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लव यू - 1

#लव यू#


ये शब्द उसने पहली बार सुना था जब वो 18 साल की थी और इसके पहले भी कई दफ़ा ठरकी क़िस्म के अंकल ये बताते रहते थे।ये वो शरीफ़ वाले बदमाश थे जो घरवालों के सामने बेटा और उनके सामने ही किसी भी तरह का मौका नहीँ छोड़ने वाले बीमार लोग होते थे।उन दिनों विद्यालय में #Bad Touch #नहीँ बताया जाता था और #POSCO Act 2012 #की भी कोई बातें नहीँ होती थी।बदलते ज़माने के साथ हालात में सुधार आया ये एक गलतफहमी ही आजकल।अभी यौन -शोषण के तरीके को सामाजिक स्वीकृति मिल चुकी है आधुनिकता की बुलंद आगाज़ के रूप मे।मैं जब छोटी थी तो मुझे बड़ा अजीब लगता था कि द्रौपदी के पांच पति क्यूँ थे और उसने विरोध क्यूँ नहीँ किया था।कथाओं को सुनने से यही लगता आया कि महाभारत स्त्री के कारण हुआ और वो कारण द्रुपद पुत्री का घमंड रहा।विडम्बना ये है कि आज तक समझ नही आया कि वो इतनी सीधी क्यों थी कि मन से या तन से मना नहीँ कर सकी ।
अरे मैं कहा आ गयी -ये सोचती है कल्पना यानि मैं।मैं तो प्रेम के सागर में डुबकी लगा रही थी और यथास्थिति इतिहास के घरों में सेंध लगा दिया।मुझे तो शशांक के बारे में बातें करनी है जो सुंदर है शालीन है और मेरे नाम के अनुरूप है ,जिसकी भावनाएं भी बढ़ती -घटती रहती है नभमंडल के चंद्रमा की तरह।
शशांक कितना शर्मीला है और उसकी मुस्कान चांदनी के जैसी कोमल और निर्मल।न जाने अब कहाँ होगा और क्या कर रहा होगा,शादी हो चुकी होगी तो दो -तीन बच्चें भी होंगे शायद।अचानक से मुस्कान की एक लहर गालों से होती हुयी कान के पीछे सनसनाहट सी लाती है जब वो ये सोचती है कि क्या वो अपनी पत्नी से भी आप करके बातें करता होगा और अगर हाँ तो बच्चे क्या यज्ञ के फल ही बने होंगे।
कल्पना क संबंध भी शशांक से ऐसा ही था- निश्छल ,निष्कपट,सेक्स उन्माद से दूर ।शीतल बयार और सपनों की एक उज्ज्वल कामना।इस उम्र में जब सेक्स की चाहत इतनी ज़्यादा होती है उसने कभी उसे न उकसाया या अपनी मंशा ही जतायी जबकि वो घण्टो बातें करते थे पहाड़ो की ,नदियों के उफान की ,भविष्य के उड़ान की।कल्पना उसे चिढ़ाती रहती थी फिर भी उसने उस अजीब तरह की मर्दांनगी नहीँ दिखाया जो उसे पुरुषत्व के वास्तविक रूप से कुरूप बना डाले।एक सौम्य मुस्कान और आँखों मे भरा प्रेम-गगन।
धैर्य उसका मनोबल और उचित समय और स्थान उसकी अंतर्नाद की आवाज़।
कल्पना ने जैसे ही अपनी कॉफ़ी खत्म की उसे याद आया कि कल उसका एक विशेष सम्मान -कार्यक्रम है और वो वहाँ मुख्य अथिति है ।अब उसे अपने बालों को टच -अप करने है ,अमोनिया फ्री रंग का प्रयोग करे कि instant टच अप स्प्रे का इस्तेमाल कर ले।उम्र चालीस पार कर चुकी कल्पना के चेहरे पर इसके निशान नहीँ दिखते ।उसकी लापरवाही की वजह से सूरज की पप्पी के निशान दिखते रहते है।फिर से वो यादों की गलियों के सैर पर निकल चुकी और उसे अपनी बातों पर बेवज़ह प्यार आने लगा।जैसे जब जवानी में हार्मोन की अति विशिष्ट सम्मान के कारण पिम्पल हो जाते और वो मुल्तानी मिट्टी और नीम पाउडर का पैक से बचने के लिए कहती थी..,ये मेरा ब्यूटी स्पॉट है।

क्रमशः

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