे में पूछा जैसे अभिषेक ने मुझसे कहा था वैसे ही मैंने रीतू से बोल दिया। रीतू ने अभिषेक की बात को दिल पे ले लिया। शायद वो अभिषेक को पहले से ही पसंद करती थी लेकिन उससे बोल नहीं पाती थी. इस मौके पे उसने अपने दिल की बात बता दी। अभिषेक ने एक मज़ाक किया था जिसको रीतू ने गंभीरता से ले लिया था। अब अभिषेक उसे सच बता भी नहीं सकता था क्यों के रीतू का दिल टूट जाता। मैंने अभिषेक को समझाया तुम्हे सच बोल देना चाहिए अगर तम्हे उससे प्यार नहीं है और तुम सच नहीं बताते तो वो धोखे में रहेगी के तुम उससे प्यार करते हो और ऐसा ना हो के बहुत ज़्यादा प्यार कर बैठे तुमसे। अभिषेक ने कहा सही समय आने पे सच बता देगा। अब रीतू भी हम दोस्तों के साथ रहने लगी मझे देख के थोड़ा अजीब लगता था सोचता था के ये अभिषेक क्या कर रहा है। ज्योति मुझसे कॉल कर के मेरा हाल चाल लिया करती। वो इतनी बार कॉल करती थी के में चिढ जाता था और उससे लड़ लेता था। एक दिन ऐसे ही लेटा था क ज्योति का कॉल आ गया। और मुझसे मेरा हाल चाल लेने लगी मैंने गुस्से में उसे डांट दिया तो वो रोने लगी और फ़ोन काट दिया। मुझे उसके लिए बुरा लगा मैंने उसे कॉल किया और उससे माफ़ी मांगी और अच्छे से बात की। फिर देर बात करने के बाद मैंने कॉल रख दिया। काफी समय के बाद मझे थोड़ा अच्छा महसूस हुआ। मैं मन ही मन सोचता रहा के मैं इससे अच्छे से बात नही करता फिर भी ये मेरा ख्याल करती है । मेरा हाल चाल लेती रहती है ये सोचते सोचते मैं सो गया। अभिषेक अब रीतू से पीछा छुड़ाना चाहता था वो उससे झूट बोलने लगा उसकी वजह से मुझे भी रीतू से झूठ बोलना पड़ता था । मैंने उससे समझाया के तम्हे पहले ही सच बोल देना चाहिए था इतने दिन उसकी फीलिंग्स के साथ मज़ाक नही करना चाहिए था। तुम दोनों आपस मे इतना बात करने लगे थे तो मूझे लगा कि शायद तुम भी उसे पसंद करने लगे हो । अभिषेक ने बोला में बस टाइम पास कर रहा था मुझे नही पता था कि वो इतनी सीरियस हो जाएगी । ऐसा काफी दिन तक चलता रहा वो उससे झूट बोलता था और रीतू मुझसे उसके बारे में पुछा करती थी । इसी बीच ज्योति से मेरी बोल चाल बढ़ गई थी । वो मुझे रोज़ कॉल किया करती थी । हम दोनों एक दूसरे से काफी देर तक बात करते थे । उसके परिवार में किसी रिस्तेदार की शादी थी तो उसे वहा जाना पड़ा । काफी दिनों तक उससे बात नही हुई तो मुझे उसकी कमी खलने लगी । मुझे पहेली बार ऐसा लगा के शायद मैं ज्योति को पसंद करने लगा हु हाँ सच मे मैं उसे पसंद करने लगा था । पर बताऊ कैसे पता नही वो मेरी बात को कैसे लेगी कही बात करना ही ना बंद कर दे ये सब सोच सोच के मैं और परेशान रहने लगा । किसी काम मे मन नही लगता था । हर समय उसके बारे में ही सोचा करता था। एक दिन बहूत हिम्मत कर के मैंने उसे मैसेज कर के अपनी दिल की बात बोल दी। मैंने उससे कहा के मैं तम्हे पसंद करने लगा हु । जब तुम अपने रिस्तेदार की शादी में गई थी और तुमसे काफी दिन बात नही हुई तो तम्हारी कमी महसूस होती थी । मेरे साथ पहले कभी ऐसा नही हुआ था । तब मुझे महसूस हुआ कि मै तुम्हे पसंद करने लगा हु। मेसेज करने के बाद पुरा दिन मैं उसका इन्तेजार करने लगा लेकिन उसके तरफ से कोई जवाब नही आया । मै थोड़ा परेशान हो गया । दूसरे दिन मैंने उसे कॉल किया उसने ऐसे बात की जैसे उसे कुछ पता ही न हो । मैंने उससे पूछा तुम्हे कल मैंने एक मैसेज किया था पढ़ा था के नही । उसने बोला हाँ पढ़ा था । तो मैंने उससे पूछा फिर जवाब कियू नही दिया कुछ । वो बोली मिल के बात करते है। अभिषेक हमेशा साथ मे ही रहता था। मैंने अभिषेक से किसी काम का बहाना बताके ज्योति से अकेले मिलने गया। हम दोनों एक कॉफ़ी शॉप में बैठ के बात करने लगे। उसने मुझ्से कहा कि देखो दीपक मैं किसी से पहले प्यार करती थी । उसने मेरा साथ छोड़ दिया था अब फिर से दिल तुड़वाने की हालत मे मैं नही हु उम्मीद है कि तुम मेरी बात को समझोगे । मैं अंदर से रोने लगा लेकिन आंखों में नही ला सका । मैंने उससे बोला के मैंने अपनी दिल की बात की है ज़रूरी नही की जो मैं सोचता हूं तम्हारे बारे मे वही तुम भी मेरे बारे में सोचो। मैंने उससे कहा इस बारे में तुम किसी से कुछ मत बोलना । ये बात यही पे खत्म हो गई थी। लेकिन में उससे दिल से प्यार करने लगा था । हमेशा उसके बारे में सोचता उसका हाल चाल लिया करता था । एक दिन बातो बातो में उसने कहा दीपक तूमने मुझे सिर्फ एक बार ही प्रोपोज़ किया दूसरी बार कोसिस ही नही की । मैंने बोला मैं तम्हे बार बार बोल के इमोशनल ब्लैक मेल नही करना चाहता था । इसलिय तम्हे बार बार बोलके परेशान नही किया ।
दोस्तो आगे की कहानी दुसरे भाग में प्रकाशित करूँगा उम्मीद करता हु के आपको अब तक कि कहानी पसंद आएगी ।