( पिछले अंक में आपने पढ़ा कि रघु ने कैसे सुरेखा की सहेली रागिनी के पिता की जान बचायी. आगे पढ़ें रागिनी ने रघु से सहर्ष शादी की और अत्यंत कठिन समय में रघु और रागिनी ने कैसे सुरेखा की मदद की…. )
अंतिम भाग
“ क्या मतलब, तुम्हारी छंटनी भी हो सकती है ? “
“ यह असंभव तो नहीं है. पर सुना है कि 25 प्रतिशत लोगों का ले ऑफ होगा. तुम अगर रागिनी से मेरी पैरवी करो तो बचना निश्चित है. इतना ही नहीं तुम उनसे कहो कि मैं फिलहाल मैनेजर हूँ, मुझे सीनियर मैनेजर का पद मिलना चाहिए. “
“ नहीं बाबा मैं यह पैरवी नहीं कर सकती हूँ. “
“ अरे पैरवी की जरूरत नहीं होगी, एक बार घर पर उन्हें इनवाईट करो लंच या डिनर पर. मैं फर्स्ट क्लास इंतजाम कर दूंगा. इतना ही इशारा काफी होगा. “
अमोल के दबाव के चलते सुरेखा ने रागिनी और रघु को डिनर पर इन्वाइट किया. अमोल ने काफी धूम धाम और तड़क भड़क से पार्टी दिया था. सुरेखा सीधे तौर पर पति के लिए पैरवी करने की हिम्मत नहीं जुटा सकी, वह तो हीनभावना से ग्रस्त थी. पर बातों बातों में अमोल ने अपनी बात कह डाली.
रघु ने कहा “ अमोल का नाम नयी कंपनी में असिस्टेंट मैनेजर के लिए रिकोमेंड हुआ है. पर मैं उसके एक साल का काम काज देखने के बाद मैनेजर पद पर प्रमोशन सोचूंगा. “
यह सुनकर सुरेखा को लगा कि उसके गाल पर दूसरा तमाचा जड़ दिया गया हो. कहाँ प्रमोशन की सोच रहे थे यह तो डिमोशन हुआ. इतनी जल्दी दूसरी नौकरी मिलने की आशा नहीं थी, इसलिए अमोल ने फिलहाल रघु की कंपनी ज्वाइन कर ली.
समय के साथ रागिनी का बेटा इशांत और सुरेखा की बेटी ऋचा दोनों बड़े हो रहे थे. दोनों स्कूलिंग के बाद आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका गए. पहले से दोनों में परिचय न के बराबर था, क्योकि दोनों की पढ़ाई अलग अलग जगहों में हॉस्टल में रह कर हुई थी.अमेरिका में भी इशांत और ऋचा दोनों भारतीय और वह एक ही शहर के होने के चलते एक दूसरे को जानने लगे थे. ऋचा किसी दूसरे विदेशी लड़के के साथ डेटिंग कर रही थी. उस लड़के ने ऋचा से शादी का वादा भी किया था.
ऋचा प्रेग्नेंट हो गयी थी, उसका प्रेमी शादी की बात टालते रहा और बाद में शादी से मुकर गया. तब तक बहुत देर हो चली थी. एबॉर्शन में खतरा था, डॉक्टर ने एबॉर्शन न करने की सलाह दी थी. इशांत को जब इस बात का पता चला तो उसने अपनी माँ को बता दिया और रागिनी ने ऋचा की माँ सुरेखा को बता दिया. सुरेखा अभी तक इन बातों से अनभिज्ञ थी.इकलौती बेटी की करतूत सुन कर उसे बहुत दुःख हुआ. वह पति के साथ अमेरिका आयी.
कुछ दिनों के बाद रागिनी और रघु भी अमेरिका आये. दोनों अपनी कंपनी और बिजनेस के सिलसिले में आये थे. तब तक इशांत की पढ़ाई भी समाप्त हो चुकी थी. अमोल और सुरेखा रागिनी और रघु से मिलने गए. बातचीत के दौरान ऋचा की चर्चा हुई. रघु की कंपनी का एक ब्रांच अमेरिका के डलास शहर में भी था. उसके वहां के रसूखदार लोगों से जानपहचान थी. सुरेखा किसी तरह बेटी का सुरक्षित एबॉर्शन किसी अच्छे डॉक्टर से कराना चाहती थी. रघु और रागिनी ने टेक्सास के सीनियर गायनोकोलॉजिस्ट्स से बात भी किया, पर सभी ने यही कहा कि ऋचा की जान को खतरा है और वे यह रिस्क नहीं ले सकते हैं.
सुरेखा बेटी को लेकर बहुत चिंतित थी. अपनी इकलौती संतान को खोना भी नहीं चाहती थी.
एक दिन रागिनी ने अपने बेटे इशांत से ऋचा की समस्या की चर्चा की तो इशांत ने कहा “ हाँ मम्मा, वह उस विदेशी लड़के के चंगुल में फंस गयी थी. पहले तो शादी का वादा किया था पर बाद में बच्चे को लेकर उनका ब्रेकअप हो गया. “
“ हम एक ही देश और शहर के रहनेवाले हैं. और सुरेखा मेरी सहेली रही है. मुझे उस पर और ख़ास कर ऋचा पर दया आ रही है. काश हम उसकी मदद कर पाते. “
रघु भी वहीँ था. वह बोला “ सुरेखा की मदद तो अभी भी हमलोग कर सकते हैं. “
“ वो कैसे ? “ रागिनी ने पूछा
“ काम तो बहुत मुश्किल है, एक कठोर फैसला लेना होगा. और यह इशांत ही कर सकता है. अगर उसकी मर्जी हो तब अन्यथा कोई दबाव नहीं है. “
“ रघु, तुम यह कैसे सोच भी सकते हो ? याद करो सुरेखा ने तुम्हारे साथ कैसा व्यवहार किया था. “
“ सुरेखा ने किया था, उस मासूम बच्ची का तो कोई कसूर नहीं है. उसका जीवन बर्बादी की कगार पर है. “
“ पापा, अमेरिका में हजारों सिंगल मदर्स हैं. यहाँ यह कोई कलंक नहीं समझता है. “ इशांत ने बीच में टोका
“ किताबों में पढ़ने और सुनने में तो यही लगता है, पर कभी नजदीक से किसी सिंगल मदर से मिले हो. उनका दर्द क्या होता है जानते हो ? और जब ऋचा अपने देश लौटेगी तो उस पर क्या बीतेगी ? “
“ कुछ भी हो ?, हमें क्या लेना देना है उनसे ? “ रागिनी बोली
“ अगर हर कोई ऐसा ही सोचे तो कोई इंसान दूसरे की मदद नहीं करेगा. “ रघु ने कहा
“ अच्छा अब यह बहस बंद करें आपलोग. “ इशांत बोला
फिलहाल बात यहीं खत्म हुई. पर दो दिनों के बाद अचानक सुरेखा ने रागिनी को फोन किया “ ऋचा ने अपनी कलाई काट ली है. वह आत्महत्या करना चाहती थी. हमलोगों ने देख लिया और अभी वह अस्पताल में है. खून चढ़ रहा है, पर अभी और खून की जरूरत है. “
रागिनी अपने पति और बेटे के साथ अस्पताल गयी. वहां रघु और इशांत दोनों ने ऋचा को खून दिया. डॉक्टर ने उन्हें कहा “ बिल्कुल ठीक समय पर आपने दो जानें बचाई हैं. ऋचा और उसके गर्भ में पलनेवाला बच्चा अब दोनों सलामत हैं. “
सुरेखा रघु के पैर पकड़ने जा रही थी कि रघु ने उसे मना करते हुए कहा “ क्या करने जा रही हो ? “
“ मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि मैं कैसे तुमलोगों का शुक्रिया अदा करूँ और कैसे माफ़ी मांगू. मैंने अमीर गरीब के चक्कर में क्या खोया है, अब समझ सकी हूँ. मुझे माफ़ करना. “
“ माफ़ी की कोई बात ही नहीं है. “ रागिनी बोली
थोड़ी देर में ऋचा ने आँखें खोलीं. सुरेखा ने उसे बताया किस तरह रघु के परिवार ने उसकी और बच्चे की जान बचाई हैं. ऋचा ने इशारे से इशांत को नजदीक आने को कहा. फिर उसका हाथ पकड़ कर रोने लगी. इशांत के हाथ पर उसके आंसू लगातार गिर रहे थे, वह बोली “तुमने तो नेक काम किया है. पर मैं जीना नहीं चाहती हूँ. मुझे बचा कर तुमने जीवन भर मुझे रोने के लिए छोड़ दिया है.“
“ ऐसा, कुछ भी नहीं है. किसी को रोने की जरूरत नहीं है. मैंने खून दिया है तो मेरे खून का एक कतरा तुम्हारे बच्चे में भी होगा. इसलिए अब यह बच्चा मेरा भी बच्चा होगा यानि हम दोनों का कहलायेगा. “
किसी को भी इशांत के इस फैसले की उम्मीद नहीं थी. वहां मौजूद सभी लोग आश्चर्य से इशांत की ओर देख रहे थे. सभी की आँखों में ख़ुशी के आंसू छलक रहे थे.
समाप्त
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नोट - यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है, इसके किसी पात्र,घटना या जगह से भूत यावर्तमान का कोई सम्बन्ध नहीं है