तुम भी - 2 S Sinha द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तुम भी - 2

एपिसोड 2 - नेहा का तलाक

कुछ दूर आगे जाने के बाद नेहा ने आगे की खिड़की खोल दी और कार को बैक कर बस स्टैंड के निकट रोका. इसी बीच एक तेज आती हुई कार से पानी की मटमैली छीटें उस आदमी के कपड़े और चेहरे पर पड़ीं. उसने रूमाल निकाल कर चेहरा साफ़ किया और बड़बड़ाया “ बास्टर्ड, कार है तो न जाने क्या समझता है अपने को ? देख कर नहीं चला सकता है ? “

नेह ने कार उस आदमी के निकट जा कर रोकी और वह उसे देखने लगी. पर उस आदमी ने अभी तक नेहा की तरफ नहीं देखा था. नेहा को उसे पहचानने में कोई देर नहीं लगी हालांकि करीब आठ साल बाद उसे देख रही थी.

नेहा ने दरवाजा खोला और कहा “ हाय, प्रेम. कम इन. “

प्रेम ने कुछ देर नेहा को पहचानने की कोशिश की फिर कहा “ हाय, नेहा. तुम इतने दिनों बाद यहाँ. “

“ आओ, पहले अंदर आ कर बैठो. “ प्रेम के कार में बैठने के बाद नेहा ने पूछा “ कैसे हो ? “

“ मैं ठीक हूँ और तुम यहाँ रांची में ? “

“ तुम्हें भूलने की आदत कॉलेज के दिनों से ही है, अभी तक गयी नहीं. मैं तो रांची की रहने वाली हूँ. यह सवाल तो मुझे तुमसे करना चाहिए. “

“ सॉरी, मैं कुछ पल के लिए भूल गया था. हां याद आया तुम मेसरा में फार्मेसी पढ़ रही थी. “

“ हाँ, और तुम बनारस से इंजीनियरिंग पढ़ने आये थे. दोनों के अलग अलग स्ट्रीम होने के बावजूद हम अच्छे दोस्त बन गए. “

फिर कुछ देर नेहा गंभीर और खामोश रही. प्रेम ने एक नजर उसे देखा तब नेहा ने बनावटी मुस्कान से कहा “ और हम दोस्त ही रह गए मैंने कुछ और ही सोचा था. खैर अब उन बातों का कोई मतलब नहीं रहा है. या यों कहो कि तुम शादी के बाद दोस्ती भी न निभा सके. दिशा से शादी के बाद हमारा सम्पर्क बिल्कुल टूट गया. “

“ सॉरी, मुझे इंजीनियर लड़की चाहिए थी. इसलिए मैंने तुमसे कभी शादी की बात सोची नहीं थी. मैंने सोचा था कि मैं और दिशा दोनों शादी के बाद ऑस्ट्रेलिया जायेंगे और वहीँ सैटल करेंगे. “

“ प्लीज स्टॉप, अब छोड़ो उन बातों को. बताओ यहाँ कैसे आये, तुम तो ऑस्ट्रेलिया में थे न ? “

“ हाँ, गए तो थे पर वहां मन नहीं लगा बल्कि एडजस्ट नहीं कर सका. “

नेहा ने स्त्री विशेष गुण से भांप लिया कि प्रेम उस से कुछ छुपा रहा है “ एडजस्ट नहीं कर सके ? किस से ऑस्ट्रेलिया में या दिशा के साथ ? “

“नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है. “

“ गुड. अब बताओ तुम यहाँ कैसे आये हो ? “

“ मैं यहाँ मेकन में डिप्टी जनरल मैनेजर, डिज़ाइन बन कर आया हूँ. मैंने कल ही ज्वाइन किया है. आज मेकन कॉलोनी में क्वार्टर का पॉजेसन लेने जा रहा हूँ. “

“ तो तुम्हें मैं श्यामली में छोड़ दूँ. “

“ हाँ, अगर तुम्हें कोई तकलीफ न हो तब. और तुम कहाँ जा रही हो ? सुना है तुमने जय से शादी किया था ? “

“ हाँ ठीक सुना था. वह एक अरेंज्ड मैरेज थी. “

“ गुड, हमारे यहाँ अरेंज्ड मैरेज ही ज्यादा देखने में आता है. फिलहाल तुम अकेले कहाँ जा रही हो और जय कैसा है ? “

“ मैं कोर्ट की तरफ जा रही हूँ पर “

“ कोर्ट की तरफ या कोर्ट ? “

“ ऐसा कुछ भी नहीं है. अभी जल्दी में हूँ, इतने सवालों का जवाब एक साथ नहीं दे सकती हूँ. वो देखो मेकन ऑफिस सामने है. “

प्रेम ने कार से बाहर निकल कर कहा “ थैंक्स फॉर लिफ्ट. तुम अपना फोन नंबर दे सकती हो. “

“ हाँ क्यों नहीं ? ये रहा. “ नेहा ने एक स्लिप उसकी ओर पकड़ा कर कहा.

प्रेम ने कहा “ क्या कुछ देर हम मिल कर साथ बातचीत कर सकते हैं ? “

“ श्योर ? व्हाई नॉट ? “

प्रेम ने अपने नए क्वार्टर का नंबर एक स्लिप पर लिख कर उसे पकड़ा दिया. प्रेम को ड्राप करने के बाद नेहा अपने वकील के घर गयी. वकील के मुंशी ने नेहा को कहा “ सर, अभी तैयार हो रहे हैं. आपको 15 मिनट इंतजार करना होगा. आप प्लीज उनके ऑफिस में बैठें. आपके लिए कुछ चाय पानी भेजवा दूँ. “

“ नहीं, धन्यवाद. “ बोल कर नेहा ने अपनी फाइल खोली. फिर उसने वापस फाइल बंद कर रख दिया, शायद यही सोच कर कि एक ही बार वकील के साथ डिस्कस करेंगे. फाइल बंद कर वह न्यूज़ पेपर ले कर पढ़ने लगी. थोड़ी देर बाद वकील साहब आये तो दोनों ने एक दूसरे को गुड मॉर्निंग कहा. वकील ने मुंशी को नेहा की फाइल निकालने के लिए कहा. मुंशी से फाइल लेने के बाद वकील ने उसे कहा “ अंदर से दो चाय भेजने को बोल दो. “

वकील ने नेहा की फाइल से कुछ पेपर निकाल कर उसे साइन करने के लिए दिया और नेहा ने भी आँख मूँद कर बिना पढ़े साइन कर उन्हें लौटा दिया.

“ वेल नेहा जी. अब आपके डिवोर्स सूट का फैसला कुछ घंटों में आ जायेगा. आपने जिस पेपर पर अभी साइन किया है उसके मुताबिक आप और जय के बीच किसी तरह चल या अचल संपत्ति का कोई विवाद नहीं है और आपने इसे आउट ऑफ़ कोर्ट निपटा लिया है. जय के वकील ने भी मुझे जय का साइन किया वैसा ही पेपर दिया है. आप चाहें तो इसे देख सकती हैं. “

“ नहीं ठीक है, जब कोई डिस्प्यूट है ही नहीं तब क्या देखना है. और आपने किसी ख़ास काम के लिए बुलाया था मुझे ? “

“ नहीं, नहीं. चूंकि जय के वकील से प्रॉपर्टी सेट्लमेंट की कॉपी मुझे कल तक नहीं मिली थी तो मेरे मन में शंका थी कि कहीं आज फैसला न आये या एडजर्नमेंट हो जाये. पर अब कोई अड़चन नहीं है. आप अब निश्चिन्त रहें. तीन घंटे बाद आप बिल्कुल आज़ाद हो जाएँगी. “

“ मैं कोई कैद में थोड़े हूँ ? आज़ाद तो मैं दो साल से हूँ. “ नेहा ने कहा 

“ मेरा मतलब आप कानूनन डिवोर्सी हो जाएँगी और तब अपने भविष्य के बारे में कोई भी निर्णय लेने के लिए फ्री हैं. “

“ तो अब मेरा यहाँ कोई काम नहीं है, मैं जा सकती हूँ ? “

“ श्योर, कोर्ट में मिलते हैं. “

 

नेहा ने बाहर आ कर प्रेम को फोन किया “ तुम कब तक फ्री हो जाओगे ? तुम मिल कर बातें करना चाहते थे न ? “

‘ मैं फ्री हूँ. मैंने क्वार्टर की चाभी ले ली है. पर मुझे यहीं रुकना है, ट्रांसपोर्ट से कुछ सामान आ रहा है. “

“ ओके, जैसे ही मैं फ्री हो जाऊँगी मेकन कॉलोनी आ जाऊँगी. टिल देन बाय. “

कुछ देर बाद नेहा रांची कोर्ट पहुंची. वह अपने वकील के साथ बैठी अपनी सुनवाई की कॉल का इंतजार कर रही थी. कुछ देर बाद वकील के फोन पर एक मेसेज आया. उसे देख कर उसने कहा “ मुंशी का मेसेज था. अब हम कोर्ट में चल सकते हैं. “

नेहा वकील के साथ कोर्ट में थी. जय भी वहां मौजूद था. दोनों ने एक बनावटी मुस्कान के साथ एक दूसरे को विश किया. कोर्ट में जज साहब को फैसला सुनाने में ज्यादा देर नहीं लगी. पंद्रह मिनट के अंदर जय और नेहा के बीच कानूनन कोई रिश्ता बाकी नहीं रहा. दोनों अब डिवोर्सी थे. दोनों के वकील ने अपने अपने क्लाइंट को बधाई दिया. नेहा ने कुछ नहीं कहा बल्कि वह मन में सोचने लगी कि आजकल ऐसे मौकों पर भी बधाई दी जाती है.

नेहा के वकील ने कहा “ मिस नेहा, आप शाम को आ कर जजमेंट की ऑफिसियल कॉपी ले सकती हैं. “ फिर अपने मुंशी को कहा “ दोपहर बाद ऑफिस से जल्द से जल्द आर्डर की कॉपी ले लेना. “

नेहा ने घड़ी देखी , अभी एक बजा था. वह कार से थर्मस ले कर कोर्ट के कैंटीन गयी. वहां से दो लोगों के लिए सैंडविच पिक किया और थर्मस में चाय ली. नेहा बिना देर किये मेकन कॉलोनी प्रेम के पास गयी.

क्रमशः

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