( पिछले अंक में आपने पढ़ा कि सुरेखा को रघु में कोई दिलचस्पी नहीं थी. अब आगे पढ़ें रघु ने कैसे उसकी सहेली रागिनी के पिता की जान बचायी…. )
भाग 2
सुरेखा और रागिनी दोनों बी ए कर चुकीं थीं. कुछ ही दिनों बाद सुरेखा शहर छोड़ कर अपने पिता के पास जा रही थी, रागिनी तो इसी शहर में रहती थी. रागिनी ने कहा “ सुरेखा, अब तो नाराजगी छोड़ो, पता नहीं तुम कहाँ होगी और मैं कहाँ. चलो एक बार रघु की दुकान पर चलते हैं. “
दोनों सहेलियां दुकान पर पहुंची. दोनों ने महसूस किया कि उन्हें देखते ही रघु की आँखें ख़ुशी से चमक उठीं पड़ी. औपचारिक हेलो के बाद दोनों चाट खा रही थीं कि रागिनी का फोन बजा. फोन की बात सुनते ही उसका बदन भय से काँपने लगा . उसने अपना प्लेट रखते हुए कहा “ सॉरी, मुझे अभी के अभी जाना होगा. “
“ क्या हुआ रागिनी, कुछ हमें भी बताओ. “ सुरेखा ने कहा
“ मेरे पापा का सीरियस एक्सीडेंट हुआ है. “ बोल कर वह बैग लेकर ऑटो का इन्तजार करने लगी.
रघु ने अपना स्कूटर निकाला और कहा “ शाम का समय है, ऑटो मिलने में देर होगी. मैं आपको अस्पताल तक छोड़ देता हूँ. “
“ अरे नहीं, तुम्हारी दुकानदारी का समय है. मैं चली जाउंगी. “
“ क्या बात करती हो रागिनी, सॉरी क्या बात करती हैं. आप ऐसे मौके पर दुकानदारी कोई मायने नहीं रखता है. “
सुरेखा और रागिनी दोनों ही रघु के साथ अस्पताल गयीं. वहां डॉक्टर ने बताया कि पापा की हालत नाजुक है और उन्हें खून की जरूरत है. रागिनी उसके भाई और रघु और उसके भाई तीनों का ब्लड ग्रुप मैच कर रहा था. तीनों के खून देने से रागिनी के पापा की जान बच गयी. उस दिन से रागिनी की नजर में रघु की इज्जत और बढ़ गयी.
कुछ दिनों बाद उसने रघु से कहा “ तुम एक बार अपने मन की बात सुरेखा को कह कर तो देखो. “
सुरेखा के शहर छोड़ने के पहले रागिनी ने रघु से उसकी मुलाकात करायी. रागिनी ने कहा “ रघु अब सुरेखा यहाँ से जा रही है. तुम अपने मन की बात उसे कह सकते हो. “
सुरेखा ने आक्रोश से कहा “ रागिनी, तुम क्या समझती हो, मैं नहीं जानती कि रघु क्या चाहता है ? वह कहे या न कहे मैं सब समझती हूँ. रघु एक नेक इंसान है मैं मानती हूँ.. मैं रघु से नफरत नहीं करती, पर उससे प्यार भी नहीं कर सकती. पर तुम दोनों को समझना चाहिए कि मेरी और उसकी हैसियत के बीच काफी अंतर है. मैं किसी इंजीनियर या अफसर को ही अपना जीवन साथी बना सकती हूँ. रघु की तरह किसी साधारण दुकानदार को नहीं. रघु को भी यह समझना चाहिए. “
रघु तो बिलकुल खामोश था. रागिनी बोली “ सुरेखा, तुमने सुना होगा या पढ़ा भी होगा कि प्यार में ताज बने भी हैं और ताज ठुकराए भी गए हैं. अंग्रेज सम्राट एडवर्ड VIII ने वैली सिम्पसन से शादी करने के लिए अपनी राजगद्दी छोड़ दी थी और वह भी दो बार की तलाकशुदा अमेरिकी औरत के लिए. “
“ पर क्या किसी राजकुमारी या अमीर लड़की ने भी ऐसी क़ुर्बानी दी है ? “
“ बिल्कुल दी है. स्वीडन के राजघराने से संबंध रखने वाली कार्लोटा वॉन ने एक अति साधारण भारतीय लड़के प्रद्युम्न कुमार से विवाह किया था. अपने समय की मशहूर और कीमती मॉडल कैंडिस ने अपने बॉय फ्रेंड हरमन से दोस्ती निभायी और शादी भी किया. हरमन और कैंडिस दोनों ही मॉडल थे, पर हरमन सफल नहीं रहा था जबकि कैंडिस आपने कैरियर के शीर्ष पर थी. बड़े बड़े मॉडल, व्यापारी, एक्टर उसे चाहते थे, पर उसने हरमन का साथ दिया. “
“ जो भी है मैं ऐसी नहीं हूँ. “
सुरेखा चली गयी. अब रागिनी रघु की ओर आकर्षित होने लगी थी. किसी तरह रघु के पिता के कानों तक यह बात पहुंची. उन्होंने रघु का हौसला बढ़ाते हुए कहा “ भले तुम इंजीनियर या अफसर नहीं बन सकते. पर मैं जानता हूँ कि तुममें वो लगन और साहस है कि तुम वैसे लोगों को नौकरी में रख सकते हो. “
रागिनी ने भी उसका हौसला बढ़ाते हुए कहा “ तुम कुछ और बिजनेस भी शुरू करो. मैं और मेरा परिवार भी तुम्हारे साथ है. “
रघु आश्चर्य से पिता को देखता रहा. रघु को फोन पर इंटरनेट आदि की जानकारी हो गयी थी. उसके पिता ने उसे एक लैपटॉप खरीद दिया. वह थोड़ा थोड़ा करके शेयर में पैसा लगाता गया. भाग्य ने उसका साथ दिया और मात्र तीन चार वर्षों में उसकी पूँजी में काफी इजाफा हुआ.
उधर सुरेखा की शादी एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर अमोल से हुई जो एक स्टार्ट अप में काम करता था.. सुरेखा को एक बेटी हुई, ऋचा. इधर रागिनी और रघु अब अक्सर मिला करते . दोनों एक दूसरे को चाहने लगे थे और दोनों ने शादी कर ली.रागिनी ने एक पुत्र को जन्म दिया, इशांत. कुछ ही दिनों बाद रागिनी के पिता की मृत्यु हो गयी. उसे पिता की वसीयत में कुछ संपत्ति मिली. इस संपत्ति और अपनी जमा पूंजी मिलाकर उसने रघु को मल्टीनेशनल कंपनी की फ्रैंचाइज़ी लेने को कहा. रघु की कंपनी भी दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करने लगी थी. छः साल के अंदर रागिनी और रघु पुणे और हैदराबाद में दो कंपनियों के स्वामी थे.
रघु की कंपनी अक्सर डिनर पार्टी देती थी जिसमें सभी कर्मचारियों को बुलाया जाता था. कुछ दिनों के बाद अमोल कंपनी की तरफ से रघु की पार्टी में गया था. सुरेखा भी उसके साथ थी . वहां उसकी भेंट रागिनी से हुई. अमोल थोड़ी दूरी पर अपने दोस्तों के साथ था. सुरेखा ने अपने पति की ओर इशारा करते हुए गर्व से कहा “ ये मेरे पति अमोल हैं, इस कंपनी में मैनेजर हैं. 15 लाख का पैकेज है. देखा उस रघु की चंगुल में फंसने से हमें क्या मिलता. “
“ बहुत ख़ुशी हुई जान कर , तुम्हें बहुत अच्छा पति मिला है. “
तब तक अमोल की नजर भी रागिनी पर पड़ी, वह उठ कर आया और सुरेखा से कहा “ इनसे मिलो, ये रागिनी मैम हैं हमारी स्टार्ट अप कंपनी को टेक ओवर करने जा रही हैं. ये कंपनी की सी ई ओ हैं और इनके पति रघु सर हमारे होने वाले चेयरमैन हैं. मैम, आज रघु सर नजर नहीं आ रहे हैं. “
“ मैं तुम्हारी पत्नी से मिल चुकी हूँ. हम सहेली भी रह चुकीं हैं. और रघु एक बड़े डील के लिए यूरोप गया है. “ रागिनी ने कहा
अमोल की बातें सुनकर सुरेखा को लगा कि उसके गालों पर किसी ने जोरदार तमाचा जड़ दिया हो. वह शर्म से झेंप रही थी. रागिनी ने कहा “ तुमलोग पार्टी एन्जॉय करो. “
पार्टी के बाद जब अमोल अपने घर आया तो उसने पत्नी से कहा “ मैं तो आज ही जान पाया हूँ कि मेरी बीबी सी ई ओ और चेयरमैन के इतने करीब है. अब रघु और रागिनी हमारी वर्तमान कंपनी को खरीदने जा रहे हैं तो उनकी मर्जी पर है कि अधिग्रहण के बाद पुराने लोगों में से किसको रखें या न रखें या किस पद पर रखें . “
क्रमशः
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