पारुल बैचेन सी सेम के साथ स्टेज पर बैठी थी । उसका मन तो थोड़ी देर पहले अविनाश के साथ हुआ उस बात से विचलित था । उसके मन में बार वह दृश्य सामने आ रहा था । पारुल के ना चाहते हुए भी उसके दिल में एक अलग सा भाव उमड़ रहा था । उसके दिमाग में जितनी नफरत थी अविनाश की हरकत को लेकर मानो दिल उससे विपरीत महसूस कर रहा था । ऊपर से सेम के प्रति पारुल के मन में जो अपराध भाव उमड़ रहा था । ऐसा लग रहा था जैसे की किसी का खून किया हो उसने । बात सही भी सैम की भावनाओं का खिलवाड़ किया था । पर फिर पारुल का ही मन कहता है की वह सिर्फ बात करने गई थी और फिर बात ऐसी बिगड़ जाएगी ऐसा थोड़े ही पता था । पारुल ने जानबूझ कर थोड़े ही अविनाश को उकसाया था । यह सारी बाते पारुल का दम घोट रही थी। मानो सांस लेना भी पाप हो गया हो । और बार मानो ना चाहते हुए उसके मन में वह दृश्य आ रहा था। पारुल खुद को एक थप्पड़ मारना चाहती थी वह आखिरकार गई ही क्यों!? वह भी उस घटिया इंसान से बात करने । पारुल दिमाग में सारे सवाल घूम रहे थे । तभी सेम उसके हाथ पर हाथ रखते हुए कहता है ।
सेम: ( सभी लोगो की ओर देखते हुए मुस्कुराते हुए ) पारो! सब ठीक तो है ना!!।
पारुल: ( चौंकते हुए ) हांअ!! हा बिल्कुल ठीक ही होगा ना!! ठीक क्यों नहीं होगा!!?।
सेम: ( पारुल की ऑर देखते हुए ) पारो!!
पारुल: ( चिंता में ) हां!! ( इधर उधर देखते हुए ) ।
सेम: ( पारुल का हाथ को अपने हाथ में लेते हुए ) पारो! ब्रिथ!! सांस लो!! शांत!! अपने दिमाग से सारे खयालों को दूर करो !! जो भी है पहले गहरी सांस लो !।
पारुल: ( सेम जैसा कह रहा था वैसा करते हुए ) आह...हह.. अ.!! । ( गहरी सांस लेते हुए ) ।
सेम: अब कैसा महसूस हो रहा है ।
पारुल: ( सिर को हां में हिलाते हुए जवाब देती है । पर सेम से नजरे मिला नहीं पाती । ) ।
सेम: ( पारुल की ऑर चिंता भरी नजरो से देखते हुए ) पारो! देखो यहां सभी लोग खड़े है इसीलिए मैं तुम्हारा चेहरा अपनी तरफ नही कर सकता प्लीज मेरी तरफ एक बार देखो!! प्लीज.. मै जानता हूं कुछ बात है जो तुम कह नहीं सकती मुझसे !! कुछ ऐसा हुआ है जो तुम्हे पसंद नही आया है ना! और तुम खुद को कोश रही हो ना ! ।
पारुल: ( चौंकते हुए सेम की ओर देखते हुए। ) ( आंखो से सवाल पूछते हुए ) ।
सेम: ( मुस्कुराते हुए पारुल की आंखो में देखते हुए ) सब ठीक होगा । और जो भी हुआ हो उसने तुम्हारी गलती नही थी। मै जानता हूं तुम जान बूझकर कभी गलत काम नहीं करेगी !!। आई ट्रस्ट यूं!! ( अपनी आंखो से पारुल की आंखो में देखते हुए पलके झपकते हुए ।) मुझे तुम पर पूरा भरोसा है खुद से भी ज्यादा!! ।
पारुल: ( सेम की ही आंखो में देखे जा रही थी । पारुल के मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी । गला साफ करते हुए ) आहम्म... तू.. म... इतना... भ... रोसा .. क्यों...? । और तुम... है.. कैसे.. !! ।
सेम: ( मुस्कुराते हुए पारुल के हाथ की उंगलियो को अपने हाथ से जोड़ते हुए ) पारो! याद है उस दिन मैने तुम्हे पहली बार तुम्हे प्रपोज किया था ।
पारुल: ( सिर हिलाते हुए हां में जवाब देती है । ) ।
सेम: तो तुम्हे याद था मैने क्या कहां था !?।
सेम: तो तुम्हे ये भी याद होगा जब मैने कहां था की मै हमेंशा तुम्हारे साथ हूं चाहे तुम मुझसे प्यार करो या ना करो । एक दोस्त की हैसियत से तुम मेरे लिए पहले हो बाद में एक प्रेमिका !! । तो अगर कुछ बात है और बोलना चाहती हो तो मै तुम्हें यकीन दिलाता हूं कि इससे हम दोनो के बीच दरार नहीं आएगी और मैं तुम्हे दोस्त की तरह जानता हूं कि तुम्हारा दिल साफ है और तुम्हारी गलती नहीं है । अब बता पाओगी की क्या.. हुआ...!! है!?।
पारुल: ( सेम की ओर विश्वास से भरी नजरो से देखती हुए। वह सोचती है। की वह इतना भरोसा करता है । वह बिना कहे भी पारुल के दिल की बात जान लेता है। मुस्कुराते हुए चिंता मुक्त मन से कहती है । ) सेम.. थैंक.. यू... मुझ.. पर.. भरोसा .. करने के लिए.. ( सेम के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए ) जो बोझ दिल पर था वह गया तो नहीं पर कम जरूर हो गया है ।
सेम: तो अब बता पाओगी क्या हुआ है । ( आंखो से रिक्वेस्ट करते हुए ) ।
पारुल: हां !!( प्यार भरी नजरो से सेम की ओर देखते हुए ) । वो दरअसल जब मैं थोड़ी देर पहले में ताजी हवा लेने बहार गई थी ।
सेम: हममम.. ( पारुल की बात ध्यान से सुनते हुए ) ।
पारुल: तब मैं तुम्हारे...( पारुल कहने ही वाली थी की तभी आवाज आती है । सेम!! मानो पारुल की सांस थम गई थी । उसकी बैचैनी फिर से बढ़ गई थी । )।
सेम: जी भाई!!?। ( अविनाश की ओर देखते हुए ) ।
अविनाश: क्या चल रहा है!!।
पारुल: ( बैचेन सी हो गई थी । वह अपने हाथो के नाखून खुदेर रही थी । उसमें अविनाश की ओर देखने की हिम्मत नही थी । वह जमीन पर नजरे गड़ाए खामोश हो जाती है। और सेम का हाथ कस के पकड़ लेती है । ) ।
सेम: भाई कुछ नहीं पारो कुछ परेशान थी तो !!? ( पारुल के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए उसे यकीन दिलाता है की वह यही है उसके पास । ) ।
अविनाश: ओह!! क्या हुआ पारुल सब कुछ ठीक तो है।
पारुल: ( चौंकते हुए अविनाश की ओर देखती है । ) ( आंखो से ही सवाल भरी नज़रों से देख रही थी । की वह ऐसा बन क्यों रहा है । अविनाश की नजर पारुल की ऑर ही थी वह पारुल की और कर्कश नजरो से देख रहा था मानों जैसे नजरो से ही वह किसी को जला देगा । तब अविनाश की नजर पारुल के होठ पर पड़ती है । जिस वजह से पारुल अपने हाथ से होठ को ढक देती है । ) ।
अविनाश: ( अविनाश यह देखकर मुस्कुरा देता है । और कहता है । ) क्यों कहीं फंक्शन की वजह से नर्वस तो नहीं हो गई !?।
सेम: आई डोंट नो भाई शायद !!।
पारुल: ( गुस्से में अविनाश की ओर देखते हुए ) सेम!!
अविनाश: ( पारुल की बात कांटते हुए।) सेम! उधर देखो मिसेज. रायचंद बुला रहे है ।
सेम: पारो! मैं अभी आया! ।
पारुल: ( मानो समीर का हाथ छोड़ना नहीं चाहती थी । ) ओ..के...। ( आंखो से सैम को जल्दी से वापस आने के लिए कहते हुए । ) ।
सेम: ( आंखो से पारुल को हां कहते हुए ) अपनी मॉम के पास जाने के लिए स्टेज से उतरने के लिए आगे बढ़ता है।
पारुल: ( सेम को दूर जाते देख मानो उसके लिए सांस लेना मुश्किल हो रहा था । फिर वह सेम की बात याद करते हुए गहरी सांस लेने में व्यस्त थी की तभी आवाज आती है । ) ।
अविनाश: ( पारुल के करीब धीरे से कहते हुए ) प्रिंसेस!! तुम भी बड़ी मासूम हो सच में !! हाहहह!! आई मीन कौन ये बात अपने होने वाले पति को बताता है की मैने उसके भाई को किस किया !!? ।
पारुल: ( यह सुनकर पारुल अविनाश की आश्चर्य से देखती है। अविनाश कहने को तो दूर बैठा था लेकिन काफी करीब था पारुल को उसकी सांस महसूस हो रही थी । बिना कुछ बोले वह बस देखे जा रही थी । ) ।
अविनाश: तुम भी ना यार अगर मै ना आता तो पता नहीं क्या करती !!? । सेम को सच बताके तुम्हे क्या लगा की वह तुम्हारी बातो पर यकीन करता!?।
पारुल: ( गुस्से में शंका से भरी नज़रों से देख रही थी । )।
अविनाश: ( पारुल के कान में धीरे से ) हाय तुम्हारी नजरे किसी दिन जान ले लेगा मेरी !! हां तो कहां था में ! । यकीन!! चलो यकीन कर भी ले लेकिन किस मुंह से तुम कहोगी की मैने तुम्हे किस किया था और वो भी जबरदस्ती! ( मुस्कुराहट के साथ ) सीधा यहीं सवाल उठेगा की तुम पहले मेरे साथ मेरे कमरे में अकेली क्या कर रही थी ।
पारुल: ( अविनाश की ओर देखते हुए उससे नजरे मिला नही पाती । अविनाश की बाते उससे असर कर रही थी ।)।
अविनाश: देखो! बिना सोचे समझे तुम क्या करने जा रही थी । नाऊ डोंट थैंक मी.. ।
पारुल: ( गुस्सा आ रहा था मानो वह अविनाश के चहेरे पे एक थप्पड़ जड़ना चाहती है । दांत भींसते हुए कहती है ।) सेम मुझ पर पूरा भरोसा करता है अगर मैने गलती की होगी तब भी । समझे ।
अविनाश: ( हंसते हुए ) हाहाहाहा... ओह गॉड... जानता हूं बिना किसी सवाल के वह मानेगा । पर.. ( आसपास देखते हुए ) लोगो के सवालों का क्या!!? तुम्हे लगता है वह इग्नोर कर पाएगा । ( पारुल की ऑर गहरी नजरों से देखते हुए ! ) । अच्छा सुनो!!?( प्यार भरी आवाज के साथ ।)
पारुल: ( अचानक अविनाश की आवाज बदल कैसे हो गई । ) हाअअ!?।
अविनाश: आज तुम्हारे लिए एक सरप्राईज है जब सगाई के रश्म होगी तब!! ।
अविनाश: ( मुस्कुराहट के साथ ) बेब! अभी टाईम है। बाय द वे! ये देखो!!? ( जेब में से बॉक्स निकालते हुए) ।
पारुल: ( अविनाश की ओर सवाल भरी नजरो से माथे पर सिकन आ गया था । ) ।
अविनाश
: अरे! देखो अच्छा वैट !! ( बॉक्स खोलते हुए ) ये देखो कितनी प्यारी रिंग है! है ना!।
पारुल: रिंग!!?
अविनाश: यस रिंग !! सगाई के लिए!! ।
पारुल: ( चौंकते हुए डरते डरते अविनाश की आंखो में देखते हुए ) नहीं! क्या चल रहा है तुम्हारे दिमाग में !।
अविनाश: वही जो तुम्हारे दिमाग में चल रहा है ।!! "हमारी सगाई!!" ।
पारुल: ( मानो उसका सिर तो चक्करा रहा था । अविनाश जो बोल रहा था उसने सुना तो सही । पर दिमाग में बैठ नहीं रहा था । ) मजाक !! मज़ाक कर रहे हो!! राईट!?।
अविनाश: ( आंख डार्क ब्लेक हो गई थी जिससे देखकर पारुल और भी डर गई थी । ) तुमने सोच भी कैसे लिया की ( पारुल के हाथ अपने हाथ में लेते हुए। पारुल हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रही थी । ) चिल मै बस थोड़ी देर के लिए देख रहा हूं । तो उस दिन याद है मैने डिनर के वक्त सेम के प्रपोज के लिए मना किया था । तो तुम्हे कैसे लगा मैं तुम्हे किसी ओर का होने दूंगा। किस तो सिर्फ एक ट्रेलर था बेब!!।
पारुल बस सोच और समझने की कोशिश कर रही थी की क्या हो रहा है । अविनाश क्या कह रहा है!? क्या हो रहा है। क्या होगा ! ? । टेंशन के मारे माथे पर पसीना आ रहा था । तभी अविनाश पारुल की ऑर फूक मारते हुए गर्मी दूर करते हुए !! अविनाश कहता है । "बी रेडी फ्यूचर मिसेज. खन्ना ।" यह कहकर वह पारुल से दूर सेम जहां था उसकी ओर आगे बढ़ता है। तभी पीछे मुड़ते हुए पारुल की ऑर फ्लाइंग किस भेजता है ।